कब मिलेगा राश्ट्र को अपना भारत धाम
कब मिलेगा राश्ट्र को अपना भारत धाम
भारत को सर्वोच्च धाम से वंचित रखने वाले हुक्मरानों जवाब दो
इससे बड़ा दुर्भाग्य किसी देश का और दूसरा क्या होगा कि उसके गौरवशाली सर्वोच्च धम व विरासत से वहां की सरकारें जानने के बाद भी वंचित रखे। यह सरकारों का दूसरा क्या होगा किसी भी अर्थ में राष्ट्रवादी कार्य नहीं माना जा सकता है यहां की सरकारों ने देश की आम जनता से देश के उस गौरवशाली सर्वोच्च धम से देश की जनता को जानबुझ कर वंचित रखा, जिसके नाम से देश को भारत के नाम से जाना जाता है। हाॅं मैं महाराजा भरत जिनके नाम से इस देश का नाम भारत पड़ा उनके जन्म स्थान ‘भारत धम’ के बारे में आज पिफर दो टूक सवाल देश के हुक्मरानों के साथ उत्तराखण्ड प्रदेश की सरकारों से कर रहा हूॅ। उस भाजपा की उत्तराखण्ड प्रदेश सरकार से भी कर रहा हॅू जो संघ पोषित भाजपा अपने आप को राष्ट्रवादी होने का दंभ भरती है। कांग्रेस से आशा ही क्यों करें। उसे लगता है देश की संस्कृति व इतिहास से ही कहीं कोई लेना देना नहीं है। उसके लिए तो उस मुर्गे की तरह सुबह तभी लगती है जबसे उसने बाग देना शुरू किया हो। इसी तरह कांग्रेस को भी भारत का इतिहास या तो पिफरंगी तबकों का जुठन लगता है या पिफरंगी हुक्मरानों के खिलापफ गांध्ी नेहरू के संघर्ष का ही लगता है। परन्तु राष्ट्रवाद की उद्घोष करने का दंभ भरने वाली भाजपा भी भारतीय गौरवशाली इतिहास व विरासत की इतनी उपेक्षा करेगी, यह देख कर बहुत दुख होता है। यह मात्रा किसी राजा महाराजा का जन्म स्थान नहीं यह भारत देश के लिए सर्वोच्च स्थान है। यह भारत के लिए सर्वोच्च धम है। यह आम भारतीयों के लिए काशी व काबा की तरह पावन है। यहां की रज हर देशवासियो के लिए पावन है। यहां के दर्शन व स्मरण मात्रा से आम भारतवासी अपने प्राचीन गौरवशाली अतीत को आत्मसात कर इस देश को पुन्न गौरवशाली देश बनाने का संकल्प लेते। यह देश के लिए राजधट या इंडिया गेट से पवित्रा सर्वोच्च धम है। इस देश का हर नागरिक अपने जीवन में उसी प्रकार दर्शन करना चाहता जिस प्रकार यहां का आम आदमी अपने जीवन में मंदिर, मस्जिद, गुरूद्वारे या चर्च में जा कर अपना शीश झुकाना चाहता। भारत धम देश में एकता अखण्डता व जगद्गुरू बनने की अक्षुण्ण ऊर्जा को संचारित करने का सूर्य है। परन्तु देश के हुक्मरानों ने इसे अब तक देश की आम जनता से वंचित कर रखा है।
देश के हुक्मरानों के इस गुनाह के कारण आज देश की जनता को ही नहीं हुक्मरानों को भी आज इस बात का ज्ञान नहीं है कि देश का सर्वोच्च धम कौन है। कोई देश का सर्वोच्च धम राजघाट तो कोई इंडिया गेट समझे परन्तु इस देश का सर्वोच्च धम भारत धम है। जो देवभूमि व मोक्ष भूमि के नाम से विख्यात उत्तराखण्ड के पौड़ी जनपद के कोटद्वार के समीप महर्षि कण्व ट्टषि के आश्रम कण्वाश्रम में महाराजा भरत की जन्म स्थली भारत धम है। यही वह पावन भारत धम है जहां महाराजा भरत जिनक नाम से इस देश का नाम भारत प्रसि( हुआ, उनकी जन्म स्थली है। भले ही भगवान राम व भगवान श्री कृष्ण की जन्म स्थली की तरह ही यह आम भारतीयों के लिए पवित्रा है। सरकार की उदासीनता के कारण यह पावन धम उपेक्षा व अतिक्रमण का शिकार हो रखा है। ं
भले देश की जनता से भले ही भाजपा अपने आप को राष्ट्रवादी कहे परन्तु जिस महाराजा भरत के नाम से देश का नाम भारत पड़ा उसकी जन्म स्थली पर आज भी कई बार गुहार लगाने के बाबजूद भी वह भारत धम बनाने के लिए जरा सी भी उत्सुक नहीं है। गौरतलब है कि महाराजा भरत की जन्म स्थली उत्तराखण्ड के पौड़ी जनपद के कोटद्वार के समीप कर्णवाश्रम में है। परन्तु देश की संस्कृति व गौरवशाली आत्मसम्मान स्वरूप इस प्राचीन विरासत से देश के आम जनमानस के समक्ष रखने में अब तक की तमाम सरकारें विपफल रही। मैने खुद इस आशय से विशेष निवेदन प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्राी रमेश पोखरियाल निशंक के समक्ष किया। उन्होंने मुझे इस स्थान पर भारत धम बनाने का वचन दिया था। यह वचन उन्होंने मुझे अकेले में नहीं अपितु देश के डेढ़ दर्जन पत्राकारों, उत्तराखण्ड सरकार के सलाहकार जोशी, दर्जाधरी पी सी नैनवाल व बलूनी के समक्ष दिल्ली स्थित उत्तराखण्ड निवास में मुख्यमंत्राी निशंक नेे एक घण्टे लम्बी गहन विशेष वार्ता के दौरान दिया था। परन्तु खेद है वे भी इस विषय की गंभीरता को समझने में पूरी तरह से नकाम रहे। हालांकि इससे पहले मैने इस पावन भारत धम से भारत के आम जनमानस से साकार कराने के लिए उत्तराखण्ड के प्रथम पर्यटन मंत्राी ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत से भी की थी। परन्तु लगता है जनरल रावत की तरह मुख्यमंत्राी निशंक न तो इस भारत के सर्वोच्च धम ‘भारत धम’ की महता ही समझ पाये व नहीं अपने राष्ट्रीय दायित्व को ही समझ पाये।
नहीं तो इस देश के सर्वोच्च धम ‘भारत धम’ से देश की जनता आजादी के 64 साल बाद भी वंचित नहीं रहती। इस देश की अब तक की किसी भी सरकार ने इसकी महता नहीं समझी। समझते ही कहां से लगता है कि इनको भारत देश की महता का ही आत्म ज्ञान नहीं। अगर होता तो ये आज तक इस दिशा में अपना कत्र्तव्य तो पूरा कर देश का ‘भारत के सर्वोच्च धम भारत धम से वंचित नहीं करते।
इस पावन धम के बारे में जब मेने बचपन में सुना तो तभी से मैने इस पावन धम की दुर्दशा को देख कर मेरा मन व्यथित होता था। इसी लिए भारत को ही विश्व को महान विरासत से अवगत कराने सहित अन्य दिव्य उद्देश्यों के लिए मैने उत्तराखण्ड राज्य गठन के लिए प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्रा का प्रकाशन भगवान श्रीकृष्ण की अपार कृपा से शुरू किया। जो राज्य गठन के साथ ही अनेक उपलब्ध्यिों को हासिल करने में सपफल रहा। आज विश्व को दिव्य समाधन खण्ड के रूप में उत्तराखण्ड को उसकेे असली स्वरूप में साकार करने के लिए प्रयत्नशील हो कर यहां के जनविरोध्ी व भ्रष्ट राजनेताओं केे जनविरोध्ी कृत्यों को बेनकाब कर रहा हॅू । भले ही संकीर्ण जातिवादी, भ्रष्ट, जनविरोध्ी नेता व उनके प्यादे नाखुश हों परन्तु आम जनता का जो प्यार, स्नेह व सहयोग मुझे मिल रहा है वह मेरे लिए असली सम्पति है। मैं सच व न्याय के पथ पर श्रीकृष्ण भगवान के अपार कृपा से लोकशाही के इस कुरूक्षेत्रा में एक सिपाई की तरह सदैव रत हॅू। यही मेरी मंजिल एवं मेरा मिशन है। मेरा सापफ मानना है कि इस विश्व में किसी भी हुक्मरान को जनहितों व सत्य को रौंदने की इजाजत किसी भी कीमत पर नहीं दी जा सकती हे। वे संसार की अदालतों से भले ही बच जायें परन्तु महाकाल की इस अदालत से कभी नहीं बच सकते। श्रीकृष्ण की परम कृपा से हरपल सौभाग्यशाली मुझे अब इस संसार के किसी पद या अन्य चीज की आकांशा तक नहीं है। केवल यही है कि सभी प्राणियों को सदैव न्याय व उचित अवसर मिले। अन्याय कहीं न हो। सबको जीने व अपनी प्रतिभा को प्रपुफल्लित करने का अवसर बिना किसी जाति, ध्र्म, क्षेत्रा, नस्ल के भेदभाव रहित समान रूप से मिले। मेरे लिए पूरा विश्व ही नहीं जड़ चेतन श्रीकृष्ण स्वरूप है। इसलिए मैं तो केवल विनय ही कर सकता हॅू परन्तु जो उचित विनय को नहीं मानता उसको मैं महा समर्थ योगी काला बाबा का वचन ही स्मरण कराना अपना पफर्ज समझता हॅू कि काल कभी किसी को लाठी ले कर मारता नहीं, कारण बनाता है। यही बातें में अपने लेखों से राव, मुलायम, बुश, वाजपेयी व मनमोहन को समझाता रहा। यही बातें में तिवारी, खंडूडी व अब निशंक जी से करता रहा। मेरा कोई अपना स्वार्थ नहीं परमार्थ ही मेरा मिशन है। मैने निशंक जी को भी यही विनय की थी कि तिवारी व खंडूडी की तरह आप भूल न करें, परन्तु सत्य को पहचाने की सामथ्र्य न तो कुरूसभा के सत्तांधें को रही व नहीं आज के हुक्मरानों को। ये जन विरोध्ी कृत्य कर अपना व जनता के भविष्य को रोंदने को उतारू हैं तो महाकाल इनको कहां मापफ करेगा। तिवारी के पतन से सबक लें..... सत्तांध्। भगवान श्रीकृष्ण का अमर वचन का स्मरण कराने के बाद इस लेख को पुन्न श्रीकृष्ण चरणों में समर्पित करता हॅू कि असत्य की कभी सत्ता नहीं रही व सत्य का कभी ह्रास नहीं हुआ। जहां तक भारत धम का सवाल है वह तो बनेगा ही बनेगा परन्तु इन अभागे सत्तांध् शायद ही इसके श्रेय के
भागी बने।
शेष श्रीकृष्ण। हरि ओम तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।
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