प्रकृति से खिलवाड़ करने से मचा उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा का तांडव


-धारी देवी डुबोने व प्रदेश में सैकड़ों बांध बनाकर प्रकृति से खिलवाड़ करने को उतारू सरकार

-केदारनाथ में भारी तबाही  उफान से 60 लोग लापता, प्रदेश में पोने दो सो होटल व मकान बहे

-उत्तरकाशी रूद्रप्रयाग, टिहरी, चमोली, पिथोरागढ़ व देहरादून में चारों तरफ मची अति वर्षा से तबाही

एक तरफ सरकार विकास के नाम पर लाखों लोगों की आस्था के केन्द्र माॅं धारी देवी की मंदिर को श्रीनगर में अलकनन्दा पर बनने वाले बांध में डूबोने को उतारू है। वहीं प्रकृति उत्तराखण्ड में मानसून से पहले ही अतिवर्षा से भारी तांडव मचा रही है। प्रदेश में पाने दो सो से अधिक मकान ध्वस्थ हो गये। 5 दर्जन से अधिक लोग काल कल्वित हो गये है। 50 हजार लोग जहां तहां फंसे हुए है। केन्द्र सरकार के सहयोग से प्रदेश सरकार तीन दिन बाद 10 होलीकप्टरों से प्रभावित क्षेत्रों में राहत सामाग्री पंहुचायेंगे।  देवभूमि में इस तांडव को लोग प्रदेश की जनआस्था व प्रकृति  से खिलवाड कर रही प्रदेश सरकार के कुशासन से नाराज प्रकृति का प्रकोप मान रहे हैं। वहीं प्रदेश के बुद्धिजीवी भी इस बात से हैरान है कि जब से प्रदेश के शासन में मुख्यमंत्री के रूप में विजय बहुगुणा आसीन हुए तब से उत्तराखण्ड में प्रकृति का तांडव लगातार जारी है। गत वर्ष भी चार धाम यात्रा व इसी इसी मौसम में जो भारी तांडव मचा, उससे लोग सहमें हुए है। हालांकि पहले भी प्रदेश में प्राकृतिक आपदायें होती रहती परन्तु जिस प्रकार का तांडव इन दोनों सालों में देवभूमि में प्रकृति मचा रही है उससे लोगों में यह धारण घर बना गयी है कि विजय बहुगुणा का मुख्यमंत्री बनना प्रदेश के लिए किसी विपदा से कम साबित नहीं हो रहा है। जबसे प्रदेश में विकास के नाम पर बांध का निर्माण सरकारों ने पर्यावरणविदों के भारी विरोध के बाबजूद किया तब से इस गंगा यमुना की पावन धरती पर बादल फटने व अतिवर्षा के कारण प्राकृतिक आपदाओं की बाढ़ ही आ गयी है। ऐसा लग रहा है भगवान शिव, शक्ति ही नहीं भगवान बदरीनाथ सहित प्रकृति भी कुपित है इनके कृत्यों से । गंगा यमुना की उदगम स्थली उत्तराखण्ड में आयी विनाशकारी मूसलाधार वर्षा से हरिद्वार से दिल्ली सहित तमाम तटवर्ती शहरों में बाढ़ की आशंका बढ़ गयी है और प्रशासन ने लोगों को सजग रहने के लिए कह दिया है। वहीं उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री 16 जून तक भारी वर्षा में दिल्ली में थे। दिल्ली में मोसम खराब व वर्षा होने के कारण वायुमार्ग से मुख्यमंत्री नहीं जा पाये। 17 जून को वे देहरादून के लिए पंहुच पाये। वहीं केलाश मानसरोवर यात्रा भी रोक दी गयी।
दूसरी तरफ उत्तराखण्ड में तीन दिनों से हो रही मूसला धार वर्षा के कारण भारी तांडव मचा हुआ है। सुत्रों के अनुसार केदारनाथ के समीप  वासुका ताल में भारी बरसात के कारण आये उफान से कम से कम 60 लोग के बहने की आशंका है। कम से कम 100 घर इसके नीचे दब गये है। रामवाड़ा में भी भारी तबाही,बूढा केदार में भी कई दुकाने बही।  प्रशासन ने सेना व वायुसेना की मदद की गुहार लगायी।
वहीं उत्तरकाशी, चमोली,रूद्रप्रयाग,देहरादून व पिथोरागढ़ में भारी वर्षा से एक दर्जन से अधिक लोगों की दर्दनाक मौत हो गयी। समाजसेवी जगदीश भट्ट ने दूरभाष में बताया कि झूलाघाट में महाकाली नदी ने विकराल रूप    धारण करने से स्थानीय लोग सहमें हुए है। श्री भट्ट के अनुसार यह सब गोरी गंगा पर बने एनएचपीसी के डाम से पानी छोडने से हुआ । उत्तरकाशी में 8, रुद्रप्रयाग में 5 दर्जन लोग लापता हैं,  अल्मोड़ा में 4, देहरादून में 10, देवाल ,टिहरी व पिथोरागढ़ में 7  लोग अतिवर्षा के शिकार हो गये है। प्रदेश में 3 दिन से लगातार हो रही मूसलाधार अतिवर्षा ने 88 साल पुराना रिकार्ड तोड दिया है। उत्तरकाशी में बर्षा ने तांडव मचा दिया है। यहां नागरिक प्रशासन की मदद के लिए सेना को तेनात कर दिया गया है।  पिथोरागढ़ में धारचूला में काली नदी में बहा युवक, रूद्रप्रयाग जनपद के अगस्त्यमुनि के सिल्ली में झूला पुल बहा, गंगा समेत प्रदेश की तमाम नदियों का जलस्तर बढ़ा बारिश का 88 साल का रिकार्ड टूटा सेना को बुलाया, गौरीकुंड में खड़ी बस और पांच छोटे वाहन बहे केदारनाथ, रामबाड़ा और गौरीकुंड व सोनप्रयाग में भी तबाही मची हुई है। टिहरी के धनौल्टी में भी बादल फटने से तबाही की खबर है। कर्णप्रयाग, रूद्रप्रयाग, श्रीनगर सहित अलकनन्दा के विकराल रूप धारण करने से नदी के किनारों में बने कई होटल व दुकाने बह गयी। अलकनन्दा, भागीरथी ही नहीं मंदाकिनी, पिण्डर, गोला व रामगंगा सहित तमाम नदियों में उफान मचा हुआ है।
बांध कम्पनी ने धारी देवी मंदिर को डूबाने के लिए 16 जून की सांयकाल अलकनंदा में भारी उफान आने की आड में माॅं धारी देवी की मूर्ति को अस्थाई मंदिर में भारी पुलिस प्रशासन की उपस्थित में रख दिया है। गौरतलब है धारी देवी मंदिर को डूबाने के लिए बांध निर्माण कम्पनी, प्रदेश सरकार की शह पर लम्बे समय से इसे पावन तीर्थ को डूबाने को उतारू था। परन्तु जनआस्था से जुडे इस स्थान को डूबाने का निरंतर भारी विरोध को देखते प्रशासन व बांध निर्माण कम्पनी अपने इरादों में सफल नहीं हुए। परन्तु मानसून से आयी इस अतिवर्षा की आड में बांध निर्माण कम्पनी ने सरकार की शह पर अपने इरादों को अंजाम दिया। इससे लोगों की धार्मिक आस्था को गहरा धक्का लगा। हालांकि बांध निर्माण कम्पनी ने आहत जनता की भावनाओं को मरहम लगाने के लिए धारी देवी की मूर्ति को धारी देवी के निकट और ऊंचे स्थान में एक ना धारी मंदिर बना रही है। अभी धारी देवी की मूर्ति को अस्थाई मंदिर में स्थापित किया गया है।
 इस अतिवर्षा से जहां उत्तराखण्ड में चार धाम यात्रा व हेमकुण्ड यात्रा रूकी, सीमान्त जनपद चमोली में अलकनन्दा व पिंडर आदि सभी नदियों में भारी उफान, गोविन्दघाट -फांगरिया पुल बहा, पार्किग के साथ कई बाहन बहे,  लामबगड में 100 मीटर राजमार्ग बहा, उत्तरकाशी में भागीरथी का तांडव,4 बाहन बहे,  जोशीवाडा में 50 से अधिक मकान बहे,  विशनपुर में दिल्ली वाली धर्मशाला बही, इसमें रूकने वाले 300 यात्रियों को सुरक्षित बचा लिया गया। पिथोरागढ़ में काली नदी ने तांडव मचा रखा है। इस अतिवर्षा से चार धाम व हेमकुण्ड के दर्शन के लिए आाने वाले 25 हजार से अधिक श्रद्धालु जहां तहंा सडकों में फंसे हुए है।
शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो। 

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