देवभूमि को शराब से तबाह होते देख कर महिलाओं ने भरी हुंकार
लोहाघाट, (प्याउ)। सीमान्त क्षेत्रों में भी आम नागरिक सुविधाओं को प्रदान करने में जहां प्रदेश सरकार बुरी तरह असफल रही है और अपने इस दायित्व को निर्वाह करने का उसे भले ही बोध न हो परन्तु वह गंगा यमुना के पावन प्रदेश को शराब का गटर बनाने के लिए हर पल तैयार रहती है। सरकारें चाहे शराब को सभी बुराईयों की जड़ कह कर उस पर तत्काल प्रतिबंद्ध लगाने की बात करने वाले राष्ट्र नायक महात्मा गांधी के नाम का जाप करने वाली कांग्रेस की रही हो या रामनामी माला जपने वाली भाजपा की या अन्य की परन्तु जनहितों को रौदते हुए शराब का देश प्रदेश में प्रसार करने में कोई सरकार खुद को पीछे नहीं रखना चाहती। इन सरकारों के कुशासन से पूरी तरह टूट चूके आम लोगों में अब धीरे धीरे इन राजनैतिक दलों का असली चंगैजी चेहरा सामने आ रहा है इसी कारण अब लोग देश के दूर दराज के इलाकों में भी शराब की दुकाने खोलने के कृत्य का कडा विरोध कर रहे है। ऐसी ही एक घटना नेपाल से लगे सीमान्त क्षेत्र किमतोली में इस सप्ताह देखने को मिला यहां पर प्रशासन ने रातों रात शराब की दुकान खोल दी। इसको देख कर पूरे क्षेत्र की महिलाओं में आक्रोश फेल गया। उन्होंने न केवल धरना दिया अपितु पहली जून को चक्का जाम भी किया। महिलाओं के इस आंदोलन में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी सम्मलित हुए। आंदोलनकारी हर हालत में किमतोली से शराब की दुकान हटाने की पुरजोर मांग कर रहे हैं और प्रशासन को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर शराब की दुकान नहीं हटायी तो महिलायें उग्र आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हिचकिचायेंगी। गौरतलब है कि शराब की दुकाने जिस प्रकार से प्रदेश में प्रशासन पुलिस के बल पर जबरन खोलने में उतारू है उसे देख कर प्रदेश भर की महिलायें व सामाजिक संगठन प्रदेश की सामाजिक तानाबाना व नौनिहालों तक पथभ्रष्ट कर रही शराब के खिलाफ सडकों पर उतर कर आंदोलित है। लोगों का आरोप है कि शासन प्रशासन शर्मनाक ढ़ग से शराब माफियाओं के हितों के पोषण के लिए पूरे प्रदेश के वर्तमान व भविष्य को दो टके के लिए तबाह करने को तुली हुई है। उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के प्रमुख संगठनों ने प्रदेश भर की महिला संगठनों से पुरजोर अपील की है कि वे जनविरोधी व शराब माफिया के हितों की पोषक शासन प्रशासन की गंगा यमुना की पावन देवभूमि को शराब का गटर बना कर तबाह करने की आत्मघाती प्रवृति का पुरजोर विरोध करने के लिए गांव गांव-शहर शहर में एकजूट हो कर आंदोलन कर प्रदेश को बचायें।
लोहाघाट, (प्याउ)। सीमान्त क्षेत्रों में भी आम नागरिक सुविधाओं को प्रदान करने में जहां प्रदेश सरकार बुरी तरह असफल रही है और अपने इस दायित्व को निर्वाह करने का उसे भले ही बोध न हो परन्तु वह गंगा यमुना के पावन प्रदेश को शराब का गटर बनाने के लिए हर पल तैयार रहती है। सरकारें चाहे शराब को सभी बुराईयों की जड़ कह कर उस पर तत्काल प्रतिबंद्ध लगाने की बात करने वाले राष्ट्र नायक महात्मा गांधी के नाम का जाप करने वाली कांग्रेस की रही हो या रामनामी माला जपने वाली भाजपा की या अन्य की परन्तु जनहितों को रौदते हुए शराब का देश प्रदेश में प्रसार करने में कोई सरकार खुद को पीछे नहीं रखना चाहती। इन सरकारों के कुशासन से पूरी तरह टूट चूके आम लोगों में अब धीरे धीरे इन राजनैतिक दलों का असली चंगैजी चेहरा सामने आ रहा है इसी कारण अब लोग देश के दूर दराज के इलाकों में भी शराब की दुकाने खोलने के कृत्य का कडा विरोध कर रहे है। ऐसी ही एक घटना नेपाल से लगे सीमान्त क्षेत्र किमतोली में इस सप्ताह देखने को मिला यहां पर प्रशासन ने रातों रात शराब की दुकान खोल दी। इसको देख कर पूरे क्षेत्र की महिलाओं में आक्रोश फेल गया। उन्होंने न केवल धरना दिया अपितु पहली जून को चक्का जाम भी किया। महिलाओं के इस आंदोलन में क्षेत्र के जनप्रतिनिधि भी सम्मलित हुए। आंदोलनकारी हर हालत में किमतोली से शराब की दुकान हटाने की पुरजोर मांग कर रहे हैं और प्रशासन को चेतावनी दे रहे हैं कि अगर शराब की दुकान नहीं हटायी तो महिलायें उग्र आंदोलन करने से भी पीछे नहीं हिचकिचायेंगी। गौरतलब है कि शराब की दुकाने जिस प्रकार से प्रदेश में प्रशासन पुलिस के बल पर जबरन खोलने में उतारू है उसे देख कर प्रदेश भर की महिलायें व सामाजिक संगठन प्रदेश की सामाजिक तानाबाना व नौनिहालों तक पथभ्रष्ट कर रही शराब के खिलाफ सडकों पर उतर कर आंदोलित है। लोगों का आरोप है कि शासन प्रशासन शर्मनाक ढ़ग से शराब माफियाओं के हितों के पोषण के लिए पूरे प्रदेश के वर्तमान व भविष्य को दो टके के लिए तबाह करने को तुली हुई है। उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के प्रमुख संगठनों ने प्रदेश भर की महिला संगठनों से पुरजोर अपील की है कि वे जनविरोधी व शराब माफिया के हितों की पोषक शासन प्रशासन की गंगा यमुना की पावन देवभूमि को शराब का गटर बना कर तबाह करने की आत्मघाती प्रवृति का पुरजोर विरोध करने के लिए गांव गांव-शहर शहर में एकजूट हो कर आंदोलन कर प्रदेश को बचायें।
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