Posts

Showing posts from April, 2011

देश में इंडिया व इंग्लिश को थोपना सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है

देश में इंडिया व इंग्लिश को थोपना सबसे बड़ा भ्रष्टाचार है । देश में आर्थिक भ्रष्टाचार से बड़ा खतरनाक भ्रष्टाचार है देश की भाषाओं को वंचित करके गुलामी के प्रतीक फिरंगी भाषा अंग्रेजी व इंडिया नाम थोपकर भारतीय संस्कृति की जड़ों में मट्ठा डालना है। आओ देश में सबसे बड़े भ्रष्टाचार अंग्रेजी व इंडिया नाम को मिटा कर भारत की आजादी को मुक्त करें।

-लीबिया में अमेरिका द्वारा किये जा रहे नरसंहार पर मूक क्यों हैं पोप

-लीबिया में अमेरिका द्वारा किये जा रहे नरसंहार पर मूक क्यों हैं पोप अमेरिका के नेतृत्व में उसके प्यादा नाटो संगठन की लीबिया में भयंकर बमबारी पर अमेरिका व नाटो देषों के धर्मगुरू पोप के मौन पर उन सभी लोगों के विष्वास पर गहरा झटका लगा जो ईसायत को षांति व प्रेम का धर्म मानते है। गौरतलब है कि अमेरिका के दवाब मै भले ही संयुक्त राश्ट्र संघ ने लीबिया पर ढुलमुल रवैये का फायदा उठाते हुए अमेरिका व उनके प्यादों ने लीबिया पर कर्नल गद्दाफी से मुक्ति के नाम पर भारी हमला कर रहे हैं। गुड़ फ्राइडे व इस्टर के पवित्र त्योहारों के अवसरों में भी जिस प्रकार से हमला किया गया। उस पर पोप का मूक रहना सभी को दुख ही प्रदान करता है। लीबिया से कर्नल गद्दाफी से मुक्ति के नाम पर व लोकषाही को लाने के नाम पर किये जा रहे हमलों को किसी भी अर्थो में सही नहीं ठहरा जा सकता हे। अगर इस मामले को जायज ठहराया जाता है तो आज पूरे विष्व में मानवता व नरसंहार के लिए अगर कोई दोशी है तो वह अमेरिका हे। आज पूरे विष्व की लोकषाही के लिए अगर कोई खतरा हे तो वह अमेरिका है। इसके बाबजूद अमेरिका की हिटलरषाही पर कोई प्रष्न तक नहीं उठा पा रहा है

कलमाड़ी से गुनाहगार है भारत पर राष्ट्रमण्डल का कलंक लगाने वाले

-कलमाड़ी से गुनाहगार है भारत पर राष्ट्रमण्डल का कलंक लगाने वाले -कलमाड़ी पर फंदा तो शीला पर मौन क्यों? आज देष के सम्मुख राष्ट्रमंडल खेलों में हुए भ्रश्टाचार से बढ़ कर यह सवाल है कि देष पर गुलामी के इस बदनुमा कलंक राश्ट्रमण्डल की सदस्यता व एक स्वतंत्र देष में गुलामी के बदनुमा प्रतीक राश्ट्रमण्डल खेलों का आयोजन ही क्यों किया जा रहा है। देश में भ्रष्टाचारियों से बढ़कर सबसे बड़े गुनाहगार हैं वो लोग जिन्होंने देष में गुलामी के बदनुमा प्रतीक राश्ट्रमण्डल की सदस्यता व राश्ट्रमण्डल खेलों का आयोजन कराने वाले। यह न केवल देष के स्वतंत्रता संग्राम सैनानियों का अपमान है इसके साथ ही यह मानवता के भी गुनाहगार हैं। जिस देष में 45 प्रतिषत से अधिक लोग गरीबी की रेखा से नीचे जीवन बसर कर रहे हों, करोड़ों लोग दो जून की रोटी के लिए मोहताज हो, षिक्षा -चिकित्सा आदि से वंचित हों तो ऐसे देष में करोड़ों लोगों के पेट पर लात मार कर चंद लोगों के मनोरंजन व देष पर गुलामी का बदनुमा कलंक लगाना है। राश्ट्रमण्डल खेलों में हुए भ्रश्टाचार के मामले में सीबीआई के षिकंजे में जकड़े कलमाड़ी के बयानों से दिल्ली की मुख्यमंत्

चुहा वोटर, नेता बिल्ली

चुहा वोटर, नेता बिल्ली चुहा अगर वोटर होता तो बिल्ली भी गिड्गिडाती म्यांऊ म्यांऊ कर हाथ जोड़कर बडी विनय से शीश झुकाती, पर चुहे का वोट हासिल कर बिल्ली कुर्सी पर जम जाती फिर चुहे को देख कर बिल्ली नाश्ता समझ खा जाती।।

>भारत रत्न, अच्चुत सामंत से प्रेरणा ले समाज व सरकार

भारत रत्न, अच्चुत सामंत से प्रेरणा ले समाज व सरकार 13 हजार गरीब आदिवासी बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं सामंत चार साल की उम्र में ही जिस गरीब बच्चे के सर से बाप का साया उठ गया हो, जिसने अपनी विधवा गरीब मां का सहारा बनने, परिवार की दो जून की रोटी के लिए तथा अपनी पढ़ाई के लिए सब्जी इत्यादि बेच कर तमाम विपरित परिस्थितियों को झेलते हुए भी केमेस्ट्री से न केवल एमएससी किया अपितु उत्कल विश्वविद्यालय के महर्षि महाविधालय में अध्यापन करने के बाद, आज पूरे विश्व में सबसे बड़ा ऐसा दूरस्थ अत्याधुनिक विश्वविद्यालय ‘कैट’ स्थापित कर दिया है जिसमें उस जैसे 13000 गरीब आदिवासी बच्चों को पहली कक्षा से स्नातकोत्तर की शिक्षा होस्टल भोजनादि सहित निशुल्क प्रदान किया जाता है। अनाथ बचपन में गरीबी की थप्पेड़ो ने उनको इतना विचलित कर दिया की उन्होंने ताउम्र शादी न करने का ऐलान कर अपना पूरा जीवन ऐसे ही बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए समर्पित कर दिया है। प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र 19 अप्रैल 1965 को स्व. अनादि चरण सामंत व श्रीमती निलिमा रानी सावंत के उडिसा के कटक जनपद के कलरबंका गांव में जन्मे अ

स्वर्ग अल्प अंत दुख दाई

स्वर्ग अल्प अंत दुख दाई दिव्य ज्ञानी लोग स्वर्ग व नरक दोनों को दुखदाई मान कर केवल प्रभु के चरणों का चिंतन करके जड़ चेतन के कल्याण हेतु निष्काम कर्म करते हें। क्योंकि वे जानते हैं कि स्वर्ग सोने की बेडियों के समान है तो नरक लोहे की बेडियों के समान। बंधन तो दोनों है। भारतीय दर्शन के अनुसार भी स्वर्ग जाने वालों के भी नेक कर्म फलों का उपभोग करने के बाद भी जीव को पुन्न जन मरण के बंधन में बंधना पड़ता है। इसी तरह नरक गामी व्यक्ति को भी अपने कृत्यों का उपभोग करने के बाद फिर जनम मरण के चक्र में फंसना पड़ता है। इसलिए तत्व ज्ञानी पुरूष कभी भी पाप पुण्य की दृष्टि से कर्म न करते हैं वे सदा जड़ चेतन को परमात्मा का स्वरूप मान कर उनकी खुशी के लिए कर्म रूपि पूजा करते है। यही निष्काम कर्म जीव को जन्म मरण के बंधन से सदा मुक्ति देता है तथा सदा के लिए श्रीचरणों में लीन हो जाता है। -श्रीकृष्ण प्रिय देव

भारत को गुलामी से मुक्त करने के लिए आगे आयें देशभक्त

Image
भारत को गुलामी से मुक्त करने के लिए आगे आयें देशभ >क्त जिस देश के हुक्मरान अपने निहित स्वार्थ में अंधे हो कर देश के दुश्मन देशों के हितों की पूर्ति हेतु देश की भाषा, नाम, संस्कृति व इतिहास को रौंद रहे हों। देश के स्वाभिमान, देश की एकता-अखण्डता से निर्लज्जता से खिलवाड करें हुए मंहगाई, आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार के गर्त में देश को धकेल कर देश की जनता का जीना हराम कर रहे हों तो ऐसे हुक्मरानों से देश हितों की आश करना भी एक प्रकार से नासमझी ही होगी। जब ऐसे देशद्रोही ही हुक्मरान बन जाय तो वहां देशभक्त ही देशद्रोही ही बता कर दण्डित किये जाते रहेंगे और देशद्रोही व असामाजिक लोग देश के हुक्मरान बन कर देश को चंगैज व फिरंगियों से अधिक निर्ममता से देश को लुटेंगे ही। यही कारण है कि आज भारत दुनिया में एक ऐसा अभागा देश है जो आजाद होने के 64 साल बाद भी अपने नाम, भाषा, संस्कृति व इतिहास से न केवल वंचित है अपितु दुनिया में एक मात्र ऐसा देश भी हो गया है जो अपनी जड़ों में अपने आप ही मठ्ठा डाल रहा है। ऐसे समय समाजसेवा के नाम पर खड़े संगठनो सहित प्रमुख संस्थानों के महत्वपूर्ण पदों में आसीन असामाजिक त

सन् 1994 के बाद से कोडियों भाव एनजीओ को लुटवायी उत्तराखण्ड की भूमि जब्त करे सरकार

सन् 1994 के बाद से कोडियों भाव एनजीओ को लुटवायी उत्तराखण्ड की भूमि जब्त करे सरकार उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद यहां की जमीनों व संसाधनों को अपने दिल्ली बैठे राजनैतिक आकाओं, माफियाओं व अन्य बाहरी लोगों को करोड़ों मूल्य की जमीन कोड़ी के भाव समाजसेवी संस्थाओं व आदि जनहित के नाम से आवंटित की गयी। जो इस प्रदेश की जनता के हक हकूकों पर सीधा डाका ही नहीं इस सीमान्त प्रदेश की सुरक्षा के लिए व पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा है। अब यहां की जनता सरकार से मांग करती है कि 1994 के बाद से ही यहां पर एनजीओ व आदि को कोडियों के भाव में आवंटित की गयी जमीनों पर श्वेत पत्र जारी कर उनको अविलम्ब जब्त किया जाय। प्रदेश के हक हकूकों को अपने बाप की सम्पति समझ कर लुटवाने का किसी भी सरकार को कोई हक नहीं है। जिन संगठनों का कोई सामाजिक सेवा व यहां की धरती पर कोई कार्य जनता की नजरों में नहीं है। उस भूमि को अविलम्ब जब्त की जाय। सभी नेताओं, नौकरशाहों आदि द्वारा यहां पर कोडियों के भाव ली गयी जमीनें भी जब्त की जाय।

अविलम्ब संसद का विशेष सत्र बुला कर पारित करे जनलोकपाल

अविलम्ब संसद का विशेष सत्र बुला कर पारित करे जनलोकपाल   भ्रष्टाचार से देश तबाही व आरजकता की गर्त में फंसा भले ही केन्द्र सरकार अण्णा हजारे के आमरण अनशन के समापन पर राहत की सांस ले रही हो परन्तु उसकी नियत कहीं दूर दूर तक भ्रष्टाचार के गर्त में मरणाशन पड़े भारत को उबारने की नहीं है। अगर सरकार जरा सी भी ईमानदार होती तो इस जन लोकपाल बिल पर आमरण अनशन कर रहे समाजसेवी अण्णा हजारे के साथ हुए समझोते पर  सरकारी पक्ष का नेतृत्व कर रहे कबीना मंत्री कपित सिब्बल जन लोक पाल बिल का इस प्रकार से उपहास नहीं उडाते।  सबसे हेरानी की बात तो यह है कि न तो सरकार व  नहीं इस जन लोक पाल विल के रूप में भ्रष्टाचार के खात्मा करने के लिए आंदोलन कर रहे लोगों ने इस बात का ध्यान नहीं दिया कि इस बिल के लिए तत्काल संसद का विशेष अधिवेशन एक माह के अंदर बुला कर देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ निर्णायक जंग अभी इसी पल से शुरू की जाय।  विधेयक का प्रारूप समिति एक सप्ताह की बैठक में ही इसको अंतिम रूप दे सकती है। क्योंकि सरकार व इस जन लोकपाल को बनाने वाली दोनो समुहों ने इस विल के अधिकांश तैयारी करी ही हुई है। इसके बाद विशेष अधिवेश

अण्णा के चमत्कार से फट्टी सी रह गयी अमेरिका सहित विश्व की आंखे

अण्णा के चमत्कार से फट्टी सी रह गयी अमेरिका सहित विश्व की आंखे आज अमेरिका सहित पूरा विश्व के लोग भारत के नये जननायक अण्णा हजारे को किसी आश्चर्य से कम नहीं मान रहे है। पूरा विश्व यह नहीं समझ पा रहा है कि जिस प्रकार भ्रष्टाचारी व निरंकुश हुक्मरानों को झुकाने में मिश्र, अरब देशों व लीबिया में इतना खुन खराबा करने के बाद भी ऐसी महत्वपूर्ण सफलता नहीं मिली, वह सफलता भारत में मात्र 98 घण्टे के आमरण अनशन के बाद 72 वर्षीय समाजसेवी अण्णा हजारे ने पूरी सरकार को झुका कर हासिल कर दिया। इस विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की जनविरोधी सरकार को झुकाने के लिए किसी भी आंदोलनकारी को एक गोली व बंदुक या टैंक या लाठी नहीं चलानी पड़ी। अभी तक गांधी के रूप में भारत की इस अदभूत आत्मशक्ति से परिचित शेष विश्व इस को किसी अदभूत घटना से कम नहीं मान रहा है। पूरे विश्व में जिस प्रकार से भ्रष्टाचार का आतंक मचा हुआ है। सरकारें जन विरोधी व लोकतंत्र विरोधी हो रही है, ऐसी स्थिति में संसार को मार्ग दर्शन देने के लिए शंाति के मार्ग पर एक नयी राह दिखाने का काम भारत के एक साधारण सा समझा जाने वाले संत अण्णा हजारे ने किया।  ‘संभवाम

पर्यावरण व देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक है सीमान्त क्षेत्र में बस्ती बसाना

पर्यावरण व देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक है   सीमान्त क्षेत्र में बस्ती बसाना किसके लिए बसायी जा रही है बदरीनाथ के समीप यह नगरी प्रदेश गठन के बाद यहां पर दी गयी एनजीओ तमाम भूमि सौदों को रद्द करे बदरीनाथ केदारनाथ समिति बदरी नाथ और गौरकुण्ड के पास जिस अस्थाई नगरी को बसाने जा रही है उसकी भनक लगते ही लोगों के कान खडे हो गये।इस अस्थाई नगरी बसाने की योजना का खुलाशा तब हुआ जब श्री बदरीनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट्ट ने गत सप्ताह  बद्रीनाथ और गौरीकुंड के पास एक अस्थायी नगरी बनाने का ऐलान किया। उनके अनुसार इसके लिये निविदा जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। भट्ट ने बताया कि इस अस्थायी नगरी में करीब 2000 लोगों को समायोजित किया जायेगा, इसके लिए गत दिनों मंदिर समिति की एक बैठक में यह फैसला किया गया है। श्री भट्ट ने बताया कि  कहा कि अगले महीने से शुरू होने वाले चारधाम यात्रा के दौरान ही मुफ्त में भोजन और आवास की व्यवस्था की जायेगी। उत्तराखंड में बद्रीनाथ-केदारनाथ समिति ने तीर्थयात्रा पर आये गरीब लोगों को मुफ्त में भोजन और आवास मुहैया कराने का फैसला किया है। पर्यावरण व धार

विदेश में पैदा होने मात्रा से करना एक प्रकार से भारतीय संस्कृति का अनादर करना ही है।

भारतीय संस्कृति कभी स्व व पर की लडाई की आज्ञा नहीं अपितु सदैव सत व असत के संघर्ष की आज्ञा देती है। महाभारत ही नहीं अपितु राम रावण संग्राम भी केवल सत असत की लड़ाई पर लडा गया। कौन कहां, किस जाति, ध्र्म, लिंग, स्थान, रंग या जीव में पैदा हो गया यह ईश्वर की इच्छा है। इस आधर पर किसी को श्रेष्ठ व किसी को तुच्छ मानने वाले ईश्वर के ही नहीं अपितु भारतीय संस्कृति के विरोध्ी होते है। सोनिया का विरोध् उसके गुण व दोष के आधर पर किया जा सकता है परन्तु उसका विरोध् विदेश में पैदा होने मात्रा से करना एक प्रकार से भारतीय संस्कृति का अनादर करना ही है।

नक्कारे हुक्मरानों के कारण वरदान साबित हो सकने वाली जनशक्ति बनी अभिशाप

नक्कारे हुक्मरानों के कारण वरदान साबित हो सकने वाली जनशक्ति बनी अभिशाप भारत की जनसंख्या 1.21 अरब उत्तराखण्ड की हुई 1.67करोड़ ॅभारत के महापंजीयक व जनगणना आयुक्त सी. चंद्रमौली ने सन्2011  की जनगणना की घोषणा करते हुए देश की  जनसंख्या अब 1 अरब 21 करोड़ हो गया है। तथा देश की राजधानी दिल्ली की जनसंख्या 1 करोड़ 67 लाख से अधिक हो गयी है तथा देश के पर्वतीय राज्य उत्तराखण्ड प्रदेश की जनसंख्या 10116752 हो गयी है। संसार में जिस महान जनशक्ति का सही सदप्रयोग करके आज चीन विश्व को अपना गुलाम बनाने को तुले हुए स्वयं भू विश्व सम्राट अमेरिका के बर्चस्व को खुली चुनौती देने की स्थिति में है। उसी अपार जनशक्ति की घोर उपेक्षा करके विश्व के चीन के बाद के सबसे बड़े आबादी वाले देश भारत में यह वरदान साबित हो सकती जनशक्ति अभिशाप सी बन गयी है। देश के हुक्मरानों के गैरजिम्मेदार व राष्ट्रघाती निर्णयों के कारण आज देश के आम आदमी जहां मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंकी हिंसा से पीड़ित है। वही आधी सी अधिक जनता शिक्षा, चिकित्सा व मानक जीवन जन सुविधाओं से वंचित है। देश की सत्ता में काबिज नेता, नोकरशाह व दलालों के नापाक गिरोह क

लोकपाल बिल पर संयुक्त कमेटी में रामजेठमलानी से परहेज क्यों?

बाबा रामदेव का ही नहीं अपितु पूरे देश की लोकशाही मूल्यों व भ्रष्टाचार के खिलाफ निष्पक्ष लोगों का विचार है कि लोकपाल बिल पर संयुक्त कमेटी में अन्ना हजारे की तरफ से बाप बेटे दोनों को रखने के बजाय जन आंदोलनों की नायिका मेघा पाटेकर, स्वामी अग्निवेश या अन्य किसी महत्वपूर्ण न्याय व भ्रष्टाचार के मामलों के खिलाफ लडने वाले योग्य व्यक्ति को रखना चाहिए। फिर योग्य अधिवक्ता रामजेठमलानी से परहेज क्यों? 

उत्तराखण्ड से भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्र व्यापी अभियान का शुभारंभ करे अण्णा हजारे

Image
उत्तराखण्ड से भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्र व्यापी अभियान का शुभारंभ करे अण्णा हजारे विश्व संस्कृति की पावन गंगोत्री व पतित पावनी गंगा-यमुना की पावन अवतरण धरती उत्तराखण्ड की पोने दौ करोड़ जनता आधुनिक गांधी अण्णा हजारे से पुरजोर अपील करते हैं कि वे भ्रष्टाचार के खिलाफ अपना राष्ट्र व्यापी अभियान का शुभारंभ भ्रष्टाचार से आकण्ठ मर्माहित उत्तराखण्ड से करके जनता को भ्रष्टाचार से मुक्ति प्रदान करे।  क्योंकि यहां भाजपा-संघ का आला नेतृत्व के शर्मनाक संरक्षण से ही सत्तासीन प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार पर जिस प्रकार से देश की अग्रणी मीडिया,  पक्ष विपक्ष सहित पूरा तंत्र ही नपुंसकों की तरह मूक है।

देश को गांधी सा जननायक अण्णा हजारे मिल गया

Image
जननायक अण्णा हजारे देश को गांधी सा जननायक अण्णा हजारे  मिल गया  संसद की चैखट, राष्ट्रीय धरनास्थल जंतर मंतर पर 5 अप्रैल से आमरण अनशन करके देश की आम जनता के हितों को रौंदने वाली प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की निकम्मी सरकार को  जनलोकपाल विधेयक को स्वीकार करने के लिए मजबूर करने वाले देश के आधुनिक गांधी अण्णा हजारे को शतः शतः नमन्। अब देश को गांधी व जयप्रकाश नारायण के बाद एक ऐसा जननायक मिल गया जो जनविरोधी सरकारों की नाकों में नकेल डालने का काम करेंगे। आशा है अण्णा हजारे देश के साथ साथ उत्तराखण्ड की भ्रष्ट सरकार से भी जनता को मुक्ति दिलायेंगे।

जन लोकपाल कानून बनाने के लिए अविलम्ब संसद का विशेष सत्र बुलाया जाय

सरकार नहीं ंजागी तो अण्णा के नेतृत्व की आंधी से जनाक्रोश सुमानी बन जायेगी जन लोकपाल कानून बनाने के लिए अविलम्ब संसद का विशेष सत्र बुलाया जाय  सरकार के निकम्मेपन से देश की पूरी व्यवस्था जहां भ्रष्टाचार के शिकंजे में जकड़ कर मृतप्रायः हो गयी है। वहीं बेलमाग मंहगाई व आतंकबाद से भी देश की जनता पूरी तरह त्रस्त हैं। देश की जनता को लोकशाही में भी अपने जनप्रतिनिधी या सरकार किसी  के भी दल हों परन्तु देश की आम जनता को ये सरकारें किसी भी तरह से अपनी नहीं लगती हैं। ऐसी शर्मनाक स्थिति से देश को उबारने के लिए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जनलोकपाल कानून बनाने की मांग को लेकर 5 अप्रैल 2011 से संसद की चैखट, राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर आमरण अनशन प्रारम्भ कर केन्द्रीय सरकार की चूलें ही हिला दी। ऐसे में देश के हुक्मरानों से त्रस्त जनता को भ्रष्टाचार के खिलाफ अण्णा हजारे आज का गांधी बन कर अपना सच्चा तारन हार नजर आने लगा। इसी कारण पूरे देश की जनता अण्णा हजारे के साथ  आंधी की तरह उमड़ कर खडे हो रही है। जो भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता का आक्रोश, अण्णा हजारे के नेतृत्व की आंधी से सुमानी बन कर देश के भ्

भ्रष्टाचार का विरोध न करना एक प्रकार से उसको समर्थन देना ही है

भ्रष्टाचार का विरोध न करना एक प्रकार से उसको समर्थन देना ही है देश भ्रष्टाचार में तबाह हो रहा है  देश को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए नया गांधी अण्णा हजारे देश की संसद की चैखट राष्ट्रीय धरना स्थल पर 5 अप्रैल से आमरण अनशन पर बैठे है। और भारतवासी मूक अपने घरों में ही दुबके बैठे हैं। अन्याय के खिलाफ इस जंग में जो मूक रहेगा वह भ्रष्टाचारी से बदतर देशद्रोही ही कहलाया जायेगा। भ्रष्टाचार का विरोध न करना एक प्रकार से उसको समर्थन देना ही है। आओ देश व भारत की संस्कृति की रक्षा के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ इस जंग में इसी पल से समर्पित हो कर देश के वर्तमान व भविष्य की रक्षा करने के अपने दायित्व का निर्वहन करें।  www.rawatdevsingh.blogspot.com

अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ संसद की चैखट पर ऐतिहासिक जंग शुरू

  अन्ना हजारे के नेतृत्व में भ्रष्टाचार के खिलाफ संसद की चैखट पर ऐतिहासिक जंग शुरू  जन लोक विधेयक बनाने की मांग को लेकर आमरण अनशन पर कुरूक्षेत्रा में अनशन पर बैठें अन्ना हजा रे भ्रष्टाचार के रसातल में जमीदोज हुए भारत की रक्षा के लिए देश के लाखों देशभक्तों ने निर्णायक जंग का ऐलान महान समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में संसद की चैखट, राष्ट्रीय ध रना स्थल से 5 अप्रैल  को आमरण अनशन शुरू कर के कर दिया है।  यह अनशन रूपी आंदोलन जनांदोलन का रूप ग्रहण करते हुए देश के 450 शहरों में प्रारम्भ हो गया है। देश की राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय धरनास्थल  जंतर मंतर में प्रधानमंत्री सहित तमाम अपीलों को दर किनारे करते हुए भ्रष्टाचार से देश को बचाने के संघर्ष का नेतृत्व करने वाले गांधी के तुल्य समाजसेवी अन्ना हजारे ने अपने ऐतिहासिक आमरण अनशन का शंखनाद कर दिया है। देश में लोकशाही का कुरूक्षेत्र समझे जाने वाले जंतर मंतर में प्रारम्भ हुए देश के गांधी तुल्य समाजसेवी अन्ना हजारे के इस महाभियान में देश के लाखों लोगों के साथ सहभागी बनने के लिए देश के प्रमुख समाजसेवी स्वामी अग्निवेश, मेघा पाटेकर,बाबा रामदेव, श्

अनशनास्त्र के संधान से हरीश रावत ने किया चार पालों को पस्त

अनशनास्त्र के संधान से हरीश रावत ने किया चार पालों को पस्त ें किशोर के अनशन से हरीश रावत ने फिर मात दी अपने विरोधियों को विधायक ने अपना 14 दिन पुराना अनशन समाप्त किया देहरादून(प्याउ)। उत्तराखण्ड की राजनीति में अपने आंदोलनों व अनशन से आये दिन हलचल मचाने वाले कांग्रेसी विधायक किशोर उपाध्याय ने आखिरकार अपना 14 दिन से चला अनशन सोमवार 4 अप्रेल को मुख्यमंत्री के आश्वासन पर समाप्त कर दिया। इस अनशन से जहां टिहरी की राजनीति में एक प्रकार का उबाल सा आ गया था वहीं टिहरी में कई स्थानों में कांग्रेस व भाजपा सडकों में एक दूसरे के विरोध में उतर गये थे।इस अनशन से जहां प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में भी हडकंप सा मचा दिया था। इस अनशन को भले ही सरसरी तौर पर लोग टिहरी के विकास के साथ जोड़ रहे हों पर इस इसमें टिहरी के विकास से अधिक प्रदेश में क्षत्रपों का आगामी विधानसभा चुनाव को देखते हुए मची बर्चस्व की जंग  भी है। इस अनशन से अब तक चार पालों के साथ जंग में पिछड़ रहे कांग्रेसी दिग्गज ने अपने सेनानायक किशोर उपाध्याय के अनशनास्त्र संघान से अपने विरोधियों को पस्त कर दिया है। देहरादून के बीजापुर अतिथि गृह

गांधी के विरोधी ही नहीं समर्थक भी रह गये भौचंक्के

गांधी के विरोधी ही नहीं समर्थक भी  रह गये भौचंक्के गांधी जी को चाहे जीते जी ही नहीं उनकी हत्या की जाने के कई दशक बाद भी आज दुनिया में उनके चाहने वालों की जो जबरदस्त कसक है उसको देख कर उनके आलोचकों की जहां बोलती बंद हो जाती है अपितु उनके शर्म से बरबस सर भी झुक जाते है। महात्मा गांधी के विरोधी फिरंगी हुकुमत के अलावा भारत में वे तमाम लोग सामिल थे जो गांधी के संकीर्ण धर्मवाद  से उपर उठ कर हर भारतीय को गले लगाने का विरोध करने वाली जमात भी थी। आज जहां गांधी के कार्यो को नमन करने वालों में संसार के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति बराक औबामा सहित असंख्य लोग हैं। वहीं ऐसे समय में भी गांधी पर किचड़ उछाल कर अपने को विख्यात करने वाले लेखकों व राजनेताओं की कोई कमी नहीं है। अभी कुछ सप्ताह पहले एक फिरंगी लेखक ने महात्मा को अपनी कुठीत व संकीर्ण मानसिकता का शिकार बनाया। इससे पूरे देश में एक प्रकार का विवाद किताब ही छीड़ गया। गुजरात की भाजपा सरकार ने बिना समय गंवाये इस पुस्तक पर प्रतिबंध ही लगा  दिया। इस मामले ने एक बार फिर भारतीयों को ही नहीं अपितु दुनिया के तमाम   समझदार लोगांें को  गांधी  पर

विश्व में बच्चों के एकमात्र त्यौहार हैं ‘कटम कूड़ी बाघे दाड़ व अंग्यार पूजे’

विश्व में बच्चों के एकमात्र त्यौहार हैं ‘कटम कूड़ी बाघे दाड़ व अंग्यार पूजे’  बाघ व नयी कोंपलों के जहर से रक्षा के लिए करते हैं अंग्यार पूजे  ‘कटम कूड़ी बाघे दाड़ व अंग्यार पूजे’ ये दो त्योहार केवल उत्तराखण्ड  में ही नहीं अपितु संभवतः देश विदेश में बच्चों का एकमात्र ऐसे जुडवा त्योहार होगें जिसको केवल बच्चे मनाते ही नहीं  अपितु खानपान सहित तमाम पकवान तक खुद ही बनाते है। हालांकि फूलदे माई भी बच्चों का गांव भर के घरों में फूल डाल कर वहां से खाजा मांगने का त्योहारों में है। कई स्थानों में फूलदे माई का त्योहार भी इन दोनों त्योहारों से जुड़ा रहता है। इस फूलदे माई के दिन बच्चों को मिले खाजा रूपी अन्न का ही अंग्यार पूजे के दिन बच्चे पकवान बनाने में प्रयोग में लाते हैं।परन्तु फिर भी फूलदे माई त्योहार में  वह व्यापकता नहीं है जो  ‘कटम कूड़ी बाघे दाड़ व अंग्यार पूजे’ जैसे त्योहारों में देखने को मिलती है। यह दोनों त्योहारों में बच्चे न केवल त्योहार मनाते हैं अपितु अंग्यार पूजे’ के दिन तो बच्चे अपने घर इत्यादि स्थान छोड़ कर जंगल में नाना प्रकार के पकवान बनाते है। भले ही देश विदेश में सरकारें बा

सच्चे सुख के साथी श्रीकृष्ण

सच्चे सुख के साथी  श्रीकृष्ण जीतने बाले को हंसते देखा, हारने वाले को भी रोते हार जीत से उपर उठ कर कर्म करे जो होता है यति श्रीकृष्ण की सीख  मान जो करे जीवन में सम व्यवहार  हार जीत को स्वप्न मान कर बने कृष्ण चरण अनुरागी;  जपो हर पल श्री राधे कृष्ण वो ही सचे सुख के साथी हरि छोड़कर जो रखे जग से आशा वो होगा दुखभागी (देवसिंह रावत 2 अप्रैल 2011 पोने बारह बजे भारत के विश्व कप विजय होने पर)

रूडकी के जिंदा शहीद प्रकाश कांति को आंदोलनकारी न मानने वाली उत्तराखण्ड सरकार शर्म करो

रूडकी के जिंदा शहीद प्रकाश कांति को आंदोलनकारी न मानने वाली उत्तराखण्ड सरकार शर्म करो इस सप्ताह मुझे हरिद्वार जनपद के रूड़की क्षेत्र में निवास करने वाले उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के एकमात्र जिंदे शहीद प्रकाश कांति की धर्मपत्नी का मार्मिक पत्र आया। उस पत्र में ना चाहते हुए भी  उन्होंने  राज्य गठन जनांदोलन में पुलिसिया गोली से जिंदा शहीद हुए अपने पति को राज्य गठन आंदोलनकारी न मानने पर उत्तराखण्ड आंदोलनकारियों के सम्मान का डंका पीट रही प्रदेश सरकार को बेनकाब ही कर दिया।  जो सरकारें व समाज अपने शहीदों, आंदोलनकारी सैनानियों व प्रतिभाओं का सम्मान करने के बजाय अपमान करती है ऐसी जनविरोध्ी व आत्मघाति सरकारों को सत्ता में बने रहने का एक पल का भी कोई नैतिक आधर  नहीं हो सकता। राज्य गठन जनांदोलन में उत्तराखण्ड के आत्मसम्मान व राज्य गठन जनांकांक्षाओं को निर्ममता व निरंकुशता से रौंकने के तत्कालीन राव-मुलायम सरकारों की सरपरस्ती में भारतीय संस्कृति को  कलंकित करने वाले ‘मुजफ्रपफरनगर काण्ड-94’ के विरोध् में उपजे जनांक्रोश के दमनकारी सरकारी अत्याचार का शिकार हुए रूड़की निवासी प्रकाश कांति  भी हुए। श