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Showing posts from November, 2011

अपनी बर्बादी पर क्यों आंशु बहाते हैं लोग,

शीशा देख कर भी अपनी शक्ल से नजरें चुराते हैं लोग, फिर भी अपनी बर्बादी पर क्यों आंशु बहाते हैं लोग, गुनाहगारों को जो देवता बता कर पूजते रहे उम्र भर, वो क्यों फिर अपने जख्मों को देख कर आहें भरते हैं, खुले दिमाग से जरा चेहरा पहचानना सीखो साथी, यहां हर कदम पर भैडिये भी मशीहा बन कर आये हैं।

खंडूडी ने कमजोर लोकपाल बना कर जनता को ही नहीं अण्णा हो भी छला

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भाजपा व कांग्रेस का उत्तराखण्ड से सफाया करके ही होगी जनभावनायें साकार: जनरल तेजपाल सिंह रावत/ खंडूडी ने कमजोर लोकपाल बना कर जनता को ही नहीं अण्णा हो भी छला/ नई दिल्ली, (प्याउ)। ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ छेडी अण्णा की जंग में देश का हर देशभक्त अवाम साथ है। लोगों ने अण्णा की निर्मल छवि व त्याग की मूर्ति के कारण उनको गांधी का प्रतिमूर्ति मान कर उनको अपना समर्थन दिया। परन्तु उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी ने न केवल अण्णा को अपितु प्रदेश की उस भोली जनता के साथ विश्वासघात किया, जो उनको भ्रष्टाचार के खिलाफ खुली जंग छेडने वाला एक ईमानदार राजनेता मानती रही। ऐसी भोली  जनता के विश्वास का गला घोंटते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के नाम पर एक ऐसा लोकपाल बनाया, जो न केवल विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री जैसे पदों पर आसीन संभावित भ्रष्टाचारियों को साफ बचाने का ‘विशेष सर्वानुमति का’ पिछला दरवाजा बनाया है। यही नहीं श्री खंडूडी ने प्रदेश में खुली लूट मचा रहे एनजीओ पर अंकुश लगाने के लिए इसमें सम्मलित तक नहीं किया। वहीं इस बिल को देश में सबसे मजबूत बना कर अपनी झ

देवी देवताओं के नृत्यों व खला मेलों की धूम है इस माह उत्तराखण्ड में

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देवी देवताओं के नृत्यों व खला मेलों की धूम है इस माह उत्तराखण्ड में रुद्रप्रयाग,(प्याउ)। इन पूरे उत्तराखण्ड में कहीं माॅं भगवती की अठवाड़ रूपि नृत्य तो कहीं कोई ग्वेल, भैरव व नरसिंह आदि देवी देवताओं की नृत्य व पूजन भी इसी महिने किया जाता हे। एक प्रकार से यह महिना पूरे उत्तराखण्ड में देवी देवता पूजन व खला मैलों का महिना यानी उत्सव का महिना ही माना जाता है। यहां हर जनपद में किसी न किसी प्रकार का मेला का आयोजन होता हैं। हर क्षेत्र में देवी देवताओं व स्थानीय मेलो का आयोजन किया जाता है। टिहरी में सेम मुखेम हो या पौडी में बूंखाल की कालिंका, चम्पावत हो या सुदूर पिथोरागढ़, अल्मोड़ा हो या पौड़ी सभी जगह मेलों व देवी देवताओं के नृत्यों का आयोजन इसी नवम्बर माह में बड़ी धूम धाम से किया जाता हे। जौल जीवी का मेला हो या पूर्णागिरी का मेला चारों तरफ मेलों का आयोजन।  इन दिनों जनपद रूद्रप्रयाग व चमोली में पांडव नृत्यों की धूम मची हुई है। सदियो ंसे उत्तराखण्ड के इन अंचलों में पांडव लीला के आयोजन अनन्य धार्मिक अनुष्ठान के रूप में आयोजित किया जाता है। पांडव नृत्यों का उत्सव मनाने वाले गांवों में पूरा गां

मनमोहन सरकार के कुशासन से त्रस्त जनता के जख्मों को कुरेदने से बाज आयें प्रणव मुखर्जी

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मनमोहन सरकार के कुशासन से त्रस्त जनता के जख्मों को कुरेदने से बाज आयें प्रणव मुखर्जी केन्द्रीय बित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा कुछ महिनों में मंहगाई पर काबू करने के बयान एक प्रकार से मनमोहन सिंह के कुशासन से त्रस्त देश की आम जनता के जख्मों को कुरेदने वाला शर्मनाक बयान हे। जब जब भी मंहगाई पर मनमोहन सिंह या उनके कबीना मंत्री शरद पवार या प्रणव मुखर्जी बयान देते है, तब तक देश में अचानक कमरतोड़ मंहगाई का तांडव और मच जाता हे। इस लिए देश की जनता का सप्रंग प्रमुख सोनिया गांधी से निवेदन है कि वे व उनकी नक्कारा सरकार देश की जनता को अपने हाल पर छोड़ कर उसके जख्मों पर नमक न छिड़के। आने वाले लोकसभा चुनाव में देश की जनता इस निकम्मी मनमोहन सरकार को देश से उखाड़ फेंकने का खुद काम करेगी।

माया ने उप्र विभाजन के दाव से विपक्ष को किया चारों खाने चित

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माया ने उप्र विभाजन के दाव से विपक्ष को किया चारों खाने चित/ तेलांगना के साथ उप्र का शीघ्र हो विभाजन, -कांग्रेस व भाजपा बेनकाब/ मायावती ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में फिर से प्रदेश की सत्ता में काबिज होने के ‘ उप्र विभाजन के चुनावी दाव के आगे भाजपा, कांग्रेस व सपा सहित पूरा विपक्ष भौचंक्का सा रह गया हे। कांग्रेस व भाजपा की स्थिति सांप छुछंदर की तरह हो गयी है। न तो इसका दिल से समर्थन ही  कर पा रही है व नहीं उनके तर्क ही जनता के गले में उतर रहे है। वहीं सपा के लिए भी भले ही स्थिति अन्य दलों से अच्छी है पर उसके लिए भी चुनावी माहौल में पूरे प्रदेश में वह निरापद नहीं रही जिसके लिए वह सपने बुन रही थी। पूरा चुनाव अब मायावती के इसी चुनावी दाव के आगे पीछे सम्पन्न होगा। इसका भले ही सियासी लाभ माया पूरा उठा पाये न उठा पाये परन्तु उसने प्रदेश के आम जनमानस को अंदर से उद्देल्लित कर दिया। कांग्रेस की स्थिति बहुत ही असहज हो गयी है। भाजपा के लिए भी स्थिति उतनी ही असहज हो रखी है। माया ने इस चुनावी दाव से गैद भले ही कांग्रेस के पाले में डाल दी हे। परन्तु कांग्रेस नेतृत्व स्थितियों को समझने व

.दिल्ली में भी नहीं है आपदा से बचाव की आपात व्यवस्था दुरस्थ /

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‎.दिल्ली में भी नहीं है आपदा से बचाव की आपात व्यवस्था दुरस्थ / .नन्द नगरी टेन्ट प्रकरण ही नहीं कांग्रेस मुख्यालय के समक्ष कार दहन प्रकरण से जाहिर हुआ आपदा प्रबंधन बेनकाब/ दिल्ली देश की राजधानी है। यहां पर राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व गठबंधन सरकार की प्रमुख सहित देश के तमाम मंत्रियों, सांसदों, सेना नायकों, प्रमुख नौकरशाहों का आवास व कार्यालय है। इसी महत्व के कारण दिल्ली आतंकियों के निशा ने पर रही। यहां पर कई आतंकी कार्यवाही को आतंकियों ने बम धमाके व गोलियों से दिल्ली के दिल को छलनी करके लहू लुहान करने का नापाक कृत्य किया। अमेरिका में एक ही बार आतंकी हमला हुआ परन्तु उसके बाद अमेरिकी प्रशासन ने इतनी मजबूत आपदा व सुरक्षा व्यवस्था का गठन किया कि लाख कोशिश करने के बाबजूद आतंकी दुबारा कई वर्ष बीत जाने के बाबजूद अमेरिका में एक मच्छर तक नहीं मार सके। परन्तु भारत में संसद, लाल किला ही नहीं सरोजनी नगर, करोल बाग, कनाट प्लेस व वटाला हाउस पर हमला करके आतंकियों ने भारतीय व्यवस्था के तमाम आपदा प्रबंधों व सुरक्षा दावों को बेनकाब ही कर दिया। सरकार हर आतंकी हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था मजबूत

-जन चेतना यात्रा से मजबूत हुई आडवाणी की प्रधानमंत्री की दावेदारी

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-जन चेतना यात्रा से मजबूत हुई आडवाणी की प्रधानमंत्री की दावेदारी प्यारा उत्तराखण्ड- भाजपा के आला नेतृत्व लालकृष्ण आडवाणी की प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के स्वप्न पर लग रहे ग्रहण को दूर करने के लिए के लिए अचानक शुरू की गयी जन चेतना यात्रा का भले ही समापन दिल्ली में 20 नवम्बर को रामलीला मैदान में हो गयी हो परन्तु इस जन चेतना यात्रा के घोषित मकसद भ्रष्टाचार के खिलाफ’ जन चेतना जागृत करने के उद्देश् य के बजाय यह यात्रा लालकृष्ण आडवाणी की प्रधानमंत्री की दावेदारी में भाजपा सहित राजग गठबंध्न में ही पीछे धकेले जाने की क्षतिपूर्ति के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि भाजपा में ही लालकृष्ण की दावेदारी पर प्रश्न चिन्ह लग गये थे। यहां संघ सहित एक बडा तबका लालकृष्ण आडवाणी के बजाय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगामी 2014 में प्रधानमंत्री के पद पर आसीन देखना चाहता है। इसी लिए आडवाणी को इस बार भाजपा ने अपने प्रधानमंत्री के दावेदार के तौर पर प्रस्तुत न करके एक प्रकार उनको हाशिये में धकेलने का अपरोक्ष ऐलान कर दिया था। इसी अपमान से आहत लालकृष्ण आडवाणी ने यकायक अण्णा व रामदेव के भ्रष्टाचार के

काम्बली के बयान पर हायतौबा मचाना भारतीय पत्रकारिता का मानसिक दिवालियापन

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-काम्बली के बयान पर हायतौबा मचाना भारतीय पत्रकारिता का मानसिक दिवालियापन -देश की ज्वलंत मुद्दों पर शर्मनाक मौन रखने वाले  विदेशी व पैंसों वालों के खेल पर हायतौबा क्यों लगता है खबरिया चैनलों के पास देश की तमाम ज्वलंत समस्याओं को देखने, समझने व दिखाने का कोई समय तक नहीं हे व नहीं सुध। जो उनको देश को तबाह कर रही मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंक जेसे ज्वलंत मुद्दो पर अपना दायित्व निभाने के बजाय 15 साल पुराने खेले गये विदेशी मूल के 15 साल पहले खेल क्रिकेट के एक अदने से मेच पर एक खिलाड़ी काम्बली के बयान पर इतना हाय तौबा मचा रहे है।  अगर कुछ सच था तो काम्बली क्या 15 साल से मच्छर मार रहे थे वे कुम्भकरण की तरह क्यों सोये हुए थे। अब क्या बिली ने छींक मारी या उनको किसी को बदनाम करने का सबसे अच्छा मोका अब मिला। अगर उनमें जरा सी भी नैतिकता रहती तो वे तुरंत 15 साल पहले ही उस मैच के बाद में अपना मूंह खोलते। नहीं तो 15 साल बाद बोल कर लोगों का समय नष्ट करने के लिए देश से माफी मांगते। सबसे पहली बात यह है कि क्या देश में कभी इन क्रिकेट के लिए देशवासियों का समय बर्बाद करने के लिए जिम्मेदार इन दिशाहीन मीडिया

बाबा रामदेव, सात जन्म में गदाफी सा शासन नहीं दे सकते विश्व के तमाम शासक

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-बाबा रामदेव सात जन्म में गदाफी सा शासन नहीं दे सकते विश्व के तमाम शासक -भागे नहीं राष्ट्र रक्षा में शहीद हुए गदाफी बाबा रामदेव द्वारा भारतीय नेताओं को गद्दाफी कहना यह उनकी अज्ञानता का परिचय है भारतीय नेता कभी गद्दाफी की तरह राष्ट्रभक्त व जनता के हित के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले नहीं हुए। गदाफी ने जनता को जो मजबूत व विलक्षण शासन दिया उसकी कल्पना भी भारतीय लोकशाही में नहीं की जा सकती है। केवल उनका कसूर यह था कि वह अमेरिका व उनके पिट्टूओं को लीबिया के संसाधनों पर डाका डालने की इजाजत अपने 41 साल के शासन में नहीं दी और नहीं उन्होंने कट्टरपंथी मुस्लिमों को लीबिया में अपने जीते जी काबिज होने दिया। उनका जैसा शासन व बलिदान देने की कल्पना भारतीय राजनेता 7 जन्म में नहीं कर सकते। बाबा रामदेव को एक बात समझ लेनी चाहिए कि अमेरिका के 14 नाटो देशों व अलकायदा के लोकशाही वाहिनी के हमलों के आगे आत्मसम्पर्ण करने के बजाय अपने देश की प्रभुसत्ता की रक्षा के लिए वे भागे या आत्म समर्पण नहीं किया अपितु बीर की तरह शहीद हुए। गदाफी का कसूर केवल यही था कि उसने लोकशाही को मजबूत नहीं किया। परन्तु देश में उसका

कमजोर लोकपाल बना कर जनता को ही नहीं अण्णा को भी छला मुख्यमंत्री खंडूडी ने

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कमजोर लोकपाल बना कर जनता को  ही नहीं अण्णा को भी छला मुख्यमंत्री खंडूडी ने / भाजपा व कांग्रेस का सफाया करके ही होगी उत्तराखण्डी हितों की रक्षाः ले. जनरल टीपीएस रावत / नई दिल्ली;(प्याउ)। ‘भ्रष्टाचार के खिलाफ छेडी अण्णा की जंग में देश का हर देशभक्त अवाम साथ है। लोगों ने अण्णा की निर्मल छवि व त्याग की मूर्ति के कारण उनको गांधी का प्रतिमूर्ति मान कर उनको अपना समर्थन दिया। परन्तु उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी ने न केवल अण्णा को अपितु प्रदेश की उस भोली जनता के साथ विश्वासघात किया, जो उनको भ्रष्टाचार के खिलाफ खुली जंग छेडने वाला एक ईमानदार राजनेता मानती रही। ऐसी भोली  जनता के विश्वास का गला घोंटते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी ने भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के नाम पर एक ऐसा लोकपाल बनाया, जो न केवल विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री जैसे पदों पर आसीन संभावित भ्रष्टाचारियों को साफ बचाने का ‘विशेष सर्वानुमति का’ पिछला दरवाजा बनाया है। यही नहीं श्री खंडूडी ने प्रदेश में खुली लूट मचा रहे एनजीओ पर अंकुश लगाने के लिए इसमें सम्मलित तक नहीं किया। वहीं इस बिल को देश में सबसे मजबूत बना

-शांति पुरूष नहीं आतंक पुरूष है गिलानी

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-शांति पुरूष नहीं आतंक पुरूष है गिलानी/ -अमेरिका के इशारे पर भारत में आतंक फेलाने से हुए क्या गिलानी शांति पुरूष/ -मनमोहन व गिलानी दोनों हैं अमेरिका के प्यारे/ में भी हेरान हूॅ देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयान पर, जो उन्होंने कुछ दिन पहले पाक के प्रधानमंत्री गिलानी को मिलने के बाद उनको शांति पुरूष के रूप में दिया था। देश भक्तों की तरह मेरा भी सर इस बयान पर चकरा गया। थोड़ी देर में मेने सर खुजलाया, तो मेरी समझ में सारा मजारा आ गया। मनमोहन व गिलानी अगर किसी एक देश के प्यारे हैं वह देश है विश्व का स्वयं भू थानेदार अमेरिका। जिस प्रकार मनमोहन सिंह अमेरिका के लिए प्यारे हैं उसी प्रकार पाक के प्रधानमंत्री गिलानी भी अमेरिका के प्यारे है। मनमोहन सिंह ने अमेरिका के साथ जिस प्रकार परमाणु समझोता व अन्य हितों की रक्षा कर अपनी मित्रता निभाई उसी प्रकार गिलानी ने भी अलकायदा प्रमुख ओसमा बिन लादेन के सफाये सहित अमेरिका के दुश्मनों के तबाही में अपनी पूरी ताकत झोंक कर निभाई। भले हम जिसे आतंक कह रहे हों परन्तु अमेरिका के लिए वह अमेरिका के हितों का विकास है। वह भारत में अपना विकास पाक के सहारे फेलाता

चीन की धमक से बनेगी ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन

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-चीन की धमक से बनेगी ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन/ -सतपाल महाराज से प्रेरणा लेकर प्रदेश के हित में कार्य करें खंडूडी व अन्य राजनेता /  उत्तराखण्ड में रेल परियोजना का गौचर में शिलान्यास हुआ। जिस प्रकार से इसमें विवाद खडा किया गया उससे मुझे ही नहीं देश के विकास के राह के अनुगामी को जरूर दुख हुआ होगा। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन बिछाने की मंशा अंग्रेजी राज्य में भी शासकों ने साकार करने का प्रयास किया था परन्तु वे सफल नहीं हो पाये, क्योंकि देश तब तक आजाद हो गया। इसके बाद आजादी के 64 सालों बाद यह परियोजना को साकार करने का निर्णय देश की सरकार ने लिया तो उसकी महता को समझ कर उसमें सकारात्मक सहयोग देने के बाजाय राजनैतिक पैंतरेबाजी से मन का दुखी होना स्वाभाविक है।  इस परियोजना को भले ही कुछ लोग उत्तराखण्ड के लोगों के हित में बता रहे हों परन्तु इस परियोजना को साकार करने का अगर किसी एक को श्रेय दिया जाय तो वह देश के दुश्मन रहे चीन को। जिसने भारत की सीमा पर अपनी सरजमीन से रेल पंहुचा कर देश के सत्तांध हुक्मरानों को देश की सीमाओं पर भी चीन की तरह रेल पंहुचाने के लिए विवश कर दिया।  नहीं तो देश क

राष्ट्र नायक डा. कलाम का नहीं भारत का अपमान किया अमेरिका ने

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राष्ट्र नायक डा. कलाम का नहीं भारत का अपमान किया अमेरिका ने  अमेरिका से अधिक गुनाहगार है नपुंसक भारतीय हुक्मरान ! भले ही भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा अब्दुल कलाम अमेरिका में सुरक्षा के नाम पर उनके किये गये अपमान को भूल जाने की बात कहें या अमेरिकी प्रशाासन अपनी धृष्ठता पर पर्दा डालने के लिए माफी मांगने का नाटक करे। पर इस घटना से पूरा राष्ट्र इस घटना से बेहद मर्माहित है। इस घटना के लिए भारत को तबाह करके बर्बाद करने के मंसूबों में लगे अमेरिका से अधिक कोई गुनाहगार हैं तो वह नपुंसक हुक्मरान।  हुक्मरान चाहे राजग के अटल बिहारी वाजपेयी रहे हों या वर्तमान सप्रंग सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह, दोनों के राज में भारतीय सम्मान को अमेरिका ने जब चाहा तब रौंदा परन्तु क्या मजाल इन अमेरिकी मोह में अंधे बने हुक्मरानों को कभी राष्ट्रीय आत्मसम्मान की रक्षा करने के अपने प्रथम दायित्व का निर्वहन करने तक का भान रहा। हर घटना के बाद अमेरिकी सरकार महज गहरा खेद जता कर मामले को दफन कर देती है और भारतीय हुक्मरान चाहे सरकारें कांग्रेस की रही हो या भाजपा आदि दलों की किसी को इस मामले में अमेरिका से सीधे दो टूक

राष्ट्र नायक डा. कलाम का नहीं भारत का अपमान किया अमेरिका ने

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राष्ट्र नायक डा. कलाम का नहीं भारत का अपमान किया अमेरिका ने  अमेरिका से अधिक गुनाहगार है नपुंसक भारतीय हुक्मरान ! भले ही भारत के पूर्व राष्ट्रपति डा अब्दुल कलाम अमेरिका में सुरक्षा के नाम पर उनके किये गये अपमान को भूल जाने की बात कहें या अमेरिकी प्रशाासन अपनी धृष्ठता पर पर्दा डालने के लिए माफी मांगने का नाटक करे। पर इस घटना से पूरा राष्ट्र इस घटना से बेहद मर्माहित है। इस घटना के लिए भारत को तबाह करके बर्बाद करने के मंसूबों में लगे अमेरिका से अधिक कोई गुनाहगार हैं तो वह नपुंसक हुक्मरान।  हुक्मरान चाहे राजग के अटल बिहारी वाजपेयी रहे हों या वर्तमान सप्रंग सरकार के प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह, दोनों के राज में भारतीय सम्मान को अमेरिका ने जब चाहा तब रौंदा परन्तु क्या मजाल इन अमेरिकी मोह में अंधे बने हुक्मरानों को कभी राष्ट्रीय आत्मसम्मान की रक्षा करने के अपने प्रथम दायित्व का निर्वहन करने तक का भान रहा। हर घटना के बाद अमेरिकी सरकार महज गहरा खेद जता कर मामले को दफन कर देती है और भारतीय हुक्मरान चाहे सरकारें कांग्रेस की रही हो या भाजपा आदि दलों की किसी को इस मामले में अमेरिका से सीधे दो टू

भारतीय भाषाओं के पुरोधा स्व. राजकरण सिंह के नाम पर विद्यालय, रोड़ व पुस्तकालय:

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भारतीय भाषाओं के पुरोधा स्व. राजकरण सिंह के नाम पर  विद्यालय, रोड़ व पुस्तकालय दिवंगत राजकरण सिंह की तेरहवी पर उनके गांव में पंहुचेे भाषा आंदोलनकारी/ भारतीय भाषाओ के पुरोधा व भारतीय संस्कृति के ध्वज वाहक स्व. राजकरण सिंह की अद्वितीय राष्ट्र सेवा का सम्मान करते हुए उत्तर प्रदेश की बसपा सरकार उनके नाम पर उनके गृह जनपद बाराबंकी में एक विद्यालय व मोटर मार्ग का नामांकरण करेगी तथा जनजागरूकता के प्रति उनकी भावना को नमन् करने के लिए एक पुस्तकालय की स्थापना करेगी। यह घोषणा 12 नवम्बर 2011 को राजकरण सिंह की तेरहवीं में उनके गांव कोटवांकला(विष्णुपुरा-बाराबंकी) उ.प्र में बसपा सरकार में दर्जाधारी राज्यमंत्री   व भाषा आंदोलन के प्रखर आंदोलनकारी रहे यशवंत निकोसे ने शोकाकुल परिजन व मित्रों की उपस्थिति में अपनी श्रद्वांजलि अर्पित करते हुए कही। 10 फरवरी 1954 को ठाकुर रघुराज सिंह व श्रीमती राम अधारी सिंह के जेष्ठ पुत्र के रूप में जन्म दिवंगत राजकरण सिंह की तेरहवीं में उनकी पावन जन्म भूमि की माटी को सादर नमन् करने के लिए भारतीय भाषा आंदोलन के उनके साथी पुरोधा पुष्पेन्द्र चैहान, विनोद गोतम, ओम प्रकाश हाथ

अंध विश्वास में न पडें-----काल्पनिक है सब सन्, महिने व दिन वार -11.11 .11,

अंध विश्वास में न पडें-----काल्पनिक है सब सन्, महिने  व दिन वार -11.11 .11,  आज लोग बंहुत ही अदभूत  संयोग व उत्साहित है 11.11.11 के संयोग को देख कर। नंवम्बर माह की  ग्यारह तारीक व सन 2011 ंको 11.11.11 के रूप में अपने आप में उत्साहित है। कई  तथाकथित भविष्य को बताने वाले लूटेरों ने इस दिन की  आड में अंध विश्वास में फंसे लोगों को इस दिन के नाम पर ंजम कर लूट रहे हैै। परन्तु अधिकांश लोग इस बात से अनविज्ञ हैं कि ये संब झूट है। केवल माना गया है। वास्तव में न तो आज सन 2011  ही चल रंहां है व नहीं नवम्बर नाम का महिना  व नहीं आज की  तारीक ही 11 है। यह सब कुछ लोगों द्वारा  अपनी सुविधा के लिए या अपनी व्यवस्था  को संचालित करने के लिए इन सबको मान कर अपना जीवन चक्र को संचालित कर रहे हैं। पर हकीकत में ये दिन, महिना व सन हम मान रहे हैं वे काल्पनिक हैं। हम सब कल्पना लोक  में आश्रय लेकर अपने इस जीवन को संचालित कर रहे है। न तो ये महिने सन व दिन वास्तविक  है। वास्तविक क्या है? यह  सृष्टि कब से चली यह सृजनकार ही जान सकता है। जो ये सन् 2011 है ये तो ईसायत के लिए समर्पित ंसमय चक्र है। हमारे ंयहां विक्रम व शक

करोडों दिलों में अमर रहेंगे महान गायक भूपेन हजारिका

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करोडों दिलों में अमर रहेंगे महान गायक भूपेन हजारिका  मुंबई।(प्याउ )ंभारतीय गीत संगीत को उस समय एक और गहरा झटका लगा जब दिल हूम हूम करे नामक गीत के महान गायक भूपेन हजारिका का स्वर्गवास इस सप्ताह हो गया। अभी हाल में महान गजल गायक जगजीत सिंह के देहान्त से  भारतीय संगीत प्रेमी अ भी उबर भी नहीं पाये थे कि यकायक लाखों दिलों में बसे स्वर सम्राट भूपेन हजारिका का निधन ने भारतीय संगीत की दुनिया  पर एक प्रकार से बज्रपात सा ही हुआ।  उनके निधन पर देष के राश्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित हर संगीत प्रेमियों , तमाम ंसंगीत दिग्गजों के साथ साथ उत्तराखण्ड के भूपेन हजारिका नरेन्द्रसिंह नेगी, ंचन्द्रसिंह राही, हीरासिंह राणा सहित अनैक चोटी के गायकों ने गहरा षोक प्रकट किया। उनको श्रद्वांजलि देते हुए संगीत के दिग्गजों ने एक स्वर में मानों यह कहा हो कि ंजिन लोगों ने पानी में कंकड़ उछालते हाथों को देखा है, उन्हें शायद ही इस बात का यकीन आए कि कंकड़ों को पानी में तैराया भी जा सकता है। गीत- संगीत की दुनिया में इस जटिल खेल के उस्ताद थे भूपेन हजारिका, उनकी आवाज में ब्रतापुत्र जैसा वेग और संगीत में हिलोरें मारता असम का

लोकपाल के संधान से मनमोहन सरकार ही नहीं अपितु टीम अण्णा भी हुई मर्माहित/

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लोकपाल को ठगपाल बनाने में तुले हुए हैं भ्रष्टाचारी / -लोकपाल के संधान से मनमोहन सरकार ही नहीं अपितु टीम अण्णा भी  हुई मर्माहित/ 2011 में एक षब्द लोकपाल ने देष के जनमानस को पूरी तरह उद्देल्लित करके रखा हे। न केवल जन मानस को अपितु देष की पूरी  व्यवस्था को इस षब्द ने एक प्रकार से अपने आगोष में लिया  हे। इसी षब्द का मुकुट पहन कर राणेसिद्वी में रहने वाले समाजसेवी अण्णा हजारे पूरे विष्व के मानसपटल पर अण्णा नहीं आंधी है यह आज का गांधी  है के गगनभेदी नारों से महानायक की तरह स्थापित हो गया। संसार के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देष भारत की मनमोहनी सरकार ही नहीं  पूरी व्यवस्था को झकझोर कर रख दिया है। इस  षब्द के फांस के दंष से मनमोहन सिंह व उनकी सरकार बाहर निकलने के लिए जो भी हर संभव कोषिष कर रही है उससे ंअधिक वह इस में और अधिक उलझ कर फंस जाती है। कई लोकपाल नामक षब्द की उत्पति कब हुई पर इतना निष्चित है कि यह लोकपाल षब्द का अस्तित्व गणतंत्र के बाद में ही ंआया होगा। जहां  गणतंत्र यानी लोकतंत्र हो। भले ही आजादी को आधुनिक भारतीय इसे फिरंगियों से मिली आजादी के बाद के षाषन को लोकतंत्र या गणतंत्र समझ रहे ह

संगठन की नहीं, सरकार की बागडोर संभाले राहुल गांधी

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संगठन की नहीं, सरकार की बागडोर संभाले राहुल गांधी/ -नक्कारे साबित हो चूके प्रधानमंत्री सहित मंत्रियों को बदल कर होगा द ेश व कांग्रेस का भला/  एक साल में 6 बार पेट्रोलियम पदार्थों की कीमत बड़ा कर कांग्रेसी मनमोहन सरकार ने लोगों का एक प्रकार से जीना ही हराम कर दिया हे। इसके बाबजूद कांग्रेस ऐसे प्रधानमंत्री को बदलने का साहस तक नहीं कर पा  रही है। जबकि आम आदमी चाहता है  मनमोहन को सोनिया गांधी तत्काल प्रधानमंत्री की कुर्सी  से हटाये। मंहगाई में मरणासन्न देष के जख्मों में मरहम लगाये। मनमोहन सिंह ंको एक दिन के लिए भी  प्रधानमंत्री बनाये रखना देष  व आम जनता के हितों से खिलवाड करने के साथ कांग्रेस की जड़ों में मटठा डालना है। इसी को भांप कर मनमोहन सिंह के कुछ समर्थक  सोनिया से राहुल गांधी को संगठन में कार्यकारी अध्यक्ष  का ताज पहना कर किनारा लगाना चाहते हे। परन्तु आज देष व आम कांग्रेसी जनता की आवाज है कि ंवह राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहती है। देष में न केवल मंहगाई, भ्रश्टाचार व आतंकवाद से तबाही के करार पर है वही ं देष की समग्र विदेष नीति भी एक प्रकार से  मनमोहन सिंह के कार

भारत - चीन को युद्व मेें झोंकने व ईरान पर हमला कराने का अमेरिका का खतरनाक शडयंत्र !

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भारत - चीन को युद्व मेें झोंकने व  ईरान पर हमला कराने का अमेरिका का खतरनाक शडयंत्र ! ंप्यारा उत्तराखण्ड की विषेश रिपोर्ट मंदी की थप्पेडों से जरजर हो रही अमेरिका व यूरोप की अर्थव्यवस्था  को विष्व में तेजी से महाषक्ति बन रहे चीन व भारत कंे षिकंजे में जाने से बचाने के लिए अमेरिका व उसके नाटो संमर्थक देष एक खतरनाक शडयंत्र रच रहे है। इसके तहत एक तरफ तो ईरान पर हमला कर उसे इराक व लीबिया की तरह तबाह ंउन दोनों देषों में अमेरिका विरोधी हुक्मरान को जमीदोज किया जाय। वहीं दूसरी तरफ मंदी की मार से जर जर हो चूकी अमेरिकी व यूरोपिय अर्थव्यवस्था के कारण विष्व पटल पर तेजी से उभर रहे चीन व भारत जैसे महाषक्ति बनने जा रहे देषों से मिली चुनौती को कुंद करने के लिए इन दोनों देषों को आपस में युद्व की भट्टी में झोंक कर इनकी रफतार को तबाह करने का खतरनाक शडयंत्र का तानाबाना बुना जा चूका है। एक तरफ ईरान को चारों तरफ से घेरा जा रहा है तो वही ं दूसरी तरफ चीन व भारत दोनों देषों को एक दूसरे के खिलाफ रणनीति की तहत खड़ा कर  उनको युद्व की भट्टी में झोंका जा रहा है।  अगर भारत व चीन के हुक्मरानों ने अगर सावधानी से काम नह