छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में सलवा जुडूम के संस्थापक महेन्द्र वर्मा आदि कांग्रेसी नेताओं व पुलिस कर्मियों सहित 29 मरे 


नक्सली व पाक के आतंक से तबाही के गर्त में फंसे भारत को बचाने के बजाय खुद भ्रष्टाचार की गर्त में धकेल रहे हैं हुक्मरान


रायपुर(प्याउ) देश के लोकतंत्र  के लिए गंभीर खतरा बन चूके एक हजार से अधिक हथियारबंद नक्सलियों ने अपने कमांडर गुरसा ओसेंडी के नेतृत्व में 25 मई शनिवार को परिवर्तन यात्रा के तहत सुकमा से जगदलपुर के लिए निकले प्रदेश के वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं के काफिले पर छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले की दरभा घाटी के पास घात लगा कर किये हमले में कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं व 10 पुलिस कर्मियों सहित 29 लोगों की हत्या कर दी । इसी नये नक्सली कमांडर ने इस हमले की जिम्मेदारी भी ली है। सुत्रों के अनुसार जैसे ही यह यात्रा  शाम करीब साढ़े 5 बजे गीदम घाटी के करीब पहुंची तो घात लगा कर बैठे  नक्सलियों ने पेड़ गिरकार रास्ता रोक लिया और यात्रा पर गोलीबारी और बमों से भी हमला किया गया। इस हमले में जहां प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल,  पूर्व सांसद महेंद्र कर्मा, व गोपाल माधवन कश्यप, कवासी लखमा, उदय मुदलियार सहित कई बड़े नेता शामिल थे.। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, सहित अनैक गंभीर रूप से घायल हो गये। सुत्रों के अनुसार यह हमला सलवा जुड़ूम’ अभियान के संस्थापक कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा को निशाना बनाने के लिए किया गया था। इससे पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल के काफिले पर गरियाबंद के पास भी हमला हुआ जिसमें वे बाल-बाल बच गये। इसके बाद जीरम घाटी में भी उनके 20 गाडियों के काफिले में सम्मलित 120 लोगों को विस्फोट से उडाने की कोशिश की गयी। वहीं इस हमले में नक्सलियों के सफाये के लिए आम जनता का हथियारबंद दस्ते ‘सलवा जुड़ूम’ अभियान के संस्थापक कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा को 100 से अधिक गोली मार कर मौत के घाट उतार दिया।  महेंन्द्र वर्मा नक्सलियों के हिट लिस्ट में थे।
वहीं इस हमले में नक्सलियों ने छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नंद कुमार पटेल व उनके बेटे दिनेश पटले को नक्सलियों ने अगवा कर दिया और बाद में दोनों की हत्या की गयी और उनके शव दरभा के जंगलों में बरामद कर दिये गये। वहीं इस हमले में गंभीर रूप से घायल पूर्व केन्द्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल की पीठ में तीन गोलियां लगी हैं उन्हें इलाज के लिए गुड़गांव के बेदांता अस्पताल में हवाई ऐम्बुलेंश से लाया गया। इस हमले से जहां पूरा देश स्तब्ध है। वहीं कांग्रेस ने अपनी परिवर्तन यात्रा व भाजपा ने अपनी राज्य व्यापी विकास यात्रा स्थगित कर दी है। इस हमले की प्रधानमंत्री, कांग्रेस अध्यक्षा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री सहित तमाम नेताओं ने इस बर्बर हमले की कड़ी भत्र्सना की। वहीं इस घटना के तुरंत बाद केन्द्र सरकार ने छत्तीसगढ़ में इन नक्सलियों के सफाये के लिए केन्द्रीय सुरक्षा बलों की अनैक दस्ते भेज दिये है। वहीं कांग्रेस ने इसके विरोध में छत्तीसगढ़ बंद का ऐलान किया।

सुत्रों के अनुसार नंद कुमार पटेल के काफिले पर इससे पहले भी गरियाबंद के पास नक्सली हमला हुआ था, जिसमें वे बाल-बाल बच गए थे.। सुकमा छत्तीसगढ़ के सबसे नक्सल ग्रसित सबसे ज्यादा संवेदनशील इलाकों में एक है। यही सुकमा के जिलाधिकारी का अपहरण करके नक्सलियों ने देश की व्यवस्था को खुली चुनौती दी थी। इस घटना के बाद भी शासन प्रशासन ने इस नक्सली आतंक पर अंकुश नहीं लगा पायी। केवल जुबानी भत्र्सना व निंदा करने के अलावा इस गंभीर समस्या के समाधान के लिए देश की सरकारों ने कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया।  इस बार कांग्रेसी नेताओं के मारे जाने के बाद प्रधानमंत्री व कांग्रेस अध्यक्ष यहां छत्तीसगढ़ पंहुचे। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी 25 मई की रात को ही छत्तीसगढ़ पंहुच गये थे। परन्तु जब नक्सलियों ने पांच दर्जन से अधिक सुरक्षा कर्मियों को इसी प्रकार घात लगा कर मौत के घाट उतार दिया उसके बाद भी न तो प्रदेश सरकार व नहीं केन्द्र सरकार ने कठोर कदम नहीं उठाया । अगर इस प्रकरण से सरकार जाग जाती तो आज इस प्रकार का तांडव देखने को नहीं मिलता। सबसे खौपनाक हालत नक्सल प्रभावित क्षेत्र के लोगों की है जो सरकार व नक्सलियों के बीच बर्चस्व की जंग में दोनों तरफ से दमन के शिकार बन रहे है। यहां के लोग पूरी तरह विकास से कट गये है । वहीं नक्सली आंदोलन भी सरकारों द्वारा जनता का समुचित विकास न किये जाने से उभरे जनांक्रोश के बाद बड़ी तेजी से पूरे देश के सवा सो से अधिक जनपदों को अपने शिकंजे में जकड़ चूका है। इसके साथ देश में जहां एक तरफ अमेरिका व चीन के प्यादे पाक द्वारा पोषित आतंक देश की एकता व अखण्डता को आतंकी तांडव से खतरा बने हुए है वहीं देश मेें लोकशाही को बदल कर जनशाही लाने के लिए इस प्रकार का आतंक से देश की व्यवस्था को उखाड़ फेंकने की तरफ बढ़ रही है। भारत का दुर्भाग्य यह है कि इन दोनों खतरों से देश को बचाने के लिए ठोस व गंभीर रणनीति पर अमल करने के बजाय देश के हुक्मरान खुद देश के विकास के संसाधनों की बंदरबांट कर देश को भ्रष्टाचार की गर्त में धकेल कर खुद ही तबाह कर रहे हैं। इन तीन तरफा संकट से घिरे भारत की रक्षा केसे होगी यही सोच कर देश का प्रबुद्धजन व आम देशभक्त बेहद चिंतित है। जहां नक्सलियों का सपना तिरपति से पशुपति तक लाल गलियारा बनाना है वहीं पाक पोषित आतंकियों का भारत को दूसरा पाकिस्तान बनाना है। इस गंभीर संकट से देश कैसे उबरे यह आज देश भक्तों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती है। 

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