उत्तराखण्ड द्रोही तिवारी के दवाब में आकर आत्महत्या न करे कांग्रेस

उत्तराखण्ड द्रोही तिवारी के दवाब में आकर आत्महत्या न करे कांग्रेस
अपने कुषासन से उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं को जमीदोज करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी के आगे भाजपा जैसा षर्मनाक आत्मसम्र्पण करने से उत्तराखण्ड के हितैशी हैरान है। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन में जब प्रदेष की जनता अपने हक हकूकों व सम्मान के लिए पुलिस प्रषासन के अमानवीय अत्याचारों से जुझते हुए अपनी षहादत दे रहे थे तब यह तथा कथित विकासपुरूश व उत्तराखण्ड के लिए घडियाली आंसू बहाने वाले नारायणदत्त तिवारी उत्तराखण्ड राज्य गठन का ही पुरजोर विरोध कर रहे थे। जब पृथक राज्य बना तो यही उत्तराखण्ड का घोर विरोधी रहे सत्तालोलुपु तिवारी बेषर्मो की तरह प्रदेष का प्रथम मुख्यमंत्री बनने में तनिक सी भी नहीं लज्जाये। कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री न बनाये जाने से आक्रोषित तिवारी ने कांग्रेस का गुस्सा नवगठित उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं को रौंद कर उतारा। तिवारी के कुषासन के कारण यहां पर भ्रश्टाचार, लालबत्ती की बाढ़, जातिवाद, क्षेत्रवाद, से पूरे प्रदेष की जनता त्राही त्राही करने लगी। आत्मसम्मानी उत्तराखण्डी अपनी देवभूमि पर भ्रश्टाचार व व्यभिचार से रौंदते देख कर किस कदर व्यथित थे इसे उत्तराखण्ड के महान लोकगायक नरेन्द्रसिंह नेगी ने अपने कालजयी गीत ‘‘नौछमी नारेण’ गा कर तिवारी के विकास पुरूश के मुखोटे को पूरी तरह से बेनकाब कर दिया। तिवारी के कुषासन के कारण प्रदेष में न केवल मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को षर्मनाक संरक्षण दिया गया, अपितु प्रदेष की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने के मार्ग में अवरोध खड़े किये गये। उत्तराखण्ड की राजनैतिक षक्ति का सदा के लिए कुंद करने के लिए जिस शडयंत्र  के तहत तिवारी ने यहां पर जनसंख्या पर आधारित परिसीमन थोपने में अपनी सहमति दी उसका दंष आने वाली पीडियो को भी भोगना पडेगा। प्रदेष की जनता द्वारा बार बार कांग्रेस आलाकमान से गुहार लगाने के बाबजूद तिवारी को षर्मनाक संरक्षण दिया गया। इसका परिणाम कांग्रेस को प्रदेष की राजसत्ता से हाथ धोना व ऐसे देवभूमि उत्तराखण्ड के द्रोही को आंध्र प्रदेष का राज्यपाल बना कर सार्वजनिक रूप से अपमानित होना पडा। कांग्रेस आलाकमान ने सार्वजनिक जीवन को षर्मसार करने वाले प्रकरण के बाद जिस प्रकार से तिवारी से दूरी बनायी रखी उसे उत्तराखण्डी खुष थें। परन्तु जिस प्रकार से भाजपा ने तिवारी को सार्वजनिक मंचों  में आसीन करा कर गौरवानित कराया उससे उसका चरित्र व भारतीय संस्कृति का मुखोटा पूरी तरह से बेनकाब हो गया। सबसे हैरानी की बात यह है कि भाजपा ने इन्हीं तिवारी के कुषासन के खिलाफ जनता से जनांदेष मांग कर सत्तासीन हुए थे और इन्हीं के कुषासन के 56 भ्रश्टाचार के प्रकरणों की जांच का एक विषेश आयोग बना रखा है। ऐसे में मात्र कांग्रेस को नीचा दिखाने के लिए तिवारी को मंचासीन करना भाजपा की नैतिकता को भी बेनकाब करता है।
अब चुनाव में तिवारी अपने एक संगठन को आगे करके कांग्रेस को ब्लेकमेल कर रहे है, कांग्रेस आलाकमान को चाहिए कि वे तिवारी के झांसे में न आये। तिवारी का प्रदेष में एक भाी सदचरित्र व्यक्ति समर्थन नहीं कर सकता। गलत व्यक्तियों को किसी भी सूरत में संरक्षण नहीं दिया जाना चाहिए। सोनिया गांधी व राहुल गांधी को चाहिए कि वह न तो तिवारी के कुषासन के प्रतीक रहे किसी भी व्यक्ति को खासकर सुपर मुख्यमंत्री के रूप में रहे व्यक्ति को उत्तराखण्ड से टिकट न दे। कांग्रेस आलाकमान को चाहिए कि वह तिवारी व उनके समर्थकों की पैरवी करने वाले आस्तीन के भेडियों को भी देवभूमि से दूर रखे। इन्हीं भेडियों के कारण गत विधानसभा में कांग्रेस सत्ता में आ कर भी सत्ता से दूर रही। अगर कांग्रेस आलाकमान ने तिवारी के आगे सम्र्पण किया तो यह उत्तराखण्ड के लिए ही नहीं कांग्रेस के लिए भी आत्मघाती होगा।

Comments

Popular posts from this blog

खच्चर चलाने के लिए मजबूर हैं राज्य आंदोलनकारी रणजीत पंवार

-देवभूमि की पावनता की रक्षा की फिर भगवान बदरीनाथ ने- निशंक के बाद मनंमोहन को भी जाना होगा