
सृष्टि को गुलाम बनाने की किसी के प्रयास को विफल करती है प्रकृति सैंडी जैसे प्राकृतिक व अमेरिका जैसे तानाशाही मनोवृति से पृथ्वी की रक्षा करने के लिए जरूरत है एक मजबूत विश्व सरकार की विश्व मानवता व लोकशाही को अपनी जिस ताकत के दम पर अमेरिका द्वितीय विश्व युद्ध के बाद निरंतर रौंद रहा है वह ताकत प्रकृति के एक साधारण से थपेडों ‘सैंड़ी तूफान’ के आगे बेबस, असहाय व शक्तिहीन बना हुआ है। अपने आप को विश्व की एकमात्र महाशक्ति बन कर अपने निहित स्वार्थ के लिए अफगानिस्तान, इराक व लीबिया जैसे देशों को तबाह कर तथा 75 देशों की शांति पर अपने सैन्य ताकत व नाटो व संयुक्त राष्ट्र आदि गिरोह से ग्रहण लगा कर लाखों लोगों को अकाल ही मौत की नींद सुलाने वाले अमेरिकी हुक्मरान इस समय प्रकृति के इस जरा से थेप्पेडों को आगे खुद को बेबश पा कर प्रकृति के रहमोकरम पर जी रहे हैं। यह प्रकृति द्वारा अत्याचारी अमेरिकी हुक्मरान को एक संदेश भी है कि अपने गिरेवान में झांक कर इंसानियत को न रौंदे।परन्तु इस समय अमेरिका के करोड़ों निर्दोष लोगों का जीवन भी संकट में घिरा हुआ है। विश्व जनसमुदाय प्रकृति से लोगों के अमन चैन की द...