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Showing posts from January, 2013
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पाक हुक्मरान ही नहीं, भारतीय हुक्मरान भी है कारगिल के गुनाहगार कारगिल के गुनाहगार केवल पाक के हुक्मरान ही नहीं भारतीय हुक्मरान भी हैं जिन्होंने पहले तो पाक की घुसपेट को नजरांदाज किया, जब भारतीय जांबाज सैनिकों ने अपनी सैकडों शहादत दे कर पाक के नापाक घसेपेटियों को चारों तरफ से से घेर लिया था तो भारतीय हुक्मरानों ने इन भारत के दुश्मनों को अमेरिका के दवाब में आ कर बिना पाक को मजबूर व बेनकाब किये सुरक्षित पाक जाने का रास्ता दे कर भारतीय सैनिकों की शहादत का अपमान किया। भले ही आज पाक के एक कर्नल ने पाक सेना प्रमुख मुशर्रफ सहित पाक हुक्मरानों को खुद ही बेेनकाब किया परन्तु आज भी भारत में पहले नापाक पाक को घुसपेट करने देने व बाद में हमारे सैकडो सेंनिकों की निर्मम हत्या करने के दोषियों को गिरफतार करके पाक को बेनकाब करने के बजाय इन गुनाहगारों को सुरक्षित पाक जाने देने वाले भारतीय हुक्मरानों को कब करेंगे भारतीय बेनकाब? क्या है कारगिल विजय का सत्य-देश के साथ छलावा। दुश्मन हमारे घर में घुसा और उसने हमारे सैकडों जवानों की हत्या की, जब हमारे जांबाज सैनिकों ने चारों तरफ से घेर दिया तो अमेरिका से
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राजनाथ सिंह अध्यक्ष बनने से उत्तराखण्ड में निशंक के सुधरेंगे दिन फरवरी में बन जायेगा नया प्रदेश अध्यक्ष  अभी चीन से मेरे मित्र राजेन्द्र रतूडी  ने मुझसे फेसबुक पर पूछा कि भाई एक बात बताओं कि उत्तराखण्ड का अध्यक्ष कौन बनेगा? मेने उनको तुरंत बताया कि राजनाथ के बनने से उत्तराखण्ड में अध्यक्ष कौन बनेगा परन्तु जो भी बनेगा वह निशंक की सहमति से ही बनेगा। क्योंकि राजनाथ सिंह भले ही सिद्धांत के कितनी ही बातें कहें परन्तु वे गांधीवादी नेताओं में देश में जाने जाते है। उत्तराखण्ड में भले ही प्रदेश के आम जनता ही नहीं  भारतीय संस्कृति के स्वयं भू ध्वजवाहक और सुशासन व रामराज्य लाने के सूरमाओं ने जैसे ही खण्डूडी जी के कहने पर उत्तराखण्ड का भाग्य विधाता  निशंक को मुख्यमंत्री के रूप बनाया था तो  देश के प्रबुध जनता की आंखे फटी की फटी रह गयी थी। पुत्र मोह में जनमांध धृष्टराष्ट को ही नहीं बडे बडे धर्मात्माओं व सिद्धांतवादियों को भी बेनकाब किया था। राजनाथ सिंह तो बडी मुश्किल से कल्याण के न होने के कारण ताजपोशी का शौभाग्य पा गये। निशंक ने अपने शासन में संघ से लेकर राजनाथसिंह सहित भाजपा के तमाम बडे न
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तेलगांना पर कांग्रेसी विश्वसाघात से भडका व्यापक जनांदोलन देश के 4 दशकों की सभी दलों की सरकारें गुनाहगार, शीघ्र गठित हो तेलंगाना राज्य नई दिल्ली। छह दशक से पुरानी तेलांगना पृथक राज्य गठन की मांग पर कांग्रेसी विश्वासघात से पूरे तेलंगाना  में प्रचण्ड आंदोलन भडक गया है। तेलंगाना से सम्बंध रखने वाले कांग्रेस के सात सांसदों ने पृथक राज्य के गठन में विलम्ब के विरोध में संसद और पार्टी, दोनों से एक सप्ताह में तेलंगाना गठित न करने पर इस्तीफा देने का निर्णय ले कर कांग्रेस आलाकमान सहम गयी है। वहीं दूसरी तरफ तेलांगना मुद्दे पर भारत सरकार से वायदा खिलाफी का आरोप लगाते हुए पी चिंदम्बरम के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया गया। रंगारेड्डी के मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट में गृहमंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है। इसमें मांग की गई है कि पी चिंदबरम ने गृह मंत्री रहते हुए 9 दिसंबर, 2009 को अलग तेलंगाना राज्य को लेकर जो वादा किया था उसे पूरा नहीं किया। ये तेलंगाना के लोगों से धोखाधड़ी है। फिलहाल कोर्ट ने इस मामले में पुलिस को एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।ऐसा नहीं कि केवल यह विश्वासघात कांग्रेस
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 भारत को ही नहीं विश्व को आज जरूरत है मोदी जैसे मजबूत नेतृत्व की  भारत को ही नहीं आज विश्व को भी अमेरिका, चीन व कटरपंथी धर्मांध तत्वों से बचाने के लिए मोदी जैसे मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। जिस प्रकार से आज पूरी मानवता इन तत्वों के दंश से कराह रही है उससे मानवता को उबारने के लिए मोदी जैसे मजबूत नेतृत्व की जरूरत है। आज देश को दिशाहीन व खुदगर्ज कांग्रेस या भाजपा जैसे तमाम वर्तमान दलों की उतनी जरूरत नहीं जितना मोदी जैसे मजबूत नेतृत्व की। आज देश के तमाम दलों से देश की जनता का विश्वास एक प्रकार से उठ चूका है। वे देश को इन सत्ता के चंगैजों से मुक्ति नहीं दिला पा रहे हैं। तोगडिया सहित तमाम मोदी विरोधियों को एक बात समझ लेनी चाहिए कि जब एनडीए या भाजपा या कांग्रेस ही नहीं अंग्रेज या मुगल भी नहीं थे तब भी देश था। देश के लिए एक दल नहीं सेकडों दिशाहीन व पदलोलुपु दल कुर्वान किये जा सकते है। परन्तु एक मजबूत नेतृत्व को अपने निहित स्वार्थ के लिए पीछे धकेलने का खमियाजा देश को कई शताब्दियों तक भोगना पड़ता है। मोदी वर्तमान में सभी नेताओं में देश को मजबूत बनाने  के लिए सर्वोत्तम है। देश को आज पाक, अमे
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जनकल्याणकारी वैज्ञानिक रामप्रसाद से प्रेरणा लें हुक्मरान व युवा विज्ञान को जन कल्याण के कार्यो में समर्पित करने वाले विश्व के चोटी के वेज्ञानिक राम प्रसाद जी के विचारों, चिंतन व कार्य को शतः शतः प्रणाम। दस साल से अधिक समय तक प्यारा उत्तराख ण्ड समाचार पत्र में मैने उनकी असाधारण प्रतिभा को हर अंक में ‘फट्टे की सरकार’नाम से प्रकाशित किया। परन्तु अफसोस होता है कि न तो देश व न उत्तराखण्ड की सरकार व योजनाकारों को उनके जनहित की योजनाओं की तरफ ध्यान देने की सुध तक रही। राम प्रसाद जी के टर्नोड जैसे वैज्ञानिक टेक्नीकल नर्सरी का अनुसरण करके चीन विश्व की महान आर्थिक महाशक्ति बन चूका है। न हमारे समाज व नहीं हमारी सरकार किसी में देश व प्रदेश के हित में सोचने व समझने की कुब्बत है। हम अच्छे जनहित के कार्यो में लगे लोगों को न तो समझ पाते हैं व नहीं सम्मान ही कर पाते है। 82 साल की उम्र में भी वे आज भी युवाओं से अधिक समर्पित हो कर अपने मिशन के लिए समर्पित है। पौड़ी के नैनीडाण्डा क्षेत्र में ध्यानी परिवार में जन्में विश्व के महान वैज्ञानिक आज में इंटरनेट, फेसबुक व अन्य साधनों से विश्व में विज्ञान क
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26 जनवरी को संसद की चैखट जंतर मंतर में दामिनी प्रकरण पर उमडे आंदोलनकारी बलात्कारियों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए जस्टिस वर्मा 29 जनवरी को जंतर मंतर से इंडिया गेट होगा मार्च  एक तरफ राजपथ पर 26 जनवरी को सरकार देश का गणतंत्र दिवस हर्षोल्लाश से मना रही थी उसी दिन संसद की चैखट  ‘राष्ट्रीय धरनास्थल जंतर मंतर पर 16 दिसम्बर को दिल्ली की एक बस में सामुहिक बलात्कार की शिकार हुई 23 वर्षीया छात्रा  दामिनी को न्याय दिलाने व महिलाओं के खिलाफ होने वाली हिंसा पर अंकुश लगाने के लिए कठोर कानून बनाने की मांग को लेकर जंतर मंतर पर 16 दिसम्बर क्रांति, आप की छात्र युवा ईकाई व दिल्ली, जवाहर लाल नेहरू सहित कई विश्वविद्यालयों के छात्रों सहित कई संगठनों ने धरना प्रदर्शन किया। 16 दिसम्बर क्रांति के नाम से जंतर मंतर पर इस प्रकरण के विरोध में 24 दिसम्बर से निरंतर धरना प्रदर्शन कर  रहे आंदोलनकारियों ने  पूरे जंतर मंतर को 16 दिसम्बर क्रांति के झण्डे पंम्पलेटों के साथ गगनभेदी नारों से अपने आंदोलन को गणतंत्र दिवस के अवसर पर भी जारी रखते हुए बलात्कार के दोषियों को फांसी की सजा देने की मांग करते हुए
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26 जनवरी ‘गणतंत्र दिवस’ के शुभ अवसर पर  स्वतंत्रतासंग्राम के महान सैनानियों व शहीदों  की पावन स्मृति को शतः शतः नमन् आओ संकल्प लें कि हम आजादी के 65 साल बाद भी  देश के हुक्मरानों द्वारा देश की आजादी को अंग्रेजी भाषा की गुलामी  से आजाद कराने के अपने आप को समर्पित करे।  विदेशी भाषा, विदेशी तंत्र से  मुक्त होने के बाद ही होगा भारतीय गणतंत्र का सूर्यादय भारत के लाखों सपूतों ने शताब्दियों तक किये आजादी के सतत् संघर्ष व बलिदान देने के  बाद जो आजादी विदेशी हुक्मरानों को खदेड़ कर हाशिल की थी वह आजादी को देश के चंद लोगों ने अपनी गुलाम मानसिकता के कारण बंधक बना लिया है। 15 अगस्त, 1947 में आजाद होने के बाद देश में आसीन हुक्मरानों ने अपनी संकीर्ण सत्तालोलुपता के कारण देश को परिवार, धर्म,जाति, क्षेत्र, भाषा, लिंग के नाम पर लूट व लुटवा कर बर्बाद कर दिया है। हालत इतनी शर्मनाक है कि देश आजादी के 65 साल बाद भी अपने तंत्र, अपनी भाषा, अपने नाम, अपनी संस्कृति के लिए तरस रहा है। आज हालत यह हो गया है देश में लोकशाही के नाम पर चंगैजशाही का जो अंधा तांडव चल रहा है उससे हर रोज हो रहे अरबों खरबों
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दामिनी प्रकरण से आहत व आक्रोशित देशवासियों से न्याय नहीं कर पायी जस्टिस वर्मा समिति  दामिनी प्रकरण जैसे क्रूर पाश्विक घटना ने देश के अधिकांश कानूनविद, राजनेता, समाजसेवी सहित देश विदेश का आम आदमियों को उद्देल्लित कर दिया है। देश के अधिकांश  नागरिक एक स्वर में ऐसे अमानवीय क्रूर अपराधियों को केवल मौत की सजा देने की मांग कर रहते हुए देश ही नहीं पूरे विश्व में लाखों लोग इसके लिए आंदोलन भी कर रहे है। देश की जनता एक स्वर में ऐसे प्रकरणों पर अंकुश लगाने के लिए अपराधियों को मौत की सजा व ऐसे अपराधों में लिप्त उम्र की ढाल बना कर नाबालिक अपराधी को कोई छूट न दे कर उसे भी मौत की सजा देने की मांग कर रही थी । परन्तु इस प्रकरण पर कानून को और कडा बनाने के लिए सरकार द्वारा बनायी गयी न्यायमूर्ति वर्मा समिति ने न तो जनभावनाओं से न्याय किया व नहीं देश में अपराधियों के बढ़ते हुए हौसले पर बज्रपात करने के लिए कठोर कानून बनाने की ही सिफारश की। ऐसे जघन्य अपराधियों को जीवित रहने का एक पल का भी अधिकार नहीं है। ऐसे में उनको मौत की सजा के बजाय उम्रकेद दे कर एक प्रकार से जीवनदान ही दिया हैं। वहीं नाबालिक अपराध
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मुम्बई बमकाण्ड के सूत्रधार रहे खुंखार आतंकी हेडली को अमेरिका ने दिया जीवनदान क्यों? हेडली को बचाने के  लिए अदालत से उम्रकेद का नौटंकी क्यों? 2008 में मुंबई पर हुए आतंकी हमले जिसमें छह अमेरिकियों समेत 166 लोग मारे गए और सैंकड़ों लोग घायल हुए थे उसके खूंखार सूत्रधार आतंकी डेविड हेडली को अमेरिका ने मौत की सजा से अभयदान दे कर भारत के स्वाभिमान  ही नहीं न्याय का गला घोंटने का घृर्णित कृत्य किया । एक तरफ अमेरिका अपने लादेन सहित अन्य अपराधी आतंकियों को पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित पूरे विश्व में कहीं भी छिपे होने पर वहीं जा कर मौत के घाट उतार रहा है वहीं भारत पर मुम्बई आतंकी काण्ड के मुख्य सूत्रधार को अपने देश में पनाह दे कर उसको अभयदान देने का घृर्णित कार्य करने को तुला है। अमेरिका के  इस कुकृत्य पर न तो भारत की  नपुंसक सरकार विरोध कर रही है व नहीं विश्व समुदाय ही इस दिशा में अमेरिका से प्रश्न ही कर रहा है। 24 जनवरी को अमेरिका की शिकागो अदालत में इस आरोप में बंद हेडली को सजा देने पर अमेरिकी सरकार के मौत की सजा न देने के समझोते से लाचारी प्रकट करते हुए मायूस हो कर कहा कि न्यायमूर्ति
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न्याय मिलने की आश लेकर देश भर के लोगों के लिए जंतर मंतर बना कुरूक्षेत्र  22 जनवरी को राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर मुम्बई के फिल्म निर्माता व एक्टर राॅकसन न्याय की गुहार लगाने आये। उन्होंने यहां पर चल दामिनी को न्याय दो के लिए चल रहे धरना अनशन में सम्मलित हो कर जहां इसका समर्थन किया वहीं अपने साथ देश के गृहमंत्री द्वारा किये गये अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने का ऐलान किया। वहीं उनके आने के कुछ ही घण्टे बाद सांयकाल को दिल्ली में किसी पार्षद द्वारा यौन शोषण के पीडि़ता के परिजन बुरी तरह से आरोपी द्वारा पीटे जाने के बाद घायल अवस्था में यहां पर आये। घायल को पुलिस  बाद में अपनी एम्बुलेंस से चिकित्सालय ले गयी। इसी प्रकार यहां पर देश के विभिन्न भागों से न्याय की गुहार लगाने के लिए आने वाले पीडि़तों व संघर्ष की हुंकार भरने वाले योद्धाओं का विगत एक दशक से अधिक समय से निरंतर आने का क्रम जारी है। उस समय यहां पर एक तरफ दामिनी को न्याय दो का जनांदोलन चल रहा था व दूसरी तरफ पंजाब से चण्डीगढ़ पुलिस के डीआईजी द्वारा यौन शोषण की पीडि़ता भी कई दिनों से आमरण अनशन पर डटी हुई थी। इन दिनों यहां 16 दि
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प्रधानमंत्री की दावेदारी की राह को आसान करने के लिए किया  आडवाणी ने गडकरी का विरोध ! लोग हैरान है कि लालकृष्ण आडवाणी ने संघ के प्रिय गडकरी को फिर से भाजपा का फिर से अध्यक्ष बनाने का विरोध क्यों किया। इसी के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने अपने पद से इस्तीफा दिया । निशंक को पाक साफ बताने वाले व कई विवादों में घिरे वर्तमान अध्यक्ष गडकरी की ताजपोशी पर लगा ग्रहण।  सुत्रों के अनुसार संघ की पहली पसंद होने व पार्टी में संविधान में संशोधन के बाबजूद लालकृष्ण आडवाणी के विरोध के कारण गडकरी फिर से राष्ट्रीय अध्यक्ष नहीं बन पाये। इस प्रकार भाजपा में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री का प्रत्याशी बनाने की चर्चाओं के बीच कभी पीएम इन वेटिंग के रूप में असफल रहे कभी भाजपा के लोहपुरूष समझे जाने वाले लालकृष्ण आडवाणी एक बार फिर प्रधानमंत्री पद के लिए दावेदारी की तरफ मजबूती से एक एक चाल चल रहे है। लोग समझ नहीं पा रहे हें कि आडवाणी ने गडकरी जेसे बेहद कनिष्ट नेता का विरोध क्यों किया? परन्तु आडवाणी संघ के मंसूबों से भयभीत हैं। उनको मालुम है संघ की शक्ति जो प्रदेश स्तर के
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बडी धूमधाम से मनायी गयी गढ़वाल हीरोज की हीरक जंयती  मावलंकर हाल में रही नरेन्द्रसिंह नेगी व हीरासिंह राणा के गीतों की धूम नई दिल्ली(प्याउ)। देश के नामी फुटबाल क्लब ‘गढ़वाल हीरोज’ ने अपनी स्थापना के 60 वर्ष पूरे होने पर अपनी हीरक जंयती सं सद के समीप मावलंकर हाल में बहुत ही धूमधाम से मनाया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड के चोटी के गायक नरेन्द्रसिंह नेगी व हीरासिंह राणा के सुमधुर गीतों ने इस सभागार में उपस्थित भारी संख्या में उपस्थित उत्तराखण्डियों का मन ही मोह लिया। समारोह का शुभारंभ उत्तराखण्ड गौरव ‘नरेन्द्रसिंह नेगी व साथियों ने ‘जय अम्बा, जगदम्बा, जय माता राणी .... व शम्भू भोले नाथ.... एवं हिमवंत देश होला, त्रियुगी नारैण.... जैसे तनमन को पवित्र करने वालेे भगवान शिव शक्ति व भगवान विष्ण की दिव्य आराधना वाले गीतों को गाल कर पूरे वातावरण को शिवशक्तिमय बना दिया। उसके बाद महान गायक हीरासिंह राणा ने ‘अचक्याल हरे ज्वाना, मेरी नोली पराण... गा कर लोगों को अपने स्वर में स्वर मिलाने के लिए रंगमत कर दिया। समारोह का संचालन करते हुए प्रसिद्ध पत्रकार व समाजसेवी सुनील नेगी ने देश के नामी फुटबाल क्लब ‘गढ
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सरेआम बिक रहा है प्रतिबंधित जानलेवा गुटका  दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखण्ड सहित कई प्रदेशों में गुटका पर लगे प्रतिबंधों की उड रही धज्जियां देहरादून (प्याउ)। भले ही दिल्ली, हरियाणा, उत्तराखण्ड सहित कई प्रदेशों ने बडे जोरशोर से वाह वाही लुटने  के लिए जानलेवा साबित हो रहे गुटका आदि पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की। परन्तु हकीकत यह है कि आज इन प्रदेशों में अधिकांश हर दुकान पर यह जानलेवा गुटका नये अंदाज से खुलेआम मिल रहा है। ऐसा नहीं कि पुलिस प्रशासन को इसकी भनक नहीं है। यह सब प्रशासन की जानकारी व संरक्षण में हो रहा है। शर्मनाक हालत यह है कि पहले छुप कर गुटका बेचने वाले दुकानदार अब खुलेआम बेच रहे हैं। देश में इसकी क्या हालत है यह दिल्ली में संसद भवन के एक किलोमीटर क्षेत्र में खुलेआम बिक रहे प्रतिबंधित गुटका को देख कर आम आदमी समझ सकता है। हालांकि इस सप्ताह देहरादून में जब पुलिस ने ंउपजिलाधिकारी के नेतृत्व में नगर पालिका की टीम ने तम्बाकू युक्त गुटखे की बिक्री रोक लगाने को लेकर विकासनगर बाजार में अभियान चलाया, तो चंद दुकानों से ही गुटके के असंख्य पाउच बरामाद होने से शासन प्रशासन को इस प्रतिबंध
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आंदोलन को दमन से कुचल न पायी सरकार अब कर रही है बदनाम करने का षडयंत्र ! 16 दिसंबर को दिल्ली में 23 वर्षीय दामिनी के साथ चलती बस में हुए सामुहिक बलात्कार की विभत्स घटना के बाद 22 व 23 दिसम्बर को सडकों पर उमडे व्यापक जनाक्रोश को दबाने के ब ाद जहां सरकार पुलिसिया दमन के बाद भी विफल रही। 24 दिसम्बर के बाद देश के हर कोने कोने में ही पूरे विश्व में जिस प्रकार से इस घटना की व्यापक भत्र्सना हो रही है। उसने मनमोहन सरकार को भरी सर्दी के मौसम में भी पसीने ही नहीं छुडवा दिये अपितु इस सरकार व व्यवस्था की चूलें हिला दी है। इस प्रकार की बलात्कार की घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए देश की सरकार से अविलम्ब कड़ा कानून बनाने की मांग को लेकर संसद की चैखट जंतर मंतर पर समर्पित आंदोलनकारी एक माह गुजरने के बाद भी लगातार आंदोलन कर रहे है। बिना किसी नेता, संगठन के चलने वाले इस जनांदोलन से सरकार पूरी तरह सहमी हुई है । एक माह बाद भी सरकार जंतर मंतर पर चल रहे आंदोलन को तमाम तिकडमों व दमन के बाद भी तोड नहीं पायी। इस जनाक्रोश को जनता व लोकतंत्र की असली ताकत बताने वाले इस आंदोलन में मूक रहकर सक्रिय भागेदारी निभा र
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मनमोहनी कुशासन को दूर करने के बजाय बंद करे कांग्रेस चिंतन की नौंटकी  कांग्रेस के जयपुर चिंतन पर भारी पडा जंतर मंतर का चिंतन  एक तरफ जयपुर में देश की केन्द्र सहित कई प्रांतों की सत्ता में आसीन कांग्रेस के दिग्गजों का 2 दिवसीय चिंतन शिविर का जयपुर में 19 जनवरी को राहुल गांधी को कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष की घोषणा के हुई और 20 को कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी व मनमोहनसिंह तथा उपाध्यक्ष बने राहुल गांधी के भाषणों के साथ यह चिंतन शिविर का समापन हुआ। वहीं दूसरी तरफ देश की संसद की चैखट, राष्ट्रीय धरना स्थल पर जहां देश की वर्तमान शर्मनाक स्थिति से उबारने  के लिए दिसम्बर से निंरतर जनांदोलन चला हुआ है वहां पर भी 19 जनवरी को बीच सडक में बैठ कर देश की शर्मनाक स्थित पर गहन चिंतन हुआ। इस चिंतन में मेरे अलावा भाग लेने वालों में देश के शीर्ष चिकित्सा संस्थान ‘अखिल भारतीर्य आयुर्विज्ञान संस्थान दिल्ली के सेवा निवृत वरिष्ट सर्जन डा परमजीत सिंह साहनी, वसुंधरा गाजियाबाद से समाजसेवी दीन दयाल शर्मा व दक्षिण भारतीय मूल की वरिष्ट अधिवक्ता व अन्य समाजसेवी। इसमें देश की कानून व्यवस्था, मंहगा
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 अपने  अहम् को नहीं गैरसैंण की तरफ उठ रही आवाज को मजबूत बनायें दो दशक से अपना सब कुछ दाव पर लगा कर मैं जनहितों के लिए पत्रकारिता, आंदोलनकारी व साहित्य कर्मी बना हॅू। देश, समाज व प्राणीमात्र का कल्याण मेरा पहला मिशन है। मैं लिखता ही नहीं अपितु इसको आत्मसात करते हुए जनजागरण में भी लगा रहता हॅॅू। उपदेश देना या किसी पर प्रश्न उठाना बहुत आसान है। खासकर गैरसैंण वाले मुद्दे पर, पत्रकारों पर। पत्रकार किसी दूसरे ग्रह के जीव नहीं वे भी हमारे समाज के ही अंग है। जहां तक गैरसेंण  का मामला है। जब यह मुद्दा 12 साल से निरंतर जिंदा  रखे हुए है तो वे पत्रकार व यहां के राज्य गठन के कुछ  समर्पित लोग ही है। जिन्होंने निरंतर प्रदेश के हक हकूकों व उसके भविष्य के बारे में जनता को जागृत करने या हुक्मरानों व समाज को दिशा देने के लिए मुजफरनगरकाण्ड, परिसीमन, गैरसैंण, भ्रष्टाचार, जातिवाद, मूल निवास, जल, जंगल जमीन के गंभीर समस्याओं के प्रति सकारात्मक व प्रखर ढ़ग से जीवंत बनाये हुए है। अपनी अज्ञानता या अदूरदर्शिता के कारण पत्रकारों पर  क्यों थोप रहे हो ? क्या आपको नहीं मालुम की 12 साल से उत्तराखण्ड के हक हकूक
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देश को लूटने व लुटाने में चंगैंज व फिरंगियों को मात दे गये देश के हुक्मरान धर्म, जाति, क्षेत्र, नस्ल, रंग, लिंग व भाषा के नाम पर अंध तुष्टिकरण देश व समाज के प्रगति में जहां घातक होता है वहीं न्याय का भी गला घोंटता है। जहां तक केवल मुस्लिम समाज के लोगों के लिए उनकी धार्मिक यात्रा के लिए (हज के लिए) सरकारी सहायता देना न केवल अन्य समाज के लोगों में असंतोष पैदा करता है अपितु यह मुस्लिम हज यात्रा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ भी है। जिसमें हज यात्रा केवल अपनी मेहनत के धन से की जानी चाहिए। देश में सरकारी सहायता हज यात्रा के लिए देने का शुभारंभ जिसने भी किया वह केवल तुष्टिकरण के लिए किया गया। आपके अनुसार 1973 से सरकार 40 साल से हज यात्रा पर सरकारी सहायता देती है। यहां से हज यात्रा के लिए मक्का जाने के लिए हवाई जहाज इत्यादि के खर्चे के लिए 70 हजार रूपये से अधिक का खर्चा प्रतिव्यक्ति को दे रही है। न्यायालय ने भी इस व्यवस्था पर प्रश्न खडे किये कि केवल धर्म विशेष के लिए इस प्रकार की सहायता देना व अन्य धर्मोवलम्बियों को इस प्रकार की धार्मिक यात्राओं के लिए नहीं देना किसी भी सूरत में सामाजिक न्
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गैरसेंण राजधानी बना कर प्रायश्चित करें उत्तराखण्डी नेता अगर प्रदेश के नेताओं को जरा भी शर्म व लोकशाही के प्रति श्रद्धा रहती तो वे 2000 में ही स्थाई राजधानी गैरसेंण घोषित करके यह आयोग बनाते कि गैरसेंण में कितनी जल्दी राजधानी बने परन्तु यहां तो सन 2000 से 2012 तक ऐसे जनविरोधी नेता सत्ता में काबिज रहे जो जन भावनाओं का गला घोंटते हुए राजधानी बलात देहरादून में ही थोपने का षडयंत्र करते रहे। लोकतंत्र में आयोग नहीं जनभावनायें सबसे महत्वपूर्ण होती है। जो राजधानी चयन आयोग ही प्रदेश की जनभावनाओं को रौंदने के लिए बनाया गया था। ऐसे आयोगों को बनाने वालों को जब उत्तराखण्ड राज्य गठन व राजधानी गैरसेंण बनाओं का 1994 से 2000 तक चला व्यापक जनांदोलन ही नहीं दिखायी दिया तो उनसे क्या आशा की जा सकती है। अब देर सबेर चाहे किसी भी भाव से वर्तमान सरकार ने गैरसैंण में विधानसभा भवन बनाने व शिलान्यास करने का ऐतिहासिक काम किया है। यह गैरसेंण राजधानी बनाने के लिए मील का पत्थर उसी प्रकार से होगा जिस प्रकार से पूर्व प्रधानमंत्री देवगोडा जी ने 15 अगस्त के दिन उत्तराखण्ड राज्य गठन करने का राष्ट्रीय संकल्प लिया था।
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उत्तराखण्ड भाजपा अध्यक्ष के चुनाव में संघ व केन्द्रीय नेतृत्व की अग्नि परीक्षा प्रदेश अध्यक्ष के लिए 19 को होगा मतदान देहरादून (प्याउ)। कोश्यारी, खण्डूडी व निशंक यानी तीन गुटों में फंसी उत्तराखण्ड प्रदेश भाजपा में इन दिनों प्रदेश अध्यक्ष के लिए ऐसी कसमकस चल रही है कि उसने भाजपा के अनुशासित पार्टी होने की पूरी तरह हवा ही निकाल ली है। मोदी के विशाल कद के आगे बोने साबित होने के बाबजूद केसे बनेगे प्रधानमंत्री इसी हवाई सपनों व तिकडमों में खोये जनाधार विहिन गडकरी सुषमा, जेटली जैसे केन्द्रीय नेतृत्व को हिमाचल खोने के बाद भी उत्तराखण्ड की सुध लेने की फुर्सत ही नहीं है। यहां पर जमीनी व साफ छवि के मोहन सिंह ग्रामवासी जेसे वरिष्ट नेताओं के हाथों में भाजपा सोंप कर प्रदेश में चल रही आत्मघाती व दिशाहीन गुटबाजी को दूर करने के बजाय केन्द्रीय नेतृत्व अपने अपने प्यादे बने गुटवाज नेताओं को हवा ही दे रहे है। राष्ट्रीय स्तर पर किसी मजबूत जमीनी साफ छवि के वरिष्ठ नेता को अध्यक्ष बनाने के बजाय गडकरी के मोह में मोदी की ताजपोशी की राह को आसान बनाने के बजाय भाजपा का संविधान तक बदलकर मोदी को पुन्न अध्यक्
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विधानसभा भवन की नीव रख्ना ही होगा गैरसेंण राजधानी बनने के मार्ग में मील का पत्थर मुख्यमंत्री ने रखी गैरसैंण में विधानसभा भवन की नींव दो साल में तैयार हो जायेगा विधानसभा भवन प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसेंण बनाने के मार्ग में मील का पत्थर उस समय रखा गया जब प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 14 जनवरी को मकर संक्रांति के दिन गैरसैंण में विधानसभा भवन का शिलान्यास रखा। विधानसभा अध्यक्ष, सांसद सतपाल महाराज, सांसद प्रदीप टम्टा, नेता प्रतिपक्ष,प्रदेश के तमाम मंत्रीमण्डल के अधिकांश वरिष्ठ सदस्यों, अनैक विधायकों व प्रदेश के वरिष्ट नौकरशाहों की उपस्थित में जब प्रदेश के मुख्यमंत्री ने गैरसेंण के भराड़ीसैंण में बनने वाले विधानसभा भवन सहित अनैक परिसरों की नींव गैरसैंण के एक ऐतिहासिक समारोह में हजारों जनसमुदाय के मध्य रखी तो पूरा गैरसेंण ही नहीं देश विदेश में रहने वाले सवा करोड़ उत्तराखण्डियों के चेहरों पर प्रसन्नता की लहर दौड गयी। इस समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने कहा है कि उत्तराखण्ड राज्य गठन के शहीदों व आंदोलनकारियों की भावना के अनरूप हमने इस दिशा में यह महत्वपूर्ण कदम उठाने क
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राज्यों में सबसे मनोहारी होगी उत्तराखण्ड की  राजधानी  ‘गैरसैंण-भराड़ीसेण ’  ‘गैरसैंण-भराड़ीसेण ’जनता संघर्ष मोर्चा ने किया भराड़ीसैण का अवलोकन किया देहरादून में नया विधानसभा भवन बनाने की धृष्ठता न हो  ‘गैरसैंण के भराड़ीसैंण में बनने वाली उत्तराखण्ड की राजधानी भारत के सभी राज्यों में सर्वश्रेष्ठ प्राकृतिक सौन्दर्य से भरपूर मनोहारी होगी। प्रदेश सरकार को प्रदेश व देश के दूरगामी हितों की रक्षा के लिए देहरादून का अंधमोह छोड़ कर अविलम्ब जनभावनाओं के अनुरूप प्रदेश की राजधानी गैरसैंण घोषित कर देनी चाहिए।’ प्रदेश के मुख्यमंत्री सहित तमाम राजनैतिक दलों से यह दो टूक खुली मांग उत्तराखण्ड राज्य गठन के अग्रणी संगठन ‘ उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा’ ने गैरसैंण में मकर संक्रांति के दिन विधानसभा भवन शिलान्यास समारोह में भाग लेने के बाद की। गैरसैंण-उत्तराखण्ड की विधानसभा भवन के शिलान्यास समारोह की पूर्व संध्या, (13 जनवरी 2013) को विधानसभा भवन के लिए चयनित स्थल का अवलोकन करने उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन के अग्रणी संगठन  ‘उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा’ का 4 सदस्यीय प्रतिनिधी मण्डल, गैरसैं
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पाक से कश्मीर मुक्त कराके कड़ा सबक सिखाये भारत  पूछ में पाकिस्तानी सेना द्वारा भारतीय सीमा के अंदर दो भारतीय सैनिकों की निर्मम हत्या करने के बाद भारत सरकार नापाक पाकिस्तान का मुंहतोड़ जवाब देते हुए तुरंत पाक द्वारा कब्जाये भारत के अभिन्न हिस्से कश्मीर को मुक्त कराने के लिए भारत को सैन्य आप्रेशन शुरू कर देना चाहिए था। परन्तु यह काम करने के बजाय जिस ढुलमूल ढ़ग से भारत सरकार केवल जबानी बयान बाजी कर पाक को प्रत्युतर दे रही है उससे पूरे देश में रोष है और सेना के मनोबल पर दुष्प्रभाव पडेगा। पाकिस्तान का दुशाहस भारतीय हुक्मरानों की नपुंसकता के कारण दिन प्रति दिन बढ़ता ही जा रहा है। कभी उसके गुर्गे संसद पर हमला करते तो कभी मुम्बई, कभी कारगिल में करते तो कभी पूछ़ पर। आखिर भारत सरकार कब तक इस प्रकार की नपुंसकता अपना कर देश के स्वाभिमान व अखण्डता से पाक को खिलवाड़ करने की छूट देते रहेगी। भारत सरकार की नपुंसकता का एक मात्र कारण यह भी देश के प्रबुद्ध जनों को लगता है कि नापाक पाक का आका अमेरिका नहीं चाहता है कि उसके प्यादे पाक पर भारत हमला करे। अमेरिका सदैव पाक से भारत व अफगानिस्तान को अपने शि
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त्रिपुरा में 14 फरवरी, मेघालय और नागालैंड में 23 फरवरी को होंगे विधानसभा चुनाव नई दिल्ली (प्याउ)।चुनाव आयोग ने शुक्रवार 11 जनवरी को तीन राज्यों-त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में होने वाले विधानसभा चुनावों का शंखनाद कर दिया। इसकी घोषणा करते  हुए मुख्य निर्वाचन आयुक्त वीएस सम्पत ने खचाखच भरे संवाददाता सम्मेलन में ऐलान किया कि त्रिपुरा में 14 फरवरी को तथा मेघालय व नागालैंड में 23 फरवरी को मतदान होगा। इन तीनों विधानसभा में हुए मतदान की गणना 28 फरवरी को की जायेगी। मेघालय व नागालेण्ड में एससी न होने के कारण यहां एक भी सीटें एससी के लिए आरक्षित नहीं है। वहीं त्रिपुरा की दस सीटे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। नागालेण्ड विधानसभा की 60 में से 59 सीटें तथा मेघालय में 55 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है। मेघालय में 14,81,473,नागालेण्ड में 11,81,731व त्रिपुरा में 23,52,505 मतदाता है। मेघालय में 2485, नागालेण्ड में 2023 व त्रिपुरा में 3018 मतदान केन्द्र हैं।
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प्रदेश में नहीं नेताओं के घर बह रही है विकास की गंगा आज मुझे उत्तराखण्ड शासन के महत्वपूर्ण पद में आसीन मित्र ने उत्तराखण्ड में विकास की ऐसी गंगा की झलक दिखायी कि मैं भी दंग रह गया। मेरे मित्र ने कहा भई आप लोग बेकार ही हाय तौबा मचा रहे हैं कि उत्तराखण्ड में विकास नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा यहां के नेता जो भी शासन में आता है वह विकास के लिए काम करता है। देखा नहीं कांग्रेस की वर्तमान सरकार में सभी प्रदेश के बडे दिग्गज नेताओं ने खुद या अपने परिजनों का विकास कर ही दिया। मैने एक पल के लिए वर्तमान प्रदेश सरकार पर नजर फेरी तो देखा कि वर्तमान बहुगुणा सरकार में कांग्रेसी दिग्गज नेताओं ने भले ही प्रदेश का विकास करने के बजाय अपना व अपने परिवार का विकास तो कर ही दिया। कितना विकास कर लिया। स्वयं विजय बहुगुणा ने इतनी तिकड़म की कि वह भले ही कांग्रेसी अधिकांश विधायकों के समर्थन न होने के बाबजूद उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान होने का कीर्तिमान बनाया। यही नहीं उन्होंने विकास के कांग्रेसी राह का अनुशरण करते हुए सबसे पहले प्रदेश के वरिष्ट नेताओं को दरकिनारे लगाते हुए अपने बे