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Showing posts from May, 2012
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सन्यास ले या रामजन्मभूमि अवतार ले आडवाणी -अटल बनने की अंधी ललक रही आडवाणी के पतन का कारण -भाजपा की दुर्दशा के लिए आडवाणी भी कम जिम्मेदार नहीं,  -गोविन्दाचार्य को नेतृत्व सोंपे संघ, गडकरी भी पूरी तरह असफल  भले ही पार्टी में अपने आप को अपमानजनक ढंग से अलग थलग किये जाने व संघ-भाजपा में अपने शागिर्द नरेन्द्र मोदी को प्रमुखता दिये जाने से आहत  कभी भाजपा के शिखर पुरूष रहे लालकृष्ण आडवाणी ने इस सप्ताह मुम्बई बैठक से आहत हो कर अपनी पीड़ा को अपने ब्लाग में परोक्ष रूप से इजहार करने की तह में अगर हम जायें तो हम पायेगे कि जिस भाजपा के अटल से अधिक संगठन को मजबूत करने वाले शिखर नेता की तौर पर सम्मानित व प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदार के रूप में कई सालों से पार्टी के मुख रहे लालकृष्ण आडवाणी ही आज संघ व पार्टी की नजरों में उपेक्षित होने के लिए खुद ही जिम्मेदार हें। पार्टी के वरिष्ट व जमीनी नेताओं के बजाय अपनी चैकड़ी डी फोर को प्रमुखता दे कर आडवाणी ने जहां  पार्टी में लोकशाही का गला घोंटा वहीं समर्पित कार्यकत्र्ताओं में भारी निराश किया। पूरे देश में सौगन्ध राम की खाते हैं मंदिर वहीं बनायेगे व
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भाजपा की तरह टीम अण्णा को भी लगा डी फोर का ग्रहण 2014 में कांग्रेस होगी सत्ता से बाहर, भाजपा बनेगी तीसरे मोर्चे की सरकार की कहार एक तरफ भारत में मनमोहन सिंह की जनविरोधी सरकार के मंहगाई व कुशासन के खिलाफ पूरे देश में विरोधी व समर्थक दल के कई घटकों के भारत बंद चल रहा है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका में भाजपा के वरिष्ट नेता यशवत सिंन्हा भाजपा की 2014 में ताजपोशी के लिए अमेरिका में भी समर्थन जुटाने में लगे हुए है। अभी मेरे अमेरिकी मित्र रयाला जी ने फेस बुक के द्वारा बताया कि भाजपा के नेता यशवंत सिन्हा अमेरिका डीसी के मिनेरवा रेस्टोरेंट में भाजपा समर्थकों के साथ आगामी 2014 में भाजपा के बढ़ते प्रभाव के बारे में बता रहे है। करीब 100 करीब लोग हैं मेरा मित्र जो अमेरिका में उच्च पद पर आसीन है वो भी उनमें से एक है।  मेने उनको सलाह दी कि यशवंत सिन्हा से पूछा कि उनकी पार्टी 2014 में तीसरे मोर्चे में नितीश कुमार को प्रधानमंत्री बनाने के लिए समर्थन देंगे या किसी अन्य को। क्योंकि 2014 में कांग्रेस को तो जनता उसके कुशासन के लिए सत्ता से बेदखल कर देगी, भाजपा को तो उसमें दशकों से काबिज गु्रप फोर व मो
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बहुत याद आये मुझे बिछुडे हुए साथी बहुत याद आये मुझे बिछुडे हुए साथी कदम न मिले न मिले दिल किसी से बहुत याद आये मुझे रूठे हुए साथी।। हमारी नसीबी हो या कहो बदनसीबी हमसे बिछुड गये इस सफर के साथी कुछ हमसे खता हुई कुछ हुई हो उनसे दोस्ती का दामन भी छिटक गया हमसे जीवन है जग में बेगाने सफर का मेला इस जग मेले में मिलते बिछुडते हैं साथी सुनायें किसे अब हाल दिल का अपना ना वो साथी रहे न जग ही रहा अपना।। वो हंसी के फुव्वारे वो नयनों के सावन वो मिल कर जीवन को हसंते हुए जीना।। दुनिया की जन्नत भी बन जाती जन्नुम जब बिछुड जाये जग से सच्चे संगी साथी।। -देवसिंह रावत(28 मई 2012 दोपहर 12 बजे)
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मनमोहन को हटा कर देश व कांग्रेसी की रक्षा करें सोनिया 
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खुदगर्ज हुक्मरानों के कारण जंगल राज में तब्दील हो गया उप्र व उत्तराखण्ड 28 मई को गंगा यमुना व भारतीय संस्कृति की आत्मा समझे जाने वाले उत्तराखण्ड व उत्तर प्रदेश दोनों की विधानसभा में जो हो हल्ला हुआ उससे विधानसभा एक दिन के लिए स्थगित कर दी  गयी। दोनों प्रदेश जो कुछ समय पहले तक एक ही थे। जिनकी संस्कृति गंगा यमुना की संस्कृति के रूप में एक ही है। दोनों को अलग होने के बाबजूद एक सा ही वर्तमान है। वह है दोनों प्रदेश आज देश के सबसे भ्रष्टत्तम राज्य बने हुए है। यह नम्बर कभी लालू शासनकाल के दौरान बिहार का होता था वह आज उप्र व उत्तराखण्ड का है। जहां उत्तर प्रदेश व उत्तराखण्ड की यह हालत के लिए अगर दोषी हैं तो कांग्रेस, भाजपा, सपा व बसपा। जिन्होंने अपने जनविरोधी व लोकशाही को लुटशाही बनाने के ऐजेन्डे में काम कर भारतीय संस्कृति के इस हृदय प्रदेशों को भ्रष्टाचार व पतन का गटर बना दिया। उत्तर प्रदेश में पतन का दुर्भाग्यशाली इतिहास भी उसी एनडी तिवारी के कुशासन से प्रारम्भ हुआ जिनके कुशासन से नवोदित राज्य उत्तराखण्ड की जड़ों में भ्रष्टाचार रूपि मट्ठा उडेल दिया गया। इसके बाद भाजपा ने कोई कसर नहीं छोड़ी
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आईपीएल व बाॅलीवुड के गुलामों ने निकाला राजनेताओं व न्यायपालिका की तरह भारतीय लोकशाही व स्वाभिमान का जनाजा क्रिकेट के अन्य मैचों में विजय की तरह ही आइ्रपीएल-5 में विजय के बाद जिस प्रकार से शराब की बोतलो को लहरा कर और एक दूसरे के सिर पर उडेल कर अपनी खुशी इजहार कर रहे थे। यह कहीं दूर दूर तक भारतीय संस्कृति के अनरूप नहीं है। इस विजयी जश्न से कहीं ऐसा नहीं लग रहा था कि यह विजय किसी भारतीय टीम या भू भाग की है। भारतीय संस्कृति में गंगा जल या पुष्प या अक्षत उडेल कर खुशी को प्रदर्शित किया जाता है परन्तु शराब उडेल कर जश्न मनाना न केवल भारतीय संस्कृति अपितु मानवीय संस्कृति का भी अपमान है। शराब को उडेलकर खुशी के क्षणों में एक दूसरे के उपर शराब को उडेल कर डालना पाश्चात जगत की गलत परंपरा है उसको अंधा अनुशरण करके उसे भारतीय परिवेश में भी आत्मसात करने वालों को न तो तनिक शर्म आयी व नहीं उनको इसका कहीं दूर तक भान तक होगा। भारतीय क्रिकेट बोर्ड या आईपीएल मेच में तो वेसे भी भारतीय संस्कृति, भारतीय भाषा और भारतीय संस्कारों को दफन करने का धृर्णित कृत्य इस देश की धरती में करने का दुशाहस किया जाता रहा ह
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350 साल बाद न्यूटन की पहेली को हल कर 16वर्षीय शौर्य रे ने फेहराया विश्व में भारतीय मेधा का परचम भारतीय प्रतिभा का लोहा सदियों से इस संसार के आम जनता ने ही नहीं अपितु विश्व के चोटी के वैज्ञानिकों ने माना। शून्य की खोज से लेकर न्यूटन की पहली को हल करने वाली भारतीय मेधा के आगे पूरा विश्व नतमस्तक है। इसी सप्ताह 26 मई को भी जर्मन में अध्यनरत 16 वर्षीय भारतीय  छात्र शौर्य रे 350 साल से अनसुलझी विश्व के महान गणितज्ञ न्यूटन की पहेली का हल करके पूरे विश्व के गणितज्ञ व वैज्ञानिकों को अचंभित कर दिया।  प्रख्यात गणितज्ञ और भौतिकविद सर आइजैक न्यूटन की एक पहेली को सुलझा कर गणितज्ञों को हैरान कर दिया है। यह पहेली 350 वर्षो से अधिक समय से गणितज्ञों के लिए अबूझ थी। विश्व विख्यात  बीबीसी ने शौर्य की उपलब्धी पर टिप्पणी करते हुए समाचार प्रकाशित किया कि ‘न्यूटन की गणित की जिस उलझी गुत्थी को बड़े-बड़े महारथी 350 साल में नहीं सुलझा सके, उसे 16 साल के एक भारतीय विद्यार्थी ने चुटकी में हल करके दिखा दिया है. ’।  वहीं ब्रिटिश अखबार डेली मेल के अनुसार, 16 वर्षीय रे ने न्यूटन की फंडामेंटल पार्टिकल डायनमिक की
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अमेरिका व सोनिया के आंखों के तारे मनमोहन सरकार के कुशासन से देश में हाहाकार भले ही सोनिया गांधी के नेतृत्व वाली सप्रंग सरकार की दूसरी पारी का जश्न प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व उनके सांसद मना रहे हों परन्तु देश में इस मनमोहनी कुशासन से हाहाका र मचा हुआ है। भले ही सप्रंग सरकार की मुखिया का मोह भंग इस कुशासन के प्रतीक मनमोहन सिंह से न हो परन्तु 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में देश की सत्ता से देश की जनता इसको उतार फेंकने के लिए कमर कसे हुए है। इसकी एक झलक टुडेज चाणक्य ने यूपीए सरकार को आज के दिन चुनाव होने पर केवल 100 सीटें मिलने की भविष्यवाणी से भी किया। यही भविष्यवाणी प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र में कई महिने पहले से मैं कर रहा हॅू कि 2014 में होने वाले चुनाव में कांग्रेस ही नहीं भाजपा भी देश की सत्ता में नहीं होगी व नहीं मुलायमसिंह देश की बागडोर संभालेगा। मनमोहन सिंह सरकार की हालत किस कदर देश की आम जनता की नजरों में पतली है इसका सहज अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री द्वारा तीन साल पूरे होने के जश्न में दी गये भोज में समर्थक दलों के मठाधीशों ने आना ही अपनी शान के ख
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समाज व प्रदेश के हितों को रौंदने वाले तमाम उत्तराखण्डी  नेताओं से कहीं बेहतर हैं किरण मंडल भले ही आज भाजपा सहित उत्तराखण्ड की मीडिया व आम जनता सितारगंज के भाजपा विधायक किरण मंडल द्वारा विधायक पद से इस्तीफा दे कर कांग्रेस में सम्मलित होने की निंदा व अनैतिक बता रहे हों, परन्तु किरण मंडल ने वो काम किया जो नित्यानन्द स्वामी, भगतसिंह कोश्यारी, नारायणदत्त तिवारी, भुवनचंद खण्डूडी , रमेश पोखरियाल निशंक व विजय बहुगुणा जैसे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर आसीन नेता तथा मुरली मनोहर, हरीश रावत, सतपाल महाराज, के सी पंत जैसे राष्ट्रीय पटल पर अपना परमच फेहराने वाले उत्तराखण्डी नेता नहीं कर पाये। भाजपा की विधायकी टिकट पर विजयी रहे किरण मंडल ने भले ही अपनी सीट को प्रदेश के कांग्रेसी मुख्यमंत्री बिजय बहुगुणा के लिए अपनी विधायकी से त्यागपत्र दे दिया है। इस प्रकरण के लिए लोग भले ही इसके लिए भारी दौलत व प्रलोभनों में फंसने के लिए उनकी आलौचना करे। परन्तु सितार गंज के वे लोग जो उसके समाज से हैं, आज पूरी तरह से किरण मंडल के साथ मजबूती ही तरह खडे है। खडे क्यों न हो किरण मंडल ने अपने बंगाली समाज की दशकों पुरा
सचिव नहीं भारत रत्न के असली हकदार है अच्युत सामंत आनन्द कुमार व श्रीधरन देश के राजनेताओं व बुद्धिजीवि, इन दिनों सचिन सहित कई प्रतिष्ठित व्यक्तियों को भारत रत्न देने की पुरजोर मांग उठा रहे है। परन्तु आज के समाज में कुछ ऐसे महान सपूत हैं जिन ... ्होंने अपने कार्यो से देश के लोगों को नयी प्रेरणा दी। इनमें उडिसा के कलिंगा इस्टीटयूट के अच्युत सामंत प्रमुख है। जिन्होंने 15 हजार गरीब आदिवासी बच्चों को निशुल्क पहली से महाविद्यालय की सआवासीय शिक्षा प्रदान कर उनके परिजनों को भी सबल कर रहे है। जो पांच वर्ष की उम्र में पिता की मौत के बाद सब्जी बेच कर एमएससी पढ़ कर संसार का सबसे बडा दूरस्थ विश्वविद्यालय बना चूके है। इस साल की विज्ञान कांग्रेस उन्हीं के इस भव्य शिक्षा मंदिर में हुई। हालांकि बिहार के सुपर 30 के आनन्द कुमार व मेट्रो मेन श्रीधरन भी महान प्रेरणा के पूंज है। जिनको सरकार व समाज को अपना अग्रणी व प्रेरणादायक सम्मान देना चाहिए। भारत के शासकों व बुद्धिजीवियों में जरा सी बुद्धि होती तो वे इनको भारत रत्न दे कर समाज में सकारात्मक प्रेरणा देते। परन्तु सत्ता में तो आज सौदागरों
ममता बनर्जी का विरोध  छवि बनाने का हथकण्डा या जनहित समर्पित नेत्री ममता बनर्जी द्वारा अपने की दल के रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी द्वारा प्रस्तुत रेल बजट 2012 में की गयी रेल यात्री किराये में बृद्धि का प्रखर विरोध कर मनमोहनी सरकार को कटघरे में खड़ा करने के साथ-साथ जनता के बीच अपनी जनकल्याणकारी नेत्री की छवि बनाने में कामयाब हुई। परन्तु इस प्रकरण में दो बाते बहुत ही रहस्यमय लग रही है। इसका पहला कारण यह है कि यह रेल बजट खुद ममता बनर्जी की पार्टी तुणमूल कांग्रेस के कोटे से मंत्री बने दिनेश त्रिवेदी द्वारा  रेल बजट 2012 को प्रस्तुत किया गया। यह बात भी गले नहीं उतर रही है कि जिस ममता बनर्जी के तैवरों से आम आदमी आशंकित रहता है, उसी ममता बनर्जी की पार्टी का संासद सं मंत्री बना दिनेश त्रिवेदी ममता के व्यवहार से किस प्र कार अनविज्ञ रह सकता है। जबकि ममता बनर्जी खुद कई बार इस बात का ऐलान कर चूकी थी कि रेल किराया की बढ़ोतरी किसी कीमत पर स्वीकार नहीं की जायेगी। इस प्रवृति का जानकार मंत्री त्रिवेदी क्यों बंगाल की शेरनी को क्यों नाराज करेगे। आज इस बात का सुखद आश्चर्य है कि जनविरोधी राजनीति में ममता बन

संवैधानिक पदों पर दागदार छवि के लोगों को आसीन न करें बहुगुणा

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संवैधानिक पदों पर दागदार छवि के लोगों को आसीन न करें बहुगुणा  उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद यह प्रदेश का दुर्भाग्य रहा कि यहां पर प्रदेश के प्रतिभावान व प्रदेश के लिए समर्पित साफ छवि के व्यक्तियों के बजाय, अपने संकीर्ण निहित स्वार्थ पूर्ति के लिए अपने प्यादों को प्रदेश के महत्वपूर्ण संवैधानिक पदों पर आसीन किया जाता रहा। इससे प्रदेश के हितों पर जहां कुठाराघात हुआ वहीं प्रदेश की दिशा बद से बदतर हो गयी। प्रदेश में भ्रष्टाचार की गर्त में धकेलने का सबसे बड़ा यही कारण रहा है। इसी पतन से सबक ले कर विजय बहुगुणा सरकार को अपनी पूर्ववर्ती सरकारों की भयंकर भूल से सबक ले कर प्रदेश के हित की रक्षा में प्रदेश के संवैधानिक पदों पर योग्य व साफ छवि के उत्तराखण्ड के लिए समर्पित ईमानदार व्यक्तियों को आसीन करना चाहिए। कम से कम ऐसे व्यक्तियों को प्रदेश के महाधिवक्ता पद पर आसीन न किया जाय जिनका न्यायिक आचार ही सीबीआई व आईबी की नजरों में सम्मानजनक न हो। सुत्रों के अनुसार हाल में जिस प्रकार से बहुगुणा सरकार में प्रदेश में सबसे महत्वपूर्ण समझे जाने वाले महाधिवक्ता पद के लिए जिस प्रकार से ऐसे व्यक्ति का नाम
उत्तराखण्ड का अपमान करने से बाज आये बहुगुणा सोनिया गांधी मांगे उत्तराखण्डियों से माफी परिसम्पतियों के बंटवारे के लिए उत्तर प्रदेश से उत्तराखण्ड का हक मांगने इस सप्ताह उत्तर प्रदेश गये उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा द्वारा दिया गया बहुत ही शर्मनाक बयान कि ‘मै उत्तराखण्ड का पंडित हॅू बडे भाई उप्र से भीख मांगने आया हॅू ’कहना   स्वाभिमानी सवा करोड़ उत्तराखण्डियों का ही नहीं अपितु उत्तराखण्ड राज्य गठन के लिए शहीद हुए आंदोलनकारियों की शहादत का भी अपमान है। इसके लिए कांग्रेस आला कमान उत्तराखण्डी जनता से माफी मांगे कि उन्होंने विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना कर न केवल उत्तराखण्ड की लोकशाही अपितु उत्तराखण्ड के स्वाभिमान को रौंदने का काम किया है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को भले ही उनकी जाति के कारण ही मुख्यमंत्री पद पर कांग्रेस के संकीर्ण जातिवादी सोनिया के दरवारियों ने बनाया हो परन्तु मुख्यमंत्री की शपथ लेने के बाद वे जाति व क्षेत्र से उपर उठ कर सारे प्रदेश के मुख्यमंत्री है, उनका अपने आप को ब्राहमण बताना उत्तराखण्ड की लोकशाही का अपमान है। बहुगुणा के इस कथन को दैनिक जागरण ने प्रमुखत

बांधों, बांघों व पार्को के लिए उत्तराखण्ड को उजाडने की इजाजत किसी को नहीं

बांधों, बांघों व पार्को के लिए उत्तराखण्ड को उजाडने की इजाजत किसी को नहीं भारतीयता को उत्तराखण्ड से अलग करके देखने वाले ही भारतीय संस्कृति के मर्म को नहीं समझ पाये है। उत्तराखण्ड समाधान खण्ड है। जहां अनादिकाल से इस सृष्टि के तमाम समस्याओं का समाधान इस सृष्टि को मिला। देवताओं को ही नहीं रिषी मुनियों व मानवों को ही नहीं स्वयं भगवान की भी यह तपस्थली रही है। इसलिए उत्तराखण्डियों को अलगाववाद की दृष्टि से देखने वाले न तो भारतीयता को जान पाये तो उत्तराखण्ड को कहां पहचान पायेंग े। उत्तराखण्ड से तो हम भू माफियाओं, लोकशाही के गला घोंटने वालों व यहां के संसाधनों को लूटने के उदेश्य से यहां पर कालनेमी की तरह घुसपेट करने वालों से दूर रखना चाहते है। इस पर किसी को मिर्ची लगती है तो उसको हमारे पास राम राम कहने के अलावा कोई इलाज व जवाब नहीं है। एक बात देश के हुक्मरानों व यहां के शासकों को ध्यान में रखना चाहिये कि उत्तराखण्ड पावन देवभूमि है यहां पर संसाधनों को लुटने व लुटाने के लिए बांधों, बाघों व अभ्याहरणों-पार्को से यहां के वासियों को बलात उजाडने की धृष्ठता करने की कोई इजाजत किसी भी कीमत पर नहीं दी ज

सोनिया का नहीं यह है उत्तराखण्ड के जनादेश का हुआ अपमान

भाजपा की तरह उत्तराखण्ड के जनादेश का बार-बार अपमान कर रही है कांग्रेस सोनिया का नहीं यह है उत्तराखण्ड के जनादेश का हुआ अपमान प्यारा उत्तराखण्ड की विशेष रिपोर्ट- कांग्रेसी सुत्रों के अनुसार सोनिया गांधी इन दिनों काफी आहत है। वह उत्तराखण्डी  नेताओं द्वारा विधानसभा चुनाव के बाद बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाये जाने का विरोध करने वाले कांग्रेसी नेताओं के विद्रोह से काफी आहत है। पर हकीकत यह है कि हाल में सम्पन्न हुए उत्तराखण्ड की विधानसभा चुनाव परिणामों के बाद जिस प्रकार से कांग्रेस आला नेतृत्व द्वारा विजय बहुगुणा को प्रदेश के बहुसंख्यक विधायकों की इच्छा के खिलाफ मुख्यमंत्री के पद पर थोपा गया। उससे प्रदेश की जनता अपने को अपमानित महसूस कर रही है। खासकर जिस जनता ने कांग्रेस आला नेतृत्व पर विश्वास करके प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा के कुशासन से मुक्ति की आश से कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता में आसीन करने के लिए जनादेश दिया। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस अपनी इस हिमालयी आत्मघाती भूल पर गंभीर चिंतन करने व उसमें सुधार करके जनादेश का सम्मान करने के बजाय ऐसा प्रचार कर रही है कि मुख्यमंत्री को थोपे जाने का जो भार
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उत्तराखण्ड किसी की जागीर नहीं है बहुगुणा जी बहुगुणा जी कहीं से भी विधानसभा का सदस्य बने यह उनका अपना अधिकार व पसंद की बात है। परन्तु अपनी सीट जीतने के लिए वे उत्तराखण्ड की लोकशाही व नैतिक मूल्यों को दाव पर लगायें यह किसी भी सम्मानित उत्तराखण्डी को एक पल के लिए भी स्वीकार नहीं है। आज कल अफवाह है कि वे सितारगंज से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और इसके लिए भाजपा का विधायक किरण मण्डल उनके  लिए अपनी सीट कुर्वान करने के लिए मन बना चूका है। चर्चा इस बात की भी है इस क्षेत्र में हजारों लोग जो सरकारी जमीन पर बलात कब्जा करके बेठे हैं उनको यह कब्जा अवैध से वैध घोषित किया जायेगा। अगर इस शर्त या प्रलोभन पर विजय बहुगुणा कभी अपने आप को उत्तराखण्डी के बजाय बंगाली ब्राहमण बताना श्रेयकर समझ रहे हों या प्रदेश की जमीन पर बलात कब्जे को अपनी कुर्सी के लिए कुर्वान करना चाहते हैं तो यह उत्तराखण्डी जनता को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं। प्रदेश के हक हकूकों की रक्षा के लिए उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था ना की इनको लुटाने के लिए।
उत्तराखण्ड किसी की जागीर नहीं है बहुगुणा जी बहुगुणा जी कहीं से भी विधानसभा का सदस्य बने यह उनका अपना अधिकार व पसंद की बात है। परन्तु अपनी सीट जीतने के लिए वे उत्तराखण्ड की लोकशाही व नैतिक मूल्यों को दाव पर लगायें यह किसी भी सम्मानित उत्तराखण्डी को एक पल के लिए भी स्वीकार नहीं है। आज कल अफवाह है कि वे सितारगंज से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और इसके लिए भाजपा का विधायक किरण मण्डल उनके  लिए अपनी सीट कुर्वान करने के लिए मन बना चूका है। चर्चा इस बात की भी है इस क्षेत्र में हजारों लोग जो सरकारी जमीन पर बलात कब्जा करके बेठे हैं उनको यह कब्जा अवैध से वैध घोषित किया जायेगा। अगर इस शर्त या प्रलोभन पर विजय बहुगुणा कभी अपने आप को उत्तराखण्डी के बजाय बंगाली ब्राहमण बताना श्रेयकर समझ रहे हों या प्रदेश की जमीन पर बलात कब्जे को अपनी कुर्सी के लिए कुर्वान करना चाहते हैं तो यह उत्तराखण्डी जनता को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं। प्रदेश के हक हकूकों की रक्षा के लिए उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था ना की इनको लुटाने के लिए।
उत्तराखण्ड किसी की जागीर नहीं है बहुगुणा जी बहुगुणा जी कहीं से भी विधानसभा का सदस्य बने यह उनका अपना अधिकार व पसंद की बात है। परन्तु अपनी सीट जीतने के लिए वे उत्तराखण्ड की लोकशाही व नैतिक मूल्यों को दाव पर लगायें यह किसी भी सम्मानित उत्तराखण्डी को एक पल के लिए भी स्वीकार नहीं है। आज कल अफवाह है कि वे सितारगंज से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं और इसके लिए भाजपा का विधायक किरण मण्डल उनके लिए अपनी सीट कुर्वान करने के लिए मन बना चूका है। चर्चा इस बात की भी है इस क्षेत्र में हजारों लोग जो सरकारी जमीन पर कई सालों से बलात कब्जा करके बेठे हैं उनको यह कब्जा अवैध से वैध घोषित किया जायेगा। अगर इस शर्त या प्रलोभन पर विजय बहुगुणा कभी अपने आप को उत्तराखण्डी के बजाय बंगाली ब्राहमण बताना श्रेयकर समझ रहे हों या प्रदेश की जमीन पर बलात कब्जे को अपनी कुर्सी के लिए कुर्वान करना चाहते हैं तो यह उत्तराखण्डी जनता को किसी कीमत पर स्वीकार नहीं। प्रदेश के हक हकूकों की रक्षा के लिए उत्तराखण्ड राज्य का गठन किया गया था ना की इनको लुटाने के लिए।
-खण्डूडी के बजाय किसी कमजोर प्रत्याशी को उतार कर बिजय बहुगुणा को विधानसभा में पंहुचाने का काम करेगी क्या भाजपा ? क्या सितार गंज से लडेंगे बिजय बहुगुणा क्या प्रदेश के मुख्यमंत्री बिजय बहुगुणा के खिलाफ भाजपा प्रदेश के आम पार्टी कार्यकर्ताओं की मांग का सम्मान करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खण्डूडी को विधानसभा उपचुनाव में मैदान में उतारेगी भाजपा? यह सवाल सभी के दिमाग में क्रेांध राहा है परन्तु प्रदेश के राजनीति के गलियारों में यह अटकलें भी जोरों से है कि भाजपा ने मुख्यमंत्री के खिलाफ खण्डूडी के बजाय किसी कमजोर प्रत्याशी को उतार कर मुख्यमंत्री बहुगुणा को विधानसभा में निर्वाचित होने के लिए अभयदान देने का मन बना लिया है। इन खबरों में कितनी सच्चाई है यह तो भाजपा द्वारा मुख्यमंत्री के खिलाफ खण्डूडी को चुनावी दंगल में उतारने व न उतारने से ही जग जाहिर हो जायेगा? प्रदेश में इन दिनों राजनीति का अजीब सा नजारा देखने को मिल रहा है। 18 मई को जिस समय बिजय बहुगुणा उत्तरकाशी में लोक कल्याणकारी घोषणायें कर रहे थे उसी समय प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष भाजपा के वरिष्ठ नेता अजय भट्ट सहित तमाम नेता अपने स
-राजधानी निर्माण हेतु केन्द्र सरकार द्वारा प्रदान की गयी धनराशि को गैरसेंण में खर्च करे बहुगुणा सरकार गैरसंण के समर्थन में उतरे पूरे विश्व में रहने वाले लाखों उत्तराखण्डी  उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन के अग्रणी संगठन उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा सहित तमाम आंदोलनकारी संगठनों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा गैरसेंण में मंत्रीमण्डल की बैठक व विधानसभा का विशेष सत्र के आयोजन करने की घोषणा का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा से मांग की है कि केन्द्र सरकार द्वारा प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने के लिए प्रदान की गयी 80 करोड़ रूपये की धनराशि को अविलम्ब गैरसेंण में प्रदेश की स्थाई राजधानी की नींव रखने में खर्च करने का ऐतिहासिक कार्य करे। उत्तराखण्ड राज्य गठन के लिए संसद पर छह साल का ऐतिहासिक सफल धरना आंदोलन करने वाले मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत  ने मोर्चा के संयोजक सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत व महासचिव जगदीश भट्ट के साथ संयुक्त अपील में कहा कि प्रदेश की जनता हर हाल में प्रदेश की राजधानी गैरसेंण में बनानी चाहती है। इसके लिए बाबा मोहन उत्तराखण्डी सहित अनै
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-बांधों व जलविद्युत परियोजनाओं के बजाय भू तापीय ऊर्जा (Binary Cycle Plant ) बनी बरदान  - भूकम्प व बांधों से बचाव कर कर ऊर्जा की जरूरतें पूरा करने वाले भू तापीय ऊर्जा ( Binary Cycle Plant  ) उत्तराखण्ड में स्थापित करं मुख्यमंत्री  बहुगुणा पूरे विश्व में भू तापीय ऊर्जा (Binary Cycle Plant ) से पृथ्वी को भूकम्प व बडे बांधों की त्रासदी से बचाया जा सकता है इसके साथ भारी मात्रा में बिजली पैदा की जा सकती है। इस समय विश्व में अमेरिका, इटली, जापान, इंडोनेशिया, फिलिस्तीन सहित अनैक देशों में भू तापीय ऊर्जा ( Binary Cycle Plant  ) से जहां बिजली का उत्पादन किया जा रहा है वहीं भूकम्प व ज्वालामुखी के खतरे को काफी कम कर दिया है। भारत में भूकम्प की दृष्टि से सबसे संवेदनशील उत्तराखण्ड सहित हिमालयी राज्यों में जहां बडे बांध व जल विद्युत परियोजना से यहां के पर्यावरण व लोगों के विस्थापन का बडा खतरा हर पल मंडरा रहा है, अगर इन राज्यों की सरकारें अपने निहित स्वार्थ से उपर उठ कर जन व प्रदेश के हित में जरा सा भी संवेदनशील हों तो वे यहां पर बड़ी संख्या में भू तापीय ऊर्जा (Binary Cycle Plant ) लगा कर यहां
सेनिकों व अर्धसैनिकों को अधिकारियों व उनकी पत्नियों द्वारा किये जा रहे शोषण से बचाओ बढ़ रहा है सेना व अर्ध सेना में अधिकारियों व सैनिकों में तनाव  लेह में सेना के जवान और अफसर भिड़े वहीं अभी दो माह पहले ही उप्र में पुलिस के जवानों ने अपने अधिकारियों की पिटाई कर दी थी। बड़ी मुस्किल से स्थिति को संभाला गया । चीन सीमा पर सेनिकों व अधिकारियों के बीच विवाद एक मेजर के कारनामें से भडका वहीं उप्र में यह विवाद तब भड़का जब एक अधिकारी ने जुआ खेल रहे कुछ जवानों को रोका और एक की हल्की पिटाई कर दी। इससे अन्य जवान भड़क गये और देखते देखते हजारों जवानों ने अधिकारियों की धूनाई कर दी। इस पखवाडे अनुशासित समझी जाने वाली भारतीय सेना की एक रेजीमेंट में ऐसी घटना घटित हो गयी जिसने पूरे सेन्य जगत के अंदर पनप रहे असंतोष को ही उजागर कर दिया। भारतीय सैनिक जो अपनी जान हथेली पर रख कर दुश्मन से भीडते हैं उनकी अपनी फोज के अंदर कितनी दुर्दशा है, किस वातावरण में वे वहां पर जीते हैं। शायद इसकी खोज खबर लेने की फुर्सत भी देश के हुक्मरानों को कभी नहीं रही। फिरंगी शासनकाल की तरह ही देश की सेनाओं में आम सैनिकों का आज भी
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तिवारी की हटधर्मिता से आक्रोशित न्यायालय ने अपनाया कडा रूख नई दिल्ली (प्याउ) । अपनी पंहुच व रूतबे की हनक से कैसे देश के तथाकथित हुक्मरानों की जमात देश के कानून व समाज को ठेगा दिखाने का काम करते है इसका एक जीता जागता उदाहरण है कांग्रेसी नेता नारायणदत्त तिवारी का पितृत्व प्रकरण पर अब तक अपनायी गयी हटधर्मिता। यह मामला उच्च न्यायालय में लम्बे समय से खुद को तिवारी का पुत्र बताने वाले शेखर नामक युवक ने दायर कर रखा है। वह खुद को अपनी मां के साथ तिवारी के अवैध सम्बंधों के कारण उत्पन्न पुत्र बता कर उसको तिवारी का पुत्र घोषित करने की गुहार न्यायालय से लगा रहा है। इसके लिए वह तिवारी का डीएनए टेस्ट की मांग कर रहा है। न्यायालय के कई बार के आदेश के बाद जिस प्रकार से तिवारी इस प्रकरण न्यायालय के कई आदेशों की अवेहला कर रहे हैं, उससे वे खुद कटघरे में खडे हो गये है। उनके इस रवैये से न केवल उच्च न्यायालय अपितु सर्वोच्च न्यायालय भी नाराज है। इसी कारण उच्च न्यायालय को डीएनए टेस्ट के लिए रक्त नमूना देने के लिए केवल 48 घण्टे का समय दिया और उनकी विदेश यात्रा पर भी प्रतिबंध लगा दिया। उच्च न्यायालय तिवार
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उत्तराखण्ड राज्य गठन के भाग्य विधाताओं के संकीर्ण निर्णयों से ही लगा उत्तराखण्ड के वर्तमान व भविष्य पर ग्रहण मुख्य न्यायाधीश के नैनीताल उच्च न्यायालय की  नैनीताल में स्थापित करने के निर्णय व इसकी पीठ स्थापित करने की मांग पर उठाये प्रश्न से फिर जनता के कटघरे में खडे हुए भाग्य विधाता देहरादून (प्याउ)। उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश बारिन घोष के नैनीताल उच्च न्यायालय की खण्ड पीठ को देहरादून या हरिद्वार में स्थापित करने की मांग पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए प्रदेश के सबसे मंहगे शहर नैनीताल में उच्च न्यायालय स्थापित करने  पर भी सवाल उठा कर प्रदेश की भोली भाली जनता को राज्य गठन के समय हुए जनविश्वास के साथ इसके भाग्य विधाता बने लोगों के निर्णयों पर एक बार फिर नजर दोडाने के लिए विवश कर दिया। उत्तराखण्ड राज्य गठन के समय प्रदेश के दूरगामी हितों के प्रति दुराग्रही व संकीर्ण सोच के कारण प्रदेश की आम जनता को कितना दण्ड भोगना पड़ता है यह उत्तराखण्ड राज्य स्थापना के समय भाग्य विधाता बने हुक्मरानों की तंगदिली सोच से आज देश का सबसे भ्रष्ट राज्य में सुमार हुए इस सबसे ईमानदार समझे जाने
उत्तराखण्डी स्वाभिमान, विकास व लोकशाही का प्रतीक है गैरसेंण राजधानी गैरसेंण बनाने के मार्ग में अवरोधक न बने भ्रष्ट नेता व नौकरशाह प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने घोषणा की है कि 2 अक्टूबर उत्तराखण्ड के शहीदी दिवस के अवसर पर प्रदेश सरकार के मंत्रीमण्डल की बैठक गैरसैंण में आयोजित की जायेगी। गैरसैंण में वर्तमान सरकार विधानसभा का एक विशेष सत्र भी आयोजित करने का मन बना रही है। प्रदेश की स्थाई राजधानी कभी गैरसैंण बन पायेगी ? यही यज्ञ प्रश्न उत्तराखण्ड की आम जनता के मानसपटल पर रह रह कर गूंज रहा है। राजधानी गैरसंेण बनेगी या देहरादून ही रहेगी? इस बारे में प्रदेश की राजसत्ता में काबिज रहे हुक्मरान हमेशा मूक रहे। जिससे प्रदेश में उहापोह की स्थिति बनी रही। इससे प्रदेश की दिशा व दशा दोनों प्रभावित रहे। हालांकि राज्य आंदोलनकारी व शहीद ही नहीं आम जनता भी स्थाई राजधानी गैरसेंण बनाने पर राज्य गठन से पहले ही एकमत हैे। परन्तु जनहितों को दाव पर लगा कर अपनी नादिरशाही चलाने वाले सत्तालोलुपु हुक्मरान व भ्रष्ट नौकरशाही ने लोकशाही में जिस शर्मनाक ढ़ग से दीक्षित आयोग के षडयंत्र रच कर जनभावनाओं को जिस न
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अब किस पर विश्वास करे भारत तुम राम कृष्ण की बात करके देश का जागरण करते थे भारत माॅं की दुहाई दे कर देश की रक्षा की बात करते थे  पर देश दंग रह गया देख तुम्है भी छदमी टोपी पहने हुए धर्मान्तरण की चाबी आरक्षण को खुले हाथों से सौंपते हुए  अब करे विश्वास किस पर भारत, इन कालनेमियों को देख कोई कलंक विध्वंश पर आंसू बहाये कोई जिन्ना को पूजे हिन्दी हिन्दू हिन्दुस्तान गाने वाले भी इंडिया राईजिंग गाये कोई गांधी के नाम से लूटेे कोई राम कृष्ण को नकली कहे कोई जनसेवक बन गो गंगा व भारत को मिटाने का काम करे। । -देवसिंह रावत (13 मई 2011 रात के 11.52 मिनट पर )
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अवतार को महाधिवक्ता नहीं अपर महाधिवक्ता  बना कर मुख्यमंत्री ने उडाया उत्तराखण्ड व न्याय व्यवस्था का मजाक  विजय बहुगुणा सरकार ने वरिष्ठ अधिवक्ता अवतार सिंह रावत को अपर महाधिवक्ता के पद पर आसीन  देहरादून (प्याउ)। प्रदेश सरकार ने अपर महाधिवक्ता के पद पर अवतार सिंह रावत की नियुक्त करने की खबर को जिस प्रमुखता से विजय बहुगुणा सरकार ने प्रदेश के समाचार जगत में प्रकाशित कि वह अपने आप में प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री द्वारा महाधिवक्ता के पद पर उनके द्वारा की गयी विवादस्थ नियुक्ति की चारों तरफ हो रही आलोचना पर पर्दा डालने के लिए उठाया गया एक कदम माना जा रहा है। गौरतलब है पूर्ववर्ती प्रदेश भाजपा सरकार के स्टर्जिया जैसे भ्रष्टाचार को उच्च न्यायालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय में बेनकाब करने वाले अवतार सिंह रावत न केवल सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ जुझारू अधिवक्ता हैं अपितु उत्तराखण्ड राज्य गठन के प्रमुख संगठन ‘उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के संयोजक भी है। उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष देवसिंह रावत ने बहुगुणा सरकार द्वारा संवैधानिक पदों पर विवादस्थ लोगों को आसीन करके उत्तराखण्ड व न्