चीन से खतरनाक है नपुंसक भारतीय हुक्मरान



चीन से खतरनाक है नपुंसक भारतीय हुक्मरान

-भारतीय हुक्मरानों की नपुंसकता देख चीन उतरा दादागिरी पर
-चीन द्वारा अरुणाचल व कश्मीर में नत्थी वीजा देने की हटध्र्मिता

जनवरी माह में भारत सरकार ने पिफर अरूणाचल प्रदेश पर चीन के रूख पर पिफर हो हल्ला मचाना शुरू कर दिया। इस बार मामला चीन द्वारा अरूणाचल प्रदेश के अध्किारी को उसकी चीन यात्रा के लिए ठीक उसी प्रकार का विवादस्थ नत्थी वजी देने का का दुराग्रही व कपटपूर्ण तथा शत्राुतापूर्ण कार्य जारी रखा। ऐसा नहीं है कि यह  यह ध्ृष्ठता चीन ने पहली बार करके भारत की प्रभुसत्ता को अपने नापाक कृत्यों से रौंदने का कुकृत्य किया हो। वह ऐसी ध्ृष्ठता 1962 से निरंतर करता आ रहा है। कभी चीन द्वारा भारत की हजारों वर्ग किमी भू भाग कब्जा कर तो कभी तिब्बत पर काबिज हो कर। कभी भारत को तबाह करने में जुटे अमेरिका के प्यादे पाकिस्तान को संरक्षण व प्रोत्साहित कर भारत में आतंकी गतिविध्यिों को संचालित कर। परन्तु क्या मजाल है कि भारतीय हुक्मरान संसद द्वारा पारित चीन द्वारा हड़पे गये भारतीय भू भाग को वापस मांगने का प्रथम दायित्व को उठा सकने का साहस जुटा पा रहे है। इसी नपुंसकता व राष्ट्रघाती प्रवृति को देश कर चीन निरंतर भारत विरोध्ी कृत्य कर रहा है। वह न केवल अरूणाचल में अपितु कश्मीर में भी इसी प्रकार की भारत से शत्राुतापूर्ण व्यवहार कर रहा है। परन्तु क्या मजाल है भारतीय हुक्मरान दो टूक सीध्ी बात चीन से करने का साहस तक जुटा पाये। न तो भारतीय हुक्मरान चीन द्वारा हडपे भू भाग की वापसी की मांग कर रहे हैं व नहीं भारतीय हुक्मरान पाक द्वारा कब्जाये कश्मीर के उस भू भाग की मांग ही कर पा रहे हैं जो पाक ने अपनी बपौती समझ कर चीन को खरात में दे दिया है। भारतीय हुक्मरानों को चाहिए कि चीन से दो टूक वार्ता करे। जब भारतीय हुक्मरानों भारतीय प्राचीन संस्कृति के आदर्शों का गला घोंट कर बलात हडप्पे गये तिब्बत को चीन का भू भाग मान कर एक प्रकार से चीन के आगे आत्म सम्र्पण ही कर दिया। इससे चीन का दुसाहस बढ़ गया। वह निरंतर भारतीय आत्मसम्मान व प्रभुसत्ता को चुनौती दे रहा है। आज चीन की जरूरत भारत को है तो उससे अध्कि जरूरत चीन को भारत की भी है। मामला चाहे व्यापार का हो या चीन को विश्व विरादरी में पांव रखने का। अगर भारतीय हुक्मरान चीन को इसी प्रकार देश के आत्मसम्मान को रौंदवाते रहे तो वह दिन दूर नहीं जब चीन पशुपति से तिरूपति तक लालबुझकडों के दिवास्वप्न को साकार करने में देर नहीं लगायेगा। कुछ समय पहले भी चीन द्वारा भारतीय भूभाग पर कब्जा करने की खबरों आयी थी। इससेे देश की आम जनता जहां भौंचंक्की रही। वहीं देश के हुक्मरान इसका तत्काल खण्डन करने का भी साहस तक नहीं जुटा पा रहे र्है। परन्तु मेरा मानना है कि चीन से बड़ा खतरनाक कोई दुश्मन भारत का कोई हैं तो उसके अपने हुक्मरान। जिनके हाथों में देश के नवनिर्माण व देश के भविष्य को संवारने का महत्वपूर्ण दायित्व देश की जनता ने सोंप रखा है। परन्तु ये लोग देश का विकास करने के बजाय अपने दोनों हाथों से देश को लूट रहे है। चीन से कैसे हम लड़ेंगे। चीन ने तिब्बत बोर्डर तक रेल पंहुचा दी, हमारे देश की सरकारें देश की जरूरतों व सीमान्त प्रदेश तक रेल पंहुचा कर देश की सुरक्षा को मजबूत करने के बजाय यहां के हुक्मरान अपने संसदीय क्षेत्रा में ही पूरे देश के विकास का पैंसा लुटाने में लग कर देश की सुरक्षा व विकास के साथ खिलवाड़ कर रहे है। देश के वीर सैनिक जहां देश के लिए मर मिटने के लिए हर पल तैयार हैं वहीं उसी सेना के कई बडे अध्किारी;ले. जनरल, मेजर जनरल, ब्रिगेडियर, कर्नल जैसेद्ध भूमि से लेकर हर प्रकार के घोंटालों में लिप्त हैं। सेना के साजोसमान की स्थिति कैसी होगी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब इसी सप्ताह केन्द्रीय गृहमंत्रालय ने अध््रसैनिकों के लिए 59000 बुलेट प्रूपफ जैकेट के खरीद के लिए जारी किया गया टेंण्डर इन जैकटों में हुए भारी भ्रष्टाचार की आशंका से रद्द कर दिया। सेना के लिए मंगाये गये समान का तो राम ही भरोसा है। जब इस देश में वीर सैनिकों के ताबूत जैसे पवित्रा चीज पर भ्रष्टाचार करने वाले जंतू देश को कलंकित कर रहे हैं तो अन्य चीजों को वे कहां छोड़ने वाले। जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्राी उमर व केन्द्रीय पफारूख अब्बदुला हैरान हैं कि चीन के कब्जे पर भारत सरकार ने कायराना रूख क्यों अपना रखा हे। चीन भारत का परंपरागत दुश्मन है।  वेसे भारत चारों तरपफ से दुश्मनों से घिरा हुआ है। अमेरिका, उसका प्यादा पाक ही नहीं बंग्लादेश, नेपाल व श्रीलंका भी उसे जब चाहे तब आंखे दिखाने में लगे रहते है। इस्लामी आतंकी जैहाद के नाम पर भारत को तबाह करने पर तुले हुए है। इन आतंकियों को जहां अमेरिका व पाकिस्तान बचाने में लगा हुआ है। वहीं चीन भी मौके की नजाकत भांप कर भारत द्रोहियों को संरक्षण व पोषण करने से पीछे नहीं रहता। अमेरिका ने तो भारतीय हुक्मरानों को पाकिस्तान की तरह अपना प्यादा ही बना दिया है।  मेने गतांक में भ्रष्टाचार में मरणासन्न हुई भारतीय व्यवस्था व विकास के नये विश्वकीर्तिमान स्थापित करते हुए चीन के बारे में इसी सम्पादकीय में लिखा था। गत सप्ताह जिस दिन यह खबर आयी कि चीन ने विश्व की सबसे तेज रेल सेवा का परिचालन किया उसी दिन भारत में कोटा में चंबल नदी में निर्माणाध्ीन पुल ढ़ह गया, दिल्ली में मेट्रो के खम्बे में दरार की खबर आयी व दिल्ली विश्वविद्यालय में निर्माणाध्ीन स्टेडियम ढहने सहित देश के हर प्रदेश से निर्माणाध्ीन बिल्डिंग, पुल, स्टेडियम, नहरें, सड़क इत्यादि ढहने की खबरे आती रहती। देश के सबसे सुरक्षित व संवेदनशील भाभा परमाणु संस्थान के वैज्ञानिकों की जिन रहस्यमय परिस्थितियों में जल कर व अन्य कारणों से मौत हो रही है उससे एक बात सापफ हो जाती है कि देश के बाहरी दूश्मनों के साथ देश को दीमक की तरह चाटने वाले हुक्मरान मिल गये हैं। जो देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है।
350 किमी की गति से यह रेल हांगकांग के नजदीक चीन के व्यापारिक हब ग्वांगझाओं से राजधनी बीजिंग तक का 1069 किमी का सपफर मात्रा तीन घंटें में तय करेगी। वहीं भारत में योजनायें देश के विकास के नाम पर भले ही बनती दिखती हों पर हकीकत यह है कि यहां पर योजनायें कमीशन के लिए ही बन रही है। देश में सरकारी कार्यालयों में जो विभाग जिस काम के लिए बना है वह उस काम को अवरू( करने में ही संलग्न है। नौकरशाही व जनप्रतिनिध्यिों का यह भ्रष्ट जुगलबंदी देश को कहां ले डुबेगा इसका अहसास हमारे देश के हुक्मरानों को कहीं नहीं है।
भले ही पद्म विभूषण से सम्मानित देश के प्रख्यात वैज्ञानिक डा आर.ए. मशेलकर शताब्दियों से भारतीय ज्ञान की राजधनी रहे काशी में काशी विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में अपने संबोध्न में 21वीं सदी को भारत के ज्ञान की सदी होने की भविष्यवाणी कर रहे हों या पूर्व राष्ट्रपति डा अब्दुल कलाम अगले दशक में ही भारत विश्व मेें अपना परचम पफेहराने की भविष्यवाणी कर रहे हों परन्तु जमीनी हकीकत यह है कि चाहे हम ज्ञान में संसार में आज भी सर्वश्रेष्ठ भी हैं पर देश के शासन प्रशासन में काबिज आत्मघाति हुक्मरानों ने भ्रष्टाचार की अंध्ी गर्त में देश को ध्केल कर अगली सदी में विश्व की महाशक्ति बनने की कुब्बत रखने वाले देश भारत की पूरी व्यवस्था को अंदर ही अंदर से एकदम खोखला कर दिया हे। वहीं दूसरी तरपफ चीन अपनी संसार की सबसे बड़ी मानवशक्ति व उपलब्ध् प्राकृतिक संसाध्नों तथा अपने उद्यमियों, वैज्ञानिकों व हुक्मरानों की सांझे प्रयासों से चीन को अमेरिका को पछाड़ते हुए विश्व की सर्वोच्च महाशक्ति बनने जा रहा है।
भ्रष्टाचार में महाशक्ति बनता भारत व विकास की महाशक्ति बनता चीन! आप इस बात को स्वीकारे या ना स्वीकारें परन्तु यह सोलह आने सच है। भले ही यह लिखते समय मुझ जैसे देशभक्त को भी यह पंक्तियां कचोट रही है। सच कितना कडुवा होता है। परन्तु देश की व्यवस्था की मैं हल्की सी तस्वीर आपके सामने रख दूॅ तो आप को भी समझ में आ जायेगा। देश की व्यवस्था की हालत यह हे कि देश की सर्वोच्च संस्था संसद पर हमला करने वाले जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने दोषी पाते हुए पफांसी की सजा दे दी है उसे देश की सरकार सजा देने के बजाय मेहमान नवाजी में जुटी हुई है। उसको पफांसी देने की हिम्मत देश के हुक्मरान खुद भी नहीं जुटा पा रहे हैं। देश की सुरक्षा का भार जिन जांबाज सेना पर हैं उसके ले. जनरल, मेजर जनरल सहित कई  शीर्ष अध्किारी राशन, शराब, कपड़े, जमीन सहित अनैक घोटालों में लिप्त पाये गये है। देश की एकता व अखण्डता को तबाह करने वाले खालिस्तानी, कश्मीरी व अन्य आतंकियों को दण्डित करने के बजाय उनकी मेहमान नवाजगी की जा रही है।  कर्नाटक उच्च न्यायालय के न्यायाध्ीश महोदय के भ्रष्टाचार में इतने आकंठ डूबे हुए हैं कि उन पर महाभियोग चलाने के लिए सांसदों ने हस्ताक्षर अभियान तक चलाये, उनका बचाव करने वाले जाति के नाम पर उनकी ढाल बन रहे हैं। देश के विकास का पैसा नौकरशाहों, नेताओं व दलाल बने ठेकेदारों की जेबों में जा रहा है। देश के दूरस्थ भू भाग के करोड़ों लोग विकास की राह जोह रहे हैं परन्तु दिल्ली की अच्छी भली सड़कों, पफुटपाथों, मंत्रियों व सांसदों की कोठियां-कार्यालय सजाने संवारने के नाम पर  अरबों रूपये पानी की तरह बहाये जा रहे है। यह सब कमीशन के खातिर किया जा रहा है। आखिर कौन है इस सबके लिए जिम्मेदार।
चीन में अध्किारी से लेकर नेता व बाल से लेकर बृ( तक सब चीन को संसार की सर्वोच्च महाशक्ति बनाने के सपने को साकार करने के लिए समर्पित है।  परन्तु भारत में शर्मनाक ढ़ग से चंगैजी प्रवृति चली रहा है। देश की चिंता किसे है? देश की संसद पर हमला होता है, उस समय देश की संस्कृति व भाषा की स्वयंभू झण्डाबरदार, भाजपा के अटल बिहारी वाजपेयी  सत्तारूढ़ थे, परन्तु क्या मजाल की वह अमेरिका के इशारे के अलावा कुछ भी न तो दिखाई दे रहा है व नहीं सुनाई देता। चीन ने अपनी सीमाओं खासकर हिमालय से लगे राज्य उत्तराखण्ड व तिब्बत तक रेल लाइन्स बिछा दी। परन्तु इस देश के हुक्मरानों को मात्रा अपनी संसदीय सीट व अपनी तिजोरी के अलावा कहीं कुछ दिखाई नहीं देता। दशकों से देश के सीमान्त प्रदेशों के लोग देश की सुरक्षा के लिए यहां पर रेल व मोटर मार्ग की मूलभूत सुविधओं की निरंतर मांग कर रहे हैं परन्तु देश के हुक्मरान चाहे भाजपा नेतृत्व वाला राजग सरकार रही हो या कांग्रेस गठबंध्न वाली सप्रंग सरकार रही हो दोनों को बिहार व बंगाल के अलावा कहीं भारत दिखाई नहीं दे रहा है। अब समझ में नहीं आ रहा है कि इस देश का क्या होगा। अमेरिका ने दशकों से पाकिस्तान की तरह ही भारत के हर महत्वपूर्ण संस्थान में अपना शिकंजा कस लिया है। प्रधनमंत्राी मनमोहन रहे या वाजपेयी दोनों की सरकारे भले ही अलग अलग व्यक्तियों व दलों की रही हों परन्तु दोनों ने देश के हित को दाव पर लगा कर अगर कोई काम किया तो वह अमेरिका के हितों की पूर्ति का। यही नहीं देश में चारों तरपफ भ्रष्टाचार का बोलबाला हैं, अमेरिका व पाकिस्तान द्वारा पोषित आतंकवाद का। इसका जवाब कौन देगा? जनता इनके षडयंत्रा को कहां तक समझ पायेगी। चीन भी अमेरिका की तरह भारत को तबाह करने में तुला है जबकि देश का मेहनतकश व ईमानदार वर्ग चीन से कापफी आशा करता है। परन्तु चीनी हुक्मरान भी भारत में गलत तत्वों का साथ दे कर भारत के मेहनतकश वर्ग पर ही मार मार रहे है। देश की रक्षा कैसे होगी?
यहां पर ढ़ोगी बाबा भारतीय संस्कृति को भ्रष्टाचारी नेता व नौकरशाहों की तरह ही नष्ट करने में तुले है। भगवान श्रीकृष्ण ही इस भारत की रक्षा करे। मेरा सभी ईमानदार व देशभक्त लोगों से अनुरोध् है कि देश पर आये इस संकट के समय आप लोग अपने सामने हो रहे भ्रष्टाचार व अनैतिक का विरोध् करें इसी से देश की रक्षा का महासंग्राम मजबूत होगा। देश की रक्षा होगी तभी मूल्यों व ध्र्म तथा समाज-व्यक्ति का गौरव बचेगा। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।

    देवसिंह रावत
यू 203 विकास मार्ग दिल्ली 92
मो 9910145367



Comments

  1. लेखन अपने आप में ऐतिहासिक रचनात्मक कायर् है। आशा है कि आप इसे लगातार आगे बढाने को समपिर्त रहें। शानदार पेशकश।

    डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश'
    सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित हिंदी पाक्षिक)एवं
    राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
    0141-2222225 (सायं 7 सम 8 बजे)
    098285-02666

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  2. इस सुंदर से चिट्ठे के साथ आपका हिंदी ब्‍लॉग जगत में स्‍वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!

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