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Showing posts from March, 2011

लोटी ऐजा मेरो दगड्या अपण पहाड

लोटी ऐजा मेरो दगड्या अपण पहाड हिंसोली किलमोड़ी, यख काफोल भमोरा, खाणू ऐजा मेरा दगड्या हमारा पहाड़। ठण्ड मिठो पाणी यख, देखो बुरांशी फूल कफूवा बासिंदो यख, प्यारी घुघुती घुर।। हरयां भरयां बोण यख प्योंली सिलपारी हिंवाली कांठी देखो हरियां भरयां बाज।। क्यों डबकण्यू मेरो दगडया निरदयी परदेश लोटी ऐजा  लोटी तु अब अपण मुलुका।। स्वर्ग सी मेरी देवभूमि  धे लगाणी त्येतें लोटी ऐजा मेरों बेटा तु भूलये धरती।। दो दिन की जिन्दगी माॅं यति न भटकी।  पैंसों का बाना न भूली ब्वे बुबें की धरती।। परदेशमां  सब होंदा द्वी पैंसों का यार यख तेरा ईष्ट मित्र यखी च माटी  धार। लोटी ऐजा मेरो दगड्या अपण पहाड़।। (ंदेवसिंह रावत 1 अप्रेल 2011)

उत्तराखण्डी शेर अब्बलसिंह बिष्ट नहीं रहे

उत्तराखण्डी शेर अब्बलसिंह बिष्ट नहीं रहे उत्तराखण्ड समाज के अग्रणी समाजसेवी अब्बलसिंह बिष्ट का बुधवार को दिल्ली के अपोला अस्पताल में निधन हो गया। दिवंगत श्री बिष्ट का अंतिम संस्कार हरि हर की विश्व विख्यात पावन नगरी हरिद्वार स्थित पतित पावनी गंगा के पावन तट पर किया गया। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के गाजियाबाद-प्रताप बिहार क्षेत्र में विगत बीस सालों से निवास कर रहे श्री बिष्ट जनपद रूद्रप्रयाग के दश्जुला काण्डे के ईशाला गांव के मूल निवासी थे । भासीसुबल से स्वेच्छिक सेवानिवृत लेने के बाद श्री बिष्ट दिल्ली कनाट प्लेस स्थित विश्वविख्यात सिटी बैंक में कार्यरत थे। वे लम्बे समय तक प्रताप बिहार उत्तराखण्डी रामलीला समिति के प्रमुख रहने के साथ-साथ उत्तराखण्डी आत्मसम्मान के प्रतीक भी रहे। वे लगातार उत्तराखण्डियों को राजनीतिक वजूद बनाने के लिए प्रेरित करते रहे। उन्होंने दो बार गाजियाबाद के प्रताप बिहार क्षेत्र से पार्षद के चुनाव में निर्दलीय लड़ कर भाजपा व कांग्रेस सहित तमाम दलों के पसीने छुटा दिया था। भले ही तिकड़म से राजनैतिक दल चुनावी मशनरी का दुरप्रयोग करके विजयी रहे परन्तु इस प्रकरण से श

शांतिपूर्ण आंदोलनों की नहीं उग्र आंदोलनों की ही सुनती है सरकारे

शांतिपूर्ण आंदोलनों की नहीं उग्र आंदोलनों की ही सुनती है सरकारे कूच बिहार व तेलांगना जेसे शांतिप्रिय आंदोलनों की शर्मनाक उपेक्षा से उभरे उग्र आंदोलन भले ही सर्वोच्च न्यायालय देश में हो रहे उग्र आंदोलनों पर गहरी चिंता प्रकट कर सरकार से इनको रोकने के लिए कह रही हो। परन्तु इसके मूल में एक ही कारण है कि देश के हुक्मरान चाहे सरकारें किसी भी दल की हों वे शांतिपूर्ण आंदोलनों की निरंतर उपेक्षा कर रही हे। शांतिपूर्ण आंदोलनों की कैसे उपेक्षा होती है इसके जीते जागते उदाहरण तेलांगना राज्य गठन व कूच बिहार राज्य गठन जैसे आंदोलन है।  इसे देश में शांतिपूर्ण आंदोलनों की क्या दशा होती है या सरकारों का इस पर केसे अलौकतांत्रिक व गैरजिम्मेदाराना रवैया रहता है, इसके लिए कहीं दूर जाने की जरूरत नहीं, यह सर्वोच्च न्न्यायालय से एक किमी दूरी पर व संसद की चैखट पर स्थित राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर आ कर देख सकते है। यहां पर देश के तमाम आंदोलनकारी जब अपने क्षेत्र व स्थानीय राज्य सरकार से न्याय न मिलने के बाद यहां पर देश के हुक्मरानों से न्याय की आश ले कर यहां पर आते हैं तो उनको यहां आ कर पता चलता है कि इस दे

ताउम्र वनवास भोग रहे हैं उत्तराखण्डी

ताउम्र वनवास भोग रहे हैं उत्तराखण्डी by  Pyara Uttrakhand  on Sunday, 13 February 2011 at 22:35 ताउम्र वनवास भोग रहे हैं उत्तराखण्डी 15 से 21 जुलाई 2010 वाले प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र में प्रकाशित भगवान राम को तो केवल 14 साल का वनवास भोगना पड़ा था। परन्तु उत्तराखण्ड के 60 लाख सपूतों को यहां के सत्तासीन कैकईयों के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी का वनवास झेलना पड़ रहा है। अंग्रेजी शासनकाल के दौरान से यहां के लोग अपने घर परिजनों के खुशहाली के लिए दूर प्रदेश में रोजगार की तलाश में निकले। देश आजाद हुआ परन्तु शासकों ने यहां के विकास पर ध्यान न देने के कारण यहां से लोगों का पलायन रोजी रोटी व अच्छे जीवन की तलाश के कारण होता रहा। इसी विकास के लिए लोगों ने ऐतिहासिक संघर्ष करके व अनैकों शहादतें दे कर पृथक राज्य भी बनवाया। परन्तु यहां के शासकों की मानसिकता पर रत्ती भर का अंतर नहीं आया। उत्तराखण्ड का जी भर कर दौहन करना यहां के नौकरशाही व राजनेताओं ने अपना प्रथम अध्किार समझा। मेरा मानना रहा है कि पलायन प्रतिभा का हो कोई बात नहीं, परन्तु पेट का पलायन बहुत शर्मनाक है। पेट के पलायन को रोकने के लिए ही पृथक रा

बाघ द्वारा मारे जाने पर 50 लाख रूपये दे सरकार

बाघ द्वारा मारे जाने पर 50 लाख रूपये दे सरकार - बाघ मारने पर लोगों को हो आजीवन कारावास  - बाघ द्वारा मारे गये लोगों की हत्या की जिम्मेदारी ले सरकार,  - हिंसक बाघ के संरक्षित क्षेत्र के उच्चाधिकारी को भी हो आजीवन सजा  आज देश के वातानुकुलित शहरों में रहने वाले रणनीतिकार इस बात पर जोर दे रहे हैं कि देश में बाघों को बचाया जाय। इसके लिए वे बाघ मारने पर कडे से कड़े यानी उम्र केद के सजा का प्रावधान करने पर जोर दे रहे है। वहीं पूरे हिमालयी राज्यों में इस बात से सदियों से हिमालयी पर्यावरण की रक्षा करने वाले लोग देश के हुक्मरानों से सवाल कर रहे हैं कि उनके घर व गांवों में घुस कर उनकी जानमाल का नुकसान करने वाले बाघ की सजा व इसकी जिम्मेदारी सरकार ग्रहण करे। आदमखोर बाघों द्वारा गांवों व खेतों तथा ग्रामीण जंगलों में घुसकर हमला करने के लिए जब तक सरकार जिम्मेदारी स्वीकार नहीं करती, तब तक यह बाघ संरक्षण कानून पूरी तरह से एक प्रकार से हिमालयी लोगों पर सरकारों द्वारा किया जाने वाला जुल्म से कम नहीं है। सरकार नियम बनाये कि अगर हिमालयी राज्यों में कोई बाघ किसी आदमी को मारता है तो केन्द्र व राज्य सरकार उस

फेस बुक के महानायक मार्क जकर्बर्ग को मिले नोबेल पुरस्कार

फेस बुक के जादूई चिराग से साकार होगा विश्व सरकार का सपना साकार  फेस बुक के महानायक मार्क जकर्बर्ग को  मिले नोबेल पुरस्कार निशुल्क ही फेस बुक से विश्व को कर दिया है मुठ्ठी में छह साल में ही विश्व को  एक डोर में बांधने वाले महानायक मार्क जकर्बर्ग आज जिस लोकशाही की रोशनी की एक किरण फेस बुक के माध्यम से पंहुचने से मिश्र से लेकर कई अरब देशों में तानाशाही सरकारें  रेत के महल की तरह ढह रही है। आज फेस बुक के माध्यम से आयी लोकशाही की रोशनी से ही लीबिया के लोग अपने देश में कर्नल गद्दाफी के चार दशक से अधिक सालों से स्थापित शासन को ढाह रहे हैं। अब वह दिन दूर नहीं है जब  फेस बुक के माध्यम से संसार भर के तमाम समझदार लोग ‘श्री  कृष्ण विश्व कल्याण भारती के बेनरतले मेरे दशकों से निराकार हुए विश्व सरकार के सपने को साकार करेगा। जहां न तो संयुक्त राष्ट्र संघ की तरह मात्र अमेरिका का बर्चस्व हो। यहां पर बिना रंगभेद, जाति, धर्म,लिंग व क्षेत्र भेद के सभी मनुष्यों के लिए कल्याणकारी एक विश्व सरकार की स्थापना हो। जहां शिक्षा, चिकित्सा सबको निशुल्क उपलब्ध करायी जायेगी। संसार के सभी नागरिकों को अपनी प्रतिभा क

ऐसे कैसे होगी न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा

ऐसे कैसे होगी न्यायपालिका की गरिमा की रक्षा  हाई कोर्ट व सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्तियों को दूरियां रखनी होगी भ्रष्टाचार के आरोप से घिरे लोगों से  नई दिल्ली(प्याउ)।  जिस उत्तराखण्ड प्रदेश के मुख्यमंत्री निशंक व उनकी सरकार के भ्रष्टाचार के मामले सर्वोच्च न्यायालय व उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय में चल रहे हो उस सरकार के मुखिया की हिन्दी व अंग्रेजी में प्रकाशित हो चुकी पुस्तक ‘सफलता के अचूक मंत्र’ का बांग्ला भाषा में अनुवाद का विमोचन देश की सबसे बड़ी अदालत के वरिष्ठ न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर के हाथों से कराया जाने से प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार से मुक्ति चाहने वालों की आशाओं पर बज्रपात सा कम नहीं था।  यह कार्यक्रम  देहरादून में ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय में  25 मार्च 2011 को आयोजित हुआ। पुस्तक के बंगला भाषा में हुए अनुवाद का विमोचन देश के सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायमूर्ति अल्तमस कबीर के हाथों से किया गया।  इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति वारिन घोष भी उपस्थित थे। भले ही इस सरसरी तौर पर यह मामला सामान्य सा दिखता है परन्तु ‘जिस प्रकार से निशंक सरकार स्टर्जि

सरकार बनी तो भ्रष्टाचारियों को 3 महिने में जेल भेजेंगे डा हरक सिंह रावत

सरकार बनी तो भ्रष्टाचारियों को 3 महिने में जेल भेजेंगे डा हरक सिंह रावत नई दिल्ली(प्याउ)। भले ही कांग्रेस ने उत्तराखण्ड में आगामी विधानसभा चुनाव में विजय होने के बाद किसी भी नेता को अभी मुख्यमंत्री के पद के लिए नामित नहीं किया है परन्तु वर्तमान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डा. हरकसिंह रावत ने वर्तमान निशंक सरकार को देश की सबसे भ्रष्ट सरकार बताते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि अगर आगामी विधानसभा चुनाव में उनकी सरकार प्रदेश में सत्तासीन हुई तो तीन महिने के अंदर तमाम भ्रष्ट्राचारियों को सलाखों के अंदर जेल में बंद करेंगे। यह दो टूक विचार कांग्रेसी नेता डा हरक सिंह रावत ने प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक व उत्तराखण्ड राज्य गठन के अग्रणी आंदोलनकारी संगठन उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के प्रमुख देवसिंह रावत सिंह से कांग्रेस मुख्यालय में 26 मार्च की सांयकाल  को एक विशेष भेंटवार्ता में कही।    भले ही उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया परन्तु उनका अप्रत्यक्ष इशारा स्पष्ट रूप से प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक पर ही था। डा हरक सिंह रावत प्रदेश में भाजपा नेतृत्व वाली निशंक सरकार को भ्रष्ट

भगवान, मानवता व राष्ट्र के प्रति सबसे क्रूर अपराध

जिस देश में अरबों- खरबों लोग बिना घर के खुले आसमान के नीचे  रहने को मजबूर हों, अरबों लोग बिना अन्न के भूखे ही सोने के लिए मजबूर हों, जिस देश में करोड़ों बच्चे गरीबी के कारण शिक्षा, चिकित्सा के लिए तरस रहे हों उस देश में अरबों खरबों रूपये के भव्य मंदिर-मस्जिद आदि धार्मिक स्थल बनाना और अरबों खरबों रूपया केवल चंद दिनों के खेल तमाशों में बर्बाद कर देना भगवान, मानवता व राष्ट्र के प्रति सबसे क्रूर अपराध है।

भारत का दुर्भाग्य रहा अटल व मनमोहन जैसे अमेरिकीपरस्त नेतृत्व

यह भारत का दुर्भाग्य रहा कि इस देश में अटल व मनमोहन जैसे अमेरिकीपरस्त नेतृत्व मिला। जिन्होंने भारत के मान सम्मान व स्वाभिमान को अमेरिकी के लिए शर्मनाक ढंग से दाव पर लगाया। मामला चाहे कारगिल का हो या संसद पर हमले का या मुम्बई हमले का इन सब मामलों में देश के तत्कालीन हुक्मरानों ने राष्ट्रीय आत्मसम्मान की रक्षा करते हुए आतंकी पाक को मुहतोड़ जवाब देने के बजाय अमेरिका के इशारे पर नपुंसकों की तरह मूक रह कर देश के स्वाभिमान को आतंकियों के हाथों रौंदवाया। आज महात्मा गांधी और देश के वर्तमान नेतृत्व में अंतर स्पष्ट देखने को मिलता। आज का नेतृत्व व  देश का तथाकथित अमीर लोग अमेरिका जाने के लिए इस कदर लालयित हैं कि अमेरिका इनके कपड़े सहित उतारवा देता हैं, इनको कदम कदम  पर बेइज्जत करता हैं। फिर भी इस देश के नेता व अमीर लोग अमेरिका जाने के लिए व उसके इशारों पर कुत्तों की तरह दुम हिलाते रहते हैं। वहीं महात्मा गांधी जी ने कई बार अमेरिकी लोगों द्वारा अमेरिका आने के निमंत्रण को यह कह कर ठुकरा दिया था कि अमेरिका की सोच ही हिंसक है। आज भारतीय इतिहास पर नजर डालता हूूॅं तो इस देश में नेहरू, शास्त्री, इंद

विदेशों में ही नहीं देश में ही हैं अकूत सम्पति बेइमानों की

इस  देश के बेइमानों के विदेशों में ही नहीं देश में ही अकूत सम्पति हैं। जरूरत हैं इसको ईमानदारी से जांच करने की।  अगर इस देश के विकासखण्ड प्रमुख से  लेकर प्रधानमंत्री तक तथा विकासखण्ड अधिकारी से लेकर देश के मुख्य सचिव तक तथा मध्यम दर्जे के व्यवसायियों की ईमानदारी से निष्पक्ष  जांच ऐजेन्सी से जांच करायी जाय तो इनकी बेनामी इतनी सम्पति मिल जायेगी उससे देश के उपर तमाम ऋण उतारने के बाद सभी बच्चों को शिक्षा, सभी बेघरों को घर, चिकित्सा व सभी गांवों में बिजली, पानी, खेतों में सिंचाई की नहरें व मोटर मार्गों से जोड़ने के लिए पर्याप्त संसाधन हासिल हो सकता है।

प्रधानमंत्राी मनमोहन सिंह इस्तीफा दे

विकिलीक्स में हुए खुलासों के बाद अब प्रधानमंत्राी मनमोहन सिंह में जरा सी भी नैतिकता है तो उन्हें देश व अपने हित में अविलम्ब प्रधानमत्राी के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। इसके साथ ही कांग्रेस व सप्रंग प्रमुख सोनिया गांध्ी को  भी देश की गरिमा की रक्षा करने के अपने प्रथम दायित्व का निर्वाहन करते हुए  अविलम्ब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पद से मुक्त कर देश के लोगों के विश्वास की रक्षा करनी चाहिए। विकिलिक्स में हुए इन नये खुलासों के बाद देश पर अटल बिहारी वाजपेयी व मनमोहन सिंह सरकारों के कार्यकाल में अमेरिकी शिकंजे में बुरी तरह से जकड़ने के प्यारा   उत्तराखण्ड द्वारा वर्षों से लगाये जाने वाले आरोपों की सच्चाई पर ही पुष्टि हुई। गौरतलब है कि प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्रा अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दोरान ही देश में निरंतर बढ़ रहे अमेरिकी शिकंजे से देश के हुक्मरानों सहित देश की जनता को आगाह करता आ रहा है। परन्तु न तो किसी राजनैतिक दल ने व नहीं इस देश की खुपिफया ऐजेन्सियों ने ही इसको गंभीरता से लिया। लेते भी कैसे, देश की चिंता किसे। जब देश के सर्वोच्च पदों व सर्वोच्च नीतियों का निर्धरण अमेरिका क

खच्चर चलाने के लिए मजबूर हैं राज्य आंदोलनकारी रणजीत पंवार

खच्चर चलाने के लिए मजबूर हैं राज्य आंदोलनकारी रणजीत पंवार  उत्तराखण्ड के हुक्मरानों जरा शर्म करो राज्य गठन जनांदोलन के लिए संसद की चैखट पर सालों तक धरना देने वाले आंदोलनकारियों को भूली उत्तराखण्ड की सरकार व सामाजिक संगठन  ‘रावत जी मैं केदारनाथ मार्ग पर यात्रा काल में खच्चर चलाता हॅू’ जैसे ही  मेरे  राज्य आंदोलनकारी साथी रूद्रप्रयाग जनपद निवासी रणजीत पंवार ने गत सप्ताह दिल्ली के राष्ट्रीय धरना स्थल पर मेरे कुशल क्षेम पूछने पर कहा तो मैं सन्न रह गया। आंदोलनकारियों के कल्याण के बड़े बडे दावे करने वाली उत्तराखण्ड सरकार व उनके कारिंदों को होश कहां हैं कि वे आंदोलनकारियों की सुध ले। राज्य गठन आंदोलन में मात्र छह दिन की जेल जाने वालों को तो प्रदेश सरकार सरकारी सेवाओं में नियुक्ति व पेंशन देने का दावा कर रही है। वहीं अपने जीवन के कई साल राज्य गठन आंदंोलन के लिए संसद की चैखट पर धरना देने वाले प्रमुख आंदोलनकारी सरकारी की उपेक्षा के कारण कोई रणजीत सिंह पंवार की तरह खच्चर चलाने के लिए विवश हैं तो कोई देवेन्द्र चमोली की तरह दिल्ली की फेक्टरियों में धक्के खा रहे हैं तो दूसरी तरफ कोई गैरसैंण के स

इराक व लीबिया के बाद भारत, चीन व रूस पर भी करेगा अमेरिका हमला

इराक व लीबिया के बाद भारत, चीन व रूस पर भी करेगा अमेरिका हमला सावधान लीबिया पर अमेरिका, इंगलेण्ड व फ्रांस का हमला केवल लीबिया पर नहीं अपितु पूरे विश्व के आत्मसम्मान पर है। चीन, रूस व भारत की नपुंसकता के कारण एक दिन अमेरिका व उसके पूछल देश इग्लेण्ड, कनाड़ा, इटली आदि नाटो गुट के देश मिलकर इसी प्रकार का हमला कर संसार के तमाम देशों को इसी तरह से अपना गुलाम बनायेंगे। अगली बारीं भारत पर, चीन व रूस की भी होगी। अमेरिका की यह जंग न तो आतंकबाद के खिलाफ है व नहीं तानाशाही के खिलाफ, अमेरिका की यह जंग केवल अपने विरोधियों को तबाह कर पूरे विश्व को अपना गुलाम बनाने की है। अमेरिका के विस्तार में उसका सहयोग अमेरिका द्वारा पोषित व संरक्षित अलकायदा ही कर रहा हैं। अगर अमेरिका की जंग अलकायदा या आतंकियों के खिलाफ होती तो वह अपना सबसे पहला हमला अफगानिस्तान, इराक व लीबिया में न करके पाकिस्तान में करता। क्योंकि पाकिस्तान ही आज पूरे विश्व में आतंकी हमलों की फेक्टरी बन गयी है। पाकिस्तान ही पूरे विश्व में आतंकवाद को पोषित व संरक्षित कर रहा है। तानाशाही के खिलाफ भी अमेरिका की जंग नहीं हे। अमेरिका ने हमेशा पाकिस

मुस्कराओं प्रभु की कृपा के लिए

मुस्कराओं प्रभु की कृपा के लिए ये रात दिन कब गुजर जाते हैं बस यादें बाकी रह जाती है समुन्दर की लहरों की तरह जिनका कोई पता ठिकाना नहीं होता बादलों की तरह जिन्दगी भी इसी तरह कब मिल जाय कब छूट जाय हवा के झोंकों की तरह बस मुस्कराते रहो हर पल प्रभु की कृपा के लिए शुभ रात्रि (20-03-2011 midnight)

भारत को इंडिया से मुक्ति कराना है।

भारत को इंडिया से मुक्ति कराना है। आओ  हम भारत को फिर से  महान बनायें देष की आजादी को बंधन से मुक्ति दिलायें षहीदों की षहादत की मिल कर लाज बचायें भारत को इंडिया की गुलामी से मुक्ति करायें आजादी के नाम पर चल रहा गुलामी का राज अपनी भाशा रौंद कर चल रहा फिरंगी का राज कब आयेगी  देष के बेषर्म हुक्मरानों को षर्म देष  विकास के नाम पर अंधी मची है यहां लूट  जाति-धर्म, भाशा-क्षेत्र के नाम बांट रहे हैं देष देष लुट कर विदेषों में भर रहे हैं अपने बैंक इन चंगेजों से देष को हम सबने बचाना है अपने भारत कों फिर से विष्वगुरू बनाना है।। (देवसिंह रावत 17 मार्च 20911 रात्रि 11.07 बजे)

चाह कर दिल भुला नहीं पाता

चाह कर दिल भुला नहीं पाता कोन चाहता है दूर जाना, कोन चाहता है भूल जाना यह वक्त का तकाजा ही होता मिल कर फिर विछुडना  पर दूर जा कर भी कोई किसी को कभी न भूल पाता नजर चुराने से भी कोई चाह कर दिल से भुला नहीं पाता यह बात ओर है कि हर वक्त कोई साथ नहीं निभा पाता  चाह कर भी  दर्द को तुम्हारी तरह सरेआम नहीं कह पाता 

कैसे गाऊं होली के गीत

चारों तरफ तबाही देख, रोता हैं न जाने क्यों मन प्रभु की कृपा देख कर भी, बर्बादी पर रोता मेरा मन हंसती खेलती दुनिया को तबाह होते देख रोता है मन क्यों बना कर मिटा रहे हैं यही सोच कर रोता है मन  तेरी माया तुही जाने दुस्वप्न से भी सहमा है मेरा मन तबाही भारत में हो या जापान में बिलखता है मेरा मन कैसे तुझको समझाऊं साथी विध्वंष से तड़फता है मन कैसे गांऊ गीत मिलन के, अब नाचे कैसे मेरा तन मन कैसे होली के गीत गाऊं अब कैसे बर्बादी में गाये मन। (देवसिंह रावत-15मार्च 2011 रात 10.29)

लीबिया प्रकरण से बेनकाब हुआ अलकायदा व अमेरिका का गठजोड

ं -लीबिया को अफगानिस्तान व इराक बनाने से बाज आये अमेरिका  -लीबिया से दूर रहे अमेरिका व संयुक्त राष्ट्र -गद्दाफी को कमजोर कर अलकायदा की राह आसान न करे अमेरिका  -लीबिया प्रकरण से बेनकाब हुआ अलकायदा व अमेरिका का गठजोड चार दशक से अधिक समय से लीबिया में शासन कर रहे कर्नल गद्दाफी के खिलाफ लीबिया में हुए विद्रोह से जहां कर्नल गद्दाफी ही नहीं पूरा विश्व स्तब्ध है। लीबिया प्रकरण में अमेरिका व अलकायदा की एकजुटता उजागर हुई। दोनों मिल कर यहां अपने विरोधी कर्नल गद्दाफी को अपदस्थ करने में जुटे हे। जहां कर्नल गद्दाफी इस विद्रोह के पीछे अमेरिकी व अलकायदा को जिम्मेदार बता कर इसको उनके देश लीबिया को कमजोर करने की साजिश बता कर विद्रोह को शक्ति से कुचल रहे है। वहीं अमेरिका दशकों से अपनी आंख की किरकिरी बने हुए कर्नल गद्दाफी को हर हाल में निपटने की अमेरिका की रणनीति से लीबिया का भी हाल अफगानिस्तान व इराक बनने की प्रबल हो रही है। अमेरिका के प्रभाव में शेष विश्व भले ही इसे लीबिया के लोगों की लोकतंत्र को स्थापित करने का ज्वार बता रहे हैं। परन्तु इस स्थिति के पीछे दो कारक जो जिम्मेदार हैं उनका कहीं दूर-दू

भारत में 20 परमाणु विजली संयंत्र व बांघों से मच सकती है जापान जैसी भारी तबाही

परमाणु बिजली संयत्रों व बड़े बांघों से भारत को करो मुक्त भारत में 20 परमाणु विजली संयंत्र व बांघों से मच सकती है जापान जैसी भारी तबाही   जापान के पफुकुशिमा परमाणु बिजली संयंत्र में हुए विस्पफोट से रेडिएशन उपजे सवाल इस सप्ताह जापान में हुए विनाशकारी तबाही से जहां जापान अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रहा हैं वही पूरा विश्व भौचंक्का हैं कि प्रकृति के इस प्रकोष कहीं इस पृथ्वी से मानवता का समूल विनाश का संकेत तो नहीं है। जापान में हुए भूकम्प व सुमानी से क्षतिग्रस्त हुए वहां के परमाणु संयत्रों से  जिस प्रकार से जापान के लिए भयंकर खतरा उत्पन्न हो गया है। उससे भारत में स्थापित हुए व होने वाले इस प्रकार के तमाम परमाणु ऊर्जा संयंत्रों को तत्काल बंद करने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। देश में इस समय 20 परमाणु ऊर्जा संयंत्रा कार्यरत है। इनमें रावतभाटा में सबसे अध्कि 6 परमाणु संयंत्रा तथा कैंगा व तारापुर में 4-4  परमाणु संयंत्र कार्य कर रहे है। वहीं नरोरा, काकरापार व कलपक्कम में 2-2 परमाणु ऊर्जा संयंत्रा लगे हुए हैं। इसके साथ अमेरिका व अन्य देशों से हुए अभी परमाणु ऊर्जा समझोते के तहत सरकार कई अन

बाबा रामदेव की एकपक्षता ने कमजोर किया भ्रष्टाचार की असली जंग

बाबा रामदेव की एकपक्षता ने कमजोर किया भ्रष्टाचार की असली जंग नाक की जंग तक सीमित रह गयी है बाबा रामदेव व कांग्रेस का जुबानी जंग  भ्रष्टाचार शिकंजे में दम तोड़ रहे भारत को मुक्तिदाता के रूप में उभरे हुए बाबा रामदेव का एकपक्षीय भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के मार्ग में आज सबसे बड़ा अवरोध कांग्रेसी नेता नहीं अपितु कोई दूसरा नहीं अपितु स्वयं बाबा रामदेव का एकपक्षीय भ्रष्टाचार विरोधी अभियान उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़ी जंग को कमजोर कर रही है।  लिए आम भारतीयों के आशा के सूर्य बन कर उभरे बाबा रामदेव की एकपक्षीय भ्रष्टाचार की जंग ने देश की आशाओं पर बज्रपात ही कर दिया है। भले ही बाबा अपनी तरफ से इस अभियान को देश से भ्रष्टाचार के समूल सफाये के उद्देश्य से कर रहे हों परन्तु उनके द्वारा केवल कांग्रेस पर ही निशाना साधने व उनके अपने प्रदेश उत्तराखण्ड सहित अन्य भाजपाई प्रदेशों में हो रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उतने प्रखर हो कर न बोलने या मूक रहने से उनके इस ऐतिहासिक संघर्ष की धार ही कुंद हुई। देश की जनता भले ही कांग्रेसियों के द्वारा लगाये गये तमाम आरोपों को सिरे से नकार दे परन्तु बाबा द्वारा इस