वर्तमान राजनेताओं में प्रधानमंत्री के सर्वश्रेष्ठ दावेदार हैं नरेन्द्र मोदी
मोदी के कई अच्छे गुण है तो कई कमजोरियां भी हो सकती है। ऐसा भी नहीं कि मोदी सर्वगुण सम्पन्न बता रहे है। मोदी के हर काम सही हो ऐसा भी हम दावा नहीं कर रहे है। आखिरकार मोदी भी हमारे पतनोमुख समाज का ही एक अंग है। हो सकता है उनमें भी कई कमियां होगी। परन्तु वर्तमान में देश में आडवाणी, नीतीश, राहुल व मनमोहन आदि जितने भी नेताओं के नाम भावी प्रधानमंत्री के नाम से चर्चाओं में हैं उनमें से मोदी सब पर इक्कीस साबित होते है। सवाल इस घनघोर पतन के गर्त में डूबे इस देश को इस पतन से निकालने का है। इसलिए हमें जो भी वर्तमान में सहारा मिलेगा अब उसी का सदप्रयोग करके इस पतन से देश को उबारने के लिए इस प्रकार के तिनके को ही पतवार बना कर इस भ्रष्टाचारी गटर से देश से बाहर निकालना होगा। हमारे पास केवल दो ही विकल्प हैं या तो हम इन अमेरिका, चीन व पाक के हाथों देश को लुटवा कर देश को आतंकवाद, भ्रष्टाचार , आरजकता रूपि कुशासन के गर्त में धकेलने वालों को चुने या देश के आत्मसम्मान की रक्षा करने वाले, आतंकियों को रौंदने वाले, भ्रष्टाचारी तंत्र को भयभीत करने वाले दृढ़ इच्छा शक्ति सम्पन्न मोदी का सहारा ले कर देश की रक्षा करें। आज हमारे समाज का इतना पतन हो गया है कि लोग अपने संकीर्ण स्वार्थ, जाति, धर्म, क्षेत्र, लिंग व नस्लवाद में अंधे हो कर किसी के अच्छे कामों को भी स्वीकार करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते है। जब तक देश में अच्छे कार्यो का स्वीकार करके समर्थन करने व गलत कार्यो का विरोध करने की हंस प्रवृति नहीं होगी तब तक देश, समाज व व्यक्ति किसी का नैतिक उत्थान हो ही नहीं सकता। हमे आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। लकीर के फकीर बनके व छदम् धर्मनिरपेक्षता के नाम पर देश, समाज, मानवता के साथ साथ भारतीय संस्कृति का गला घोंटने की इजाजत किसी को नहीं दी जा सकती। भारतीय संस्कृति कभी मानव तो रहा दूर जीव मात्र ही नहीं सकल सृष्टि को प्रभुमय मान कर उसका सम्मान करने की सीख देती है। वह कभी किसी से पक्षपात, शोषण व अन्याय करने की इजाजत नहीं देती। अज्ञानता के कारण लोग कुंए के मैढ़क बन कर भारतीयता को साम्प्रदायिकता का पर्याय मानने की भूल कर राष्ट्र का अहित कर रहे है। क्या जड़ चेतन के कल्याण के लिए समर्पित संस्कृति की ध्वज वाहक भारतीय संस्कृति की बात करना साम्प्रदायिकता और भारतीय मूल्यों को रौंदने वाले धर्म निरपेक्ष है तो ऐसी धर्मनिरपेक्षता का लानत है। इसकी आड़ में भारत को कमजोर करने का जो षडयंत्र चल रहा है वह कभी अपने लक्ष्य पर नहीं पंहुच पायेगा। यह षडयंत्र मानवता ही नहीं सृष्टि के नियमों के प्रतिकूल है। एक मोका इस देश में नरेन्द्र मोदी जेसे दृढ़ इच्छा शक्ति सम्पन्न नेता को प्रधानमंत्री के रूप में मिलना ही चाहिए। अगर मोदी भी जनांकांक्षाओं को साकार करने में असफल रहेंगे तो देश की जनता अटल व वीपीसिंह सहित तमाम पूर्ववर्ती नेताओं की तरह सत्ता से उखाड़ फेंकने में देर नहीं लगायेगी।
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