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Showing posts from February, 2012

25 हजार डाकमत पत्रों के बेरंग आने से भाजपा में मचा हडकंप

25 हजार डाकमत पत्रों के बेरंग आने से भाजपा में मचा हडकंप देहरादून (प्याउ)। 25 हजार से अधिक संख्या में डाकमतों का बिना मतदान के वापस पंहुचने की खबर से पोस्टल मतों को अपनी वापसी का मजबूत आधार मानने वाली भाजपा में हडकंप ही मच गया। डाकमत पत्रों पर कांग्रेस ने जिस प्रखरता से सजग हो कर इस बार उठाया उससे पोस्टल मतों में पूर्व की तरह इनका प्रयोग करने में सम्बंधित अधिकारियों ने सावधानी बरती। इस बार प्रदेश में डाक मतों खासकर सैन्य डाकमतों की गडबड़ी के आशंका से कांग्रेस ने चुनाव आयोग से लेकर पूरे तंत्र पर सजग प्रहरेदारी कर रही है उससे किसी भी अधिकारी द्वारा इसमें नाहक ही अपनी टांग फंसाने के बजाय इससे दूरी रखना ही बेहतर समझा होगा। इस लिए इस बार पोस्टल मतों में इस प्रकार की धांधली बड़ी संख्या में होने की आशंका काफी कम हो गयी है।  चुनाव आयोग द्वारा पोस्टल मतों के बेरंग वापसी का ऐलान करने के बाद भाजपा की प्रतिक्रिया मे ंझल्लाहट साफ नजर आ रहा है कि भाजपा 25985 पोस्टल नामित मतदाता तक नहीं पंहुचे पोस्टल मतों तथा 55221 पोस्टल बैलेट की स्थिति स्पष्ट नहीं होने तक 6 मार्च को होने जा रही मतगणना को रोक देने की

देश में पहली बार डाकमत भी बने चुनाव में निर्णायक

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देश में पहली बार डाकमत भी बने चुनाव में निर्णायक/ - उत्तराखण्ड की 70सदस्यीय विधानसभा में 32 सीटों पर निर्णायक होंगें डाकमत /  देश में पहली बार किसी विधानसभा के भाग्य का फेसला वहां के डाकमत पत्र करेंगे। देश में पहली बार पूरे प्रदेश स्तर पर डाकमतों के लिए सियासी जंग छिडी। देश में पहली बार मीडिया को भी डाकमतों की शक्ति का अहसास व चर्चा सुनने को मिली। खुद पहली बार डाकमतों की शक्ति का अहसास निर्वाचन आयोग को भी हुआ। पहली बार देश के राजनेताओ ंका ध्यान डाकमत पत्रों की तरफ गया। सियासी दलों का पहली बार सैन्य डाकमतों की महता का अहसास हुआ। इस बार उत्तराखण्ड में रिकार्ड तोड़  सवा लाख डाक मत पत्र जारी किये गये। पहली बार देश के अब तक के चुनाव में किसी भी प्रदेश का भाग्य का फेसला पोस्टल मतों के द्वारा होने का हब्बा राजनेताओं में ही नहीं आम जनता में भी छाया हुआ है।  डाक मत पत्रों की महता का पता इसी बात से चलता है कि 70 सदस्यीय विधानसभा में से 32 सीटों के भाग्य का फेसला इन्हीं मतपत्रों पर टिका हुआ है।  भाजपा जहां इन्हीं डाकमतों के भरोसे सरकार फिर से बनाने का सपना बुन रही है तथा कांग्रेस इन्हीं मतपत्रों

अपने हक हकूकों व सम्मान के लिए जागृत हो उत्तराखण्डी

अपने हक हकूकों व सम्मान के लिए जागृत हो उत्तराखण्डी नई दिल्ली(प्याउ)।  ’उत्तराखण्ड समाज को अपनी दलगत, जातिगत व क्षेत्रवादी संकीर्णता से उपर उठ कर अपने प्रदेश की समग्र विकास, संस्कृति के साथ साथ अपने हक हकूकों की रक्षा के लिए सामुहिक रूप से संगठित होना चाहिए। इसके साथ सामाजिक संगठनों को चाहिए कि वे उत्तराखण्ड, दिल्ली सहित देश के हर प्रांत में मुख्य धारा के विकास में अपना योगदान देते हुए उत्तराखण्डी समाज के हित के प्रति समाज को राजनैतिक जागरूक करने की अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करे।’  यह विचार ‘उत्तराखंड के सामाजिक एंव राजनितिक जीवन पर प्रवासी उत्तराखंडियों की भूमिका’ नाम विषय पर दिल्ली  में आयोजित एक विचार गोष्ठी में उभर कर सामने आये। 25 फरवरी को दिल्ली के गढ़वाल भवन में दोपहर में आयोजित इस गोष्ठी में  उत्तराखण्ड के अग्रणी जनकवि बली सिंह ‘चीमा’बली का जनगीत ‘तय करो आदमी की और हो या आदमखोर की तरफ.....’ से इस गोष्ठी का समापन हुआ। इस गोष्ठी की अध्यक्षता उत्तराखण्ड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पीसी तिवारी  ने की तथा संचालन म्यर उत्तराखण्ड के अध्यक्ष मोहनसिंह बिष्ट ने की। सभा में पत्रका

जब चुनाव में हुआ कांग्रेसी नेता का हेलीकाप्टर से हरण ...........

जब चुनाव में हुआ कांग्रेसी नेता का हेलीकाप्टर से हरण ........... मुख्यमंत्री के लिए कांग्रेस में शह ओर मात का आत्मघाती खेल से बेखबर आलाकमान अभी तक लोगों ने आदमी या कुर्सी का हरण होते हुए सुना होगा। परन्तु उत्तराखण्ड की हाल में सम्पन्न हुई विधानसभा चुनाव में कांग्रेसी महारथियों में अपने प्रतिद्वंदियों को मात देने की कितनी मारामारी थी इसका सबसे हैरान कर देने वाली घटना थी प्रदेश के मुख्यमंत्री के एक बडे नेता का हेलीकाप्टर से हरण। इस प्रकार का हरण हुआ कि नेता की बड़ी सभायें लगी थी उनको वहां पंहुचाने के बजाय उनको दूर देहरादून भेज दिया गया। इस सब से अनजान जब नेता को इस बात का भाान हुआ तो वह माथा पकड कर बैठ गये। सभायें भी नहीं कर पाये व परेशानी अलग। बाद में पता चला कि प्रदेश के बडे नेता के कहने पर ही उनको सभाओं में ले जाने के बजाय देहरादून पठाया गया। उत्तराखण्ड की जनता के भाजपा के कुशासन से मोहभंग को भांपते हुए जहां कांग्रेसियों क्षत्रपों ने विधानसभा चुनाव 2012 चुनाव से पहले ही प्रदेश का मुख्यमंत्री खुद को बनाने के लिए टिकट बंटवारे से पहले व चुनाव के दौंरान ऐसे आत्मघाती काम किये जिससे कांग्

उत्तराखण्ड के सरकारी तंत्र की अकर्मण्यता से भौंचंक्के खंडूडी खूब बरसे

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उत्तराखण्ड के सरकारी तंत्र की अकर्मण्यता से भौंचंक्के खंडूडी खूब बरसे ‘मैं महिने एक दो बार ही  एक दो दिन के लिए दिल्ली आता हूॅं  इस दौरान भी आप लोग अपनी जिम्मेदारी तक नहीं निभाते, मैं कितनी बार बार बेल बजाने के बाबजूद कोई इस तरफ ध्यान तक नहीं दे रहा है। आप लोग करते क्या यहां?  यहां पर पत्रकार लोग बैठे है आप लोगों ने मुझे बताया तक नहीं?  यह उत्तराखण्ड के सरकारी तंत्र से पीड़ित आम आदमी के शब्द नहीं अपितु उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी के शब्द है। जो वे अपने ही कार्यालय के अधिकारियों व कर्मचारियों द्वारा उनकी उपेक्षा करने से बेहद आहत हो कर इन लापरवाह कर्मियों को बुरी तरह से डपट रहे थे।  इस प्रकरण का प्रत्यक्ष दर्शी होने के कारण  मैं भी दंग रह गया कि जिस प्रदेश के कर्मचारी मुख्यमंत्री की इतनी उपेक्षा करते हों उस प्रदेश में आम जनता के प्रति नोकरशाही की क्या रवैया होगा। उत्तराखण्ड प्रदेश में 11 सालों में सरकारी अमला कितना अकर्मण्य व उदासीन हो गया है इसका एक छोटा सा नमुना देख कर प्रदेश के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी भी खुद भौचंक्के रह गये। हुआ यों कि प्रदेश के मुख्यमंत्री 23 फरवरी

वाररूम में खुद हुए बेनकाब कांग्रेसी महारथी

वाररूम में खुद हुए बेनकाब कांग्रेसी महारथी/ भीतरघात नहीं होता तो उत्तराखण्ड में 70 में से कांग्रेस 45 से अधिक सीटे जीतती/  ‘खोदा पहाड़ निकला चूहा’ साबित हुआ वाररूम में उत्तराखण्ड कांग्रेस प्रत्याशियों की बैठक / नई दिल्ली (प्याउ)। वाररूम यानी व्यूह रचना कक्ष, प्रायः वाररूम का प्रयोग सेना में किया जाता है। जहां सेना नायक अपने कमांडरों के साथ युद्ध की रणनीति बनाते है। शायद इस शब्द को राजनीति में भी  राजनीति के चोधरियों ने अपने अपने दलों की अंतिम रणनीति या गुप्त नीति बनाने के लिए अपना लिया हो। मेरे कानों में यह शब्द वेसे जब देश पर युद्ध के बादल मंडराने लगते थे तब सुनाई देता था। परन्तु कुछ महिनों पहले मुझे पता चला कि कांग्रेस का कोई वार रूम है। भाजपा का वाररूम कहां हैं यह तो मुझे नहीं पता, आम राजनीति का राजनैतिक समझ रखने वाला आदमी भी कहेगा शायद झण्डेवालन या नागपुर  में होगा। क्योंकि भाजपा में अतिम व मुख्य रणनीति संघ ही बनाता है।  ऐसा ही यदि कोई पूछे कि कांग्रेस का वार रूम कहां है तो अधिकांश प्रबुद्ध लोग कहेंगे कि दस जनपत। क्योंकि कांग्रेस का अंतिम निर्णय 10 जनपत यानी वहां पर रहने वाली का

-सरकारी सेवा में केवल सरकारी विद्यालय से पढ़े को मिले नियुक्ति

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उत्तराखण्ड में सरकारी विद्यालयों में शिक्षा व्यवस्था के पतन के लिए जिम्मेदार है  हुक्मरान/ -मुख्यमंत्री खण्डूडी की विधानसभा क्षेत्र में  हुए प्रकरण पर खंडूडी   का शर्मनाक मौन क्यो? -सरकारी सेवा में केवल सरकारी विद्यालय से पढ़े को मिले नियुक्ति /  गत सप्ताह मेरे पास मेरे राज्य आंदोलन के साथ श्याम प्रसाद खंतवाल ने एक चैकाने वाला पत्र दिया। पत्र प्रदेश के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी के  चुनाव क्षेत्र का है। जहां पर उनकी सरकार के कारनमों का एक ऐसा कच्चा चिट्ठा उजागर हुआ जो प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था से खिलवाड़ करने वाले हुक्मरानों का पूरा चेहरा ही बेनकाब कर देता है पत्र में क्षेत्र की जनता की तरफ से कहा गया कि हम समस्त क्षेत्रवासी आपका ध्यान जनपद पौड़ी गढ़वाल के विकास खंड जयरीखाल, ब्लाक के अंर्तगत जूनियर हाई स्कूल-असनखेत की तरफ दिलाना चाहते हैं। यहाॅ पर रबच मशीन द्वारा दिनांक 24.12.2011 को धनश्याम खंतवाल पब्लिक स्कूल तक जाने के लिए निजी सड़क बनाते हुए बिना अनुमति की सरकारी जूनियर हाई स्कूल की दीवार ही गिरा दी गयी। प्रदेश में चुनाव आचार संहिता लगने के दौरान यहां पर अनुदान द्वारा इस प्राइवेट स्क

पत्रकार चंद्रिका के हत्यारों को सजा देने की मांग

पत्रकार चंद्रिका के हत्यारों को सजा देने की मांग मध्य प्रदेश में खनन माफियाओं द्वारा की गयी पत्रकार चंद्रिका व उनके पूरे परिवार की हत्या पर दिल्ली के पत्रकार व समाजसेवी भी दिल्ली में लामबंद हो कर दोषियों को शीघ्र गिरफार कर कड़ी सी कड़ी सजा देने की मांग कर रहे है। दिल्ली में संसद की चैखट पर 21 फरवरी को राष्ट्रीय धरना स्थल पर पत्रकार देवसिंह रावत व अग्रणी समाजसेवी हरिराम तिवारी ने इस घटना की कड़ी भत्र्सना करते हुए मांग की कि अगर दोषियों को शीघ्र गिरफतार करने में प्रदेश की भाजपा सरकार असफल रहती है तो इसके खिलाफ दिल्ली में एक व्यापक आंदोलन छेड़ा। जायेगा। मजदूर नेता हरिराम तिवारी इस बात से उद्देल्लित थे कि जिस प्रकार से भ्रष्टाचारियों द्वारा देश के विभिन्न भागों में खुद को बचाने के लिए एक के बाद एक हत्यायें की जा रही है उससे पूरे देश की आम अवाम में आतंक व गुस्सा दोनो ंछाया हुआ है। श्री तिवारी ने कहा जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश में मायावती सरकार में हुए शर्मनाक घोटालों में एक के बाद एक हत्यायें हो रही है वह काफी चिंता की बात हे। उन्होंने कहा कि सरकार जहां अपराध व भ्रष्टाचार पर अंकुश तो लगा नहीं

दिल्ली नगर निगम चुनाव में उत्तराखण्डियों ने भी कसी कमर

दिल्ली नगर निगम चुनाव में उत्तराखण्डियों ने भी कसी कमर नई दिल्ली(प्याउ)। इसी साल होने वाले दिल्ली नगर निगम के चुनाव में दिल्ली में रहने वाले 30 लाख आबादी का प्रतिनिधित्व करने वाला बहुसंख्यक उत्तराखण्डी समाज भी दिल्ली नगर निगम के चुनाव में ताल ठोकेगे। दिल्ली प्रदेश की राजनीति में यहां पर बहुसंख्यक समाज व यहां के स्थापित समाज को एक प्रकार से राजनीति में ही नहीं शासन प्रशासन से दूर रखा गया हे। इसका अहसास इस बात से ही हो जाता है कि यहां पर दिल्ली सरकार में आसीन कांग्रेस सरकार में शीला दीक्षित के मत्रीण्डल में उनके अपने समाज के अलावा दिल्ली के अन्य समाज का प्रतिनिधित्व ना के बराबर है। ऐसा ही कभी भाजपा के शासनकाल में होता था। दिल्ली में दो दशकों से यहां की राजनीति में अन्य समाजों में जबसे खुद की भागेदारी की भावना जागृत हुई उसके बाद दिल्ली का राजनैतिक समीकरण बदल गया है। क्या कारण है कि 1.50 करोड़ जनसंख्या वाली दिल्ली में 30 लाख जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाले उत्तराखण्डी समाज को हाशिये में धकेला जाता है। इसके लिए जहां यहां पर दिल्ली देहात, उत्तराखण्डी, पूर्वांचली लोगों की उपेक्षा का कारण

ईरान को तबाह करने से अमेरिका को रोक पायेगा नपुंसक विश्व?

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ईरान को तबाह करने से अमेरिका को रोक पायेगा नपुंसक विश्व? -परमाणु चैधरियों की दादागिरी से सहमा विश्व! ईरान द्वारा किया गया परमाणु शक्ति प्रदर्शन के बाद अमेरिका व उनके मित्र राष्ट्र किसी भी कीमत पर अब ईरान को भी इराक, लीबिया व अफगानिस्तान की तरहज तबाह करने का मन बना चूके है। अमेरिकी मित्र किसी भी कीमत पर ईरान को अपने विरोध में सर उठाये खड़ा देखना नहीं चाहते। इस्राइल की सुरक्षा का हवाला दे कर ईरान को भी इराक व लीबिया की तर्ज पर कब्जा करके यहां के संसाधनों को जहां लूटने के लिए अपने प्यादों को यहां पर सत्तासीन किया जायेगा। यह दुनिया इराक व लीबिया पर हुए हमले की तरह ही नपुंसकों की तरह मूक रह कर विश्व सम्मान को रौंदने के इस कृत्य को देख कर अमेरिका की दया की भीख मांगेगी। इसी पखवाड़े ईरान ने अपने परमाणु रिएक्टर में पहली बार देश में ही संवर्दि्धत परमाणु ईंधन रॉड लगाने का खुद ही विश्व के समक्ष जैसे खुलाशा किया अमेरिका सहित विश्व के स्वयंभू परमाणु चैधरियों ने ईरान को धमकाते हुए उस पर प्रतिबंध लगाने का ऐलान कर दिया। जहां ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम को शांतिपूर्ण प्रयोग में लाने की बात कह रहा है वही

टीपीएस ने लगायी भाजपा व कांग्रेस की सत्तालोलुपु आशाओं पर ग्रहण

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टीपीएस ने लगायी भाजपा व कांग्रेस की सत्तालोलुपु आशाओं पर ग्रहण देहरादून(प्याउ)। भले ही उत्तराखण्ड की राजनीति में कई राष्ट्रीय दिग्गज भाजपा व कांग्रेस में दशकों से राजनीति कर रहे हों परन्तु दोनों स्थापित दलों में अपने चंद समय की राजनीति में सेना से ले. जनरल के उच्च पद से सेवानिवृत के बाद राजनीति में आये तेजपाल सिंह रावत ने जो अपनी उपस्थिति जमायी, उससे आज भाजपा व कांग्रेस दोनों की सत्तालोलुपु आशाओं पर एक प्रकार का ग्रहण सा लग गया है। आज चुनाव परिणाम 6 मार्च को आयेगे परन्तु टीपीएस को अपने पाले में लेने के लिए जहां कांग्रेस में खुली जंग नेताओं में छिडी हुई हैं वहीं भाजपा में भी अंदर खाने में टीपीएस को फिर से भाजपा के समर्थन में खडे होने के लिए लामबंदी चल रही है।     भले ही चुनाव परिणाम 6 मार्च को आयेगे परन्तु भाजपा की तरह अब कांग्रेस में भी मुख्यमंत्री के संभावित दावेदार अपने ही दल के संभावित विरोधी पर सीधे व परोक्ष रूप से वार करने से कतई हिचकिचा नहीं रहे है।  हालांकि भाजपा में तो चुनावी जंग में एक दूसरे को मुख्यरूप से खंडूडी व निशंक खेमे ने एक दूसरे की लुटिया डुबाने मे क्या कारनामे किये

शिवमहारात्रि का परम कल्याण का दिव्य रहस्य

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वन्दे उमापतिं सुरगुरुं वन्दे जगत्कारणम् । वन्दे पन्नगभूषणं मृगधरं वन्दे पशूनां पतिम् ।। वन्दे सूर्य शशाङ्क वह्निनयन वन्दे मुकुन्द प्रियम् । वन्दे भक्तजनाश्रयं च वरदं वन्दे शिवं शङ्करम् ।। शिवमहारात्रि  का  परम कल्याण का दिव्य रहस्य अनन्तकोटी ब्रहमाण्ड का कल्याणकारी हरि हर के एकारूप भगवान शिव की पावन शिवमहारात्रि पर हम उनके पावन चरणों में हरपल नमन् करते हुए अपना शेष जीवन सबके कल्याण के लिए समर्पित करने का संकल्प लें। क्योंकि भगवान शिव की सच्ची पूजा व भक्ति उपवास, देवालय में पूजन कीर्तन ही नहीं अपितु इन सबसे बड़ कर है सृष्टि में हर जड़ चेतन को शिव रूप मानते हुए उनके कल्याण के लिए भगवान शिव की तरह अपने आप को हर पल समर्पित करना। सर्वभूत्हितेरता व वासुदेव सर्वम् यानी सभी जड़ चेतन को परमेश्वर का स्वरूप मानते हुए उनका सम्मान व उनके हित में सदैव रत रहना ही सवसे बड़ी तपस्या, भक्ति व पूजा तथा यही सबसे परम् धर्म है। भगवान, अल्ला, वाहे गुरू व ईसा का नाम या पूजन करके किसी दूसरे जीव से धृणा, शोषण, दमन, हत्या व दुख देना ही सबसे बड़ा ईशद्रोह है। यही सनातन धर्म है। यही धर्म का सार है। आओ हम इसस परम सत्

देश व समाज से विश्वासघात है अन्याय को मूक सहना

देश व समाज से विश्वासघात है अन्याय को मूक सहना विरोध हमेशा नीतिगत व संस्कारित ही नहीं  सत्य पर आधारित मर्यादित होना चाहिए, जो व्यवहार हम दूसरों से अपने साथ किये जाने पर सहज ही स्वीकार नहीं कर सकते हैं उसी प्रकार का व्यवहार हमें किसी दूसरे के साथ कभी नहीं करना चाहिए। सत्य व नैतिकहीन कृत्य हमेशा मानव को पथभ्रष्ट बना कर पूरी व्यवस्था को आरजकता के गर्त में डालता है। इसी के साथ सत्य व अन्याय को निहित स्वार्थ के साथ मूक रह कर सहना भी कायरता के साथ अधर्म है। यह देश समाज के साथ विश्वासघात ही नहीं उसकी नींव पर कुठाराघात करना भी है। - देवसिंह रावत www.rawatdevsingh.blogspot.com

पत्रकार ही नहीं पत्रकार संस्थान व जनता भी जिम्मेदार है पत्रकारिता के पतन के लिए

पत्रकार ही नहीं पत्रकार संस्थान व जनता भी जिम्मेदार है पत्रकारिता के पतन के लिए  आज ईमानदार पत्रकार व निष्पक्ष लिखने वाले पत्रकार की किसी भी समाचार पत्र में कोई जगह नहीं हे। आज समाचार पत्र या चैनल का मालिक पत्रकारिता के लिए समर्पित या देश-समाज, लोकशाही, नैतिकता व जनहित की रक्षा के लिए नहीं अपितु अपना व्यापार, प्रभाव व दौलत बढ़ाने के लिए पत्रकारिता को अपना मोहरा बनाना चाहता है। ऐसी स्थिति में उसे अपने व्यवसाय व प्रभाव को बढाने वाले नेताओं, नौकरशाहों व उद्यमियों का भरपूर दोहन करने वाले चाटुकार चाहिए होता है न की निष्पक्ष लिखने वाले कलम के सिपाई पत्रकार की जरूरत होती है। अगर ऐसे व्यापारी को भय होता है कि अगर उसने सही खबरे प्रकाशित अपने समाचार संस्थान में प्रकाशित करायी तो व्यवस्था भी उसके तमाम अवैध कारोबार की कमर तोड़ सकती है। इसलिए आज पत्रकारिता में पत्रकारों की नहीं चाटुकारों व दोहन करने वालों को ही स्थान दिया जाता है। इसीकारण आज दम तोड़ चूकी व्यवस्था में भी धारदार पत्रकारिता किसी भी स्थापित समाचार जगत में नहीं दिखाई दे रही है। भ्रष्टाचार की प्रतीक सरकारी विज्ञापनों को ही अगर बंद कर दिया

खुदा का नाम हो

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खुदा करे की तुम्है ं हर एक मुकाम हासिल हो, जुबाॅं पर तेरे ऐ दोस्त सदा खुदा का नाम हो जब याद आये मेरी तो तेरे लबों पर मुस्कान हो मिले कभी भी जिन्दगी में तो हम अंजान से न हों - देवसिंह रावत (18 फरवरी 2012 प्रातः 9 बजे)

आजादी के सूर्यादय के लिए तरसता भारत

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आजादी के सूर्यादय के लिए तरसता भारत आखिर 15 अगस्त 1947 से गंगा और यमुना का कितना पानी गंगा सागर में मिल चूका है पर हम आजादी को हासिल करके के कई दशकों बाद भी, भारत आजादी के सूर्यादय के लिए दशकों बाद भी तरस रहा है भारत अपने नाम व जुबान का भी अपने ही देश में तरस रहा है। आजादी के नाम पर मिली देश को इंडिया, इंग्लिश व इंडियागेट की गुलामी  हम इतने महान आज हो गये कि भारत को भारत कहने के लिए भी अपने ही देश में तरस गये गुलामी के मोह में इतने इतने नपुंसक बन गये है हम आज भी वंदेमातरम् कहने वाले भी बच्चों को टाई पहनवा कर देशप्रेम में गुलामी का पाठ पढ़ा रहे हैं हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान का जाप करके सत्ता की चैखट पर नाक रगड़ने वाले भी इंडिया इंज साइंनिग व राइजिंग नाव कह कर अपनी पीठ खुद थपथपा रहे हैं इंडिया, इग्लिश व इंडिया गेट का गीत गा कर महारानी को सलाम ठोक रहे हैं माना फिरंगी के प्यादों ने बनाया हमे गुलाम पर स्वयं सेवक भी क्यों बन गये सियार। आज भारत को आजाद करना है इन कालनेमियों व फिरंगियों के प्यादे से भारत को जो इंडिया बोले ऐसे गुलामों से जो शहीदों की शहादत को अपम

उत्तराखण्ड में उप मुख्यमंत्री पद बनाना अव्यवहारिक व अनावश्यक है

उत्तर प्रदेश जेसे बडे राज्य में भी उप मुख्यमंत्री नहीं बनाये जाते । फिर उत्तराखण्ड जैसे छोटे व विकास के लिए तरसते हुए राज्य में उप मुख्यमंत्री पद बनाना अव्यवहारिक व अनावश्यक है। ऐसे खबरों को न कान दें व न प्रचार करें। इनकी बात पर प्रतिक्रिया करना ही इनकी मंशा को हवा देना है। प्रदेश में ऐसे कोई नेता नहीं चाहिए जो क्षेत्र, जाति व धर्म के नाम पर राजनीति करें व प्रदेश के शासन व भविष्य को तबाह करे। उत्तराखण्ड के लोगों ने उत्तराखण्ड राज्य की मांग की किसी को प्रदेश लूटने के लिए राजनीति करने के लिए। जिनको गैरसैंण राजधानी बनाने से वहां पर सुविधाओं का अभाव लगता है उनकी उत्तराखण्ड की राजनीति व शासन में एक पल की भी जरूरत नहीं है। उत्तराखण्ड के मूल हितों के खिलाफ क्षेत्रवाद व जातिवाद तथा दलगत की अंध समर्थन करने वाले उत्तराखण्ड में एक इंच भी जगह नहीं है। वे माफ करें उत्तराखण्ड को।

खंडूडी को हराने पर सोनिया बना सकती है सुरेन्द्र नेगी को मुख्यमंत्री

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खंडूडी को हराने पर सोनिया बना सकती है सुरेन्द्र नेगी  को मुख्यमंत्री प्यारा उत्तराखण्ड। कोटद्वार विधानसभा सीट से कांग्रेस के वरिष्ठ नेता व पूर्व मंत्री सुरेन्द्र सिंह नेगी ने वर्तमान मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूडी को चुनावी समर में हरा दिया तो कांग्रेस आलाकमान उनको प्रदेश का मुख्यमंत्री बना सकते है। गौरतलब हे कि कोटद्वार के 30 जनवरी को हुए चुनाव में कांग्रेस के जमीनी नेता सुरेन्द्रसिंह नेगी ने भाजपा प्रत्याशी भुवनचंद खडूडी को ऐसी कड़ी टक्कर दी कि भाजपा को पूरा चुनाव प्रचार प्रदेश के हितों व मुद्दो से हटा कर केवल खंडूडी है जरूरी का राग छेडने के लिए मजबूर होना पड़ा। हालत थी कि खण्डूडी हर हाल में यहां से विजय होने के लिए पूरा तंत्र भी जिस प्रकार से झोंका हुआ था उससे वहां जनता में भारी आक्रोश था और कई बार टकराव हुआ। शराब व धनबल का खुला दुरप्रयोग करने के अलावा यहां पर शराब के मामले में भाजपा का एक नेता भी पकड़ा गया। खुपिया सुत्र व निष्पक्ष सर्वेक्षण भी इस सीट पर खण्डूडी की जीत पर संदेह प्रकट करते हुए यहां से कांग्रेस प्रत्याशी की विजय निश्चित मान रहे है। इसी आशंका से भयभीत होकर खण्डूडी समर्थकों

महाराष्ट्र नगरपालिका चुनाव परिणाम से उजागर हुआ लोकशाही से चुनाव आयोग का मजाक

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महाराष्ट्र नगरपालिका चुनाव परिणाम से उजागर हुआ लोकशाही से चुनाव आयोग का  मजाक नई दिल्ली (प्याउ)। देश में इन दिनों 5 राज्यों के चुनाव के साथ साथ महाराष्ट्र की 9 नगरमहापालिका के चुनाव हो रहे हे। महाराष्ट्र के 9 नगर महा पालिका के चुनाव परिणाम चुनाव होने के चंद दिनों में यानी 17 फरवरी को इस समय घोषित किये जा रहे है। वहीं तीन राज्यों मणिपुर, पंजाब व उत्तराखण्ड के चुनाव एक महिने व 5 दिन तक लटकाये इस लिए जा रहे हैं कि ताकि उप्र व अन्य राज्य में होने वाले चुनाव प्रक्रिया को ये परिणाम प्रभावित न कर पाये। इससे बड़ा मजाब दूसरा क्या हो सकता हे। महाराष्ट्र महानगर पालिका के चुनाव इन छोटे राज्यों से कम महत्वपूर्ण नहीं है, आज चुनाव चाहे नगर पालिका के हों, या नगरनिगम या त्रिस्तरीय पंचायत या लोकसभा या विधानसभा के सभी जगह के परिणाम लोगों के मन को प्रभावित करते है। एक हवा बनाने का काम करते हें कि वहां लोग अमूक पार्टी के पक्ष में चल रहे हैं या लहर इस पार्टी की है। ये चुनाव परिणाम उस हवा को प्रभावित करने का काम करता है जो चुनाव आयोग के अनुसार मतदाता को प्रभावित करते हे। यदि चुनाव आयोग को इन पांच राज्यों का

प्रखर राज्यगठन आंदोलनकारी मनमोहन तिवारी की पावन स्मृति को शतः शतः नमन्

प्रखर राज्यगठन आंदोलनकारी मनमोहन तिवारी की पावन स्मृति को शतः शतः नमन् उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के प्रखर आंदोलनकारी मनमोहन पाठक नहीं रहे। 15 फरवरी की प्रातः जेसे ही मैने फेसबुक को खोल कर अपने मित्रों के संदेश पढ़ना शुरू किया तो, मुझे हल्द्वानी से अधिवक्ता चन्द्र शेखर करगती का मनमोहन तिवारी के आकस्मिक देहान्त की खबर पढ़ कर सन्न रह गया। 40 साल की उम्र में ही नैनीताल हाईकोर्ट में वकालत करने वाले मनमोहन तिवारी राज्य गठन जनांदोलन के प्रारम्भिक दिनों जब हमारा अनिश्चित कालीन धरना संसद की चैखट जंतर मंतर पर चल रहा था, उस समय वे कुमाऊं विश्वविद्यालय के छात्र नेता तरूण पंत के साथ मोहन पाठक व मोहन तिवारी भी पंहुचे थे। इसी दौरान उन्होंने संसद की दर्शक दीर्घा से उत्तराखण्ड राज्य गठन के समर्थन में नारे लगा कर इस आंदोलन को मजबूती दी। इस प्रकरण में वे जेल भी गये। 1994 में ये घटना हुई। मुझे मालुम है कि संसद में नारेबाजी करना कितना, साहसिक कार्य होता है, मैने भी खुद देश को अंग्रेजियत की गुलामी से मुक्ति के लिए 21 अप्रेल 1989 को जिस दिन कर्नाटक की हैगड़े सरकार को बर्खाश्त करके वहां पर राष्ट्रपति शासन ल

भारत की तरह नपुंसक बैठकर नहीं अपितु आतंकियों को मुहतोड़ जवाब देगा इस्राइल

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-भारत की तरह नपुंसक बैठकर नहीं अपितु आतंकियों को मुहतोड़ जवाब देगा इस्राइल -ईरान के लिए ताबूत की कील साबित होगी कार विस्फोट प्रकरण दिल्ली व जार्जिया में इसी सप्ताह सोमवार को हुए हमले के बाद इस्राइल व ईरान के बीच सम्बंध बहुत ही खतरनाक मौड़ में पहुंच गये है। इस घटना से पहले ही ईरान द्वारा परमाणु अस्त्रों के निर्माण के कारण तनावपूर्ण स्थिति में पंहुचे सम्बंधों की विस्फोटक स्थिति में पंहुचने की आषंका से पूरा संसार सहमा हुआ है। गौरतलब है कि इस्राइल कोई भारत जैसा देष नहीं कि जिस पर कोई भी आतंकी हमला करे व वह मात्र दोशी का नाम ले कर मूक हो जाये। इस्राइल अपने गुनाहगारों को वह संसार के किसी भी कौने में कहीं भी छिपे हों उनको उनकी मांद में मारने का काम करने के लिए विख्यात है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इस्राइल ने अपने एक सिपाई को बधक बनाये जाने पर फिलिस्तीन की ईट से ईंट बजा दी थी, दूसरी तरफ भारत की सर्वोच्च सदन संसद पर पाक के हमले के बाद भी नपुंसकों की तरह विधवा विलाप करता रहा है। इसी नपुंसकता को देख कर पाक व अमेरिकी परस्त आतंकियों ने संसद, लालकिला, मुम्बई, अक्षर धाम सहित देष की राजधानी

19 वर्शीय किरण नेगी के अपहरण के विरोध में जंतर मंतर पर उत्तराखण्डियों का विरोध प्रदर्षन

19 वर्शीय किरण नेगी के अपहरण के विरोध में जंतर मंतर पर उत्तराखण्डियों का विरोध प्रदर्षन दिल्ली पुलिस के नक्कारेपन से आक्रोषित जनता नई दिल्ली(प्याउ)। अज्ञात लोगों द्वारा 9 फरवरी को  अगवा की गयी उत्तराखण्ड मूल की 19 वर्शीय किरण नेगी का पांच दिन गुजर जाने के बाद भी सुराग पाने मे दिल्ली पुलिस के नक्कारापन्न को देख कर आक्रोषित लोगों ने राश्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर 13 फरवरी की सांय 6 बजे मोमबती जला कर विरोध मार्च किया। वहीं दूसरी तरफ अपुश्ट सुत्रों के अनुसार दिल्ली पुलिस इस अपहरण को सुलझाने के लिए कई दस्ते बना कर पूरे प्रकरण को सुलझाने में दिन रात लगी है। इस प्रकरण के विरोध में नजफगढ़ क्षेत्र की आम जनता की अगुवायी में संसद के समीप हुए इस विरोध प्रदर्षन में जहां बड़ी संख्या में उत्तराखण्डी समाज के अग्रणी समाजसेवियों, राजनेताओं, पत्रकारों के साथ दिल्ली के प्रबुद्वजनों ने भाग लिया। प्रदर्षनकारी जहां दिल्ली पुलिस द्वारा 5 दिन बीत जाने के बाबजूद अपराधियों व अगुवा की गयी लड़की का सुराख तक न निकाल पाने के लिए दिल्ली पुलिस हाय हाय और गृहमंत्री व दिल्ली की मुख्यमंत्री के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रह

संघ पर ग्रहण लग गया है नेतृत्व का सत्तालोलुपु सजातीयता नेताओं से अंध मोह

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-संघ पर ग्रहण लग गया है नेतृत्व का सत्तालोलुपु सजातीयता नेताओं से अंध मोह  -खंडूडी व निषंक की खुली जंग ने गुनाहगार है संघ व भाजपा आला नेतृत्व गुटवाजी से अधिक खतरनाक भाजपा में चल रही जातिवादी प्रवृति को क्यों नजरांदोज कर रहा है संघ प्यारा उत्तराखण्ड। सुना है कि इन दिनो उत्तराखण्ड में खंडूडी व निषंक गुटों में हो रही आत्मघाति सियासी जंग के कारण प्रदेष विधानसभा चुनाव में डूबचूकी भाजपा की नौका की आषंका से भयभीत हो कर भाजपा की मातृ संगठन संघ के कर्णधारों की कुम्भकर्णी नींद टूट गयी है। संघ ने अपने विष्वस्थ स्वयंसेवकों को प्रदेष की गुटवाजी से त्रस्त पार्टी को फिर पटरी पर लाने के लिए विषेश अभियान षुरू करा ही दिया है। परन्तु प्रदेष भाजपा की वर्तमान षर्मनाक स्थिति को देख कर इसके षर्मनाक पतन पर करीब से नजर रखने वाले इसके लिए प्रदेष भाजपा के बौने नेतृत्व से अधिक खुद संघ व भाजपा के केन्द्रीय नेत्त्व को जिम्मेदार मान रहे है। अगर समय पर संघ व भाजपा नेतृत्व प्रदेष में जातिवादी मानसिकता के बौने नेतृत्व को स्थापित करने व उनकी इस जातिवादी मानसिकता पर अंकुष लगाता तो आज भाजपा पर ऐसा कलंक नहीं लगता। सवाल

30 जनवरी के बाद के जारी पोस्टल मतदान पत्र होंगे निरस्त

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30 जनवरी के बाद के जारी पोस्टल मतदान पत्र होंगे निरस्त उत्तराखण्ड में राजनैतिक तिकड़मियों द्वारा भारी मतदान से घबरा कर, अपनी हार को जीत में बदलने के लिए डाकमत पत्रों को दुरप्रयोग करने की खबर आ रही है, उस पर सर्वोच्च न्यायालय के वरिश्ठ अधिवक्ता व उत्तराखण्ड में भाजपा की भ्रश्ट सरकार के स्टर्जिया सहित कई प्रकरणों को उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में बेनकाब करने वाले अवतार सिंह रावत ने प्यारा उत्तराखण्ड से एक विषेशवार्ता में दो टूक षब्दों में कहा कि प्रदेष मे विधानसभा के लिए हुए मतदान के दिन 30 जनवरी को ही जारी हुए डाकपत्र मतदान पत्र ही सही माने जा सकते है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद बनाये जनप्रतिनिधी चयन कानून बनाते समय कानूनविदों को इस बात का भान भी नहीं था कि भविश्य में इस प्रकार की विषेश परिस्थितियां आ सकती है कि जिसमें मतदान के एक महिने से अधिक समय तक चुनाव परिणाम घोशित नहीं किये गये। सामान्य स्थिति में जहां पोस्टल मतदान को मतगणना के दिन तक मतगणना केन्द्र तक पंहुचने पर मतगणना में सम्मलित करने की इजाजत देता है।  परन्तु अब मणिपुर, उत्तराखण्ड व पंजाब जेसे राज्यों में जहां मतदान 3

तिवारी व उनके प्यादों से लोकषाही व भारतीय संस्कृति को कलंकित होने से बचाये कांग्रेस

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तिवारी व उनके प्यादों से लोकषाही व भारतीय संस्कृति को कलंकित होने से बचाये कांग्रेस / बेषर्मी की हद कर तिवारी को स्टार प्रचारक बनाने की मांग करके / देहरादून(प्याउ)। एक तरफ कांग्रेस कर्नाटक की भाजपा सरकार के तीन मंत्रीयों के कुकर्मो का कड़ी भत्र्सना करके उप्र के चुनावी जंग में बढ़त हासिल करने में दिन रात जुटी हुई है वहीं दूसरी तरफ उत्तराखण्ड में अपनी कुकृत्य व कुषासन से उत्तराखण्ड की धरती को ही नहीं हेदारबाद राजनिवास को षर्मसार करने वाले नारायणदत्त तिवारी को फिर से उप्र के चुनावों में स्टार प्रचार बनाने की उनको बर्बादी की गर्त में धकेलने के लिए दोशी माने जाने वाले निहित स्वार्थी लोग कर रहे है। यह तो कांग्रेस आला नेतृत्व की बुद्विमता रही कि उप्र व उत्तराखण्ड में अपने कुषासन व इन्हीं प्रकार की बेषर्म कृत्यों से कांग्रेस को पतन के गर्त में धकेलने वाले तिवारी से राज्यपाल की गरीमा को हेदारबाद प्रकरण से कलंकित करने के बाद तिवारी से एक प्रकार से कोई संवाद तक स्थापित नहीं किया। यह आला नेतृत्व का साहसिक निर्णय रहा जिसके भय से उत्तराखण्ड सहित तमाम निहित स्वार्थी कांग्रेसियों को भी दिन के उजाले व