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Showing posts from March, 2012

कामरेड़ चन्द्रशेखर को सलाम

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कामरेड़ चन्द्रशेखर को सलाम 31 मार्च को राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर जैसे ही मैं पंहुचा वहां पर सीपीआई माले के बेनर लगे सेकडों आंदोलनकारी दिखे, वे शहीद हुए कामरेड़ चन्द्रशेखर की तस्वीरें हाथों में लिये व कामरेड़ चन्द्रशेखर को लाल सलाम के गगन भेदी नारे लगा रहे थे। एक पल के लिए मेरी आंखों में लोकशाही के लिए शहीद हुए जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष का चेहरा छा गया। कामरेड़ चन्द्र शेखर उत्तराखण्ड राज्य गठन जनांदोलन में 1994 में कई बार आंदोलन को समर्थन देने के लिए अपने साथियों के साथ धरने में आये थे। कई बार उन्होंने अपने क्रांतिकारी विचारों से राज्य गठन जनांदोलन को उद्देलित किया था। उनसे हुई इन मुलाकातों के बाद जब हमने यह खबर सुनी की बिहार में उनकी लोकशाही के दुश्मनों ने गोली मार कर हत्या कर दी तो पूरा देश अपने होनहार नौजवान नेता की हत्या पर स्तब्ध रह गया। आज भले ही कामरेड़ चन्द्रशेखर हमारे बीच में सदेह न हों परन्तु उनकी पावन स्मृति हमारे मानस पटल पर आज भी जीवंत है। उनकी पावन स्मृति को मेरा शतः शतः प्रणाम।
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राम नाम बोले सभी, पर मर्म न समझे सब कोय राम नाम सत्य, न्याय का राम नाम पथ त्याग का राम नाम की आड़ ले जो भी करे जग में पापाचार उनको दण्डित स्वयं करे राम भक्त वीर हनुमान राम नाम हैं प्रेम का, राम नाम करे जग कल्याण राम नाम परम तारक है आत्मसात करों हरि नाम। राम नाम परमब्रह्म है,  राम परम मुक्ति का है द्वार। हर पल जपते रहो, पावन श्री राम कृष्ण हरि नाम।।         -देवसिंह रावत (प्रातः9 बजे, पहली अप्रेल 2012 रामनवमी के पावन पर्व पर) आप सभी को भगवान राम के पावन प्रकटोत्सव रामनवमी की हार्दिक शुभकामनाएॅ

प्रभु के हो तुम,

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प्रभु के हो तुम, प्रभु के हो तुम, ना बनो किसी और के आदमी।। ना किसी दल के, ना किसी बल के बनो ना मोहरे तुम किसी के स्वार्थ के।। सत्य, न्याय के लिए रहो समर्पित दो दिन के सफर के तुम हो राही।। छोड़ो ममत्व, स्वार्थ व संकीर्णता बनो सदा सतपथ के राही।। मूक न रहो अन्याय को देख कर सिपाई ही बनो सदा कुरूक्षेत्र के ।। हो सबेरा सबके लिए जग में इसी मार्ग पर जीवन समर्पित करो।। देश, धर्म व स्वहितों के लिए भी कभी सत्य-न्याय को गला न घोंटना।। सवमें प्रभु है जान ले सबकी खुशी में जीना सदा।। प्रभु के हो तुम ना बनो और किसी के आदमी।। -देवसिंह रावत(1अप्रेल 2012, प्रातः सवा आठ बजे) www.rawatdevsingh.blogspot.com

-कहां गुम हो गयी हरीश रावत व हरक सिंह की हुंकार

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-उत्तराखण्ड को  पदलोलुपु नेताओं से नहीं अपितु भगवान बदरीनाथ से मिलेगा न्याय/ -कहां गुम हो गयी हरीश रावत व हरक सिंह की हुंकार / उत्तराखण्ड प्रदेश में कांग्रेस आला कमान द्वारा थोपे गये मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की सरकार द्वारा  आज 29 मार्च को विश्वास मत में विजय बासिल करने से एक बात साफ हो गयी हैं कि कांग्रेस पार्टी में एक भी ऐसा नेता नहीं रहा जो उत्तराखण्ड की लोकशाही व जनसम्मान के लिए आवाज उठाने की हिम्मत रखता है। सबके सब पदलोलुपु है। प्रदेश गठन के लिए जिन आंदोलनकारियों ने संघर्ष किया था और जिन्होंने इसके गठन की शहादतें दी उनकी आत्मा प्रदेश की लोकशाही के लिए जिस प्रकार का शर्मनाक खिलवाड कांग्रेस व भाजपा के आलाकमानों ने तिवारी, खण्डूडी, निशंक व विजय बहुगुणा जेसे नेताओं को थोपने से रो रही होगी। 12 साल में अब तक के हुक्मरानों ने जिस प्रकार से प्रदेश की जनांकांक्षाओं को रौदने का कार्य किया उससे प्रदेश आज भी गैरसेण राजधानी न बनाये जाने, मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को दण्डित न किये जाने, प्रदेश में जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई परिसीमन थोपने, तथा प्रदेश में जातिवाद-क्षेत्रवाद व भ्रष्टाचार क

सेना में चल रहे भ्रष्टाचार को बेनकाब करने पर सेना प्रमुख को कोटी कोटी नमन्

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सेना प्रमुख को कोटी कोटी नमन् -सेना में चल रहे भ्रष्टाचार को बेनकाब करने पर नई दिल्ली (प्याउ)। देश में भ्रष्टाचार किस प्रकार से अपनी जडें मजबूती से यहां जमा चूके है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है देश की सेना के प्रमुख को भी भ्रष्टाचारी घूस का प्रलोभन देने से घबराते नहीं है।  इसका खुलाशा अगर जनरल सिंह स्वयं नहीं करते तो देश को शायद ही इस भयानक स्थिति का पता चलता। जब स्वयं जनरल सिंह ने इसका खुलाशा किया कि रक्षा सोदा को मंजूर करने के लिए उसको सेना के एक अधिकारी ने ही 14 करोड़ की धूस देने का प्रलोभन दिया तो पूरा देश सन्न रह गया। उन्होंने बताया कि उन्होंने इसकी शिकायत देश के रक्षा मंत्री से लेकर रक्षा मंत्रालय से कर दी थी। परन्तु देाषियों पर कहीं कोई कार्यवाही नहीं हुई। जब जनरल सिंह ने इस को सार्वजनिक खुद कर दिया तो पूरे देश में इसकी जबरदस्त प्रतिक्रिया हुई। सरकार सकते में आ गयी। संसद के दोनों सदनों में कोहराम मच गया। अन्ततः रक्षा मंत्री ने इस काण्ड की सीबीआई द्वारा जांच करने की घोषणा की। सेना प्रमुख ने बताया कि उस व्यक्ति ने कहा कि यह यहां का दस्तूर है। पहले भी धुस सब लेते रहे व उनके बाद भी

-कुर्सी के लिए देश को तबाह करने से बाज आये हुक्मरान

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-कुर्सी के लिए देश को तबाह  करने से बाज आये हुक्मरान/ -पंजाब को फिर आतंकबाद की गर्त में धकेलने का षडयंत्र/  देश की हालत बहुत ही बद से बदतर हो रही है। एक तरफ संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को फांसी देने में केन्ट्र सरकार के हाथ कांप रहे है। केन्द्र सरकार को भय है इससे मुस्लिम समाज नाराज हो जायेगा। बादल के नेतृत्व में अकाली सिखों को लुभाने के लिए बेअंत के हत्यारे को माफी का आंदोलन चला रहे है। वहीं तमिलनाडू में राजीव गांधी की हत्यारों को माफ करने की मांग रह रह कर उठ रही है। फिर भारत की रक्षा का दायित्व क्या अमेरिका पूरा करेगा? आज देशवासियों को यह सवाल मनमोहन सिंह, बादल व अब्दुला से पूछना चाहिए? यही सवाल भाजपा सहित हर दल के प्रमुख से पुछना चाहिए। कांग्रेस में जिस प्रकार से बटाला प्रकरण को राजनैतिक लाभ के लिए हवा देने का शर्मनाक कृत्य समय समय पर किया जाता है। भाजपा जिस प्रकार से पंजाब के आतंकवादियों को सम्मानित करने के प्रकरण पर मूकता रखती है, जिस प्रकार से जम्मू कश्मीर सरकार संसद हमले के दोषी अफजल को फांसी देने का विरोध करती, उससे साफ हो गया कि इन सभी राजनैतिक दलों को केवल कुर्सी की चिंता

राज्य गठन आंदोलनकारी जगदीश भट्ट को पत्नी शोक

राज्य गठन आंदोलनकारी जगदीश भट्ट को पत्नी शोक आज 27 मार्च को साढ़े पांच बजे मैं दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के प्रदेश सचिव व राज्य गठन आंदोलन के प्रमुख साथी हरिपाल रावत की कार में रेल भवन से केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत के तीन मूर्ति लेन स्थित आवास की तरफ बढ़ रहे थे कि तभी यकायक मुझे अपने राज्य गठन आंदोलन के अग्रणी साथी जगदीश भट्ट का फोन आया और उन्होंने एक ही सांस में बताया कि पूजा की ममी का देहान्त हो गया हैं और 1 घण्टे के अंदर ही उनका अंतिम संस्कार निगम बोध घाट में किया जायेगा। भट्ट जी के फोन पर मुझे एक बार अपने ही कानों पर विश्वास नहीं हुआ। मैने फिर भट्ट जी को फोन किया तो उन्होंने यही बात दोहरायी। मैने हरपाल रावत को यह बात बतायी, वे भी सन्न रह गये। तब तक हम केन्द्रीय मंत्री के आवास पर पंहुच गये थे। वहां से मेने अपने अग्रणी समाजसेवी साथी व राष्ट्रीय जनांदोलनों के संयोजक भूपेन्द्रसिंह रावत सहित कई मित्रों को इस दुखद समाचार से अवगत कराया। उसके बाद मैं हरीश रावत के आवास से उत्तराखण्ड जनमोर्चा के कोषाध्यक्ष हुकमसिंह कण्डारी व चम्पावत जनपद के निवासी गणेश दत्त जोशी के संग निगम बोध घाट पंहुचा। व

काश भाजपा विधायक महाकाल के साथ पटवारी जी के भी दर्शन करते

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-काश भाजपा विधायक महाकाल के साथ पटवारी जी के भी दर्शन करते -महाकाल की नगरी में प्रकट हुए पटवारी महाकाल की नगरी उज्जैन में अभी इसी पखवाडे भारतीय जनता पार्टी ने अपने सभी विधायकों को महाकाल के दर्शन कराने का भी काम किया था। मुझे पक्का यकीन है कि यहां पर वे महाकाल के ही दर्शन करने गये होगे। उन्होने उज्जैन के पटवारी के दर्शन तो कर ही नहीं पाये होंगे। करते कैसे किसी को इसी भनक तक नहीं लगी होगी। लगती कैसे सबका भला ही शरीर महाकाल की नगरी में था परन्तु मन में तो लड्डू उत्तराखण्ड में सत्ता की मलाई का छिंके पर होगा। काश विजय बहुगुणा के हाथों में आया यह प्रदेश की सत्ता की छिंक्का किसी तरह से छटक कर भाजपा के हाथों में आ जाय। उपर वाले ने भी भाजपा व कांग्रेस को कितना असहाह कर दिया 31 व 32 के चक्कर में फंसा कर। कभी बसपा की आरती करनी पड रही है तो कभी निर्दलीयों की तो कभी उक्रांद की। क्या क्या नजरे इनायत करने में प्रलोभनों की पूरी दुकान सजानी पड़ रही है। काश महाकाल भाजपा को एक और विधायक दे देता। 32 भाजपा को तो 31 कांग्रेस को कर देता तो फिर भी काम बन जाता। परन्तु लगता है महाकाल भाजपा से नार

-चीन से तिब्बत की आजादी के लिए मेरी आंखों के आगे एक और शहादत

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-तिब्बत को खुद आजाद करे चीन! -चीन से तिब्बत की आजादी के लिए मेरी आंखों के आगे एक और शहादत / -तिब्बत की त्रासदी से सबक लें उत्तराखण्डी/ आज 26 मार्च सोमवार को  दोपहर बारह बजे के बाद जेसे ही कनाट प्लेस की तरफ से  आंदोलनकारियों से खचा खच भरे जंतर मंतर स्थित राष्ट्रीय धरना स्थल पर पंहुचा ही था, वहां पर चारों तरफ देश के विभिन्न हिस्सों से आये अनेक संगठनों के आंदोलनकारी अपने मंचों से अपनी अपनी मांग को लेकर आंदोलन के समर्थन में सभाये व नारेबाजी कर रहे थे। जैसे ही मैं संसद की चैखट राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर पर पंहुचा तो यकायक वहां पर मैने आग की ज्वालाओं में घिरे एक व्यक्ति को वहां बीचों बीच सडक में आंदोलनकारियों की भीड़ में अपनी तरफ दौडते हुए देख कर स्तब्ध रह गया। मैं अचानक दिखे इस दृश्य को एक पल के लिए समझ भी नहीं पाया था कि तब तक चारों तरफ से लोग व पुलिस वाले उधर दौड पडें। हालांकि भारी भीड के कारण मैं उसका चेहरा नजदीक से नहीं देख पाया। दर्जनों मीडिया व इलेक्ट्रोनिक चैनलों के केमरे उस व्यक्ति की तरफ दोड़े तो तब मुझे समझ में आया ये तो किसी आंदोलनकारी ने यहां पर आत्मदाह कर दिया। उस पर

देव भूमि के अभिशाप से कांग्रेस की यह बहुगुणा सरकार भी नहीं बच पायेगी

चाहे कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत या हरक सिंह रावत सहित सभी कांग्रेसी विधायक अपने निहित स्वार्थो के मोह में उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की सरकार को समर्थन दे दें फिर भी उत्तराखण्ड की पावन धरती के भविष्य को रौदने का कुकृत्य कांग्रेस आलाकमान ने अपने आत्मघाती सलाहकारों के दम पर करने की हिमालयी भूल की, भगवान बदरीनाथ की यह पावन देव भूमि उत्तराखण्ड के साथ अपनी संकीर्णता व सत्तालोलुपता के लिए ज ो भी खिलवाड करने की भूल करता है उसका हस्र राव, मुलायम, वाजपेयी, तिवारी, खंडूडी व निशंक की तरह होता है। देव भूमि के अभिशाप से कांग्रेस की यह बहुगुणा सरकार भी नहीं बच पायेगी। उत्तराखण्ड राज्य का गठन उत्तराखण्ड के सपूतों ने अपना बलिदान व अमानवीय दमनकारी राव मुलायम सरकार से संघर्ष कर के हासिल किया है। इसलिए अभी भी कांग्रेस आला कमान अपनी भूल के लिए प्रायश्चित करते हुए प्रदेश में जनता के लिए समर्पित नेता को सत्ता सौंपे। नहीं तो 2014 में कांग्रेस का पूरे देश से लोकसभा चुनाव में भाजपा की तरह ही सफाया होगा।  

देव भूमि की पवित्रता की रक्षा करना हम सबका नैतिक फर्ज हैः महेश चन्द्रा

देव भूमि की पवित्रता की रक्षा करना हम सबका नैतिक फर्ज हैः महेश चन्द्रा देवताओं की धरती पुस्तक का विमोचन  नई दिल्ली(प्याउ)। ‘देव भूमि उत्तराखण्ड की पावनता की रक्षा करना हम सबका नैतिक फर्ज है और हमें न केवल उत्तराखण्ड का चहुमुखी विकास करना है अपितु पश्चिमी विकास की चकाचैध में भारतीय संस्कृति को भूल रहे नौनिहालों को विश्व संस्कृति की पावन गंगोत्री उत्तराखण्ड के सनातन मूल्यों को भी अक्षुण्ण रखना है।‘ यह आवाहन अग्रणी सामाजिक चिंतक व प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र के प्रबंध सम्पादक  महेश चन्द्रा जी ने कनाट प्लेस स्थित आर्य समाज मंदिर में 25 मार्च को ‘देवताओं की धरती’ नामक  पुस्तक के विमोचन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कही।  दिल्ली के कनाट प्लेस स्थित हनुमान रोड़ के आर्य समाज मंदिर के सभागार में सांय आयोजित इस पुस्तक विमोचन समारोह में बड़ी संख्या में आर्य समाज से जुड़े लोग, साहित्यकार, पत्रकार तथा विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े प्रबुध लोग उपस्थित थे। इस अवसर पर आर्य समाज के समर्पित कार्यकत्र्ता व देवताओं की धरती नाम पुस्तक के लेखक ज्ञानसिंह आर्य

मेरी प्यारी फेसबुक

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मेरी प्यारी फेसबुक कितनी सुन्दर लगती हो तुम जब हंसाती हो तुम जब दिल मिलाती हो तुम मेरे दिल की धडकनों की रानी बन गयी है अब दिलरूबा फेसबुक अपनी फेसबुक तुमसे कितनी हसीनाये जलती है तेरे इस योवन से तेरे पर मंडराते हे भौंरे रात और दिन दीवाने बन फिर भी तुम सबका दिल रखती हो मुस्कराती हो अपना बनाती हो बिछुडों को मिलाती हो साथ निभाती हो तब तक जब तक दौलत खनकते रहे बरसते रहे तुम पर -देवसिंह रावत (24मार्च 2012 प्रात 955 बजे)

24 अप्रैल को खुलेंगे गंगोत्री धाम के कपाट

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24 अप्रैल को खुलेंगे गंगोत्री धाम के कपाट उत्तरकाशी (प्याउ)। विश्व प्रसिद्ध गंगोत्री धाम के कपाट 24 अप्रैल को पूरे विधि विधान के साथ प्रातः 11.30 बजे खोल दिये जायेंगे। वहीं चार धाम यात्रा के नाम से विख्यात हिन्दुओं की सर्वोच्च धाम बदरीनाथ धाम जो भगवान विष्णु का परम धाम के रूप से सनातनियों का सर्वोच्च धाम है, के कपाट 29 अप्रेल, भगवान शिव के पदम दिव्य केदारनाथ धाम के कपाट 28  अप्रैल व यमुनोत्री के कपाट 24 अप्रैल को खुलेंगे का ऐलान पहले ही कर दिया गया।  इस सप्ताह गंगोत्री धाम के कपाट खोलने का ऐलान किया गया। 24 अप्रैल को देश विदेश के हजारों श्रद्धालु माॅं गंगा के प्रथम पावन दर्शन की बेशब्री से इंतजारी कर रहे है। कपाट खुलने की रस्म 23 अप्रैल, 11 गते संवत 2069 सोमवार को वैशाख शुक्ल पक्ष को शुभ मुहूर्तानुसार मां गंगा की डोली अपने शीतकालीन प्रवास मुखीमठ से 12 बजकर 15 मिनट दोपहर को भारी जलसे के साथ गंगोत्री धाम के लिए प्रस्थान करेगी।  मंगलवार 24 अप्रैल अक्षय तृतीया के पर्व पर मां गंगा की डोली प्रातःपवित्र गंगोत्री धाम पहुंचने पर प्रातःनौ बजे विधि विधान गंगा पूजन के बाद 10 बजे प्रातः गंगा सह

शहादत को शतः शतः प्रणाम

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शहादत देने वाले महान सपूत, वतन के लिए मर मिट गये पर खुदगर्ज हुक्मरान आज, दो टके के लिए वतन बेच गये  आज शहीदे आजम भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव का शहीदी दिवस है। शहीदों की पावन शहादत को शतः शतः प्रणाम। आज ही के दिन 23 मार्च  1931 में इन तीन महान सपूतों ने देश की आजादी के लिए फिरंगी सम्राज्य के खिलाफ खुली जंग छेडने के आरोप में फांसी दे दी गयी थी.। परन्तु आज आजादी के बाद देश के हुक्मरानों ने अपनी कुर्सी व दो टके के खातिर देश को भ्रष्टाचार, आतंकवाद के गर्त में धकेल दिया है।

उत्तराखण्ड कांग्रेस में भारी भरकम नेताओं की फौज ही है असंतोष का मूल कारण

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-उत्तराखण्ड कांग्रेस में भारी भरकम नेताओं की फौज ही है असंतोष का मूल कारण/ -भाजपा कांग्रेस के निहित स्वार्थ में अधे नेताओं को नहीं रही कभी उत्तराखण्ड की चिंता / उत्तराखण्ड कांग्रेस में इन दिनों भारी असंतोष है। इन अधिकांश नेताओं में विस्फोटक स्थिति में पंहुचा यह असंतोष का एक भी कारण प्रदेश की जनभावनाओं के प्रति न हो कर इन नेताओं की अपने निहित स्वार्थ ही है। नेता कांग्रेस के रहे हों या भाजपा के इन्होंने कभी प्रदेश के हितों के लिए अपनी एकजूटता नहीं दिखाई जितनी ये अपने पदों के लिए धरती आसमान एक कर देते हे। इन नेताओं की प्रदेश के हितों के प्रति उदासीन रवैये से भाजपा व कांग्रेस के इन 12 सालों के शासन में प्रदेश की स्थिति बद से बदतर हो गयी है।  प्रदेश के हक हकूकों की जो बंदरबांट चल रही है, उससे प्रदेश देश के सबसे भ्रष्टतम राज्यों में सुमार हो गया है। प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने के बजाय इसको देहरादून में ही थोपने के लिए प्रदेश के करोड़ों रूपये बहाये जा चूके है। यही नहीं जनसंख्या पर आधारित परिसीमन से लेकर मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को संरक्षण का शर्मनाक काम किया जा रहा है। अपने नकारेपन से

-बहुगुणा की ताजपोशी प्रकरण से भाजपा की तरह कांग्रेस का आला नेतृत्व भी हुआ बेनकाब

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-बहुगुणा की ताजपोशी प्रकरण से भाजपा की तरह कांग्रेस का आला नेतृत्व  भी हुआ बेनकाब इस सप्ताह जैसे ही उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री के लिए सांसद विजय बहुगुणा के नाम का ऐलान कांग्रेस आला नेतृत्व के नाम पर 10 जनपत के दरवारियों ने किया गया, उससे न केवल उत्तराखण्ड अपितु पूरा देश ही भौचंक्का रहा । मुख्यमंत्री के रूप में बहुगुणा की ताजपोशी ने कांग्रेस आला नेतृत्व की जमीनी पकड़ व विवेक पर पूरी तरह उसी प्रकार से प्रश्न चिन्ह लगा दिया, जिस प्रकार सुशासन व रामराज्य की दुहाई देने वाली भाजपा ने भगतसिंह कोश्यारी जेसे संघ निष्ट साफ छवि के जननेता के बजाय निशंक को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया था। ।  जिस समय पांच राज्यों का चुनाव परिणाम आ रहे थे, उस समय पूरे देश में रामदेव व अण्णा हजारे के भ्रष्टाचार  के खिलाफ व्यापक देशव्यापी माहौल बना हुआ है, वहीं देश की आम जनता भ्रष्टाचार के खिलाफ कमर कसे हुए है ऐसे में प्रदेश के वरिष्ट सुलझे हुए जनाधार वाले नेताओं का दर किनारे करके विजय बहुगुणा जैसे नेता के हाथों में प्रदेश की कमान सौंपना यह साबित करता है कि कांग्रेसी आला नेतृत्व को न तो प्रदेश की जमीनी राजनीति का जरा

2014 में लोकसभा में कांग्रेस को होगा देश से सफाया/

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.2014 में लोकसभा में कांग्रेस को होगा देश से  सफाया/ -भाजपा की तरह कांग्रेस पर भी लगी महाकाल की वक्र दृष्टि/   उत्तराखण्ड की लोकशाही से जिस शर्मनाक ढ़ग से कांग्रेस आलाकमान ने अपने संकीर्ण आत्मघाति प्यादों की सलाह पर विजय बहुगुणा को थोप कर खिलवाड़ करने का अलोकतांत्रिक कृत्य किया, उससे आगामी 2012 में भगवान बदरीनाथ की पावन देवभूमि कोे अभिशाप अब भाजपा के बाद कांग्रेस पर लगना तय है। कांग्रेस जहां इस भानुमति के कुनबे की सरकार को उत्तराखण्ड में नहीं चला पायेगी वहीं आगामी 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव में शर्मनाक ढ़ग से हार का मुंह देखेगी। हालांकि कांग्रेस के जनविरोधी कृत्यों से 2014 में लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की पराजय की भविष्यवाणी मैने अपने 6 माह पुराने लेख में कर दी थी। क्योंकि जिस प्रकार से अंध हो कर कांग्रेस आला कमान जनविरोधी मनमोहन सरकार को समर्थन जारी रखे हुए है उससे मैने पहले भी साफ कर दिया था कि यह सरकार 2014 के लोक सभा चुनाव में किसी भी कीमत पर चुनाव नहीं जीतेगी। गौरतलब है कि मेने विधानसभा चुनाव के बारे में पहले ही इसी के साथ उल्लेख कर दिया था कि 2012 के विधानसभा चुनावों में उत्त

-काला बाबा से सीख लें श्री श्री रविशंकर सहित पंचतारा संत/

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-सरकारी विद्यालयों में पढ़ने वालों की मिले सरकारी नौकरी/ -काला बाबा से सीख लें श्री श्री रविशंकर सहित पंचतारा संत/ भले ही दुनिया में अरबों की दौलत व लाखों भक्तों से सम्पन्न विश्व प्रसिद्ध आध्यात्मिक गुरू रविशंकर जी अथाह दौलत व सौहरत पाने के बाद देश के 40 प्रतिशत गरीब लोगों के भविष्य पर कुठाराघात करते हुए ‘सरकारी स्कूलों को नक्सली विचार की फेक्टरी बता कर, सरकारी स्कूलों को बंद करके विद्या का व्यापार करने की बिना मांगे आत्मघाति सलाह सरकार को देने की हिमालयी भूल करते। एक तरफ में आज के इन पंचतारा तथाकथित स्वामियों को देखता हूूॅ तो मुझे बरबस याद आती है महान रहस्यमय शक्तियों के स्वामी काला बाबा की। जो देश की दुर्दशा पर कहते थे ‘ इस देश में विद्या व्यापार, धर्म व्यापार, राजनीति व्यापार व न्याय-चिकित्सा व्यापार बन गयी हे। इन देश के लूटेरे बने हुक्मरानों ने देश को मजबूत बनाने वाली हर संस्था व्यापार में तब्दील कर दी हे।’ काला बाबा आज के तथाकथित पंचतारा संस्कृति में जीने वाले तथाकथित साधुओं को भेसधारी कह कर उपहाश उडाते थे। काला बाबा हमेशा खण्डरों में, खुले आकाश के नीचे व धूनी में धूप, सर्दी व बा

भाजपा व कांग्रेस की नहीं जरूरत है आज उत्तराखण्ड में क्षेत्रीय दल की

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-भाजपा व कांग्रेस की नहीं जरूरत है आज उत्तराखण्ड में क्षेत्रीय दल की/ -मुर्दो से कब्रिस्तान सजते हैं बस्तियां आबाद नहीं होती / आज उत्तराखण्ड में भाजपा व कांग्रेस जैसे दिशाहीन आला कमान व उनके संकीर्ण प्यादों द्वारा चलाये जाने वाले राजनैतिक दलों की जरूरत नहीं अपितु प्रदेश के हितों के लिए राजनीति करने वाले क्षेत्रीय राजनैतिक दल की है। उत्तराखण्ड के सत्तासीन नेताओं ने अपनी संकीर्णता और पदलोलुपता के कारण प्रदेश के मान सम्मान व संसाधनो पर ग्रहण लगा दिया है। संकीर्ण दलीय स्वार्थ में अंधे इन नेताओं को न तो प्रदेश के शहीदों की शहादत का भान है व नहीं प्रदेश के हक हकूकों व मान सम्मान की रक्षा का। आज प्रदेश को तिवारी, खण्डूडी व निशंक के बाद बहुगुणा जेसे नेताओं को ढोना पड़ रहा है। आज इनके कारण ही राज्य गठन के 12 साल बाद भी प्रदेश में मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को दण्डित करने की ईमानदारी से पहल तक नहीं की गयी। प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण को स्थापित न करके देहरादून में स्थापित करने का शर्मनाक षडयंत्र किया गया। विश्व में ईमानदारी के लिए विख्यात उत्तराखण्ड आज राज्य गठन के 12 सालों में ही देश का

1947 में पाक से कश्मीर में आये लाखों लोगों को नागरिकता से वंचित रखना देश के हुक्मरानों का अक्षम्य अपराध व देश पर कलंक है।

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1947 में पाक से कश्मीर में आये लाखों लोगों को नागरिकता से वंचित रखना देश के हुक्मरानों का अक्षम्य अपराध व देश पर कलंक है।  आज 20 मार्च को मैं सांय को साढे तीन बजे जैसे  ही संसद की चैखट, राष्ट्रीय धरना स्थल, जंतर-मंतर पर पंहुचा तो वहां पर मेरी नजर एक धरने पर लगे बेनर पर गयी तो मेरा सर शर्म से झुक गया। आजादी हासिल करने के 64 साल बाद भी हम 1947 में देश में शरणार्थी हुए हजारों  लोगों को भारत की कश्मीर क्षेत्र की नागरिकता तक नहीं दी ।  सेकड़ों लोग इस धरने में बेठे थे। उस पर बैनर लगा हुआ था कि 1947 में पाकिस्तान से कश्मीर में आये लाखों लोगों को अभी तक भारत की नागरिकता तक प्रदान नहीं की गयी। इससे बड़ा भारतीयों के लिए दूसरी क्या बात शर्मनाक होगी। देश में  आजादी के 64 सालों में भले ही पांच दशक तक कांग्रेसी सरकारें देश की सत्ता में आसीन रही परन्तु देश की सत्ता में  जनता पार्टी, भारतीय संस्कृति के स्वयंभू ध्वजवाहक कहने वाले राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ द्वारा पोषित भाजपा नेतृत्व वाली अटल बिहारी वाजपेयी की सरकारें सहित अन्य तीसरे मोर्चे की सरकारें सत्तासीन रही। परन्तु किसी को भी पाकिस्तान से भारत के

बचाओ दिल्ली दरवार के कुत्तों से

बचाओ दिल्ली दरवार के कुत्तों से दिल्ली दरवार के कुत्ते भी , हमारे यहां शेर होते हैं.। नौचते हैं वे हमी को, पर हम बेखबर होते हैं फरिश्ता मानते हैं हम उनको जो चंगेज बन हमको लूटते हैं हमारे सपनों को ही नहीं ये वर्तमान को भी डंसते हैं। अब जाग जाओं गुनाहगारों को मशीहा मानने वाले साथियो । इन सत्तालोलुप भैडियों को पहचान लो जरा साथियो। जातिवाद भ्रष्टाचार के है पोषक ये मानवता के दुश्मन है साथियो। इन मायवी राक्षसों से देवभूमि आओ मिल कर बचाओं साथियो।। खदेड़ो दिल्ली दरवार के कुत्तों को कहीं वतन लुट न जाये साथियो।। अब मशीहा न बनाओं इन गुनाहगारों को खुद मशीहा बनो देश की रक्षा के खातिर।। -देवसिंह रावत(17मार्च 2012 सुबह 9.41) (उत्तराखण्ड में जिस प्रकार से भाजपा कांग्रेस ने अपने सत्तालोलुपु यादों को मुख्यमंत्री के रूप में थोप कर देवभूमि को जातिवाद, भ्रष्टाचार रूपि कुशासन से दस सालों में भारत का सबसे ईमानदार क्षेत्र को सबसे भ्रष्ट बना दिया है। उसी पर कटाक्ष करने वाली यह कविता उत्तराखण्ड के आम जनमनानस को जागृत करने के लिए है कि है उत्तराखण्ड की महान जनता आप इन दिल्ली की भाजपा व कांग

भाजपा के साथ कांग्रेस पर भी लगी महाकाल की वक्रदृष्टि

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भाजपा के साथ कांग्रेस पर भी लगी महाकाल की वक्रदृष्टि/ हरीश रावत के बाद यशपाल ने भी दी इस्तीफे की धमकी / ‘जाको प्रभु दारूण दुख देही, ताकी मति पहले हर लेई’ यह उक्ति आजकल भाजपा व कांग्रेस पर सटीक बैठ रही है। भगवान भी कांग्रेस व भाजपा के कृत्यों पर अब अंकुश लगाने के लिए मन बना चूका है। लगता है कांग्रेस अब कांग्रेस के बुरे दिन आ गये, उन पर भी भाजपा की तरह महाकाल का वक्र दृष्टि लग गयी है। हर काम उल्टा पुलटा ही हो रहा है। उत्तराखण्ड में बड़ी कठिनाई से कांग्रेस ने विधानसभा में चुनावी मैदान मारा, परन्तु कांग्रेस आला नेतृत्व के आंख कान बने आत्मघाति संकीर्ण जनविरोधी भ्रष्ट सलाहकारों की सलाह पर सोनिया गांधी ने देश के सबसे वरिष्ठ जननेता हरीश रावत या जनहितों के लिए समर्पित सतपाल महाराज को मुख्यमंत्री बनाने के बजाय विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बना कर प्रदेश की जनभावनाओं को रौंद ने का कृत्य करके पूरे प्रदेश में भूचाल ला दिया। इससे आक्रोशित केन्द्रीय मंत्री हरीश रावत के नेतृत्व में सांसद प्रदीप टम्टा,  सहित डेढ़ दर्जन विधायकों  ने विद्रोह कर दिया, वहीं देहरादून से खबर आयी है कि अपनी उपेक्षा से आहत प्रदे

ममता बनर्जी का विरोध छवि बनाने का हथकण्डा या जनहित समर्पित नेत्री

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ममता बनर्जी का विरोध  छवि बनाने का हथकण्डा या जनहित समर्पित नेत्री  ममता बनर्जी द्वारा अपने की दल के रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी द्वारा प्रस्तुत रेल बजट 2012 में की गयी रेल यात्री किराये में बृद्धि का प्रखर विरोध कर मनमोहनी सरकार को कटघरे में खड़ा करने के साथ-साथ जनता के बीच अपनी जनकल्याणकारी नेत्री की छवि बनाने में कामयाब हुई। परन्तु इस प्रकरण में दो बाते बहुत ही रहस्यमय लग रही है। इसका पहला कारण यह है कि यह रेल बजट खुद ममता बनर्जी की पार्टी तुणमूल कांग्रेस के कोटे से मंत्री बने दिनेश त्रिवेदी द्वारा  रेल बजट 2012 को प्रस्तुत किया गया। यह बात भी गले नहीं उतर रही है कि जिस ममता बनर्जी के तैवरों से आम आदमी आशंकित रहता है, उसी ममता बनर्जी की पार्टी का संासद सं मंत्री बना दिनेश त्रिवेदी ममता के व्यवहार से किस प्रकार अनविज्ञ रह सकता है। जबकि ममता बनर्जी खुद कई बार इस बात का ऐलान कर चूकी थी कि रेल किराया की बढ़ोतरी किसी कीमत पर स्वीकार नहीं की जायेगी। इस प्रवृति का जानकार मंत्री त्रिवेदी क्यों बंगाल की शेरनी को क्यों नाराज करेगे। आज इस बात का सुखद आश्चर्य है कि जनविरोधी राजनीति में ममता बनर

उत्तराखण्ड की लोकशाही को कांग्रेस भाजपा के जातिवादी दलालों से बचाओ

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उत्तराखण्ड की लोकशाही को  कांग्रेस भाजपा के जातिवादी दलालों से बचाओ  मेरा तमाम बुद्धिजीवियों से निवेदन है कि उत्तराखण्ड की लोकशाही के लिए वे एकजूट हो कर इसको अपनी जातिवादी व पदलोलुपु संकीर्णता से तबाह कर रहे भाजपा व कांग्रेस के आला नेतृत्व के कुकृत्यों के खिलाफ एकजूट हो। तुम तीर पर तीर चलाओ कोई बात नहीं, हम जख्म भी दिखायें तो तुम रो पडे। उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद जिस प्रकार से भाजपा व कांग्रेस के आलानेतृत्व के थोपे गये तिवारी, खण्डूडी व निशंक जैसे पदलोलुपु उत्तराखण्ड विरोधी मोहरों ने भ्रष्टाचार, जातिवाद व क्षेत्रवाद से देश के सबसे भ्रष्टाचारी राज्य बना कर लोकशाही को ही तबाह कर दिया है। भाजपा व कांग्रेस के आला नेतृत्व ने यहां के जमीनी स्थापित नेतृत्व को दरकिनारे करके जिस प्रकार से अपने जातिवादी संकीर्णता को थोपते हुए यहां पर सदियों से स्थापित सामाजिक भाई चारे को तार तार करने का घृर्णित कृत्य किया है। उसको बेनकाब होने पर उत्तराखण्ड के कुछ लोगों को बुरा लग रहा है। होना चाहिए था कि तमाम बुद्धिजीवी एकजूट हो कर यहां पर भाजपा व कांग्रेस के इस षडयंत्र का विरोध करके उत्तराखण्ड की रक्षा में

उत्तराखण्ड में भाजपा कांग्रेस के गुलाम नहीं अपितु ममता जैसे नेताओं की जरूरत

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उत्तराखण्ड में भाजपा कांग्रेस के गुलाम नहीं अपितु ममता जैसे नेताओं की जरूरत जिस प्रकार से उत्तराखण्ड के लोगों ने अपने विकास व सम्मान की रक्षा के लिए दशकों लम्बा संघर्ष करके तथा तमाम शहादतें दे कर भी पृथक उत्तराखण्ड राज्य का साकार किया था। उस राज्य को मात्र 12 सालों में भाजपा व कांग्रेस के तिवारी, खंडूडी व निशंक जैसे संकीर्ण  सत्तालोलुपु प्यादों के कुशासन से देश का सबसे भ्रष्टतम राज्य बना दिया। इनके 12 साल के कुशासन में न केवल प्रदेश की राजनैतिक शक्ति को जनसंख्या पर आधारित परिसीमन से जमीदोज करने का अक्षम्य अपराध किया, अपितु उत्तराखण्ड के आत्मसम्मान को रौंदने वाले मुजफरनगरकाण्ड के अभियुक्तों को भी एक प्रकार से शर्मनाक संरक्षण दिया। वहीं प्रदेश के आमूल विकास के प्रतिक गैरसैंण राजधानी बनाने के बजाय लूट खसोट व अपनी अयाशी के लिए लोकशाही की हत्या करके जबरन राजधानी देहरादून में थोप दी गयी। भाजपा कांग्रेस ने यहां के जनहितों के लिए समर्पित व अनुभवी साफ छवि के नेताओं के बजाय यहां पर जातिवाद व दिशाहीन पदलोलुपुओं को सत्तासीन करके प्रदेश में जातिवाद-क्षेत्रवाद तथा भ्रष्टाचार का अंधा कुशासन दिया। आज

एक साल पहले से ले लिया गया था बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने का निणर्य

एक साल पहले से ले लिया गया था बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने का निणर्य भले ही कांग्रेस आला कमान ने सांसद विजय बहुगुणा को उत्तराखण्ड का मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान 12 मार्च 2012 की सांय 6.3 बजे के बाद किया हो परन्तु  विजय बहुगुणा को ही मुख्यमंत्री बनाने का फेसला कांग्रेस आला नेतृत्व के सबसे ताकतबर नेताओं ने एक साल पहले ही ले लिया था। इस रणनीति का खुलाषा प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र में मैने पहले भी किया था कि तिवारी के सबसे करीबी सलाहकार रहे आर्येन्द्र षर्मा को इसी रणनीति के तहत सहसपुर से कांग्रेसी टिकट का दावेदार बनाया गया। आर्येन्द्र षर्मा व विजय बहुगुणा की जुगलबंदी का मुख्य कथा ही मुख्यमंत्री का पद विजय बहुगुणा बनाने के लिए रची गयी। आर्येन्द्र को इसी आधार पर विजय बहुगुणा ने अपनी संसदीय सीट से विधानसभा का प्रत्याषी बनाया कि तिवारी जी की पकड़ का इस्तेमाल वे विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने के लिए करेंगे। नहीं तो आर्येन्द्र ने तो प्रदेष का मूल निवासी ही है व नहीं कांग्रेस का नेता ही रहा।  विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री बनाने की व्यूह रचना के तहत कांग्रेसी नेता विजय बहुगुणा की संसदीय सीट के

उत्तराखण्ड में बहुगुणा को बना कर जनादेष का अपमान किया कांग्रेस ने

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उत्तराखण्ड में बहुगुणा को बना कर जनादेष का अपमान किया कांग्रेस ने/ जातिवादी कार्ड चल कर भाजपा की तरह  कांग्रेस ने की आत्महत्या! / हरीष रावत, सतपाल महाराज, यषपाल व हरक सिंह रावत सहित कांग्रेसी विधायक दें इस्तीफा/ उप्र व पंजाब की ं हाल में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में जनता द्वारा षर्मनाक रूप से नक्कारे जाने के बाद जिस उत्तराखण्ड प्रदेष ने सत्तासीन भाजपा को सत्ताच्युत कर कांग्रेस को सत्तासीन करने का काम करके उसकी लाज बचायी, उस उत्तराखण्ड प्रदेष में घोर जातिवादी मोह में भाजपा की तरह अंधे हो कर कांग्रेसी नेतृत्व ने भी विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री के रूप में थोप कर लोकषाही को रौंदने का कुकृत्य किया, उसने प्रदेष से व केन्द्र से कांग्रेस का 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेसी ताबूत पर सफाया की कील ठोक दी। कांग्रेस की इस कृत्य से प्रदेष की आम जनता में इस धारणा को बल मिल रहा है कि भाजपा व कांग्रेस दोनों के राश्ट्रीय नेतृत्व की नजर में उत्तराखण्ड केवल ब्राहमण जाति के लिए आरक्षित कर रखा है। क्योंकि जिस प्रकार से भाजपा व कांग्रेस में सन् 2002 से लेकर 2012 तक हुए सभी विधानसभा चुनाव में विधायको