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Showing posts from June, 2012
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आपातकाल से बदतर कुशासन से मुक्ति के लिए देश तरफ रहा है एक जय प्रकाश नारायण के लिए शोषण की मार झेल रहे है आम आदमी, मजदूर व कर्मचारी देश  जंतर मंतर पर पायलटों के आमरण अनशन की शर्मनाक उपेक्षा कर रही है मनमोहन सरकार  इसी पखवाडे 25 जून को एक तरफ देश में लोकशाही के समर्थक इंदिरा गांधी द्वारा इसी दिन देश के लोकतंत्र पर ग्रहण लगाने वाले आपातकाल की कड़ी भत्र्सना कर रहा था वहीं दूसरी तरफ देश की राजधानी दिल्ली में लोकतंत्र की सर्वोच्च संस्था संसद की चैखट राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर भारतीय पायलट संघ व दिल्ली पत्रकार संघ अपने अपने संस्थानों में उनके हितों का गला घोंटने की आपातकाल से बदतर स्थिति के कारण तपती धूप में भी सडकों में उतर कर आंदोलन कर रहे थे। परन्तु क्या मजाल कि देश में प्रबुद्ध व उच्च सेवा प्रदान करने वाले आंदोलनकारी पायलटों की मांग को सुनने के दायित्व का निर्वहन तक करने की कोशिश करे। देश के भ्रष्ट हुक्मरानों के कृत्यों से सरकारी विमानन सेवा इंडियन एयरलाइन्स व एयर इंडिया बदहाली के कगार पर पंहुच गया। इनके प्रबंधकों के आत्मघाती व विश्वासघाती कार्यो के कारण एयर इंडिया भारी
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पाक समर्थक आतंकी अबू हाजमा की गिरफतारी से आक्रोशित पाक पलटा सरबजीत की रिहाई से  पाकिस्तान ने दो दशक से पाक जेल में बंद सरबजीत सिंह को राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान करके रिहा करने की घोषणा के 6 घण्टे के अंदर ही अपनी घोषणा से पलटते हुए पाकिस्तान ने कहा कि सरबजीत सिंह को नहीं अपितु पाक जेल में ही बंद दूसरे कैदी सुरजीत सिंह को रिहा करेगा। पाक की इस पलटी मार दाव के पीछे एक ही कारण है कि भारत द्वारा मुम्बई हमले के एक मास्टरमाइंड पाक समर्थक आतंकी अबू हाजमा को इसी सप्ताह दुबई से पकड़ कर मुम्बई हमले में पाक की संलिप्ता को बेनकाब करना रहा। खुद को बेनकाब होते देख कर आक्रोशित पाक ने यह पलटी दाव चलाया। गौरतलब है कि भारत ने भी एक पाक के दशकों से भारत की जैल में बंद केदी को गत माह रिहा किया था। पाकिस्तान ने भी इसी की उतर में सबरजीत को रिहा करने की अनौपचारिक सहमति दोनों देशों के बीच हो गयी थी। अब इस घटनाक्रम में आतंकी अबू हाजमा की गिरफतारी से बौखलाये पाक ने सरबजीत की रिहाई का ऐलान करने के बाद जिस प्रकार से पलटी मारी उससे उसकी विश्वसनीयता पर पूरे विश्व में प्रश्न चिन्ह लग गया है। वहीं जिस सुरजीत स
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बांध नहीं विश्व पर्यावरण रक्षक उत्तराखण्डियों को देश व विश्व संस्था प्रदान करे निशुल्क घरेलु गैस, पानी व बिजली आज विश्व संस्था  व भारत सरकार को चाहिए कि  शताब्दियों से पूरे देश ही नहीं अपितु विश्व को हिमालयी क्षेत्र के जंगल व जमीन व जल की रक्षा करके पर्यावरण व जल संसाधनों को प्रदान करने वाले हिमालयी क्षेत्र के उत्तराखण्डियों को निशुल्क बिजली, पानी व घरेलू गैस को दे कर लोगो ंको जल जंगल व जमीन के रक्षक के रूप में सम्मानित करके अपने दायित्व का निर्वहन करे। इसके अलावा विश्व संस्थाओं व देश प्रदेश सरकारों द्वारा चलायी जाने वाली तमाम पर्यावरण संवर्धन व वृक्षा रोपण आदि कार्यक्रमों को एनजीओ आदि हवाई संस्थाओं के माध्यम से नहीं अपितु ग्राम सभाओं के माध्यम से स्थानीय लोगों द्वारा ही संचालित करके उनके रोजगार के नये अवसर खोल कर विश्व पर्यावरण के साथ साथ जल, जंगल व जमीन की रक्षा करने का काम किया जाय। इन बांध समर्थकों को एक बात समझ लेनी चाहिए कि बांध के विरोध में केवल वामपंथी, भारतपंथी व उत्तराखण्ड राज्य आंदोलनकारी ही नहीं अपितु प्रदेश के ही नहीं देश के तमाम प्रबुद्ध लोग एकजूट है।  उत्तराखण्ड क
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मोंटेक को वित्तमंत्री बनाने के षडयंत्र को साकार कर पायेगा क्या अमेरिकी  तमाम आलोचनाओं को दरकिनारे करके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के करीबी मित्र व अमेरिका तथा विश्व बैंक के आंखों के तारे मोंटेक सिंह आलूवालियों को प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार बनने के बाद रिक्त हुए वित्त मंत्री के पद पर आसीन किया जाने का तानाबाना बुना जा रहा है। सुत्रों के अनुसार तमाम कोशिशों के बाबजूद कांग्रेस नेतृत्व जनता व कांग्रेसी कार्यकत्र्ताओं की नजरों में उतर चूके मंहगाई, आतंकवाद, भ्रष्टाचार रूपि कुशासन के जिम्मेदार राजग सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आलुवालिया को ही नहीं बदल पा रही है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व मोंटेकसिंह आलूवालिया दोनों भारतीय राजनीति में अमेरिका की पहली पसंद है। अमेरिका वर्तमान में भी किसी भी तरह नेहरू परिवार के हाथों भारत की सत्ता देखना नहीं चाहता है। क्अमेरिका के रणनीतिकार मानते है कि जब भी भारत में नेहरू परिवार के हाथों में सत्ता की बागडोर रही वह मजबूती से विकास करने के साथ अमेरिका से आंखे दिखाने का ही काम करता
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बांधों से तबाह करने के लिए नहीं बनाया गया है उत्तराखण्ड झुनझुनवाला व अविरल गंगा समर्थकों पर हुए हमले से कटघरे में बहुगुणा सरकार   आज मै एक दो टूक सवाल में उत्तराखण्ड को ऊर्जा के नाम पर सैकडों बांधों से जलसमाधी दे कर तबाह करने के लिए नहीं बना है। लाखों लोगों को उनकी जन्म भूमि से जबरन विस्थापन के लिए नहीं बना है। खासकर जिस ऊर्जा के उत्पादन के नाम पर सकडों बांधों को बना कर अपनी तिजोरी भरने का दिवास्वप्न देख रहे उत्तराखण्ड के दिशाहीन हुक्मरान, नौकरशाह व बांध बनाने वाले थेलीशाह एवं उनके दलाल बताये कि आखिर उत्तराखण्ड को डुबाने को क्यो तुले है। ऊर्जा मानव विकास के लिए है न की मानव विनास के लिए। प्रदेश को कितनी ऊर्जा चाहिए। इसका कोई उतर अभी तक प्रदेश की जनता को नहीं बताया गया। टिहरी बांध से कितनी ऊर्जा उत्पन्न हुई और उत्तराखण्ड को कितनी मिल रही है। अब कुछ समय बात पंचेश्वर बांध से लाखों लोगों को उजाडा जायेगा। एक बात देश व प्रदेश के हुक्मरान सुनलें कि उत्तराखण्ड जलसमाधी देने के लिए हरगिज नहीं है। उत्तराखण्ड में बन रहे अंधाधुंध बांधों को बना कर यहां के लोगों को जबरन विस्थापित करन
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भाजपा व कांग्रे्रसियों के चक्रव्यूह को भेद कर  हिमाचल की रक्षा कर पायेंगे वीरभद्र भाजपा व कांग्रेसी नेताओं के चक्रव्यूह में फंसे हिमाचल के दिग्गज नेता वीरभद्र ने आखिरकार केन्द्रीय मंत्रीमण्डल से इस्तीफा दे दिया। 23 साल पुराने एक मामले में उन पर आरोप तय होने के बाद उन्होंने नैतिक दृष्टि केन्द्रीय मंत्रीण्डल से इस्तीफा दे दिया। इस पूरे प्रकरण में पर्दे के पीछे कौन सी ताकतें हैं उनको भी वीरभद्र भले ढंग से पहचानते है। वे   परन्तु दिल्ली व हिमाचल में उनके खिलाफ जो हिमाचल की राजनीति से दूर करने का षडयंत्र दशकों से रचा जा रहा है उसको वे उम्र की इस मुकाम में किस प्रकार से पार पाते हैं, यह तो समय ही बतायेगा। परन्तु यह भी सोलह आना सच है हिमाचल की आम जनता इन तमाम आरोपों के बाबजूद यह मानने के लिए कतई तैयार नहीं है कि राजा साहब किसी भी रूप से किसी भ्रष्टाचार में कहीं लिप्त होंगे। उनका यह विश्वास वीरभद्र के चार दशक से अधिक लम्बी हिमाचल की महत्वपूर्ण सेवा को देख कर ही जनता कर रही है। वही दूसरी तरफ   लगता है कांग्रेस आला नेतृत्व व उनके आत्मघाती दरवारियों ने कुछ माह पहले हुए 5 राज्यों के व
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कश्मीर समास्या के तीन महत्वपूर्ण समाधान कश्मीर में भारत व भारतीय झण्डे का जो अपमान होता है और जिस प्रकार से वहां पर भारत विरोधी ही नहीं देशद्रोही सरेआम देश की सम्पति को नुकसान पंहुचाते हुए हिंसा फेलाते और राष्ट्रीय झण्डे को ही नहीं भारतीय संस्कृति को सरेआम कलंकित करने का दुशाहस करते हैं, उसके लिए आतंकवादी, व इन दहशतगर्दो को भारत विरोधी कृत्यों को करने के लिए शर्मनाक संरक्षण देने वाले पाक व अमेरिका से भी अधिक गुनाहगार भारत के नपुंसक सरकारें रही। सरकार चाहे कांग्रेस गठबंधन के मनमोहन सिंह रहे या संघ पोषित भाजपा नेता अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राजग गठबंधन की रही हो या अन्य दलों की। दो दशकों में भारत की सरकारें इतनी नपुंसक हो गयी कि वह देश के हितों की रक्षा के बजाय अमेरिका के इशारे पर कश्मीर में भारतीय हितों को सरेआम रौंदने वाले कश्मीरी आतंकियों का सफाया करने के बजाय उनसे नपुंसकों की तरह वार्ता आदि का नाटक कर रहे है। कश्मीर समस्या का पहला समाधान यह है कि जम्मू कश्मीर प्रदेश को जम्मू, कश्मीर व लद्दाख तीन राज्यों में विभाजित करके किया जा सकता है । इसका दूसरा समाधान कश्मीर में धार
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डिम्पल की तरह निर्विरोध चुनाव जीतने की विजय बहुगुणा की हसरत पर लगा ग्रहण सितारगंज (प्याउ)। सितारगंज उपचुनाव में अंतिम दिन भाजपा, उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा, किसान मोर्चा व जवान किसान मोेर्चा के प्रत्याशियों सहित कई निर्दलीय प्रत्याशियों के ना मांकन पत्र दाखिल करने के कारण सितारगंज उपचुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की उप्र के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव की तरह निर्विरोध ही उप चुनाव जीतने का कीर्तिमान स्थापित करने की हसरत पर ग्रहण ही लग गया। हालांकि मुख्यमंत्री के सिपाहेसलार इस दिशा मेें काफी प्रयास कर रहे थे कि मुख्यमंत्री विजय के खिलाफ कोई राजनैतिक दल अपना प्रत्याशी ही ना उतारें। निर्लदलीयों को उप्र के मुख्यमंत्री डिम्पल यादव के उपचुनाव में उठे निर्दलीय प्रत्याशियों को अपना नामांकन वापस करने के लिए मना लिया जाता। हालांकि इस बात के भी कई गुपचुप प्रयास भी किये गये कि भाजपा सितारगंज विधानसभा उप चुनाव में प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के खिलाफ भी डिम्पल यादव की तरह अपना प्रत्याशी ही चुनाव मैदान में न उतारें। यही अपेक्षा बहुगुणा समर्थकों
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दंगाईयों से कठोर व निष्पक्ष ठंग से निपटे अखिलेश सरकार उत्तर प्रदेश के मथुरा के समीप लगे कोसीकलां में 1 जून को हुए साम्प्रदायिक दंगों की रोकथाम व दोषियों को दण्डित करनेे तथा आम जनता को निष्पक्ष शासन देने में प्रदेश की अखिलेश यादव की सरकार विफल रही है। इसके बाद वहां पर आक्रोशित दोनों समाजों के बीच आपसी विश्वास जागृत करने में भी शासन अभी तक नकाम रहा । यह दंगा अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी निष्पक्षता की एक परीक्षा थी। शासन प्रशासन को चाहिए था कि वह दलीय संकीर्णता से उपर उठ कर जो भी समाज की शांति भंग करने की कोशिश करता है उसको सख्त से सख्त सजा दे। जिस प्रकार से समाचार पत्रों व फेस बुक में खबरें आ रही है उससे लगता है कि प्रदेश सरकार खुद ही कटघरे मे खड़ी लगती है। प्रशासन को चाहिए कि जो भी निर्दोष व्यक्तियों की सम्पतियों को दंगाईयों ने नुकसान पंहुचाया उसको मुआवजा प्रदान करे। समाज में ऐसे तत्वों जिनके कारण यह दंगा हुआ या जिन्होंने जनता को उकसाया उनको सजा देनी चाहिए। इसके साथ इन दंगा पीड़ित क्षेत्रों में किसी भी कीमत पर सम्प्रादायिकता को भडकाने के लिए कुख्यात नेताओं या व्यक्
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शंकराचार्य स्वरूपानन्द के गंगा आंदोलन से कांग्रेस सरकार में हडकंप संसद की चैखट पर उत्तराखण्ड में गंगा में बन रहे अंधाधुंध बांध पर गरजी सुशीला भण्डारी नई दिल्ली। (प्याउ)। संघ व विश्व हिन्दु परिषद समर्थित भाजपाई नेतृत्व वाले रामजन्म भूमि आंदोलन सहित कई आंदोलनों में कांग्रेस की ढाल बन कर रक्षा करने वाले देश के वयोवृद्ध शंकराचार्य स्वरूपानंद जी महाराज का लगता है कांग्रेसी सरकार से मोह भंग हो गया है। वे गंगा की दुर्दशा को सुधारने के बजाय गंगा पर अनैक बांध बनाने में उतारू कांग्रेसी सरकार से इतने आक्रोशित है कि अपनी बुजुर्ग उम्र व भरी दोपहरी को नजरांदाज करते हुए वे संसद की चैखट जंतर मंतर पर बीच सडक में धरने में बैठ कर आंदोलन का शंखनाद कर गये। शंकराचार्य के इस आक्रोश से सरकार ही नहीं कांग्रेसी नेताओं में हडकंप मचा हुआ है। आजादी के बाद अब तक कांग्रेस से सहानुभूति रखने वाले देश के वरिष्ठ शंकराचार्य स्वरूपानन्द द्वारा गंगा पर बांध बनाने के लिए उतारू कांग्रेसी सरकार के कार्यो से आक्रोशित हो कर राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर तपती दोपहरी में हजारों साधु संतो व गंगा भक्तों के साथ संसद
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आलू गोबी की तरह उत्तराखण्ड में नेताओं की मंडी सजने की खबरों से जनता स्तब्य भाजपा का षडयंत्र या कांग्रेस की चाल है भीम आर्य प्रकरण घनसाली(प्याउ)। भले ही चंद दिनों के लिए अचानक रहस्यमय ढ़ग से भाजपा सहित तमाम नेताओं से अपने सम्पर्क काट कर अज् ञातवास में चले गये घनसाली विधानसभा सीट से भाजपा विधायक भीम लाल आर्य ने उनके कांग्रेस में सम्मलित होने की खबरों को सिरे से नकारते हुए दो टूक शब्दों में कहा कि ‘मैं आलू-टमाटर नहीं जिसे खरीदा-बेचा जा सके । श्री आर्य ने एक सप्ताह तक रहस्यमय ढ़ग से अज्ञातवास में रहने के बाद जिस प्रकार से अचानक अपने आवास घनसाली में प्रकट होने के बाद उसी दिन 18 जून को भाजपा नेता भुवनचंद खंडूडी से मिलने उनके आवास देहरादून में पंहुच कर अपने को भाजपा का अनुशासित सिपाई होने के खुद ही कसीदे पढ़ने लगे। वहीं प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने इस पूरे प्रकरण के लिए भाजपा को ही गुनाहगार बताया। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ने उनकी सरकार को बदनाम करने के लिए इस प्रकार के औच्छे हथकण्डे अपना रही है। सितारगंज के भाजपा विधायक के कांग्रेस में सम्मलित होने के बाद घनसाली से भाजपा
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सितारगंज में भाजपा व उक्रांद के शर्मनाक समर्पण से हैरान लोग देहरादून।(प्याउ)। जिस प्रकार से सितार गंज विधानसभा उप चुनाव के दंगल मुख्यमत्री विजय बहुगुणा के खिलाफ चुनावी मैदान में अपने प्रत्याशी न उतारने की सपा, बसपा व राकांपा की घोषणा को प्रदेश की जनता ने  सामान्य घटना मान कर नजरांदाज कर लिया। परन्तु जिस प्रकार ने भाजपा ने यहां पर कई दिनों बाद प्रकाश पंत को यहां से चुनावी जंग में उतारा और उक्रांद पी ने जिस प्रकार गठबंधन धर्म की दुहाई दे कर यहां पर बहुगुणा का समर्थन करने की बात कह कर अपना प्रत्याशी चुनावी दंगल में न उतारने की घोषणा की उससे लोगों को गहरा धक्का लगा। खासकर जिस प्रकार से मुख्यमंत्री ने भाजपा के विधाकय को यहां से तोड़ा और जिस प्रकार से कांग्रेस भाजपा के अन्य विधायकों पर डोरा डाल रही है उसको देख कर भाजपा से यहां पर मजबूत प्रत्याशी उतारने की आशा प्रदेश की आम जनता ही नहीं राजनैतिक समीक्षक भी कर रहे थे।  वहीं उक्रांद जिस प्रकार से सितारगंज में मुख्यमंत्री द्वारा बंगाली समुदाय को थोक के भाव से भूमिधरी के पट्टे नवाजने का विरोध कर रहा है उसको देख कर उत्तराखण्ड की जनता को आशा
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सादगी मनाया भगतसिंह कोश्यारी ने अपना 70 जन्म दिवस  नई दिल्ली(प्याउ)। भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष व उत्तराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री भगतसिंह कोश्यारी को 17 जून को उनके 70 वें जन्म दिवस पर उत्तराखण्ड के राज्यपाल सहित उनके समर्थक ों ने हार्दिक बधाई दी। हालांकि संघ से ताउम्र जुडे हुए प्रदेश के सबसे जमीनी व भाजपा नेता सांसद भगतसिंह कोश्यारी ने अपने जन्म दिन पर किसी प्रकार के समारोह का आयोजन करने के बजाय बिना किसी समारोह के अन्य दिनों की तरह जन कार्यो मे ंसमर्पित रह कर ही मनाया। सादा जीवन उच्च विचार व जीवन को माॅं भारती की सेवा में समर्पित करने के संकल्प को ताउम्र आत्मसात करने वाले भगतदा के नाम से अपने समर्थकों में जाने जाने वाले सांसद भगत सिंह कोश्यारी की गिनती आज उत्तराखण्ड के ही नहीं देश के उन चंद जमीनी नेताओं में होती है जो अपनी सादगी व जनसेवा के लिए जनता के लिए हर पल अपने घर के दरवाजे खुले रहते है। प्रदेश भ्में भाजपा के वर्तमान पतन के लिए प्रदेश के ही नहीं देश के वरिष्ट राजनेता ही नहीं अपितु आम जन भी साफ छवि के इस जनप्रिय कद्दावर नेता के बजाय जनता द्वारा नक्कारे गये
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जंगली जानवरों द्वारा मारे जाने पर मिले कम से कम 5 लाख का मुआवजा डीडीहाट क्षेत्र में मनखी बाघ द्वारा मारे गये व्यक्ति को दी केवल 5 हजार सहायता पिथौरागढ़ (प्याउ)। सीमान्त जनपद पिथोरागढ़ में इस सप्ताह 35 वर्षीय एक व्यक्ति को मनखी बाघ ने अपना निवाला बना लिया और दो अन्य लोगों को घायल कर दिया। इस प्रकरण पर सरकार ने संवेदनहीनता दिखाते हुए केवल 5 हजार का मुआवजा दिया। इसी प्रकार की दुर्घटना से आये दिन उत्तराखण्ड के हर पर्वतीय जनपद के लागों को दो चार होना पड़ता है। परन्तु क्या मजाल सरकार को अपने दायित्व का जरा सा भी बोध हो। सरकार की इस संवदेनहीनता यहां के प्रबुद्ध लोगों को झकझोर कर रख दिया है। क्या आम उत्तराखण्डी की कीमत केवल 5 हजार रूपये ही हे। सरकार ने अभी तक प्रदेश में भले सड़क दुर्घटना या अन्य आपदाओं में काल कल्वित होने वाले लोगों को मुआवजे का एक समान नियम कानून नहीं बनाया है। परन्तु फिर भी सड़क दुर्घटना में एक डेढ़ लाख से 50 हजार तक मुआवजा की घोषणा सरकार करती नजर आती है। परन्तु जंगली जानवरों द्वारा मारे गये लोगों या घायल लोगों या इन जानवरों के निवाला बने पालतु पशुओं के मुआवजे के बा
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भारत में मोदी को ही एकमात्र देशभक्त व स्वाभिमानी नेता मानता है अमेरिका ! गांधी की तरह अमेरिका को दो टूक शब्दों में उसका असली चेहरा दिखाये मोदी अमेरिका द्वारा गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमेरिका आने के लिए वीजा न देने के प्रकरण क ा स्मरण होते ही मेरा मन महात्मा गांधी की उस महान दृढ़ता के लिए उनको शतः शतः नमन् करने को हिलोरे लेने लगता है । कितने महान व्यक्तित्व के धनी थे महात्मा गांधी जिनमें इतना नैतिक दृढ़ साहस व मानवीय दृष्टि भी थी कि अमेरिकियों के गांधी जी से अमेरिका पधारने के तमाम अनुनय विनय को दो टूक शब्दों में यह कहते हुए ठुकराया था कि अमेरिका हिंसक व शोषक देश है, जब तक उसकी यह वृति रहेगी मै अमेरिका में पांव नहीं रख सकता। क्या आज के किसी भारतीय नेताओं में इतना साहस है? चाहे नेता मनमोहन सिंह हो या अटल या अन्य सबके सब अमेरिका के आगे दुम हिलाने के लिए कितने अधीर हैं यह वर्तमान दो दशकों की राजनीति से साफ दिखाई देता है । किसी प्रकार अमेरिका के हितों के पोषण के लिए देश को अमेरिका के हितों की पूर्ति के लिए दाव पर लगाने वाले देश के वर्तमान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ही नह
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सन् 2000 के बाद हुक्मरानों द्वारा उत्तराखण्ड की जमीनों की बंदरबांट को जब्त करे सरकार उत्तराखण्ड गठन के बाद यहां पर आसीन भाजपाई व कांग्रेसी सरकारों ने जो यहां के संसाधनों की खुली लुट मचाई उस पर अगर श्वेत पत्र इन कृपार्थियों के नाम सार्वजनिक किया जाय तो इन दलों के आकाओं के चेहरे जनता के समक्ष बेनकाब हो जायेंगे। खासकर भाजपा के आला नेता आडवाणी की लाडली हो या तरूण विजय या संघ पोषित संगठनों से जुडे संगठनों के एनजीओ आदि के लिए उत्तराखण्ड की जमीनें कोडियों के भाव लुटाई गयी। अब इस परमपरा को शर्मनाक ढ़ग से तिवारी व बहुगुणा सरकार ने बढ़ाया है। मुख्यमंत्री के चुनाव क्षेत्र में जिस प्रकार से भूमिधरी के पट्टे नवाजे गये उससे साफ हो गया कि यहां के हुक्मरान प्रदेश के संसाधनों की बंदरबांट करना अपना बपौती अधिकार समझते है। इस समस्या कितनी बिकराल हो गयी है कि इसके समाधान के लिए अब राज्य गठन जनांदोलन के प्रमुख आंदोलनकारी संगठन ‘उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा’ ने पुरजोर मांग की है कि सन2000 राज्य गठन के बाद  यहां की  जमीनो का यहां के हुक्मरानों ने जो भी बंदरबांट की है  उनके नाम सार्वजनिक करने के बाद उन
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- कांग्रेस के राष्ट्रपति दाव से भाजपा व ममता चित    अधिक बेहतर होता प्रधानमंत्री बनते प्रणव व मनमोहन बनते राष्ट्रपति संप्रग प्रमुख सोनिया गांधी के राष्ट्रपति दाव से न केवल भाजपा ही नहीं अपितु सप्रंग सरकार को कदम-कदम पर नीचा दिखाने वाली बंगाल की मुख्यमंत्री व संप्रग सहयोगी ममता बनर्जी भी चारों खाने चित हो गई । सप्रंग गठबंधन की प्रमुख सोनिया गांधी ने जेसे ही देश के सबसे अनुभवी, वरिष्ठ व वर्तमान वित्तमंत्री प्रणव मुखर्जी को देश के राष्ट्रपति के पद का प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया तथा इस ऐलान के चंद घण्टे के अंदर बहुजन समाजवादी पार्टी व समाजवादी पार्टी ने प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति पद के लिए अपना समर्थन देने का ऐलान कर दिया। इसके बाद जिस प्रकार से राजग के घटक दलों (शिवसेना व जदयू) में प्रणव मुखर्जी के समर्थन में भाजपा के अनमने रुख को दर-किनारा करते हुए समर्थन में आगे आए, उससे साफ हो गया कि देश को अब तक का सबसे अनुभवी वरिष्ठ व साफ छवि का राजनेता प्रणव मुखर्जी के रूप में राष्ट्रपति के रूप में मिलेगा। परन्तु देश का इससे अधिक सौभाग्य रहता कि अगर प्रधानमंत्री के रूप में पूरी तरह से
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किसी को शिकवा नहीं है तुम्हारी उडान से  जिसने नवाजे पंख तुमको जीवन वक्त के भला वो क्यों जलेगा अपने ही चिराग से रोशन करो तुम दुनिया को जलाओं नहीं  यही आश करता है दुनिया का बाजीगर  -देवसिंह रावत
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दिल्ली मनमोहनी हम जाने दिल्ली मनमोहनी हम जाने,  आये यहां वह यहीं बस जाये।। इसने छाती पर सहे सदियों से जुल्म चंगेजों और फिरंगियों के।  मोहपाश में इसके फंस कर  देखो मिट गये कई सिकंदर।। हम भी न जाने किस घड़ी में बन गये आ कर यहां बंदर।। इसके आंचल में मिलता है सबको यहां ठोर ठिकाना।। इसके मोहपाश में बंध कर   बन जाये जग ही दीवाना ।। मिलता यहां राजा रंक को  अपने स्वप्न लोक का जीवन।। जो आये फिर लोट न पाये  देती है सबको दाना पानी।। तरसे चाहे अपनी घरती को  फिर भी दिल्ली छोड़ न पाये।। दिल्ली मनमोहनी हम जाने आये यहां वह यहीं बस जाये ।।         -देवसिंह रावत (प्रातः7.22 बुद्धवार 13 जून 2012)
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यों कौन छोड़ना चाहता है अपनी धरती, अपने गांव को, पेट की आग ने मेरे हम वतनों को बेवतन कर दिया। आज इतना ही कहूगा आपसे मेरे बेवतन हुए साथियो, अगर खुदगर्ज हुक्मरानों ने सुध ली होती वतन की। हम भी अपने घर आंगन में बसंत की तरह खिलते।। -देवसिंह रावत
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मेरे देश के संसाधनों को लुटवा कर जो  बने हुए हैं शहंशाह इस जहान में साथी  उन खूदगर्ज हुक्मरानों को आओ मिल हम बेनकाब करें इन्हीं के कुकृत्यों से     -देवसिंह रावत आज जल रहा हे लुट रहा है  चंगेजों के हाथों वतन साथियो तुम गा रहे हो गीत बसंत के रो रहा है मेरा वतन साथियो उठों जागो खुदगर्ज न बनो वतन की रक्षा में हुंकार भरो।  कब तक उतारोगे ये आरती स्वार्थो के लिए इन चंगेजों की   -देवसिंह रावत 
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मुलायम व पवार को पाक साफ बता कर भ्रमदेव न बने रामदेव  बाबा रामदेव द्वारा मुलायम सिंह व पवार को आज पाक साफ बताने वाली खबर को सुन कर भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने वाला आम भारतीय हस्तप्रद ही नहीं ठगा सा रह गया। भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग योग को सिखा कर व भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड कर जहां स्वामी रामदेव को देश विदेश के भारतीयों ने अपने सर आंखों पर बिठाया। इसी के सहारे उनको वे अरबों की सम्पति के स्वामी बने व देश विदेश में लाखों लोगों को जोड़ कर जीवंत भारत स्वाभिमान जैसे संगठन के प्रमुख भी बने। परन्तु इस प्रभुता पा कर भी जब दिल्ली के रामलीला मैदान वाले उनके जनांदोलन में कांग्रेस के अमानवीय दमन से आक्रोशित हो कर उनका भ्रष्टाचार का आंदोलन देश में व्याप्त समग्र भ्रष्टाचार के खिलाफ से प्रारम्भ हुए उनके आंदोलन की राह से भटक कर मात्र कांग्रेस के भ्रष्टाचार के खिलाफ से तक सिमट कर रह गया। उनके बयानों में अब केवल कांग्रेस के खिलाफ उनका निजी आक्रोश साफ झलकता है। जिस प्रकार से उन्होंने दिल्ली में इस्लामिक संगठनों की बैठक में मुसलमानों को आरक्षण का खुला समर्थन करके अपने समर्थकों को भी भौचं
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सितारगंज में मतदाताओं को दिये गये खुले आम प्रलोभन पर मूक क्यों चुनाव आयोग  सि तारगंज से विजय बहुगुणा को मिलेगी भारी विजय  देहरादून (प्याउ)। सितारगंज हो रहे उप चुनाव में जहां विजय बहुगुणा का जीतना तय माना जा रहा है वहीं इस सीट पर हो रहे उप चुनाव में चुनाव आयोग की प्रतिष्ठा पूरी तरह से दाव पर लग चूकी है। चुनाव आयोग ने सितारगंज विधानसभा उपचुनाव की अधिसूचना जारी करते हुए वहां पर 13 जून से 20 जून तक नामांकन भरने  व 21 जून को नाम वापसी का दिन घोषित करने के साथ 8 जुलाई को चुनाव तथा 11जुलाई को मतगणना करने का ऐलान कर दिया हो। पर सितारगंज चुनाव भले ही उपचुनाव हो परन्तु यह चुनाव जहां प्रदेश की राजनीति की दिशा तय करेगा वहीं देश के चुनाव आयोग की अग्नि परीक्षा भी करेगा। हालांकि यहां पर जिन परिस्थितियों में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं इस सीट पर कांग्रेसी मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा का जितना तय माना जा रहा है। परन्तु चुनाव जीतने के लिए जिस प्रकार से यहां पर भाजपा अपने विधायक को अपने पक्ष में करने के लिए कांग्रेस सहित मुख्यमंत्री पर सीधे खरीद फरोख्त का आरोप लगा रही है वहीं सितारगंज के बहुसंख्यक मतदात