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Showing posts from October, 2011

देश व उत्तराखण्ड के हित में रेल परियोजना के उदघाटन समारोह का विरोध अनुचित

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देश व उत्तराखण्ड के हित में रेल परियोजना के उदघाटन समारोह का विरोध अनुचित  नई दिल्ली (प्याउ)।उत्तराखण्ड राज्य गठन के प्रमुख जनांदोलनकारी संगठनों ने ंकेन्द्र सरकार द्वारा ‘ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेलमार्ग’ को स्वीकृत करने व इस परियोजना का 6 नवम्बर को गोचर में शुभारम्भ सप्रंग सरकार की प्रमुख सोनिया गांधी द्वारा किये जाने के निर्णय का ंहार्दिक स्वागत करते हुए ंइस परियोजना का खुले दिल से स्वागत करने के  बजाय मात्र सोनिया गांधी के द्वारा शुभारंभ होने का विरोध करने ंको उत्तराखण्ड ही नहीं देश के हितों पर कुठाराघात करने वाला कदम बताया। ं राज्य आंदोलन के प्रमुख संगठनों, उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा, उत्तराखण्ड जनमोर्चा, उत्तराखण्ड महासभा व उत्तराखण्ड राज्य लोकमंच की तरफ से जारी एक वयान मे अफसोस जाहिर किया गया कि पहली बार आठ दशक से अधिक लंम्बे समय से ठण्डे बस्ते में दम तोड रही ऐतिहासिक ‘ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेलमार्ग’ निर्माण परियोजना जो राष्ट्रंीय सुरक्षा व उत्तराखण्ड के विकास की दृष्टि से मील का पत्थर साबित होगी, उसके उदघाटन समारोह के विरोध में बयानबाजी करने वाले भाजपा नेताओं से पुरजोर अपील की क

शीतकाल के लिए केदारनाथ व यमुनोत्री के कपाट हुए बंद

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शीतकाल के लिए केदारनाथ व यमुनोत्री के कपाट हुए बंद विश्व विख्यात केदारनाथ धाम व यमुनोत्री के कपाट  शीतकाल के  लिए 28 अक्टूबर को विधिविधान से बंद कर दिये गये। शीतकाल में जहां भगवान सदाशिव केदारनाथ की विधिवत पूजा उनके शीतकालीन गद्दी ऊखीमठ के ओंकारेश्वर मंदिर में तथा  ंयमुनोत्री की शीतकालीन पूजा खरसाली में ंकी जाती है। गौरतलब है कि चंार धाम यात्रा से विश्वविख्यात भगवान बदरीनाथ धाम व केदारनाथ धाम के साथ यमुनोत्री व गंगोत्री की पावन यात्रा  शीतकाल के दोरान बंद ंहोती  है तथा देवताओं की पूजा इनके शीतकालीन स्थलों पर विधिवत की जाती है।  केदारनाथ व यमुनोत्री के बाद इसी पखवाडे बदरीनाथा व गंगोत्री धाम के कपाट भी शीतकाल के लिए बंद ंहो जायेंगें। ंसनातन धर्मावलम्बी लाखों की संख्या में देश विदेश  से हिन्दुओं के इन सर्वोच्च धामों के दर्शन पूजन के लिए हर साल यहां आते है।

जनलोकपाल को हाथी का दांत न बनाये खंडूडी !

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खंडूडी जी मात्र जनलोकपाल से नहीं होगा प्रदेश से भ्रष्टाचार दूर/ जनलोकपाल को हाथी का दांत न बनाये  खंडूडी !/ हाथी के दांत खांने के कुछ  व दिखाने के कुछ और ही होते हैं। यह कहावत ंमेरी तरह आपने भी सुनी हंोगी। परन्तु उत्तराखण्ड  में प्रदेश की सत्ता पर आसीन भुवनचंद खंडूडी पर यह कहावत सटीक बैठती है। ंभारतीय आला कमान  की आत्मघाति प्रवृति की  नयी मिशाल देखने को मिली  कि भाजपा आला नेताओं के आंखों के तारे निशंक   के कुशासन -भ्रष्टाचार के गर्त में फंसी भाजपा की नैया को चुनावी भंवर से पार लगाने के लिए खेवनहार भी बनाया गया तो चंद साल पहले जनता द्वारा पूरी तरह से नकारे गये अलोकतांत्रिक प्रवृति के भुवनचंद खंडूडी को ही। हालांकि प्रदेश की जनता को खंडूडी को ईमानदारी व कुशल प्रशासक का तकमा देने की ंभाजपा नेतृत्व व प्रदेश की मीडिया की आत्ममुग्ध प्रवृति ंपर हंसंी ंही आ रही है । क्योकि प्रदेश की जनता खंडूडी द्वारा अपने पहले कार्यकाल में प्रदेश पर सारंगी व निशंक का अनमोल तोफहे का दंश ंझेल चूकी है। ंऐसे में अपनंी  छवि को निखारने के लिए  ंमुख्यमंत्री खंडूडी ं, अण्णा हजारे को मिले व्यापक जनसमर्थ के समुद्र मे

ऐसी प्रखर नव प्रभात जग में कर दो

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ऐसी प्रखर नव प्रभात जग में कर दो जय श्रीकृष्णम् शुभ प्रंभातम्,  करूं श्री हरि हर का वंदन ंतन-मन-जग को निर्मल करदो प्रभु ऐसी ही शुभ जग में कर दो मिटे रागद्वेष, घृणा, अज्ञानता जग से शोषण, रोग मुक्त हो जड़ चेतन रहे न दीनहीन, असहाय इस जग में मिटे जाति,क्षेत्र, रंग, लिंग व धर्म भेद ऐसी प्रखर नव प्रभात जग में कर दो तन मन को प्रभु आलौकित कर दो।। ंदेवसिंह रावत (29 अक्टूबर 2011 प्रात 7.48 बजे)

सार्वजनिक व सामाजिक कार्यक्रमों में शराब पिलाने वालों का होगा सामाजिक बहिष्कार

-सार्वजनिक व सामाजिक  कार्यक्रमों में शराब पिलाने वालों का होगा सामाजिक बहिष्कार/ -दरमोला गांव से प्रेरणा लें समाज/ शराब व भ्रष्टाचार में तबाह हो रहे गंगा यमुना के इस उदगमी प्रदेश को बचाने के लिए अब समाज में धीरे धीरे   जागरूकता आ रही  है। यहां शराब ने समाज को अपने आगोश में लेकर उसका बर्बाद सा कर दिया है । शर्मनाक बात यह है  कि देवभूमि समझी जाने वाली  इस प्रदेश में विवाह, सगाई, मुंडन, नामकरण, होली, दीपावली, रामलीला, पांडवलीला सहित किसी भी सार्वजनिक समारोह में ही  नहीं मृतक  श्राद्व व अंतिम संस्कार में भी शराब परोसने का चलन बढ़ने से यहां के जागरूक लोग काफी चिंतित है।  कई प्रबुद्व लोग अपने स्तर पर  इसे रोकने का प्रयास कर रहे है। ऐसा ही सराहनीय प्रयास जनपद रुद्रप्रयाग में भरदार गांव में किया गया। यहां के ग्रामीणों ने एक स्वर में प्रस्ताव पारित किया कि विवाह, सगाई, मुंडन, नामकरण, होली, दीपावली, रामलीला, पांडवलीला सहित किसी भी सार्वजनिक समारोह या समारोह आयोजित करने वाले परिवार द्वारा शराब नहीं परोसी जाएगी यदि इस प्रस्ताव का गांव के किसी परिवार या उसके किसी भी सदस्य ने उल्लंघन किया तो उस

सबके दामन खुसियों से भर दे

सबके दामन खुसियों से भर दे जगमग जगमग दीप जले, जग सारा खुशियों से दमके आपके जीवन उपवन में भी दीपावली बसंत सी चमकेे। मेरे मनमंदिर के श्रीकृष्ण  सबके दामन खुसियों से भर दे।। -देवंिसंह रावत

-कुम्भ आयोजन में ंनिशंक ने मांगा नोबल पुरस्कार मिलेगी जेल!

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-कुम्भ आयोजन में ंनिशंक ने मांगा नोबल पुरस्कार मिलेगी जेल!/ -कोश्यारी के बजाय निशंक को म ुख्यमंत्री बनाने वाले खंडूडी, भाजपा अ ाला नेता व संघ जिम्मेदार इस कलंक के  िलए/   मेने र्कइ  बार इसी समाचार पत्र में दो टूक शब्दों में लिखा था कि भगवान बदरीनाथ अंधे नही ं ह ै। वो हर  दोषी जो देवभूमि उत्तराखण्ड को अपने नापाक कृत्यों से शर्मसार  करने का नापाक कृत्य करता है उसे भगवान बदरीनाथ कभी  माफ नहीं  करते। उसको हर हाल में दण्ड  िमलता है । इसका ताजा उदाह रण  है  कुम्भ घोटाला।   आखिरकार भाजपा आला नेतृत्व क े अ ांखों के तारे  भाजपा के केन्द्रीय उपाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल  िनशंक क े खिलाफ 2010 में हरि द्वार  म ें  हुए उसी   िवश्व  िवख्यात कुम्भ आयोजन ंके मामले में भ्रष्टाचार करने के मामले में ंअदालत में 200 करोड़ का भ्रष्टाचार  के आरोपी के रूप में मामला द र्ज कर  िदया गया,  िजस कुम्भ के आयोजन के सफल अ ायोजन क े नाम पर निशंक व उनके प्यादे  निशंक कोे  नोबेल पुरस्कार देने की बचकाना मांग कर ंजगहंसाईं क े पात्र  बने हुए हैं।  देहरादून की अदालत में ं2010 मेें ंआसीन रहे भाजपा के मुख्यमंत्री

-न्यायालय के दो टूक फेसले के बाद गढ़वाल हितैषिणी के शीघ्र होंगे चुनाव

-न्यायालय के दो टूक फेसले के बाद गढ़वाल हितैषिणी के शीघ्र होंगे चुनाव नई दिल्ली(प्याउ)। निहित स्वार्थ में डूबे नेतृत्व व गुटों के कारण समाज को केसे शर्मसार होना पडता है इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है दिल्ली में उ़त्तराखण्डियों की सबसे पुरानी संस्था गढवाल हितेषिणी सभा । 1932 से करांची होते हुए दिल्ली में संचालित इस प्रतिष्ठित संस्था को लोग गढ़वाल भवन के नाम से जानते है। उत्तराखण्ड के महान मनीषियों व समाज के चिंतकों द्वारा आजादी के समय दिल्ली में जो प्रतिष्ठा इस संस्था को बना कर अर्जित की थी वह प्रतिष्ठिा आज के दिन इस संस्था के कर्णधारों ने अपने अहं व संकीर्ण कार्यो के कारण इस पर बाहरी लोगों का कब्जा करा कर व इस संस्था के आपसी विवाद को कोर्ट कचहरी में ले जाकर पानी ही फेर दिया है। मात्र अपने वर्चस्व व सदस्यता के नाम पर उठे इस विवाद के कारण संस्था को महिनों तक कोर्ट कचहरी के विवाद में उलझ कर लाखों रूपये का जहां आर्थिक भार उठाना पडा वहीं संस्था के भवन में बाहरी व्यक्ति का कब्जा, समाज की प्रतिष्ठा को रौंदा जा रहा है। कोर्ट द्वारा यहां के विवाद को देखते हुए जहां प्रशासक की नियुक्ति हुई वहीं कोर्ट

एनजीओे व मीडिया क ो सम्मलित करने वाला अण्णा से मजबूत लोकपाल बाये सरकार

एनजीओे व मीडिया  क ो सम्मलित करने वाला अण्णा से मजबूत लोकपाल बाये सरकार नई दिल्ली (ंप्याउ)। भ्रश्टाचार पर अंकुल लाने के लिए सरकार जिस लोकपाल को संवैधानिक दर्जा देने की  हवा  फेला रही है अगर  उसमें  जरा सी  भी सच्चाई  व ईमानदारी है तो  सरकार को आगामी  सत्र में इसको संवेधानिक  दर्जा  देते हुए पारित  करना चाहिए। इसके साथ अण्णा द्वारा सुझाये गये जनलोेकपाल से अधिक  सषक्त लोकपाल बनाना चाहिए, जिसमें देष में भ्रश्टाचार का  प्रतीक बने एनजीओ व मीडिया जिन पर ंअण्णा भी मुंह  खोलने का साहस तक नहीं जुटा पा रहे  है , उनको  भी इसके  दायरे में लाना चाहिए। हालांकि सरकारी तंत्र में काबिज एजीओ की  मजबूत लोबी  इसका पुरजोर विरोध कर रही है । इसी कारण सरकारी लोकपाल  में भी एनजीओ व मीडिया को ंअण्णा के आधे अधूरे जनलोकपाल की तरह  बाहर ही रखा गया है । सुत्रों के  अनुसार सरकार संसद की एक स्थायी समिति इस संबंध में एक मसौदा विधेयक पर विचार कर रही है, जिसमें एक प्रावधान के तहत राज्यों का अनुमोदन जरूरी नहीं होगा। संवैधानिक संशोधन विधेयक का मसौदा भारत के दो प्रधान न्यायाधीशों न्यायमूर्ति जे एस वर्मा और न्यायमूर्ति एम

हीरासिंह राणा के मदमस्त गीत ‘ंमेरी नोली पराणा’ से सजी दिवाली मिलन समारोह

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हीरासिंह राणा के मदमस्त  गीत ‘ंमेरी नोली पराणा’ से सजी दिवाली मिलन  समारोह नई दिल्ली(प्याउ)। उत्तराखण्ड  समाज के अग्रणी लोकगायक हीरासिंह राणा ने जैसे  ही ‘मेरी नोली पराणा’ का अपना सुप्रसिद्व मदमस्त गीत गाया, तो उसने स्वरों में स्वर मिलाते हुए ‘दिल्ली के न्यू अशोक नगर में ‘डीपीएमआई’ में आयोजित उत्तराखण्डी दिवाली मिलन समारोह  में पधारे समाज के अग्रणी लोग भी झूमने के लिए मजबूर हो गये। शनिवार 22 अक्टॅूबर की देर रात तक चली इस समारोह का आयोजन दिल्ली में उत्तराखण्डी समाज में तेजी से उभरते हुए समाजसेवी व ‘दिल्ली पेरामेडिकल एण्ड मनेजमेंट इस्टीटयूट’ के प्रबंध निदेशक डा. विनोद बछेती ने समारंोह में पधारे सभी अतिथियों का हार्दिक  स्वागत किया। समारोह में अल्मोड़ा पिथोरागढ़ के सांसद प्रदीप टम्टा, उत्तराखण्ड  लोक सेवा आयोग के प्रथम अध्यक्ष पूर्व आईएएस अधिकारी श्रीकृष्ण आर्य, भारत सरकार के  विदेश व्यापार सेवा के सेवानिवृत उच्चाधिकारी, प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र केे प्रबंध सम्पादक व अग्रणी  समाजसेवी महेश चन्द्रा, अग्रणी  गीतकार  हीरासिंह राणा, दिल्ली  प्रदेश कांग्रेस के नेता दिवान सिंह नयाल, दिल्ली

मनमोहन ने निकला देश का दिवाला

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भ्रष्टाचार, मंहगाई और कुशासन  से  जिसने निकाला  देश का दिवाला उस अमेरिका के प्रिय मनमोहन से अब देश को बचायेगा उपर वाला कुशासन से छीना जिसने मुंह से निवाला उस सोनिया भक्त मनमोहन से  बचाये मेरे भारत को उपर वाला मरणासन भारत की जनता देख  कैसे दूू आप सबको बधाई मनमोहन रूपि इस त्रासदी से  बचे मेरे सभी प्रिय देशवासी।।  -देवसिंह रावत-(22.10.2011)

आओ उत्तराखण्ड बचाओ

आओ उत्तराखण्ड बचाओ खंडूडी, निशंक ंहो या तिवारी उत्तराखण्डी की जनता इनकी मारी, जातिवाद व क्षेत्रवाद ये लाये, भ्रष्टाचार से ये उत्तराखण्ड रूलाये। इनको दिखाओ बाहर के द्वारे नहीं तो चोपट कर देंगे देवभूमि प्यारी। मुजफरनगर के जख्म हमे रूलाते गैरसैंण के लिए शहीद, हमे पुकारें उठो जागो मेरे उत्तराखण्डी वीरो इन सत्तालोलुपुओं से जन्मभूमि को बचालो।। -देवसिंह रावत

हे जगदीश मेरे श्रीकृष्ण

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निज स्वर बंधन में  बांध कर तुमने की अदभूत सृष्टि की रचना  हे जगदीश  मेरे श्रीकृष्ण कैसी सुन्दर तुम्हारी मनमोहक प्रकृति

इंसानों की नहीं बुतों की हो गयी है ये दुनिया

बहुत गहरे जख्म है सीने पर दुनिया के, जालिम के जुल्म से छलनी हुआ सीना पर क्या कहूंॅ आपसे मेरे हमदम एक उफ तक किसी के सीने से नहीं निकली लगता है ये बस्ती भी खुदगर्जो की इंसानों की नहीं बुतों की हो गयी है ये दुनिया ।

गद्दाफी की शहादत से फिर उजागर हुई संयुक्त राष्ट्र संघ व विश्व समुदाय की नपुंसकता

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 -सद्दाम के बाद गद्दाफी भी हुआ आततायी अमेरिका के हमले में शहीद/  -अकूत तेल सम्पदा को   कब्जाने के लिए किया अमेरिका ने सद्दाम व गद्दाफी का सफाया/ -गद्दाफी  की शहादत से फिर उजागर हुई संयुक्त राष्ट्र संघ व विश्व समुदाय की नपुंसकता / तेल के अकूत भण्डारों को कब्जाने की अमेरिका व उसके आततायी मित्र देशों के हमले में इराक के स्वाभिमानी शासक सद्दाम हुसैन के बाद उत्तर अफ्रीका के अग्रणी देश लीबिया के प्रमुख कर्नल गद्दाफी भी अमेरिकी प्यादों के हमले में 20 अक्टूबर 2011 को 69 वर्ष की उम्र में जाबांजों की तरह आततायिों का मुकाबला करते हुए शहीद हो गये। दोनों का कसूर केवल यही था कि उन्होने अमेरिका ंको अपने देश  के अकूत तेल संसाधनों पर कब्जाने की इजाजत नहीं दी और अमेरिका के आतंक के आगे विश्व के अन्य देशों के हुक्मरानों की तरह सर झुकाने के बजाय जंगे मैदान में शहादत दे कर वीर गति हासिल की ।  7 जून 1942 में लीबिया के ंजिस सिर्ते शहर में मुअम्मर गद्दाफी ने जन्म लिया उसी में लीबिया के स्वाभिमान की रक्षा के लिए अपने प्राणों की शहादत भी दी।  सन् 1969 में हुई  लीबिया की क्रांति में सत्तासीन होने के बाद मुअम्म

-सुअर से बदतर निकले उत्तराखण्ड के हुक्मरान

-सुअर  से बदतर निकले उत्तराखण्ड के हुक्मरान मैं 11 अक्टूबर से 16 अक्टूबर तक अपने गांव में था। देश के सीमान्त जनपद चमोली के दूरस्थ विकासखण्ड में स्थित मेरे गांव में इन दिनों कोदा, नट्टा, दलहन, धान की कटाई -मंडाई के साथ लोग गेंहॅंू की बुआई के लिए खेतों में हल लगा रहे है। यानी चारों तरफ काम ही काम, किसी को एक पल की फुर्सत तक नहीं। दो तीन दिन तक खेतों में काम करने पर मुझे ज्ञात हुआ कि यहां पर किसान परेशान है कि उनकी फसलों को जंगली सुअरों ने तबाह कर दी हैं । हालांकि बंदरों से भी लोग परेशान हैं परन्तु यहां ही नहीं पूरे प्रदेश में जंगली सुअरों के कारण किसान खून के आंसू बहाने के लिए विवश है। लोग इसकारण अपनी खेती छोड रहे है। खेत खलिहान व बाग बगीचे जंगली सुअरों ने बर्बाद कर दिये। लोगों की इस व्यथा का निदान करने वालो कोई नहीं। इससे मै भी परेशान रहा परन्तु उसी क्षण मुझे भी भान हुआ कि ये सुअर तो एक बार की फसल बर्बाद कर रहे हैं प्रदेश के हुक्मरान चाहे नेता हो या नौकरशाह ये तो प्रदेश का वर्तमान ही नहीं अपितु भविष्य भी तबाह कर रहे है। प्रदेश की जनता को उसी प्रकार संगठित हो कर इन भ्रष्ट नोकरशाहों

बेदर्द हुक्मरान

बेदर्द  हुक्मरान  जिन्होने देष ओर जनता के  वर्तमान और भविश्य को,  अपनी  सत्तालोलुपता के  खातिर रौंद कर भी  कभी, उफ तक  न की हो, ऐसे बेदर्द हुक्मरान  जनता की कराह को भी  अपनी षान के खिलाफ गुस्ताखी मान कर  उनकी जुबान को  लाठी गोली से  रौंद कर सदा के लिए राजबाला की तरह   लोकषाही को बचाने के नाम पर सदा के लिए षांत करा देते हें। - देवसिंह रावत  

-रामदेव, अण्णा व भाजपा ही नहीं कांग्रेसी भी डाल रहे हैं उत्तराखण्ड में कांग्रेसी जड़डो में मठ्ठा

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हरियाणा सहित देष के कई भागों में हुए उपचुनावों मे ंमिली करारी हार से भले ही कांग्रेसी दिग्गज चिंतित हो परन्तु चंद माह बाद उत्तराखण्ड में हो रहे चुनाव में कांग्रेस की जड़ों में न केवल अण्णा, रामदेेव व भाजपा के साथ आत्मघाति कांग्रेसी रणनीतिकार भी मठ्ठा डालने का काम कर रहे है । प्रदेष मे ं विधानसभा चुनाव से पहले जहां भाजपा कांग्रेस को चक्रव्यूह में घेरने के लिए अपने मुख्यमंत्री से लेकर संगठन तक महत्वपूर्ण मजबूती दे रही हैं वहीं कांग्रेस में गुटबाजी कम होने के बजाय उसको हवा देने का काम किया जा रहा है । जहां भाजपा नेे प्रदेष के मुख्यमंत्री के पद पर निषंक को हटा कर उनसे बेहतर मजबूत लोक लुभावने का दम रखने वाले भ्ंाुवनचंद खंडूडी को आसीन करते हुए संगठन के महारथी पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोष्यारी को चुनाव अभियान समिति की कमान सौंप कर पुन्न सत्ता पर काबिज होने की मजबूत घेराबंदी कर दी है वहीं सत्ता पर काबिज होने के हसींन सपने देखने में आत्ममुग्ध कांग्रेस के रणनीतिकार अपने ही मजबूत क्षत्रपों को ही हाषिये में डालने में जुटी हुई है। प्रदेष के सबसे मजबूत जननेता हरीष रावत व उनके समर्

-अण्णा या भाजपा ने नहीं अपितु मनमोहन ने डुबोई कांग्रेस की लुटिया

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भले ही देष की मीडिया व टीम अण्णा हिसार व अन्य उपचुनाव में कांग्रेस के सफाये के लिए अण्णा फेक्टर को जिम्मेदार मान रही हे परन्तु इस हार के लिए अगर कोई जिम्मेदार है तो प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह व उनको प्रधानमंत्री पद पर बनाये रखने वाली कांग्रेस आला कमान। जिन्होने मनमोहन सिंह जैसे अलोकतांत्रिक व्यक्ति को देष की छाती पर महंगाई, भ्रश्टाचार व कुषासन की मंूग दलने की खुली छूट देकर देष के भविश्य के साथ खिलवाड किया। इस चुनाव से साफ हो गया कि देष की जनता मनमोहन के कुषासन से बेहाल है और इसलिए कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए कृत संकल्पित है। ंहरियाणा के हिसार लोकसभा उप चुनाव के अलावा ं तीन अन्य विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनावों में भी कांग्रेस को करारी हार मिली है। इन तीन विधानसभा सीटों में से महाराष्ट्र की खड़गवासला सीट जहां भाजपा के खाते में आई है, वहीं राजग की सहयोगी पार्टी जदयू ने बिहार की दरौंदा सीट पर कब्जा जमा लिया है। आंध्र प्रदेश की बांसवाड़ा सीट पर हुए उपचुनाव में तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) को जीत मिली है। हरियाणा की प्रतिष्ठित हिसार लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में ह

अब तक भाजपा की उत्तराखण्ड सरकार के भ्रष्टाचार पर मूक रहने वाले बाबा रामदेव व अण्णा माफी मांगे

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अब तक भाजपा की उत्तराखण्ड सरकार के भ्रष्टाचार पर मूक रहने वाले बाबा रामदेव व अण्णा माफी मांगे by Dev Singh Rawat on Sunday, 09 October 2011 at 11:00 अब तक भाजपा की उत्तराखण्ड सरकार के भ्रष्टाचार पर मूक रहने वाले बाबा रामदेव व अण्णा माफी मांगे बाबा रामदेव देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ व विदेशी बैंकों में जमा भारतीयों के काले धन को देश में वापस लाने की मांग करने के अपने जनांदोलन के दूसरे चरण में ंउत्तराखण्ड की पावन धरती पर पंहुच कर अपना अभियान में जनता से आगामी चुनाव में कांग्रेस पार्टी के खिलाफ ंमतदान का आवाहन कर रहे है। परन्तु उत्तराखण्ड की ंमहान जनता जो अनादिकाल से भ्रष्टाचार व कुशासन के खिलाफ ंनिरंतर कुरूक्षेत्र के मैदान में उतर कर पूरे विश्व को दिश्ंाा देने का काम करते आ रहे हैं, चाहे विदेशी लुटेरों के शासन के खिलाफ हो या आजादी के बाद के लोकशाही को रोंदने वाले कुशासकों के नापाक इरादों को जमीदोज करके करारा सबक सिखाने का काम करने के लिए विख्यात रही। उत्तराखण्ड की जनता यह देख कर हैरान रही कि अण्णा हजारे के सिपाहेसलार जो कुछ समय पहले भाजपा सरकार ंके आवभगत से चकाचैंध हो कर प्रदेश

why we be slave of english language

why we be slave of english language and ignore world most scientific and oldest richest language Sanskrit, which we call Dev Bhasha, Hindi and most of language of Bharat is come out from its laps, Bhartian be slave of british, so they fill bad to learn country language, see without english germany, russia, china, Italy, francs, japan and all other developed country get historical success their own language, why slave country whom we now CWC be blind on english

अविलम्ब तेलांगना राज्य का गठन हो

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अविलम्ब तेलांगना राज्य का गठन हो ंतेलांगना पृथक राज्य के गठन की पांच दशक से पुरानी मांग को देश के हुक्मरानों द्वारा जबरन दमन व नकारना लोकशाही की निर्मम हत्या करने वाला ही कृत्य है। देश में शासन प्रशासन आम जनता की जनभावनाओं व सहभागेदारी के तौर पर होना चाहिए। देश के राजनैतिक दलों ने अपने संकिर्ण दलगत हितों व अलोकतांत्रिक प्रवृति से लोकशाही को गहरा आघात पंहुचा । ंदेश के हुक्मरानों को लोकशाही का सम्मान करते हुए अविलम्ब तेलांगना राज्य का गठन करना चाहिए।

अमेरिका के नेतृत्व में लीबिया में हो रहे कत्लेआम पर नपुंसक क्यों बना है विश्व

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अमेरिका के नेतृत्व में लीबिया में हो रहे कत्लेआम पर नपुंसक क्यों बना है विश्व नई दिल्ली(प्याउ)। कई महिनों से लीबिया पर अमेरिका के नेतृत्व में नाटो द्वारा लीबिया में लोकशाही की रक्षा के नाम पर किये जा रहे कत्लेआमी हमले के विरोध में जिस प्रकार से संयुक्त राष्ट्र सहित पूरा विश्व हुक्मरान ने शर्मनाक चुप्पी साध रखी है, उससे साफ हो गया है कि पूरे विश्व में रूस, चीन व भारत जेसे तथाकथित ताकतवर देश भी अमेरिका की इस विश्व की अमन शांति को ग्रहण लगाने वाली हिटलरी प्रवृति के आगे नपुंसक की तरह आत्मसम्र्पण कर चूके है। लोकशाही की दुहाई दे कर लीबिया में हमला करने वाले अमेरिका व उसके पिछलग्गू नाटो का मुखोटा उस समय बेनकाब हो जाता है वे जब फिलिस्तीन की आजादी व प्रभुसत्ता को रौंद रहे इस्राइल के कृत्य पर न केवल मूक हैं अपितु उसकी हैवानियत को लगातार संरक्षण दे रहे है। अमेरिका व उनके प्यादे नाटो की लोकशाही व आतंकवाद के उनमुलन के प्रति दावे उस समय बेनकाब हो जाते हैं जब वह विश्व को आतंक से तबाह करने वाले आतंकियों के उत्पादन का विश्व का सबसे बड़ा कारखाना बन चूके पाक पर शर्मनाक मौन साधे हुए है तथा सीर

-राम का नहीं रावणों का सम्मान होता है यहां

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-राम का नाम बदनाम न करो/ -राम का नहीं रावणों का सम्मान होता है यहां/ दशहरे के पावन पर्व पर विजय दशमी के रोज भले की रामलीलाओं के मंचों में भगवान राम द्वारा रावण का वध करने के साथ लाखों की संख्या में रावण सहित उसके समुल वंश के पुतलों का दहन ‘बुराई पर अच्छाई की जीत’ के नाम पर ंकिया जाता हो। परन्तु सच्चाई यह है कि भगवान राम को उनके देश भारत में ही नहीं अपितु उनकी पावन जन्म भूमि ंअयोध्या में भी एक प्रकार से बनवास दिया गया हैं वहीं यहां आसुरी शक्तियों के प्रतीक रावण का सम्राज्य चारों तरफ विद्यमान है। यही नहीं भगवान राम के नाम पर आयोजित की जाने वाली रामलीलाओं के पावनमंच में भी भगवान राम की तरह मानवीय व सनातनी मूल्यों के लिए समर्पित लोगों के बजाय जनहितों व सनातनी परमपरा को रौदने वाले मनमोहन सिंह जैसे राजनेताओं तथा धन ंपशुओं को सम्मानित किया जाता है। राम के नाम पर हो रही रामलीलाओं ंके अधिकांश आयोजक स्वयं नैतिक मूल्यों व आदर्शों से कोसो दूर होते है। इसी कारण भगवान राम की पावन लीलाओं के मंचन वाले पावन मंच पर नैतिक मूल्यों के पुरोधाओं के बजाय रावण की तरह आम जनता व मर्यादाओं को रौंदने वा

मुजफरनंगर काण्ड व राजधानी गैरसैंण मुद्दंे पर दिल्ली में भी घिरे खंडूडी

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मुजफरनंगर काण्ड व राजधानी गैरसैंण मुद्दंे पर दिल्ली में भी घिरे खंडूडी नई दिल्ली(प्याउ)। मुजफरनगर काण्ड-94 के अभियुकतों को प्रदेश की अब तक की सरकारों द्वारा ईमानदारी से सजा देने के लिए ठोस पहल न किये जाने व प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने की जनभावनाओं ंका नजरांदाज करके जबरन राजधानी देहरादून में थोपने की नापाक कृतों से भले उत्तराखण्ड की सरजमी पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को ंतीखे सवालों का सामना न करना पडे परन्तु दिल्ली में जहां उत्तराखण्ड जनांदोलन का केन्द्र रहा था वहां पर प्रदेश के ंअब तक के तमाम मुख्यमंत्रियों ंइन मुद्दों पर तीख े सवालों ंसे ंमुह चुराने के लिए विवश होना पडता है। ंऐसे ही तीखे व सीधे सवाल पर आज 5 अक्टूबर को मुख्यमंत्री खंडूडी को भी उस समय सामना करना पड़ा जब उत्तराखण्ड निवास में उनंके द्वारा ंआयोजित प्रेस से मिलन व भोज के अवसर पर प्रैस वार्ता में प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत ने उनसे दो टूक सवाल किया कि जिस मुजफरनगर काण्ड को इलाहाबाद उच्च न्यायालय व केन्द्रीय जांच ऐजेन्सी सीबीआई ने दोषी ठहराया हुआ है उसके दोषियों को 17 साल बाद भी देश के हुक्मरा

-आडवाणी को प्रधानमत्री बनाने के लिए संघ ने चलाया मोदी का नाम

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-आडवाणी को प्रधानमत्री बनाने के लिए संघ ने चलाया मोदी का नाम/ -निशंक बने संघ व भाजपा के सुशासन के मुखोटे/ नरेन्द्र मोदी को ढाल बना कर लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनाने की रणनीति पर कार्य कर रहा है संघ या आडवाणी को जिन्ना भक्ति का दण्ड देने के लिए नरेन्द्र मोदी को आगे कर रहा है संघ। हालांकि राजनीति के मर्मज्ञों को संघ द्वारा नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने में सहमति देने पर भी विश्वास नहीं हो रहा है। क्योंकि संघ व भाजपा में नीति निर्धारण में जिन लोगों का शिकंजा जकड़ा हुआ है उसे देख कर नितिश के कंधे में बंदुक रख कर गुजरात में नरेन्द्र मोदी का विरोध क्या भाजपा व संघ कीं ंजातिवादी मानसिकता का एक दाव के रूप में भी देखा जा रहा है। लोगों को इस बात की आशंका के है कि सघ -भाजपा नेतृत्व मोदी के नाम पर वोट ले कर बाद में आडवाणी या अपने किसी और प्यादे को प्रधानमंत्री के पद पर आसीन कराने का तो षडयंत्र तो नहीं रच रहे है। क्योंकि नितिश कुमार द्वारा बिहार से आडवाणी के भ्रष्टाचार विरोधी रथ यात्रा को झण्डी दिखाने को इसी षडयंत्र का एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।

-देश में सबसे गरीब है मनमोहन, मोंटेक, मंत्री, सांसद, विधायक, नौकरशाह, बाबा और समाजसेवी

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-देश में सबसे गरीब है मनमोहन, मोंटेक, मंत्री, सांसद, विधायक, नौकरशाह, बाबा और समाजसेवी -आम गरंीब आदमी को अमीर घोषित करे सरकार देश में योजना आयोग द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में गत पखवाडे दिये गये हलफनामे से जहां पूरा देश भौचंक्का है। देश में ही नहीं विदेश में भी भारत के योजना आयोग व सरकार की जो जगहंसाई हुई उसने देश के हुक्मरानों को पूरे विश्व के सामने बेनकाब कर दिया। सवाल आज यह नहीं है कि 32 रूपये या 26 रूपये वाला गरीब है या नहीं। मेरा मानना है कि इस देश में सबसे बड़े गरीब कोई है तो इस देश के हुक्मरान, नौकरशाह,इंजीनियर, डाक्टर, महत्वपूर्ण पदों में आसीन लोग, उद्यमी और समाजसेवी । यहां का कर्मचारी गरीब है यहां के अधिकारी व शिक्षिक गरीब है। यहां के मजदूर व बेरोजगार गरीब नहीं है। उन पर सरकार को टेक्स लगाना चाहिए। देश का अशिक्षित आदमी जो कानून का पालन करता है वह गरीब है। देश का आम आदमी जो मेहनत कश है वह गरीब है। देश की व्यवस्था के महत्वपूर्ण पदों में आसीन लोग गरीब है। क्योंकि देश की व्यवस्था हमेशा उन्हीें के लिए अपने संसाधनों व भत्तों को लुटाती है। किसी को चिंता नहीं कि जो लोग सौ रूपये द