जो रोशन करते थे जमाने को

जो रोशन करते थे जमाने को
चोट खा कर भी दीवाने हार नहीं मानते हैं,
वो प्यार की दरिया में ही फिर कूद जाते हैं।
उनको पाने या खोने का गम नहीं होता कभी,
बस इक लौ दिल में वो सदा जलाये रखते हैं।।
जख्म दिल के ना तुम कुरेदों साथी इतना,
ये जख्म, दिल में अब नासूर बन चूके हैं।
रहने दो इक अहसास उन लम्हों का,
जो रोशन करते थे कभी जमाने को।।
-देवसिंह रावत

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