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Showing posts from August, 2011

महाकाल का अदभूत न्याय- क्यों अण्णा बने महानायक व रामदेव को मिला अपयश

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महाकाल का अदभूत न्याय- क्यों अण्णा बने महानायक व रामदेव को मिला अपयश ‘आप सब भी हैरान होंगे कुदरत का अदभूत न्याय को देख कर। ‘आपने देखा कि भारत के दिल में बसी दिल्ली का वही रामलीला मैदान, वही अनशन व वही लाखों समर्थक । परन्तु इसका परिणाम देख कर आप सबकी आंखें फट्टी की फट्टी रह जायेगी। अण्णा हजारे जहां आमरण अनशन के बाद विश्व में लोकशाही के महानायक बन कर उभरे वहीं विश्व विख्यात बाबा रामदेव अपने आमरण अनशन से अर्श से फर्श पर ऐसे पटके गये कि वे ऐतिहासिक कार्य करने के बाबजूद भी अपयश के भागी बन गये। हालत यह है कि आज तक भी वे अनशन या दिल्ली में आंदोलन करने की हिम्मत तक नहीं जुटा पा रहे है। वहीं अण्णा हजारे को अपने इन दो आमरण अनशन से पहले बहुत कम प्रबुद्व लोग ही जानते थे, आज वे पूरे भारत की जनता के जहां जननायक हैं अपितु ंविश्व लोकशाही के चमकते सूर्य बन कर पूरे संसार को गांधी के बाद रोशन कर रहे हैं। जहां बाबा राम देव ंसंत भेषधारी होने के बाद 11000 करोड़ रूपये से अधिक सम्पति का सम्राट हैं वहीं अण्णा हजारे के पास कहने को अपना मकान तक नही ं है वे भेषधारी संत भले ही न हो परन्तु पूरे संतो

भ्रष्टाचार को संरक्षण दे रही भाजपा से इस्तीफा दे कर जनरल रावत ने किया भाजपा सरकार को किया बेनकाब

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- / -श्रीनगर मेें जनरल रावत के समर्थन में हुई ऐतिहासिक रैली ने किया प्रदेश से भाजपा कांग्रेस के सफाये एक ऐलान/ -प्रदेश में एक सशक्त राजनैतिक विकल्प दे सकता है मोर्चा/ प्यारा उत्तराखण्ड की विशेष रिपोर्ट- 27 अगस्त को एक तरफ दिल्ली के रामलीला मैदान में पूर्व सैनिक से विश्व लोकशाही के महानायक बने अण्णा हजारे के ऐतिहासिक आमरण अनशन से सहमे राजनैतिक दल ने घुटने टेकते हुए उनकी मांगों को स्वीकार करने के लिए विवश कर चूके थे वहीं दूसरी तरफ भारतीय संस्कृति की पावन गंगोत्री उत्तराखण्ड मे भाजपा के पूर्व सांसद व प्रदेश के बहुसंख्यक पूर्वसैनिकों के सबसे कद्दावर नेता ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत ने श्रीनगर में आयोजित विशाल रैली में भाजपा की प्रदेश निशक सरकार के भ्रष्टाचार को शर्मनाक संरक्षण दे रहे भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व से इस्तीफा देकर भाजपा को पूरी तरह बेनकाब कर दिया। उन्होंने प्रदेश को भाजपा व कांग्रेस के भ्रष्टाचारी व उत्तराखण्ड विरोधी चंगुल से बचाने के लिए उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा का गठन करके प्रदेश की राजनीति में जहां खलबली मचा दी है। उनके इस ऐतिहासिक ऐलान के साथ उनके करीबी सिपाहे

सत्तांधों को लोकशाही का ऐेतिहासिक सबक सिखाने वाले जननायक अण्णा हजारे को शतः शतः नमन्

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सत्तांधों को लोकशाही का ऐेतिहासिक सबक सिखाने वाले जननायक अण्णा हजारे को शतः शतः नमन्/ मनमोहन व देशमुख व एनजीओ प्रकरण द्वारा लगाये ग्रहण से उठे कई सवाल/ फिरंगियों से आजादी के जीत के महाजननायक महात्मा गांधी के बाद भ्रष्टाचार से त्रस्त मृतप्राय भारत की आत्मा को अपने विश्वविख्यात जनांदोलन से जागृत करने वाले दूसरे गांधी के नाम से विश्वविख्यात हुए अण्णा हजारे के 16 अगस्त 2011 से विश्व को झकझोरने वाले आमरण अनशन को 27 अगस्त को संसद द्वारा स्वीकार करने पर अण्णा हजारे ने अपना आमरण अनशन को 28 अगस्त 2011की सुबह 10.30 बजे समापन कर अपने संघर्ष को कानून बनाने तक जारी रखने का ऐलान किया। क्योंकि उनकी लोकपाल में तीनों मांगों को सम्मलित करने के प्रस्ताव को संसद के दोनों सदनों ने सर्वसम्मति से पारित करते हुए अण्णा हजारे से अपना आमरण अनशन समाप्त करने की पुरजोर अपील की थी। संसद की भावनाओं का सम्मान करते हुए अण्णा हजारे ने अपना आमरण अनशन 28 अगस्त को 10 बजे किया। क्योंकि अण्णा हजारे सांय सूर्यास्त के बाद अपना अनशन कभी नहीं तोड़ते। 27 अगस्त को जब संसद का सांझी अपील की थी तब तक सूर्यास्त हो

अण्णा के इस पावन जनांदोलन पर ग्रहण लगा रहे मनमोहन, देशमुख व एनजीओ प्रकरण

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अण्णा के इस पावन जनांदोलन पर ग्रहण लगा रहे मनमोहन, देशमुख व एनजीओ प्रकरण / फिर झूठे आश्वास से अण्णा के अनशन समाप्त कराने का सरकारी षडयंत्र/ भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जनलोकपाल कानून बनाने के लिए 16 अगस्त 2011 से आमरण अनशन कर रहे गांधी के बाद अहिंसा के रास्ते में विश्वलोकशाही के जननायक बन कर उभरे अन्ना हजारे के पावन आंदोलन का जहां एक तरह मनमोहनसिंह की सरकार सहित तमाम राजनैतिक दलों ने इसे तत्काल संसद के इसी सत्र में न रखने की सहमति दे कर की, वहीं इस आंदोलन का इससे भी बड़ा अपमान देशमुख जैसे राजनेता जो भ्रष्टाचारों के आरोपों में घिरे है की मध्यस्थता करने से हुआ। इस आंदोलन में देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जहां प्रधानमंत्री से न्यायपालिका को भी इसके दायरे में रखने के लिए सारा जोर लगाया जा रहा है परन्तु सबसे हस्तप्रद करने वाली बात यह है कि देश व समाज को भ्रष्टाचार से रसातल में धकेलने के लिए कुख्यात हो चुके अधिकांश गैरसरकारी स्वयं सेवी संगठनों(एनजीओ) को इसके दायरे से बाहर रखा गया। इसका एक ही कारण है कि कांग्रेस व भाजपा का शीर्ष नेतृत्व सहित अधिकांश राजनेताओं, नौकरश

Flower of god bless 25 August 2011

Flower of god bless 25 August 2011 God is not only us but all universe too, so when we be selfish to hurt or hunt some one innocent being that time god is teach us great lesson to stop us to fall into hell. Life is also same like mountain, so beautiful those who has wish and will to do right way and so hard like mountain those who has narrow wit and selfish wish God bless to all love, sweet supreme gift of universe. lucky being respect its heartly and unfortunate being destroy its with own life too Memories. only like dream, smile, see how much we got and how we lost, now where all. after some time all is dead in lap of time. God already provide us peace, power ,wit and unvalueble body all are in our lap and heart , its depend upon us how we use and respect its.

27 अगस्त 2011 को श्रीनगर में भ्रष्टाचार का कलंक मिटांओ रेली

देवभूमि उत्तराखण्ड बचाओं, भ्रष्टाचार का कलंक मिटांओ रेली / 27 अगस्त 2011 को श्रीनगर उत्तराखण्ड व 2 सितम्बर 2011 को हल्द्वानी में/ प्यारा उत्तराखण्ड की विशेष रिपोर्ट-/ आकंठ भ्रष्टाचार से त्रस्त देवभूमि उत्तराखण्ड को मुक्ति दिलाने के लिए उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा का गठन करके इसकी कमान सर्वसम्मति से पूर्व सांसद ले.ं जनरल टीपीएस रावत को सौंपी गयी है। भष्ट्राचार मिटाओं का शंखनाद लोकगायक नरेन्द्रसिंह नेगी सहित तमाम उत्तराखण्ड के लिए समर्पित सपूत संयुक्त रूप से कर रहे है। इसकी पहली रैली 27 अगस्त 2011 को श्रीनगर उत्तराखण्ड में व दूसरी रैली 2 सितम्बर 2011 को हल्द्वानी में होगी। इससे पूरे प्रदेश की राजनीति में हडकंप मच गया है। यह भी एक अदभूत संयोग है कि अपनी जान को दाव पर लगा कर देश के दूश्मनों को छक्का छुडाने वाले भारतीय सेना के जांबाज सैनिक सेवानिवृति के बाद देश को भ्रष्टाचार से तबाह कर रहे आंतरिक दुश्मनों से भी देश की रक्षा करने के लिए छेड़े गये जनांदोलन का नेतृत्व भी पूर्व सैनिक अण्णा हजारे कर रहे हैं वहीं पावन देवभूमि उत्तराखण्ड को सत्तासीन भाजपा की निशंक सरकार के भ्रष्टाचारों से त

भाजपा के गले का फांस बना नये जिलों का गठन

भाजपा के गले का फांस बना नये जिलों का गठन/ -कोटद्वार नहीं सलाण में हो जिला मुख्यालय/ -नये जनपदों के गठन के लिए सरक ार पर बढ़ा दवाब/ कोटद्वार/द्वाराहाट(प्याउ) । प्रदेष सरकार ने चुनावी वैतरणी में भाजपा की नैया पार लगाने के उदेष्य से जो चार जनपदों के गठन की घोशणा की थी वह सरकार के गले की फांस बन गयी है। प्रदेष में इस समय एक दर्जन से अधिक स्थानों पर नये जिले बनाने की मांग की जा रही है परन्तु सरकार ने केवल 4 जनपदों का गठन क र एक प्रकार पूरे प्रदेष के वंचित लोगों का आक्रोष भाजपा की तरफ मुड़ गया है । लोगों का आरोप है कि नये जनपदों का गठन करते समय सरकार ने न तो जिला गठन की मांगों का ईमानदारी से निर्णय लिया व नहीं दूरदर्षिता ही दिखायी। पुरानी मांगों दर किनारे किया गया उससे सरकार की स्थिति बहुत ही दयनीय हो गयी है। मुख्यमंत्री के गृह जनपद पौड़ी में कोटद्वार जनपद जिला बनाने पर लोग आक्रोषित है। लोगों का मानना है कि कोटद्वार जनपद बनाने से पर्वतीय क्षेत्र की जनता को कोई लाभ नहीं मिलेगा, वहीं जिला मुख्यालय व जिला का नाम कोटद्वार बनाये जाने पर कड़ी भत्र्सना करते हुए अग्रणी समाजसेवी महाबीर प्रस

shame to human race

Human is also a being who make all other being slave. human is so cruel who spoil freedom of all other being. , respect freedom of all beings to. www.rawatdevsingh.blogspot.com

-मनमोहन को अविलम्ब हटाकर व जनलोकपाल को स्वीकार कर प्रधानमंत्री बने राहुल

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-मनमोहन को अविलम्ब हटाकर व जनलोकपाल को स्वीकार कर प्रधानमंत्री बने राहुल देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए जन लोकपाल कानून बनाने की मांग को लेकर 16 अगस्त 2011 से दिल्ली के जय प्रकाश पार्क में आमरण अनशन करने का निकले देश के शीर्ष गांधीवादी नेता अण्णा हजारे व उनके हजारों समर्थकों को अलोकतांत्रिक ढंग से जेल में बंद करके लोकशाही का गला घोंटने को तुली मनमोहनी सरकार ने देश व्यापी जनाक्रोश के आगे घुटने टेकते हुए तिहाड में बंद अण्णा हजारे व साथियों को रात को तिहाड़ जेल से रिहा करने का ऐलान करने को मजबूर होना पड़ा। सरकारी दमन की हवा निकालते हुए अण्णा हजारे ने लोकषाही की ताकत दिखाते हुए कहा कि वे जेल से रिहा होने के बाबजूद बाहर तब आयेंगे जब उनको बिना षर्त अनषन की इजाजत दी जाय। जेल से अपनी मर्जी से सरकार द्वारा मजबूरी में दिया गया रामलीला मैदान में जब अण्णा हजारे आमरण अनषन की आगे की पारी खेलने के लिए आये तो देष की जनता को अपना सेवक समझने वाले राजनेताओं के पैरों के तले जमीन ही खिसक गयी । लोकशाही की इस जीत से गदगद अण्णा हजारे ने जेल से रिहा होने के बाद जब जय प्रकाष पार्क में ही जा

अण्णा को नोबल पुरस्कार देकर अपनी भूल सुधारेगी नोबल समिति?

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अण्णा को नोबल पुरस्कार देकर अपनी भूल सुधारेगी नोबल समिति?/ -विश्व में अनोखा अहिंसक जनांदोलन करके दी नयी सीख/ -गांधी के बाद देश की जनता को जागृत करने का किया ऐतिहासिक कार्य / हिंसा से ग्रस्त विश्व जनसमुदाय को अहिंसक आंदोलन करके अचंभित करने वाले भारत के अग्रणी समाजसेवी अण्णा हजारे ने विश्व मानवता को जो शांति व लोकशाही की जो किरण दिखायी, उसकी महता को देखते हुए विश्व शांति के लिए सर्वोच्च सम्मान देने वाली नोबल समिति केपास अण्णा हजारे को नोबल पुरस्कार देने के अलावा और कोई रास्ता नहीं रह गया है। अण्णा हजारे को शांति का नोबेल पुरस्कार दे कर नोबेल समिति अपनी उस शर्मनाक भूल को सुधार सकती है जो उन्होंने गत सदी के सबसे बड़े अहिंसक जनांदोलनों के महानायक महात्मागांधी को अपनी संकीर्ण मानसिकता के कारण नोबेल पुरस्कार न देकर अपनी समिति को खुद ही कटघरे में खडा कर दिया है। महात्मा गांधी के इस आंदोलन की अमिट छाप पूरे विश्व में जिस प्रकार से अमेरिका के महानायक मार्टिन लूथर किंग से लेकर ओबामा तक साफ दिखाई देता हैं वहीं अफ्रिका के जनांदोलनों के महानायक नेलशन मंडेला तक साफ दृष्टिगोचर होता है। विश्व प

एनजीओं को लोकपाल के दायरे में क्यों छूट दी जा रही है?

एनजीओं को लोकपाल के दायरे में क्यों छूट दी जा रही है? जब देष में प्रधानमंत्री से न्यायालय तक जनलोकपाल के दायरे लाने की मांग की जा रही है तो देष विदेष से अरबों रूपये बट ोरने वाले एनजीओं को लोकपाल के दायरे में क्यों छूट दी जा रही है?

देष का नहीं चंद षहरों का हुआ विकासः न्यायमूर्ति संतोश हेगड़े

देष का नहीं चंद षहरों का हुआ विकासः न्यायमूर्ति संतोश हेगड़े सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायमूर्ति व कर्नाटक में भ्रश्ट्राचारी भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री यदुरिप्पा को हटने के लिए मजबूर करने वाले, अण्णा हजारे के नागरिक समिति के प्रमुख सदस्य संतोश हेगडे ने आज 21अगस्त 2011 को देष को भ्रश्ट्राचार से मुक्तिदाता के रूप में जनता की आंखों के तारे बने ‘दिल्ली के रामलीला मैदान में सरकार से अविलम्ब जनलोकपाल विधेयक पारित करने की मांग को लेकर 16 अगस्त 2011 से आमरण अनषन कर रहे अण्णा हजारे के समर्थन में रामलीला मैदान में पधारे। पूर्व न्यायमूर्ति संतोश हेगड़े ने अण्णा हजारे के ऐतिहासिक जनांदोलन में अपना समर्थन देते हुए अपने संबोधन में दो टूक षब्दों में कहा कि आज ंदेष में विकास का जो डंका सरकारें बजा रही है वह मात्र चंद षहरों तक सीमित है। देष के अधिकांष ग्रामीण इलाके आज भी मूलभूत संसाधनों व सुविधाओं से वंचित है। उन्होने दो टूक षब्दों में कहा कि सरकार क्यों हटधर्मिता कर रही है। क्यों जनभावनाओं को रौंद रही है । भ्रश्टाचार ने देष के अवाम का जीना ही दूष्वार कर रखा है। इसी लिए आज देष में

देवभूमि उत्तराखण्ड को भ्रश्टाचार से मुक्ति दिलाने की कमान संभाल रहे हैं जनरल रावत

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भ्रश्टाचारियों से देष की रक्षा की जंग का नेतृत्व भी कर रहे है पूर्व सैनिक अण्णा/ देवभूमि उत्तराखण्ड को भ्रश्टाचार से मुक्ति दिलाने की कमान संभाल रहे हैं जनरल रावत/ यह भी एक अदभूत संयोग है कि अपनी जान को दाव पर लगा कर देष के दूष्मनों को छक्का छुडाने वाले भारतीय सेना के जांबाज सैनिक सेवानिवृति के बाद देष को भ्रश्टाचार से तबाह कर रहे आंतरिक दुष्मनों से भी देष की रक्षा करने के लिए छेड़े गये जनांदोलन का नेतृत्व भी कर रहे है। जहां देष का नेतृत्व पूर्व सैनिक अण्णा हजारे कर रहे हैं वहीं भारतीय संस्कृति की उदगम स्थली उत्तराखण्ड को भ्रश्टाचार से मुक्त करने के लिए पूर्व ले. जनरल टीपीएस रावत ने भाजपा नेतृत्व के तमाम राजनैतिक प्रलोभनों को ठुकराते हुए ‘उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा के बैनरतले प्रदेष में जनांदोलन का षंखनाद कर प्रदेष की राजनीति में स्थापित भाजपा व कांग्रेस में हडकंप मचा दिया है। भ्रश्टाचार के आरोपों से आकंठ घिरी प्रदेष की निषंक सरकार भले ही जनता का ध्यान बांटने के लिए देष में चल रहे अण्णा के जनलोकपाल आंदोलन को समर्थन देने का ऐलान कर रहे हो ं परन्तु भाजपा के पूर्व सांसद जनरल

स्वामी विवेकानन्द की प्रेरणा ने बनाया आत्म हत्या को उतारू अण्णा हजारे को महानायक

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जन लोकपाल तक ही नहीं अपितु देष में लोकराज स्थापित करके दम लेगें अण्णा / स्वामी विवेकानन्द की प्रेरणा ने बनाया आत्म हत्या को उतारू अण्णा हजारे को महानायक/ भ्रश्टाचार की चुगल में दम तोड़ रहे भारत को बचाने के लिए जनलोकपाल कानून बनाने की मांग ंको लेकर 6 अगस्त 2011 से जारी अपने विष्व विख्यात आमरण अनषन के सौ घण्टे पूरे होने पर आज 20 अगस्त 2011 की दोपहर में ऐतिहासिक संबोधन में भारत के इस नये गांधी अण्णा हजारे ने दो टूक षब्दों में ऐलान किया कि वे अपना संघर्श केवल जनलोकपाल कानून बनाने तक ही सीमित नहीं रखेंगे, अपितु वे अपने इस संघर्श को देष में लोकराज स्थापित करके ही दम लेंगे। अपने वर्तमान अनषन के घण्टों का षतक बनाने के अवसर पर आत्मविष्वास से भरपूर अण्णा हजारे ने देष के हुक्मरानों को देष की आजादी के 64 साल बाद भी लोकराज से वंचित रखने की कड़ी भत्र्सना की है। उन्होने कहा कि देष को बाहरी दुष्मनों से अधिक देष के सत्ता के पहरेदारों से (राजनेताओं) अधिक खतरा है तथा देष के खजाने को चोरों से नहीं अपितु इसके रखवालों से ही खतरा हो गया है। बोलीबुड के विख्यात कलाकार मनोज तिवारी द्वारा इ

जनविरोधी प्रधानमंत्री मनमोहन को अविलम्ब हटा कर व जनलोकपाल को स्वीकार कर प्रधानमंत्री बने राहुल

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अब जनलोकपाल लागू करने व मनमोहन सिंह के इस्तीफे के कम देष को मंजूर नहीं है सरकार में लगता में जनहितों के लिए रत्ती भर भी न इच्छा रही है व नहीं कोई विवेकषाली नेता ही है जिसके दिल में लोकषाही के लिए एकांष भी सम्मान हो। मनमोहनसिंह का कभी सामाजिक सरोकारों से रहा दूर अपने पडोसियों से भी सामान्य मानवीय रिस्ता नहीं रहा होगा। नही तो वे लोकषाही के प्राण जनता के आंदोलन के मूलभूत अधिकार पर षर्मनाक अंकुष लगा कर भारतीय लोकषाही को कलंकित करने का निककृश्ठ काम तो नहीं करते। पहले अण्णा को अनषन की इजाजत न देना व अब पूरे देषवासियों ने सरकार को धिक्कारा तो उनकी मांग मानने के साथ आंदोलन करने का अधिकार बहाल करने के बजाय सरकार लोकषाही को रोंदने वाली अपनी निकृश्ठ मानसिकता का परिचय देते हुए केवल 15 दिन का अनषन की अनुमति दी। अब देष केवल नक्कारे साबित हो चुके प्रधानमंत्री मनमा ेहन को एक पल भी सत्तासीन देखना नहीं चाहता जिन्होंने अपनी अहं के लिए भारतीय लोकषाही को कलंकित किया। भ्रश्टाचार से सड़ सी चुकी व्यवस्था के सुधारने के लिए जनलोकपाल स्वीकार करने में सरकार क्या मना कर रही है । इससे देष में एक स्पश्ट

गैरसैण राजधानी के लिए युवाओं ने किया गैरसैंण में प्रचण्ड प्रदर्शन

गैरसैण राजधानी के लिए युवाओं ने किया गैरसैंण में प्रचण्ड प्रदर्शन गैरसैंण (प्याउ )। जब प्रदेश के राजनेता जिन पर प्रदेश के भाग्य को संवारने का दायित्व जनता ने सौंपा है, वे जनहितों की शर्मनाक उपेक्षा करने लगे तो उत्तराखण्ड का कामकाजी प्रबुद्व युवा अपने प्रदेश के हितों की रक्षा के लिए सड़कों पर उतरने का ऐतिहासिक काम करता है। ऐसा ही हुआ जब प्रदेश गठन का जनांदोलन हुआ और अब प्रदेश की स्थाई राजधानी बलात देहरादून थोपने के पर भी सत्तासीनों द्वारा शर्मनाक मूक रहने पर अपनी रोजी रोटी के लिए देश विदेश में पलायन का दंश झेल रहे युवाओं से मूक नहीं रहा गया। वे अपनी जन्म भूमि के हितों क ी रक्षा करने व भविष्य को बचाने के लिए गैरसैंण राजधानी बनाने की मांग को सडकों पर उतर आये। इसी क्रम में समर्पित संगठन म्यर उत्तराखण्ड ने इस पहल का नेतृत्व करते हुए प्रदेश के राजनेताओं व जनता को एक नई दिशा देने का सराहनीय कार्य किया। उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग को लेकर ‘म्यर उत्तराखण्ड’ इंटरनेटी संस्था के बैनर तले सैकड़ों युवाओ ने स्वतंत्रता दिवस के एक दिन पहले 14 अगस्त को गैरसैंण में रेली का

जनविरोधी प्रधानमंत्री मनमोहन को अविलम्ब हटा कर व जनलोकपाल को स्वीकार कर प्रधानमंत्री बने राहुल

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जनविरोधी प्रधानमंत्री मनमोहन को अविलम्ब हटा कर व जनलोकपाल को स्वीकार कर प्रधानमंत्री बने राहुल/ जनाक्रोश से सहमी दमनकारी मनमोहन सरकार पर भारी पड़े अण्णा/ देश को भ्रष्टाचार से मुक्त करने के लिए जन लोकपाल कानून बनाने की मांग को लेकर 16 अगस्त 2011 से दिल्ली के जय प्रकाश पार्क में आमरण अनशन करने का निकले देश के शीर्ष गांधीवादी नेता अण्णा हजारे व उनके हजारों समर्थकों को अलोकतांत्रिक ढंग से जेल में बंद करके लोकशाही का गला घोंटने को तुली मनमोहनी सरकार ने देश व्यापी जनाक्रोश के आगे घुटने टेकते हुए तिहाड में बंद अण्णा हजारे व साथियों को रात के 9.15 मिनट पर तिहाड़ जेल से रिहा करने का ऐलान करने को मजबूर होना पड़ा। लोकशाही की इस जीत से गदगद अण्णा हजारे ने जेल से रिहा होने के बाद जय प्रकाश पार्क में जाने की योजना से मनमोहनी सरकार के हाथ पांव फूल से गये हे। इस लिए उन्हें सरकार बाबा रामदेव की तरह दिल्ली से बाहर भी भेजने की रणनीति पर भी विचार कर रही है। परन्तु सरकार को यह समझने की भूल कर रही हे कि अण्णा कोई बाबा रामदेव नहीं जो सरकारी दमन के आगे चुपचाप सर झुका देंगे। सरकार उनको जितना भी दमन

उत्तराखण्ड में भाजपा की सरकार के खिलाफ जनरल रावत व नरेन्द्र ंिसंह नेगी का खुला ऐलान

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उत्तराखण्ड में भाजपा की सरकार के खिलाफ जनरल रावत व नरेन्द्र ंिसंह नेगी का खुला ऐलान / भाजपा व कांग्रेस के उडे होश, भ्रष्टाचार के खिलाफ श्रीनगर और हल्द्वानी में होगा सम्मेलन/ जनरल के तेवर देख भाजपा आलाकमान भी सहमे/ देहरादून (प्याउ)।उत्तराखंड में आकंठ व्याप्त भ्रष्टाचार के खिलाफ भाजपा नेता ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत व प्रदेश के अग्रणी लोक गायक नरेन्द्रसिंह नेगी के उत्तराखंड रक्षा मोर्चा द्वारा घोषित सम्मेलन में हजारों पूर्व सैनिकों की उपस्थिति में प्रदेश में भ्रष्टाचार के खिलाफ खुली जंग का ऐलान करने से सत्तासीन भाजपा व प्रदेश की सत्ता में काबिज होने की दिवास्वप्न देख रही कांग्रेस में भारी हडकंप मच गया है।सम्मेलन में प्रख्यात गायक नरेन्द्र सिंह नेगी ने जन. रावत के अभियान को समर्थन देने की घोषणा करते हुए ‘ उठा जागो उत्तराखण्डियों, धै लगोना बगत ऐगे-मान सम्मान बचोनों वक्त ऐग, व सपोडा सपोड़ा... कमीशन की मीट भात..... जैसे गीतों से सम्मेलन गूंज उठा। इस अवसर पर उन्होंने जनरल रावत के भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम को अपना खुला समर्थन देने के लिए बनाया गया विशेष गीत ‘ द्वि दिनों की और च, अब

सरकारी आतंक से लोकशाही के ध्वजवाहक अण्णा हजारे के आंदोलन व लोकशाही को रौंद रही है मनमोहनी सरकार

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मनमोहन सरकार का दमनकारी चेहरा देख पूरा विश्व स्तब्ध/ सरकारी आतंक से लोकशाही के ध्वजवाहक अण्णा हजारे के आंदोलन व लोकशाही को रौंद रही है मनमोहनी सरकार/ लोकशाही के सर्वोच्च हृदय स्थल राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर भी लगा मनमोहनी अंकुश/ देश के 65 वें स्वतंत्रता दिवस के एक दिन बाद 16 अगस्त 2011 को भारतीय हुक्मरानों का लोकशाही का दमन करने वाला ऐसा विकृत मनमोहनी चेहरा सामने आया उससे अमेरिका सहित पूरा विश्व स्तब्ध हो गया। अमेरिका ने पहले ही अण्णा हजारे के शांतिपूर्ण आंदोलन को करने की इजाजत देने की आशा प्रकट कर मनमोहन सरकार को दुविधा में डाल दिया था। अण्णा हजारे के आंदोलन के समर्थन में व मनमोहन सरकार के दमनकारी नीतियों के खिलाफ भारत में ही नहीं सुयंक्त राष्ट्र मुख्यालय की चैखट पर आंदंोलनकारी अपना विरोध प्रकट कर रहे है। देश की व्यवस्था को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए जनलोकपाल कानून बना कर प्रधानमंत्री से लेकर न्यायपालिका को इसके तहत लाने की मांग करके देश व्यापी जनांदोलन करने जा रहे देश के अग्रणी गांधीवादी नेता अण्णा हजारे को 16 अगस्त से दिल्ली में आमरण अनशन न करने देने पर दमन प

चार जनपदों का गठन के बाबजूद विधानसभा चुनाव में होगा भाजपा का सफाया

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भ्रष्टाचार के कलंक को हर हाल में दूर करेंगे उत्तराखण्डी/ चार जनपदों का गठन के बाबजूद विधानसभा चुनाव में होगा भाजपा का सफाया/ भले ही मुख्यमंत्री निशंक ने स्वतंत्रता दिवस के दिन महत्वपूर्ण घोषणा करते हुए प्रदेश में यमुनोत्री, कोटद्वार, डीडीहाट व रानीखेत नाम के 4 जनपदों के गठन का ऐलान करके भ्रष्टाचार में आरोपों से आकंठ घिरी अपनी सरकार की नौका को आगामी विधानसभाई चुनाव में पार लगाने का दाव मान कर चला हो। परन्तु स्वाभिमानी उत्तराखण्डी अपनी परंपरा व प्रदेश की रक्षा में इन तमाम प्रलोभनों को ठीक उसी तरह ठुकरायेगें जिस प्रकार गढ़वाल लोकसभा चुनाव में उत्तराखण्ड की स्वाभिमानी जनता ने इं िदरा गांधी के तमाम प्रलोभन व दमन को मुंहतोड ़ जवाब देते हुए हेमवती नन्दन बहुगुणा को भारी मतों से विजय बनाया। प्रदेश की जनता ने कभी भी किसी भी हालत में अपने सम्मान -स्वाभिमान, जनहितों व भविष्य को तबाह कर रहे भ्रष्टाचारी कुशासकों के तमाम प्रलोभनों का मुंह तोड़ जवाब देते हुए ऐसे कलंक के प्रतीकों को प्रदेश से उखाड़ फेंका है। भाजपा का आला नेतृत्व जो आंख मूंद कर प्रदेश में आसीन भ्रष्टाचार को शर्मनाक

-आखिर कब होगा भारत में आजादी का सूर्योदय

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हम भारतीय पिफरंगियों से मिली स्वतंत्राता की 64 वीं वर्षगांठ पूरे देश में बहुत ही ध्ूमधम से मनाने जा रहे है। परन्तु मै छह ं दशकों से आज भी भारत अपनी आजादी के सूर्योदय को देखने के लिए भी तरस रहा है। क्या इसी चंगेजी व भारतीय अस्मिता को मिटाने वाले राज को आजादी कहते है? क्या आम जनता को लुटने वालों को गणतंत्रा के सेवक कहते है? क्या देश को गुलामी से बदतर गुलाम बनाने वाले तंत्रा को गणतंत्रा कहते है? मेरा भारत आजादी के छह दशक बाद भी आज अपनी आजादी को तरस रहा है। आजादी के नाम पर पिफरंगी नाम इंडिया व पिफरंगियों की जुबान अंग्रेजी तथा देश को जी भर कर लुटने की पिफरंगी प्रवृति के अलावा इस देश को क्या मिला? आज भारत को न तो विश्व में कोई उसके नाम से पहचानता है व नहीं उसकी जुबान से। आज भी भारतीय पहचान व सम्मान को उसी बदनुमा पिफरंगी गुलामी के कलंक के नाम से जाना जा रहा है। आजादी के छह दशक बाद हमारी स्वतंत्राता के समय ही अपना सपफर नये ढ़ग से शुरू करने वाले इस्राइल, चीन व जापान आज विश्व की महाशक्तियां बन गयी है। परन्तु हम कहां खड़े हैं गुलामी के कलंक को ढोने को ही अपनी प्रगति समझ कर इतरा रहे हैं? आजा

सरकारी आतंक से लोकशाही को रौंद रही है मनमोहनी सरकार

सरकारी आतंक से लोकशाही को रौंद रही है मनमोहनी सरकार/ राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर लोकशाही पर लगा मनमोहनी अंकुश / संसद की चैखट, राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर दिल्ली में अब कोई 12घण्टे भी आंदोलन नहीं कर सकता। पुलिस उसे खदेड़ देती है। यह लोकशाही की निर्मम हत्या है। तानाशाही है जिसको लगाने वाले व सहने वाले देश की लोकशाही के दुश्मन है। देश के कोने कोने से लोग यहां पर न्याय की आश लेकर आंदोलन करने आते हैं यहां पर उन फरियादियों की समस्या का निराकरण करना तो रहा दूर देश के हुक्मरान उस फरियादियों को अपनी बात कहने या 12 घण्टे तक का भी आंदोलन करने की इजाजत तक नहीं दे रही है। इन दिनों 18 जुलाई से यहां पर पृथक राज्य कूच बिहार की मांग को लेकर 81 ंआंदोलनकारी आमरण अनशन पर बैठे हैं परन्तु क्या मजाल है कि सरकार उनकी मांग जरा भी सुने। सुनना तो रहा दूर सरकार सैकड़ों किमी दूरस्थ क्षेत्रा ें से आने वाले आंदोलनकारियों को सांय 5 बजे बाद वहां से खदेड़ देती है। यह एक प्रकार की तानाशाही ही नहीं सरकारी आतंकवाद है, जिस मनमोहनी सरकार अपनी पुलिस प्रशासन की लाठी व गोली के बल पर लोकशाही के समर्थकों को कुचल

जनरल रावत की हुंकार से भाजपा सरकार में हडकंप

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जनरल रावत की हुंकार से भाजपा सरकार में हडकंप नई दिल्ली। भाजपा नेता व सेवानिवृत ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत ने प्रदेश में आकंठ व्यापत भ्रष्टाचार के खिलापफ खुली हुकार से जहां भ्रष्टाचार के आगोश में जनता की नजरों में कटघरे में घिरी निशंक सरकार सहम सी गयी है वहीं प्रदेश की राजसत्ता में सत्तासीन होने के कांग्रेसी मंसूबों पर भी मानो ग्रहण सा लग गया है। भाजपा व कांग्रेस की उत्तराखण्ड विरोध्ी कुनीति व उक्रांद की घोर आत्मघाति सत्तालोलुपता के कारण प्रदेश की राजनीति में तीसरे मोर्चा के भविष्य से निराश उत्तराखण्ड की जनता को भी प्रदेश की राजनीति में जनरल रावत के नेतृत्व में उभरे इस तीसरे विकल्प को आशा के प्रखर सूर्य की रूप में देख रहे है। आगामी 14 अगस्त को देहरादून में आहुत उत्तराखण्ड के प्रथम सम्मेलन पर पूरे प्रदेश के ही नहीं दिल्ली दरवार के राजनेताओं की नजरे गड़ी हुई है। 14 अगस्त को होने वाले इस महत्वपूर्ण सम्मेलन में जहां प्रदेश की संस्कृति व समाज को अपने स्वरों से नई दिशा देने वाले महान गायक नरेन्द्रसिंह नेगी सम्मलित हो रहे हैं। वहीं इसमें स्थापित कई राजनेताओं के अलावा उत्तराखण्ड राज्यगठन

-शीला को अभयदान दे कर जनता की नजरों में गुनाहगार हुई कांग्रे

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स/ -शीला के कुशासन में खून के आंसू बहा रही है आम जनता/ राष्ट्रमण्डल खेलों के नाम पर देश के संसाधनों की जो खुली लुट हुई उसके खलनायकों को बेनकाब करते हुए भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक यानी कैग की रिपोर्ट को देख कर पूरा देश स्तब्ध है। देश की जनता ने देखा कि किस प्रकार गुलामी के प्रतीक राष्ट्रमण्डल खेल कराने के नाम पर देश के विकास के संसाधनों की चंद नेताओं व नौकरशाहों ने मिल कर बंदरबांट की। सबसे हैरानी की बात यह है कि जिस प्रकरण में इन खेलों के प्रमुख रहे कलमाड़ी को ऐसी ही अनिमियताओं के कारण जेल में बंद किया गया है ठीक उसी प्रकार की अनिमियताओं के लिए दोषी दिल्ली प्रदेश की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को बचाने के लिए पूरी कांग्रेस तमाम प्रकार के कुतर्कों का सहारा क्यों ले रही है। देश की जनता चाहती है कि जो कोई भी इन भ्रष्टाचारों के खिलाफ है उनकी सम्पति को जब्त किया जाना चाहिए। शीला दीक्षित अगर बेगुनाह है तो इसका पफैसला न्यायालय करे न की कांग्रेस। कांग्रेस को चाहिए कि जिस प्रकार से आदर्श घोटाले से लेकर अन्य प्रकरणों में उससने अविलम्ब हुक्मरानों को न्यायालय के दर पर न्याय के लिए सपुर्द

आस्तीन के सांपों को भी रौंद कर राजधानी गैरसैंण बनायेंगे उत्तराखण्डी

-आस्तीन के सांपों को भी रौंद कर राजधानी गैरसैंण बनायेंगे उत्तराखण्डी/ -अस्मिता व लोकशाही का प्रतीक बना गैरसैंण/ उत्तराखण्ड की जनता ने अपने हकों को संवैधानिक तरीके से जब उत्तराखण्ड राज्य माँगा तो केवल अपने विकास व अपने आत्म सम्मान व संस्कृति की रक्षा के लिए। आज राज्य गठन को भले ही 11 साल हो गये हैं परन्तु लोग आज भी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। न तो यह राज्य जनता को अपना पन का अहसास ही नहीं है व नहीं कहीं दूर तक विंकास की वह लहर जिसके लिए पृथक राज्य गठन की मांग की गयी , वह देखने को मिला, नहीं वह आत्मसम्मान ही बच पा रहा है जिसकी रक्षा के लिए इस राज्य गठन के लिए लोगों ने लम्बा संघर्ष करते हुए अपनी शहादत तो दी। 14 अगस्त को राजधानी गैरसैंण बनाने की मांग के समर्थन में रैली करने वाले ‘म्यर उत्तराखण्ड’ के नौजवानों का भी प्रदेश के जागरूक लोगों की तरह यह पूरा विश्वास है कि बिना अलग राज्य बने यहाँ की समस्याओं का समाधान नहीं होगा, तो पांच दशक से अधिक समय तक उत्तराखंड राज्य आन्दोलन चला। पांच दशक से अधिक सालों के संघर्ष के बाद उत्तराखंड राज्य भी मिल गया। 42 लोगों की शहादत और सरकारी दम