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Showing posts from January, 2012

मनमोहन ही नहीं गड़करी भी इस्तीफा दें

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-भ्रष्टाचारियों को शर्मनाक संरक्षण देने के मामले में -मनमोहन ही नहीं गड़करी भी इस्तीफा दें/ -न्यायपालिका भी तय करे अपनी सुनवायी की समय सीमा / सर्वोच्च न्यायालय द्वारा प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा स्वामी की याचिका पर भ्रष्टाचार में घिरे मंत्रियों पर लम्बे समय तक मुकदमा चलाने की इजाजत न देने के मामले में प्रश्न उठाते हुए तत्काल इसकी एक निश्चित समय सीमा तय करने का जो संसद को कानून बनाने जरूरत बतायी, उससे भारतीय हुक्मरानों का शर्मनाक चेहरा बेनकाब हो गया। इसको आधार बना कर प्रधानमंत्री का इस्तीफा मांगने की भाजपा ने जो सराहनीय मांग की परन्तु भाजपा को चाहिए था कि जिस नैतिकता का आधार बना कर वह प्रधानमंत्री से इस्तीफा मांग रहे हैं, उसको देखते हुए सबसे पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गड़करी को खुद अपनी भ्रष्टाचारी सरकारों को संरक्षण देने के लिए तत्काल इस्तीफा दे देना चाहिए। जिस प्रकार से भाजपा के अध्यक्ष गडकरी सहित शीर्ष नेताओं ने भाजपा की उत्तराखण्ड सरकार के मुख्यमंत्री की संलिप्तता वाले स्टर्जिया भूमि घोटाले सहित अनैक घोटालों के उजागर होने के बाबजूद उनको शर्मनाक संरक्षण सार्वजनिक रूप से दिया।

उत्तराखण्ड में कांग्रेस सत्तासीन हुई तो महिला हो सकती है मुख्यमंत्री

उत्तराखण्ड में कांग्रेस सत्तासीन हुई तो महिला हो सकती है मुख्यमंत्री देहरादून। (प्याउ)। प्रदेश में अगर 6 मार्च को चुनावी परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आता है तो प्रदेश में महिला को प्रदेश की कमान सौंपे जाने के कायश लगाये जा रहे है। हालांकि अभी यह सब कहना जल्दी होगी, परन्तु इसी आशंका से कांग्रेस में मुख्यमंत्री के आधा दर्जन दावेदार चुनावी दंगल से एक दूसरे को मात देने के पाशे कदम कदम पर चल रहे थे। यह खेल चुनाव के बाद फिर तेजी से बढ़ गया है। कांग्रेस में मुख्यमंत्री के दावेदारों में जहां हरीश रावत व सतपाल महाराज का नाम सबसे उपर है। हालांकि दावेदारों में प्रदेश अध्यक्ष यशपाल आर्य, हरकसिंह रावत, सांसद विजय बहुगुणा व इंदिरा हृदेश भी मानी जा रही है। हरीश रावत , सतपाल महाराज व विजय बहुगुणा को विधायक न होने के कारण या गुटीय खिंचतान होने की संभावनाओं के कारण दूर रखने की चालें अभी से मठाधीश कर रहे हे। परन्तु जिस प्रकार से हरक सिंह रावत चुनावी भंवर में फंस चूके हैं उससे उनका चुनावी जंग से उभरना ही दुश्वार लग रहा है। वहीं यशपाल आर्य को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। हालांकि उनका तिवारी की

तिवारी के शिकंजे से कब मुक्त होगा उत्तराखण्ड

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 तिवारी के शिकंजे से कब मुक्त होगा उत्तराखण्ड रामनगर (प्याउ)। तिवारी द्वारा खुद को दो साल के लिए मुख्यमंत्री बनने की इच्छा प्रकट करने के बाद प्रदेष की राजनीति में एक प्रकार से भूचाल सा आ गया। इससे प्रदेष के आम मतदाताओं में एक संदेष साफ गया कि प्रदेष में कांग्रेस की सरकार बन रही है। जिस प्रकार से तिवारी ने गदरपुर, रामनगर, हल्द्वानी, देहरादून आदि स्थानों में कांग्रेसी प्रत्याषियों के पक्ष में 87 साल की उम्र में भी खुली जीप में बैठ कर प्रचार अभियान चलाया और देहरादून में मतदान किया, उससे प्रदेष की राजनीति में एक प्रकार से जलजला ही उठ गया हे। इसका अहसास प्रदेष के क्षत्रपों को अभी से होने लगा है। भले ही आला नेतृत्व प्रदेष में चुनाव परिणाम कांग्रेस के पक्ष में आने के बाद तिवारी को मुख्यमंत्री न भी बनाये परन्तु उनकी उपस्थिति को नकारने का साहस करे यह संभव नहीं है। जिस प्रकार से टिकट बंटवारे में प्रदेष की राजनीति में यकायक कांग्रेस को अपनी भृकुटी दिखा कर तीन टिकटें झटप ली, उससे नहीं लगता कि भावी मुख्यमंत्री के चुनाव के समय कांग्रेस नेतृत्व उनकी पसंद का ख्याल न रखे। खासकर रामनगर में जिस प्रकार स

कोटद्वार के जनाक्रोश से सहमे हैं खंडूडी सहित भाजपा नेतृत्व

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-कोटद्वार के जनाक्रोश से सहमे हैं खंडूडी सहित भाजपा नेतृत्व/ -इंदिरा जैसी मात खानी पड़ सकती है खंडूडी को / चुनाव से दो दिन पहले जिस प्रकार से कोटद्वार में भाजपा के पक्ष में सरकारी मिषनरी के भारी दुरप्रयोग  को देखकर वहां की जनता ने जिस प्रखरता से अपना आक्रोष प्रकट किया उसने प्रदेष की जनता के जेहन में सत्तामद में चूर षासकों द्वारा जनादेष को रौंदने वाला दो दषक पहले हुए गढ़वाल लोकसभा उपचुनाव के जख्मों को कुरेदकर जागृत कर दिया। इस आक्रोश की प्रतिध्वनि 30 जनवरी को जिस प्रकार से जनता ने कोटद्वार सहित प्रदेश के अन्य भागों में भारी मतदान करके किया उससे प्रदेश की सत्ता में फिर से आसीन होने के दिवास्वप्न देख रहे मुख्यमंत्री खंडूडी व भाजपा नेतृत्व की नींद हराम हो गई। हालांकि भाजपा के मुख्यमंत्री व दिल्ली में भाजपा के आला नेतृत्व अपनी खाल बचाने के लिए मुख्यमंत्री खंडूडी के विधानसभा क्षेत्र कोटद्वार में षराब व धनबल का विरोध करने वाले कांग्रेसी प्रत्याषी सुरेन्द्र नेगी की ही षिकायत चुनाव आयोग से करके अपने आप को पाक साफ बन रहे है। परन्तु हकीकत कोटद्वार की जनता जानती है। कांग्रेसी प्रत्याषी नेगी व यहा

आखिर कब होगा भारत में गणतंत्र का सूर्योदय

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आखिर कब होगा भारत में गणतंत्र का सूर्योदय/ -आजादी के 65 साल बाद भी भारत में चल रहा है वही फिरंगी तंत्र / हम भारतीय पिफरंगियों से मिली  स्वतंत्राता की 65वीं वर्षगांठ की 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के नाम पर पूरे देश में बहुत ही ध्ूमधम से मना रहे है। आज भी भारत अपनी आजादी के गणतंत्रा के सूर्योदय को देखने के लिए तरस रहा है। क्या इसी चंगेजी व भारतीय अस्मिता को मिटाने वाले राज को आजादी कहते है? क्या आम जनता को लुटने वालों को गणतंत्रा के सेवक कहते है? क्या देश को गुलामी से बदतर गुलाम बनाने वाले तंत्रा को गणतंत्र कहते है? मेरा भारत आजादी के छह दशक बाद भी आज अपनी आजादी को तरस रहा है। आजादी के नाम पर पिफरंगी नाम इंडिया व  फिरंगियों की जुबान अंग्रेजी तथा देश को जी भर कर लुटने की  फिरंगी प्रवृति के अलावा इस देश को क्या मिला? आज भारत को न तो विश्व में कोई उसके नाम से पहचानता है व नहीं उसकी जुबान से। आज भी भारतीय पहचान व सम्मान को उसी बदनुमा पिफरंगी गुलामी के कलंक के नाम से जाना जा रहा है। आजादी के छह दशक बाद हमारी स्वतंत्राता के समय ही अपना सपफर नये ढ़ग से शुरू करने वाले इस्राइल, चीन व जापान आज विश्

30 जनवरी 2012 को विधानसभा चुनाव में भाजपा हराओं उत्तराखण्ड बचाओ

30 जनवरी 2012 को विधानसभा चुनाव में भाजपा हराओं उत्तराखण्ड बचाओ सभी उत्तराखण्डियों से विनम्र निवेदन है कि वे उत्तराखण्ड राज्य के हितों व लोकशाही की रक्षा के लिए प्रदेश शासन में विगत पांच सालों से सत्तासीन भाजपा के खिलाफ अपना मतदान करें 1.-क्योंकि भाजपा ने अपने 2007 के विधानसभा चुनाव में मिले जनादेश का अपमान अपनी सत्तालोलुपता व दिशाहीन कुशासन से किया। 2- प्रदेश की जनांकांक्षाओं व सम्मान के प्रतीक स्थाई राजधानी गैरसैंण गठित करने के बजाय बलात राजधानी देहरादून थोपनें का षडयंत्र किया। 3.- प्रदेश की  भाजपा सरकार के शासनकाल में मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों व उनके संरक्षकों को दण्डित करने के बजाय उसके गुनाहगारों को दण्डित कराने में प्रदेश सरकार नितांत असफल रही। 4-प्रदेश भाजपा सरकार के कार्यकाल में स्टर्जिया घोटाला, जल विद्युत परियोजना घोटाला, कुम्भ घोटाला सहित अनैक शर्मनाक घोटाले हुए। 5.-प्रदेश की प्रतिभाओं की उपेक्षा कर बाहर के लोगों को प्रदेश के संसाधनों व महत्वपूर्ण पदों पर आसीन करना। 6- प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री खंडूडी द्वारा प्रदेश में सारंगी व निशंक को भाग्य विधाता थोप कर जहा

ठेकेदारों के हवाले वतन साथियो

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ठेकेदारों के हवाले वतन साथियो/ -देश ही नहीं अब रैली, धरना प्रदर्शन भी ठेकेदारों के हवाले / -कांग्रेस में तो केन्द्रीय मठाधीश के कारण राहुल को झेलना पड़ा जूते का स्वागत / -भ्रष्टाचार की जड है ठेकेदारशाही / देहरादून (प्याउ)। भले ही आप व हम इस मुगालते में हो की हम लोकशाही में जी रहे हैं परन्तु यह सोलह आना सच है कि आज देश ठेकेदारशाही में जी रहा है। हर काम में ठेकेदारी। ठेकेदारी यानी दुसरे के काम व दाम पर भी सेंध लगाना। यानी मजदूर, गरीब व आम आदमी का शोषण। लोकशाही में जहां आम आदमी के कल्याण की बात होती है परन्तु ठेकेदारशाही में प्रायः ठेकेदार, नोकरशाह व नेताओं के बीच ही सब दुघ मक्खन बंट जाता है। सब मलायी ये तीनों ही चटक जाते है। आम जनता के लिए केवल छांस रहती है वह भी आजकल सिन्थेटिक छांस । असली छांस भी आम जनता को सुघने में नहीं मिलती। इस देश में भ्रष्टाचार की जड़ ही ठेकेदार शाही है। कहीं एनजीओ की ठेकेदारशाही तो कहीं आम दलालों की ठेकेदार शाही। इसी ठेकेदारशाही के राज में देश प्रदेश का शासन प्रशासन चलाने के लिए नियुक्त मंत्री अफसर सब एक प्रकार से ठेकेदार से बदतर काम कर रहे है। आज हर पद की निय

उत्तराखण्ड में चुनावी सर्वेक्षण के नाम पर लोकशाही का चीर हरण क्यों

उत्तराखण्ड में चुनावी सर्वेक्षण के नाम पर लोकशाही का चीर हरण क्यों स्टार न्यूज व नीलसन द्वारा उत्तराखण्ड विधानसभा चुनाव 2012 का सर्वे परिणाम अपने आप में लोकशाही का अपमान है। एक करोड़ जनसंख्या वाले प्रदेश के चंद हजार प्रायोजित लोगों का विचार को आधार बना कर चुनाव पूर्व चुनाव को प्रभावित करने की प्रभावित करने वाला निंदनीय हथकण्डा ही है। जिसे चुनाव आयोग द्वारा तत्काल संज्ञान में लेना चाहिए। चुनाव परिणाम में 70 सदस्यीय विधानसभा में 39 प्रतिशत कांग्रेस व 40 प्रतिशत भाजपा को दिखा कर, भाजपा को 39 व कांग्रेस को 29 सीटें देने के बाद केवल अन्य को 2 सीटों पर दिखाया। जो प्रदेश की वर्तमान चुनावी समर की ताजा स्थिति को देख कर बहुत ही हास्यास्पद है। बसपा, उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा, उक्रांद व कई स्थानों पर दलों की हालत पतली करने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों को केवल 2 सीटों पर रखना, इस सर्वे का मुखोटा खुद बेनकाब करने के लिए काफी है। इस सर्वे का कुल मकसद प्रदेश में सत्ता पर काबिज भाजपा के पक्ष में मतदान करने के लिए लोगों को गुमराह करना है। प्रदेश की जमीनी हकीकत यह है कि भाजपा के खुद अपने सर्वे म

तिवारी के दाव से भाजपा व कांग्रेसी चारों खाने चित

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तिवारी के दाव से भाजपा व कांग्रेसी  चारों खाने चित/ तिवारी की यात्रा प्रदर्शन से भाजपा ही नहीं कांग्रेसी भी हैरान हल्द्वानी(प्याउ)। कांग्रेस के पक्ष में हल्द्वानी में चंद दिनों पहले तक अपनी उपेक्षा से असंतुष्ट समझे जाने वाले प्रदेश के दिग्गज वयोवृद्य नेता व प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी के हल्द्वानी में कभी उनकी सबसे करीबी रही सहयोगी इंदिरा हृदेश के पक्ष में उनको साथ में लेकर खुली जीप में समर्थन यात्रा कर जहां भाजपा को ही नहीं कांग्रेस के दिग्गज नेताओं को हैरान कर दिया है।  तिवारी की इस सक्रियता ने जहां भाजपा की प्रदेश में पुन्न सत्तासीन होने की आशाओं में तिवारी का कांग्रेस विरोध रूपि सहयोग की आश पर बज्रपात हुआ, वहीं कांग्रेस में कई महिनों से बने हरीश रावत व इंदिरा हृदेश के बीच चल रही जुगलबंदी की भी एक प्रकार से चूलें ही हिला कर रख दी।  अब इंदिरा हृदेश भी प्रदेश के मुख्यमंत्री की जंग की एक मजबूत दावेदार के रूप में चुनाव परिणाम के बाद ताल ठोक दे तो कोई बड़ी बात नहीं होगी। तिवारी ने शायद इंदिरा की इसी महत्वकांक्षा को हवा दे कर अपने सबसे प्रबल विराधी हरीश रावत की हसरत पर

खंडूडी जेसे पदलोलुपु कुशासक की नहीं अपितु परमार जैसे कुशल नेता की जरूरत है उत्तराखण्ड को

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खंडूडी जेसे पदलोलुपु कुशासक की नहीं अपितु परमार जैसे कुशल नेता की जरूरत है उत्तराखण्ड को भाजपा के आला नेतृत्व का शर्मनाक पतन का परिचायक है ‘खंडूडी है जरूरी  का विज्ञापन। इनकी अलोकशाही प्रवृति का और दूसरा सहज उदाहरण और क्या हो सकता कि वे उत्तराखण्ड की 30 जनवरी को होने वाले  विधानसभा चुनाव के लिए  सभी समाचार पत्रों में हर दिन प्रमुखता से विज्ञापन दे रहे हैं कि खंडूडी है जरूरी।  यह विज्ञापन भाजपा नेतृत्व की उत्तराखण्ड की जनभावनाओं को रौदेने वाला ही नहीं अपितु लोकशाही का गला घोंटने वाला है। यह अधिनायकवाद का परिचायक व भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व की लोकशाही खंडूडी नहीं उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं को साकार करना जरूरी है। उत्तराखण्ड में लोकशाही की स्थापना जरूरी हैं। जिस लोकशाही  को उत्तराखण्ड की जनता के दशकों पुराने संघर्ष व बलिदान दे कर उत्तराखण्ड राज्य के नाम से हासिल किया था, उस लोकशाही का सूर्योदय देवभूमि उत्तराखण्ड की धरती पर होने से पहले भाजपा व कांग्रेस के दिल्ली स्थित आकाओं ने अपने तिवारी, खडूडी व निशंक जेसे सत्तांध व उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं को रौंदने वाले प्यादों को थोप कर पूरी तर

उत्तराखण्ड से माफी मांगे टीम अण्णा

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उत्तराखण्ड से माफी मांगे टीम अण्णा अण्णा हजारे व उनकी टीम जवाब दें आगामी विधनसभा चुनाव में टीम अण्णा उत्तराखण्ड के दौरे पर जाने से पहले उत्तराखण्ड की जनता से सार्वजनिक मापफी मांगे। क्यों वे खंडूडी सरकार द्वारा उत्तराखण्ड की जनता की आंखों में ध्ूल झोंकने के लिए बनाये गये कमजोर लोकायुक्त का स्वागत कर रहे हैं? जबकि इस लोकायुक्त के जब तक  सभी सदस्य सहमति नहीं देंगे तब तक किसी विधयक, मंत्राी या मुख्यमंत्राी पर मामला हंी नहीं चलाया जा सकता। ंप्रस्तुत है विध्ेयक के पृष्ठ 21 पर चेप्टर 6 का वह हैरान करने वाला अंश- INVESTIGATION AND PROSECUTION AGAINST HIGH FUNCTIONARIES Investigation  and  Prosecution  against high functionaries 18. No investigation or prosecution shall be initiated without obtaining permission from the Bench of all the members with Chairperson against any of the following persons:- (i) The Chief Minister and any other member of the Council of Ministers. (ii) Any Member of Uttarakhand Legislative Assembly http://uk.gov.in/files/Documents/ENGLISH_-_UTTARAKHAND_LOKAYUK

रेल दुर्घटना बचाने वाले दीपक को को पुरस्कार सहित रेल में नौकरी भी दे सरकार

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रेल दुर्घटना बचाने वाले दीपक को को पुरस्कार सहित रेल में नौकरी भी दे सरकार 15 जनवरी को प्रातः दिल्ली में कुड़ा बिनने वाले 10 वर्षीय बालक दीपक ने रेल की टूटी पटरी को देख कर अविलम्ब सम्बंधित अधिकारियों को इसकी इतला दे कर जिस अदभूत विवेक व साहस का परिचय दे कुछ देर बाद ही आने वाली पटना राजधानी  रेल के साथ होने वाली भीषण दुर्घटना को बचाने का महान कार्य किया है। भारतीय रेल व भारत सरकार को ऐसे बहादूर गरीब बच्चे को जहां बीरता का बाल पुरस्कार देने के साथ उसकी शिक्षा के साथ वयस्क होने पर रेलवे में पक्की नौकरी दे कर सम्मानित करना चाहिए। इससे न केवल उस गरीब बच्चे में भावी जीवन में समाज के हित में कार्य करने का जज्बा मजबूत होगा अपितु समाज में इस प्रकार का काम करने की भावना को लोगों में जागृत होगी।

-काम न धाम कैसे बने है राजनेता धन्नाशाह/

-काम  न धाम कैसे बने है राजनेता धन्नाशाह/ -नेता, समाजसेवी, संत सहित अधिकांश बने है मालामाल, आम जनता हो गयी है बेहाल / भले ही चंद दशक पहले आजादी के संग्राम के दिनों भारत में राजनीति को वीर, चिंतक, संघर्षशील , देश व समाज के लिए अपना सर्वस्व निछावर करने वाले भारत माता के सच्चे सपूतों का का पावन कर्म क्षेत्र माना जाता था। परन्तु आज राजनीति व समाजसेवा का पेशा अकूत धन दौलत कमाने की आश से राजनीति में पदार्पण करने वालों का बर्चस्व हो गया है। देश से अंग्रेजो को खदेड़ने के लिए राष्ट्र व्यापी जनांदोलन छेडने वाले महात्मा गांधी ने राजनीति के क्षेत्र में कदम रख कर अपने तन के कपड़ों तक का त्याग कर दिया था। नेताजी सुभाष चंद बोस ने सिविल सेवा के उच्चाधिकारी का पद ही ठुकरा कर अपने आप को देश की सेवा के लिए अर्पित कर दिया। आजाद, भगतसिंह सहित लाखों महान सपूतों ने भारतीय आजादी को हासिल करने के लिए अपनी शहादत ही दे दी थी। परन्तु इनकी शहादत से हासिल आजादी के साढ़े छह दशक से कम समय में इस देश में राजनीति ही नहीं समाजसेवा, शिक्षा, चिकित्सा, धर्म व न्याय के पावन मठाधीशों का चाल, ढाल व चेहरा ही ऐसा बदल

क्षत्रपों के बर्चस्व की जंग से परेशान है भाजपा व कांग्रेस/

 क्षत्रपों के बर्चस्व की जंग से परेशान है भाजपा व कांग्रेस/ -बागियों से अधिक भीतर घातियों से है खतरा/ रूद्रप्रयाग(प्याउ) । भले ही भाजपा व कांग्रेस के चुनावी अभियान के प्रमुख विधानसभा चुनाव 2012 में अपनी पार्टी की फतह की चुनावी सभा में ऐलान कर रहे हों परन्तु उनकी इस दंभ भरी हुंकार को अगर कोई पलीता लगा रहे हैं तो उनके ही दल के बागी प्रत्याशी जो विधानसभा चुनाव में टिकट न मिलने से चुनावी दंगल में उतरे हुए है।  परन्तु राजनैतिक दल इन बागियों से भी अधिक पार्टी के भीतरघातियों से सहमी हुई है। जहां भाजपा में निशंक बनाम खंडूडी-कोश्यारी में अंदर खाने चल रही  बर्चस्व की जंग से भाजपा के मठाधीश भी परेशान है। वहीं कांग्रेस में अगला मुख्यमंत्री बनने के लिए कांग्रेसी दिग्गजों हरीश रावत, सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा व हरक सिंह में अंदर खाने चल रही शह और मात की जंग ने आला नेतृत्व भी सहमा हुआ है। दोनों दल पूरी ताकत से इन भीतरघातियों के दंश से उबरने का प्रयाश कर रही है परन्तु नाक की लड़ाई में प्रदेश व दलीय हितों को दाव पर लगाने में भी कोई कम कसर न छोड़ने वाले ये मठाधीश मानने का नाम नहीं ले रहे है। भले ही बाहर

कोटद्वार में चुनावी भंवर में फंसे खंडूडी!

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कोटद्वार में चुनावी भंवर में फंसे खंडूडी!/ खंडूडी को उबारने के लिए राजनाथ ने चलाया फिर मुख्यमंत्री बनाने का तुर्रा व खंडूडी  है जरूरी का दाव/ भारतीय जनता पार्टी ने चुनाव से पहले ही मुख्यमंत्री के लिए खंडूडी के नाम का ऐलान करके खुद ही अपना अलोकत्रांत्रिक चेहरा बेनकाब कर दिया है। पार्टी के अब तक के विज्ञापनों में भी जो प्रमुखता से प्रदेश के समाचार पत्रों में प्रकाशित किया जा रहा है कि खण्डूडी जरूरी है। इसी के साथ प्रदेश के प्रभारी व पूर्व भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह भी ऐलान कर चूके हैं कि यदि भाजपा सत्ता में आती है तो मुख्यमंत्री खंडूडी ही होगें। भाजपा की उक्त घोषणा लोकशाही का अपमान के साथ हमारे संविधान का भी अपमान है जिसमें साफ कहा गया कि मुख्यमंत्री चुनाव के बाद पर्याप्त बहुमत हासिल करने वाले दल के विधायक निर्वाचित होने के बाद करेंगे। कुछ साल पहले तक भाजपा, पूर्व में कांग्रेस द्वारा किये जाने वाले इस प्रकार के कार्य को अलोकतांत्रिक बताती थी। वहीं जमीनी हकीकत यह है कि कोटद्वार विधानसभा सीट से जहां से खंडूडी विधायकी का चुनाव लड़ रहे है। वहां पर उनको कांग्रेस के दिग्गज प्रत्याशी पूर्व मंत्

लूटरे बन गये है हुक्मरान

लूटरे बन गये है हुक्मरान लोक तंत्र में लूटरे बन गये है हुक्मरान जनता का हक मार कर बने हुए महान। जनता का कर दिया जीना इन्होंने हराम नेता व नौकरषाह के भेश में घुसे है षैतान। धर्म व समाजसेवा के यही बने है भगवान आम आदमी कैसे जीये, मंहगाई से परेषान। नेता केवल चुनाव के समय दिखे इंसान चुनाव जीतकर देष का रखे न कभी ध्यान। कुर्सी व अपनी तिजोरी ही होती इनकी प्राण लोकषाही आज बन गयी लूटेरों की जान। -देवसिंह रावत  www.rawatdevsingh.blogspot.com

उत्तराखण्ड सरकार के भ्रश्टाचार पर मूक रहने वाले बाबा रामदेव माफी मांगे

उत्तराखण्ड सरकार के भ्रश्टाचार पर मूक रहने वाले बाबा रामदेव माफी मांगे/ चुनावी राज्यों में अभियान यात्रा निकालने से पहले उत्तराखण्ड की जनता से / बाबा रामदेव भी 5 राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में  इन राज्यों में भी अपना कालाधन पर चल रहे अभियान करेंगे। मेरा साफ मानना है कि कालाधन भ्रश्टाचार के कारण ही होता है और बाबा रामदेव जब अपने प्रदेष जहां उनका मुख्यालय है उस प्रदेष में भाजपा सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रश्टाचार के मामले में षर्मनाक मूक रखे रहे, तो उनको कालाधन पर कम से कम उत्तराखण्ड की जनता के सम्मुख कालाधन पर बात करने का नैतिक अधिकार खो दिया है। जब बाबा उत्तराखण्ड सरकार के उस मंत्री जिसपर उन्होंने 1 करोड़ रूपये घूस मांगने की नापाक कोषिष की उसका नाम ही उजागर करने का साहस  तक नहीं जुटा पा रहे हैं तो उनको इस मांमले में बोलने का कोई हक नहीं है।  बाबा रामदेव ने देष व भारतीय संस्कृति के लिए प्रारम्भ में बहुत काम किया। परन्तु जनांदोलन चलाते समय अनुभवहीनता, सम्पति से अंध मोह, निश्पक्षता व नैतिक साहस न होने के कारण वे जहां रामलीला मैदान में असफल रहे, और अब तक भी। कांग्रेस हो या भाजपा स

भाजपा व कांग्रेस या 1857 तक ही सीमित न समझें विष्व की सबसे श्रेश्ट संस्कृति के ध्वज वाहक भारत को

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भाजपा व कांग्रेस या 1857 तक ही सीमित न समझें विष्व की सबसे श्रेश्ट संस्कृति के ध्वज वाहक भारत को / सबसे बड़ी देष भक्ति या धर्म /  किसी को इस बात का भ्रम न रहे कि भारतीय संस्कृति या देष किसी कांग्रेस, भाजपा, संघ या किसी अन्य दल विषेश की  बदोलत जीवंत है। ना हीं भारत 1857 या  गांधी जी  आदि के नेतृत्व में अंग्रेजो के खिलाफ लड़े गये संघर्श ही सबकुछ है। भारतीय संस्कृति विष्व की सबसे प्राचीन जीवंत संस्कृतियों प्रमुख है जिसने विष्व को अब तक के सर्वश्रेश्ठ जीवंत मूल्य प्रदान किये। भारतीय संस्कृति तब भी विलक्षण थी जब यूरोप, अरब, अमेरिका जैसे देषो में रहने वाले लोग यायावारी व अज्ञानता के अंधेरों में भटके हुए थे।  ईसायत् या मुसलिम आदि धर्माे के उदय से कई सदियों पहले भारत उस मुकाम पर पंहुच चूका था जिस मुकाम पर ये लोग आज भी नहीं पंहुच पाये। ज्ञान का विलक्षण अथाह सागर रही भारतीय संस्कृति। इसलिए भारतीय श्रेश्ठ जन, सत्तालोलुपु  सत्तांधों व दलीय जंजाल में जकड़ने के बजाय भारतीय संस्कृति के सनातन मूल्यों यानी केवल सत् के लिए जीवन समर्पित करने की सीख देती है,। भारतीय संस्कृति जो कभी अन्याय को न सहने, सर्वभू

भारतीय संस्कृति का परम मर्म

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भारतीय संस्कृति का परम मर्म भारतीय संस्कृति संस्कारवान बनाती है, जिस व्यक्ति को सत् व असत् को परखने की बुद्वि, अन्याय का विरोध करने का साहस न हो,  अपने से बड़े लोगों से बात करने की तहजीब न हो उनको भारतीय कहलाने का कोई हक नहीं। रही बात हमारी संस्कृति में जो भी द्वंद हुए चाहे वह महाभारत का हो या रावण राम संग्राम हो दोनों में स्व व पर के आधार पर नहीं अपितु धर्म व अधर्म के आधार पर लड़ा गया। हमारी संस्कृति में न्यायार्थ निज बंधु को भी दण्ड देना धर्म है व अयम् निज परोवेती .......’ का अमर संदेष को आत्मसात करने की सीख दी जाती है। यही नहीं प्रकृति भी स्व व पर पर नहीं अपितु गुण दोश के आधार पर ग्रहण करने की इजाजत देती है।  मरी हुई लांष लोग अपने प्रिय परिजन की भी हो उसका अंतिम संस्कार कर देते है और मल अपने उदर में भी हो उसका विसर्जन किया जाना चाहिए। जो इस गुढ़ रहस्य को आत्मसात न करके जाति, धर्म, क्षेत्र, भाशा, लिंग या नस्ल के नाम कर किसी का विरोध, षोशण, समर्थन व न्याय करता है वह न केवल भारतीय संस्कृति अपितु परमात्मा का भी गुनाहगार होता है। उसको प्रकृति अपने ढ़ग से दण्ड देती है। www.rawat

सोनिया को विदेषी कहने वाले भारतीय संस्कृति के दुष्मन हैं

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सोनिया को विदेषी कहने वाले भारतीय संस्कृति के दुष्मन हैं कब तक यों ही लकीर पिटते रहोगे, अंधेरी रात के, सुबह कब की हो गयी हैं जरा आंखे तो खोल मुझे समझ में नहीं आ रहा है कि भारतीय राजनेताओं ने सोनिया, गांधी, नेहरू परिवार के बारे में ऐसा हौव्वा खड़ा किया हुआ है कि मानों ये गांधी नेहरू परिवार सतयुग, द्वापर त्रेता व कलयुग सहित अनादिकाल से चला आ रहा है। इनके अनुसार देष में हर समस्या की जड़ गांधी नेहरू परिवार है।  देष में विदेषी आक्रांताओं (मुगल व फिरंगियों आदि) से पहले भी इस देष में समस्यायें ही समस्यायें थी, सेकड़ों सत्तांध राजाओं व पथभ्रश्ट धर्माचार्यो के कारण भारत का आम जनमानस त्रस्त था। जातिवाद, क्षेत्रवाद, लिंग, रंग व सामंती संकीर्णताओं में जड़के समाज में जड़ता सदियों से भारतीय समाज की विष्व को आलौकित करने वाली कालजयी संस्कृति को कलंकित व कमजोर करने का काम कर रही है।  भारतीय संस्कृति का मूल उदघोश स्व व पर से उपर उठ कर सत व असत के संघर्श की इजाजत देती है परन्तु दुर्भाग्य की बात है कि भारतीय संस्कृति के स्वयंभू ध्वजवाहकों ने जो अपमान सोनिया गांधी का विदेषी विदेषी कह कर किया, वह भारतीय

भाजपा में दागदारों को सम्मन व ईमानदार वरिष्ठ नेता फोनिया की उपेखा

भाजपा में दागदारों को सम्मन व ईमानदार वरिष्ठ नेता फोनिया की उपेखा देहरादून (प्याउ)। रामराज्य व सुषासन का ढपोर षंख बजाने वाली भाजपा का मुखोटा उस समय उत्तराखण्ड में पूरी तरह से बेनकाब हो गया, जब भाजपा ने अपनी षेश 22 विधानसभाई क्षेत्रों की अंतिम सूची को जारी की। एक तरफ वह उप्र में बसपा से निश्कासित भ्रश्टाचार में फंसे नेता कुषवाह को पार्टी में सम्मलित करने का कृत्य करती है वही दूसरी तरफ पार्टी देवभूमि उत्तराखण्ड में बदरीनाथ विधानसभा क्षेत्र के वर्तमान विधायक व प्रदेष के सबसे साफ छवि व वरिश्ठ अनुभवी नेता केदारसिंह फोनिया की टिकट काट ने का काम किया। देष में जनजाति नेताओं में सबसे अनुभवी व साफ छवि के वरिश्ठ नेताओं में अग्रणी केदारसिंह फोनिया को पर्यटन का मर्मज्ञ भी माना जाता है। परन्तु उनकी बेदाग व साफ छवि के कारण भाजपा के इस सरकार के मुख्यमंत्री खंडूडी व निषंक दोनों ने अपनी सरकार में उनको मंत्री पद उनकी साफ छवि व कुषल प्रषासन से अपने आप को बोना महसूस करने के कारण उत्तराखण्ड राज्य को  मजबूत साकारात्मक दिषा देने में सहायक हो सकने वाली उनकी प्रतिभा से प्रदेष को वंचित रखा गया। इस प्रकरण से साफ

मायावती के पास सबसे अधिक सम्पति व दूसरे नम्बर का सबसे गरीब विधायक ओम गोपाल रावत

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मायावती के पास सबसे अधिक सम्पति  व दूसरे नम्बर का सबसे गरीब विधायक ओम गोपाल रावत नई दिल्ली (प्याउ) । एडआर और नेषनल इलेक्षन वाच ने पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में 690 विधायकों की (2007 से 2012)जो रिपोर्ट पेष की उसके तहत मायावती सबसे अधिक सम्पति वाली और ओम गोपाल रावत दूसरे नम्बर के सबसे गरीब विधायक है। इस सप्ताह जारी की गयी रिर्पोट के अनुसार 5 राज्यों (उप्र-403, पंजाब,-117 उत्तराखण्ड-17, मणिपुर-60 व गोवा -40) में हो रहे चुनाव में 690 वर्तमान विधायकों में से 35 प्रतिषत यानी 239 विधायक करोड़पति है। सबसे अधिक करोड़पति विधायक पंजाब में है वहां 117 में से 78 विधायक यानी 67 प्रतिषत करोड़पति है। सबसे कम मणिपुर में विधायक करोड़पति है यहां 60 में से सबसे कम यानी 1 ही विधायक करोड़पति है। वहीं सबसे गरीब विधायकों में मणिपुर के थानगखोलन होकिप  जो राजद के चंदेल विधानसभा से विधायक है उनकी 0 सम्पति है। दूसरे नम्बर पर यानी 690 विधायकों में दूसरे नम्बर के सबसे गरीब विधायक नरेन्द्र नगर से उक्रांद के विधायक ओम गोपाल हैं जिनकी कुल सम्पति 20 हजार रूपये है। उत्तराखण्ड में 70 में से 11 विधायक यानी 16 प

उत्तराखण्ड विरोधी भाजपा व कांग्रेस को दुत्कारने वाले महान सपूत जनरल रावत को सलाम

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-उत्तराखण्ड विरोधी भाजपा व कांग्रेस को दुत्कारने वाले महान सपूत जनरल रावत को सलाम/ -उत्तराखण्ड के हक हकूकों की रक्षा के लिए मोर्चा का सहयोग करने के बजाय टांग न खिंच कर भाजपा व कांग्रेस को मजबूत न करे उत्तराखण्डी/  उत्तराखण्ड राज्य में दागदार छवि के लोगों को प्रदेष के संवेधानिक पदों पर आसीन करने व प्रदेष को भ्रश्टाचार के कुषासन से देवभूमि को पतन के गर्त में धकेलने की भाजपा व कांग्रेस के आला नेतृत्व की सत्तामद में चूर अहंकार के खिलाफ खुला विद्रोह करने करके उत्तराख्,ाण्ड के सम्मान की रक्षा करने का सहास तक जब पद लोलुपु खण्डूडी, हरीष रावत सतपाल महाराज, विजय बहुगुणा सहित तमाम वरिश्ठ नेता नहीं कर पाये तब तब कांग्रेस व भाजपा नेतृत्व की तमाम प्रलोभनों को ठुकरा कर भी उत्तराखण्ड के सम्मान की लाज किसी एक राजनेता ने रखी तो वह  उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के अध्यक्ष ले. जनरल  तेजपाल सिंह रावत ने की।  जनरल रावत इस समय उत्तराखण्ड के सम्मान व हक हकूकों को रौंदने वाली भाजपा व कांग्रेस के दंष से जब उत्तराखण्ड की जनता त्राही त्राही करके नेतृत्व विहिन हो गयी थी ऐसे समय उत्तराखण्ड के महान चिंतक व गायक नरेन्द्

भाजपा पर लगा भगवान राम का अभिशाप ?

भाजपा पर लगा भगवान राम का अभिशाप ?  ‘सौगन्ध राम की खाते हैं हम मंदिर वहीं बनायेंगे, का नारा लगा कर सत्तासीन होने के बाद मंदिर निर्माण करना हमारे ऐजेन्डे में नहीं कहने वाले भाजपा पर लगता है अब भगवान राम कुपित है। नहीं तो सर मुंडवाते कई सालों से उनकी आषाओं पर ओले नहीं पड़ते। भगवान राम अब भी भाजपा का माफ करने को तेयार नहीं हे। इस बार 5 राज्यों के चुनाव में इन राज्यों में कमल खिलाने की आष पर इस बार कुषवाह नाम से एक प्रकार से ग्रहण लग गया। पूरे देष में भाजपा की कितनी किरकिरी हो रही है, इसका भान भाजपा के गडकरी जैसे नेताओं को नहीं है । देष में 80 सांसदों के राज्य उप्र में चुनाव में अपना परचम फहराने की आष से गड़करी ब्रिगेड ने ऐसा काम किया जिससे भाजपा की पूरे देष में जग हंसाई हो रही हे। बसपा के जिस मंत्री कुषवाहा को भ्रश्टाचार के मामलों में मायावती ने अपनी मंत्रीमण्डल से क्या हटाया कि भाजपा ने उनको अपने दल में सम्मलित कर दिया। इसके बाद भाजपा के नेताओं ने जब इस प्रकरण पर प्रष्न उठाया तो उनको अनुषासन का डण्डा दिखा कर चुप कराने का हिटलरी प्रवृति लोकषाही में भाजपा नेतृत्व ने दिखाई परन्तु उसे गोरखपुर
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चुनाव आयोग का उत्तराखण्ड की जनता से सौतेला व्यवहार क्यों चुनाव आयोग ने 4 फरवरी को मुसलिम त्योहार के कारण  न केवल 4 फरवरी को होने वाला प्रथम चरण का उप्र का मतदान  , बदल कर 3 मार्च को कर दिया है अपितु चुनाव आयोग ने 4 मार्चा को 5 राज्यों की विधानसभा की मतगणना भी इस कारण 4 मार्च से बदल कर 6 मार्च को कर दी हे।  इससे एक सवाल यह उत्पन होता है कि चुनाव आयोग को हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड के लोगों के हितों का गला घोंटते समय कोई रहम क्यों नहीं आया। उसे क्यों अपनी संवेधानिक दायित्व का बोध रहा। हिमालयी राज्य में 30 जनवरी को मतदान के समय कडाके की सर्दी रहती हैं उसको बदल कर फरवरी केअंतिम सप्ताह किया जा सकता था। परन्तु न तो चुनाव आयोग को इसका भान रहा व नहीं प्रदेश के कांग्रेसी नेतृत्व को इसका भान रहा। हालांकि खंडूडी ने इसका विरोध भी दर्ज कराया, परन्तु सामुहिक रूप से पहल करने में उत्तराखण्डी नेता असफल रहे। चुनाव आयोग अपने संवेधानिक दायित्व का सही ढ़ंग से पालन करने में इस दृष्टि से असफल रहा।  उत्तराखण्ड के नेता न तो प्रदेश में जनसंख्या पर आधारित परिसीमन को ही रूका पाये व नहीं चुनाव आयोग द्वारा 30 जनवरी को

टीम अण्णा से भी जनता का मोह भंग

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टीम अण्णा से भी जनता का मोह भंग/ -टीम अण्णा ने लगाया अण्णा पर ग्रहण / नई दिल्ली (प्याउ)। लगता है कि देष से भ्रश्टाचार मिटाने की हुंकार भरने वाली अण्णा हजारे व उनकी टीम से विवादों का जंजाल कम होने का नाम ही नहीं ले रहे है। जिस प्रकार से टीम अण्णा के गठन के साथ ही विवादों ने इसका पीछा नहीं छोडा था। इसका गठन होते ही जिस प्रकार से टीम अण्णा में पिता पुत्र के रूप में षांति भूशण व प्रषांत भूशण दोनों को लिये जाने को जनता ने दिल से स्वीकार नहीं किया था।  अण्णा को चाहिए था कि वह पिता व पुत्र में से केवल एक को ही इस टीम में लेते। देष में वकीलों का अकाल नहीं पड़ा हुआ था। खासकर उत्तराखण्ड के लोग स्टर्जिया भूमि प्रकरण में जिस प्रकार से षांति भूशण ने निषंक सरकार के तारनहार बन कर सामने आये वह भ्रश्टाचार से व्यथित प्रदेष की जनता टीम अण्णा में भ्रश्टाचार मिटाने वाली टीम के अहम सदस्य के रूप में षांति भूशण को मन से स्वीकार नहीं कर पा रहे थे। परन्तु उसके बाद जेसे जेसे अण्णा हजारे का आंदोलन चला और सरकार ने दमनकारी हथकण्डे अपना कर देष की जनता को सड़कों पर आने के लिए विवष कर दिया था। परन्तु इसके बाद टीम अण्