महाकाल ने षेहला प्रकरण से तरूण विजय सहित भाजपा व संघ नेतृत्व को भी किया बेनकाब
महाकाल ने षेहला प्रकरण से तरूण विजय सहित भाजपा व संघ नेतृत्व को भी किया बेनकाब
षेहला व तरूण विजय प्रकरण से एक ही बात स्पश्ट हो गयी है कि भाजपा अब संघ या सिद्वांन्तों के लिए समर्पित लोंगों की नहीं अपितु सुशमा-आडवाणी जैसे पदलोलुपु नेताओं की कटोरी बन कर रह गयी है।ं राम राज्य, सुचिता, राश्ट्रवाद व भ्रश्टाचार-दुराचार रहित सुषासन देने की दुहाई भरने वाली भाजपा का मुखोटा षेहला-तरूण विजय प्रकरण पर बेनकाब हो गया है। यहां केवल बात तरूण विजय की नहीं है, सुशमा स्वराज का भाजपा के षीर्श पर पंहुचना व संघ के तथाकथित सिद्वातों के लिए समर्पित देष के सबसे जमीनी चिंतक गोविन्दाचार्य को जबरन वनवास दिलाने वाली आदि घटनाये तथा उत्तराखण्ड में साफ छवि के वरिश्ठ भाजपा नेताओं को दरकिनारे करके जनता की नजरों व प्रदेष में घोटालों से रोंदने वाले वर्तमान भाजपा के मुख्यमंत्री निषंक की ताजपोषी करके साफ हो गया कि भाजपा का राश्ट्रवाद, सुषासन आदि बोल आज आडवाणी की कटोरी की बंधक बन कर भ्रश्टाचारियों व जातिवादी लोगों का अभ्यारहण बन गयी है। खासकर भाजपा के आला नेताओं व संघ की नाक के नीचे हुए तरूण विजय को उत्तराखण्ड जैसे पावन देवभूमि से राज्यसभा सांसद बनाने से साफ हो गया कि अब भाजपा में राश्ट्रवादियों व सदचरित्र लोगों के बजाय केवल तरूण व निषंक जैसे लोगों को ही सत्तासीन किया जाता है। तरूण विजय के तमाम कृत्यों को जानकर भी और वरिश्ठ संघ नेता षेशाद्रिचारी द्वारा पुरजोर विरोध किये जाने के बाबजूद राज्यसभा की सांसदी नवाजी जाते समय षायद भाजपा व संघ के हुक्मरानों ने सोचा होगा कि षायद वे ही महारथी है परन्तु महाकाल ने न केवल तरूण विजय को अपितु भाजपा व संघ नेतृत्व को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया । आज अपना मुखोटा महाकाल द्वारा बेनकाब किये जाने पर भी षायद ही इन सत्तालोलुप नेताओं को कहीं रत्ती भर भी षर्म आ रही होगी। उत्तराखण्ड में खंडूडी व निषंक को जातिवादी नेताओं ने आसीन करने के बाद जिस प्रकार से महाकाल ने इनके मुखोटों को बेनकाब किया उससे इनको समझ लेना चाहिए कि भगवान अंधे नहीं अपितु समय पर सत्तांधों को दण्डित करते हैं। इन कालनेमियों ने भारत माॅं के लाखों सपूतों के बलिदान व दषकों की तपस्या को अपने निहित स्वार्थो के लिए गला घोंट दिया है। इसी के कारण राश्ट्रहितों से खिलवाड करने वाली कांग्रेस सत्तासीन है।
ये विष्वासघाति कांग्रेस व चंगेज आदि से बदतर साबित हो रहे हैं। इसी कारण आज देष के लोगों का मोह भाजपा से हीं नहीं संघ से भी भंग हो गया है । अगर समय पर इसको सुधारा नहीं गया तो भारत कीं दुर्दषा की कल्पना करना भी भयानक होगी।
षेहला व तरूण विजय प्रकरण से एक ही बात स्पश्ट हो गयी है कि भाजपा अब संघ या सिद्वांन्तों के लिए समर्पित लोंगों की नहीं अपितु सुशमा-आडवाणी जैसे पदलोलुपु नेताओं की कटोरी बन कर रह गयी है।ं राम राज्य, सुचिता, राश्ट्रवाद व भ्रश्टाचार-दुराचार रहित सुषासन देने की दुहाई भरने वाली भाजपा का मुखोटा षेहला-तरूण विजय प्रकरण पर बेनकाब हो गया है। यहां केवल बात तरूण विजय की नहीं है, सुशमा स्वराज का भाजपा के षीर्श पर पंहुचना व संघ के तथाकथित सिद्वातों के लिए समर्पित देष के सबसे जमीनी चिंतक गोविन्दाचार्य को जबरन वनवास दिलाने वाली आदि घटनाये तथा उत्तराखण्ड में साफ छवि के वरिश्ठ भाजपा नेताओं को दरकिनारे करके जनता की नजरों व प्रदेष में घोटालों से रोंदने वाले वर्तमान भाजपा के मुख्यमंत्री निषंक की ताजपोषी करके साफ हो गया कि भाजपा का राश्ट्रवाद, सुषासन आदि बोल आज आडवाणी की कटोरी की बंधक बन कर भ्रश्टाचारियों व जातिवादी लोगों का अभ्यारहण बन गयी है। खासकर भाजपा के आला नेताओं व संघ की नाक के नीचे हुए तरूण विजय को उत्तराखण्ड जैसे पावन देवभूमि से राज्यसभा सांसद बनाने से साफ हो गया कि अब भाजपा में राश्ट्रवादियों व सदचरित्र लोगों के बजाय केवल तरूण व निषंक जैसे लोगों को ही सत्तासीन किया जाता है। तरूण विजय के तमाम कृत्यों को जानकर भी और वरिश्ठ संघ नेता षेशाद्रिचारी द्वारा पुरजोर विरोध किये जाने के बाबजूद राज्यसभा की सांसदी नवाजी जाते समय षायद भाजपा व संघ के हुक्मरानों ने सोचा होगा कि षायद वे ही महारथी है परन्तु महाकाल ने न केवल तरूण विजय को अपितु भाजपा व संघ नेतृत्व को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया । आज अपना मुखोटा महाकाल द्वारा बेनकाब किये जाने पर भी षायद ही इन सत्तालोलुप नेताओं को कहीं रत्ती भर भी षर्म आ रही होगी। उत्तराखण्ड में खंडूडी व निषंक को जातिवादी नेताओं ने आसीन करने के बाद जिस प्रकार से महाकाल ने इनके मुखोटों को बेनकाब किया उससे इनको समझ लेना चाहिए कि भगवान अंधे नहीं अपितु समय पर सत्तांधों को दण्डित करते हैं। इन कालनेमियों ने भारत माॅं के लाखों सपूतों के बलिदान व दषकों की तपस्या को अपने निहित स्वार्थो के लिए गला घोंट दिया है। इसी के कारण राश्ट्रहितों से खिलवाड करने वाली कांग्रेस सत्तासीन है।
ये विष्वासघाति कांग्रेस व चंगेज आदि से बदतर साबित हो रहे हैं। इसी कारण आज देष के लोगों का मोह भाजपा से हीं नहीं संघ से भी भंग हो गया है । अगर समय पर इसको सुधारा नहीं गया तो भारत कीं दुर्दषा की कल्पना करना भी भयानक होगी।
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