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Showing posts from April, 2012
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-जब नेहरू के घर में आयी मुझे जिन्ना व नेहरू की याद -नेहरू जी के दिल्ली स्थित तीन मूर्ति आवास में  कल यानी 28 अप्रैल को सूर्य अपनी दैनिक यात्रा के अंतिम पडाव की तरफ था मैं भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू के निवास रहे तीन मूर्ति भवन में नेहरू जी की स्मृर्तियों को जीवंत कर रहा था। वहां मै वहां देश के वरिष्ट पत्रकार मित्र विजेन्द्र सिंह रावत व डाक्टर जोशी जी के साथ दिल्ली में 35 साल रहने के बाबजूद कभी न तो नेहरू तारामण्डल में ही गया व नहीं इसके साथ सटे नेहरू जी के आवास रहे तीन मूर्ति रूपि विशाल भवन में गया था। वहां कल डा. जोशी के अनुराध पर संयोगवश अल्पाहार ग्रहण करने के लिए गया था। वहां के सुन्दर हरे भरे  मनोहारी वातावरण में मुझे नेहरू जी की यादें ताजा हो गयी। मेने इस अनुभूति को अपने दोनों मित्रों से भी प्रकट की। मैं वहां की मनोहारी सौन्दर्य का आनन्द लेने के बजाय मेरे सामने भारत के महान स्वप्न दृष्टा व लोकतांत्रिक देश भारत को बनाने वाले कुशल शिल्पी नेहरू का विराट व्यक्तित्व उभरने लगा। हालांकि नेहरू से अधिक मुझे देश के अब तक के प्रधानमंत्रियों में से इंदिरा गांधी को मजबू
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संसार का सबसे बडा कत्लगाह बना भारत! -संसार का सबसे बडा मांस उत्पादक देश बना कर भारत को कलंकित किया हुक्मरानों ने -संसार की छटवां सबसे बडा   गो  मांस उत्पादक देश है भारत आजादी के नाम पर देश की सरकारों ने 65 सालों में सदियों से गो माता की सेवा व पूजा करने वाले भगवान राम व भगवान श्रीकृष्ण के देश को संसार का सबसे गौ हत्यारा देश बना कर कलंकित किया। जिस देश में विदेशी आततायी ओरंजेब व फिरंगी हुक्मरानों ने जो भारत को पशु मांस उत्पादक यानी हत्यारा देश बनाने की धृष्ठता नहीं की वह कृत्य स्वतंत्र भारत की सरकारों ने मात्र 65 साल में इस देश को विश्व का सबसे बड़ा पशु-गो वंश पशु हत्यारा बना दिया। आज पूरे विश्व में भारत सबसे ज्यादा मांस उत्पादक देश बन गया है। इस जड़ चेतन में भगवान का अंश मान कर जीवो व जीने दो का अमर संदेश पूरे विश्व को देने वाला भारत, भगवान राम व भगवान श्रीकृष्ण को मानने वालों का देश भारत, दया के सागर महावीर जैन व गौतम बुद्ध तथा अन्याय के खिलाफ सर्ववंश कुर्वान करने वाले गुरू गोविन्द सिंह का देश भारत, अहिंसा का अमर घोष करने वाले गांधी को राष्ट्रपिता मानने वाला भारत को यहां
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जीवन है हरि मधु का प्याला संयोग वियोग का खेल निराला, जिसने बनाया जीवन मधु का प्याला, वो है हरि हर भगवान हमारे, हम हे उनकी सृष्टि के झिलमिल तारे।ं। जन्म मृत्यु का सफर निराला, रोते है जो  इसका मर्म न जाने। प्रभु की अदभूत माया है जीवन, आओ हंस कर जीयें ये जीवन ।। देवसिंह रावत (28 अप्रैल 2012 प्रातः 7 बज कर 44 मिनट)
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राज ठाकरे से मिल कर अण्णा ने किया जन भावनाओं का अपमान  क्षेत्र के नाम पर महाराष्ट्र में उत्तर भारतीयों का दमन करने वाले राज ठाकरे से मिल कर अण्णा हजारे ने भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करने वाले लाखों लोगों की भावनाओ से खिलवाड किया। देश की जनता चाहती है कि अण्णा हजारे अच्छा होता ऐसे लोगों से मिले ही नहीं, उनसे दूरी बनाये, परन्तु अगर भूल वश या परिस्थिति वश मिल भी गये तो उनको उनके कुकृत्यों के बारे में फटकार या नसीहत ही देनी चाहिए थी। ऐसा करने में अण्णा हजारे पूरी तरह असफल रहे । देश की जनता उनके इस कृत्य से निराश है। देश प्रेम की बात करने वाले अण्णा व उनकी टीम सहित तमाम लोगों को इस बात का भान होना चाहिए कि देश की एकता अखण्डता व सामाजिक तानाबाना को अपने संकीर्ण राजनीति के लिए तहस नहस करने वाले लोगों से मिल कर नहीं अपितु उनको अलग थलग करके ही देश का भला होगा। अण्णा हजारे को बाल ठाकरे द्वारा मिली नसीहत से प्रेरणा ले कर देश से माफी मांगनी चाहिए कि वे भविष्य में ऐसी कोई भूल नहीं करेंगे जिसके लिए देश का भाईचारा नष्ट करने वाले लोगों को मजबूती मिले व देश कमजोर हो।
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धोनी को सांसद बनाने की मांग से प्रेरणा लेकर कांग्रेस ने बनाया सचिन को सांसद ‘झारखण्ड के नेताओं के धोनी को सांसद बनाओं ’भारतीय क्रिकेट टीम के विश्वविख्यात कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी को सांसद बनाने की झारखण्डी नेताओं की मांग से प्रेरणा ले कर कांग्रेसी रणनीतिकारों ने विश्व क्रिकेट के मशीहा के रूप में विख्यात सचिन तेदुलकर को  250 सदस्यीय राज्य सभा का सदस्य मनोनीत कराया। 26 अप्रैल को भारतीय संविधान की धारा 80 के तहत राष्ट्रपति द्वारा खेल के क्षेत्र के महारथी सचिन तेंदुलकर, 4 दशकों से भारतीय सिनेमा जगत के अग्रणी अदाकारा रेखा व उद्यमी -समाजसेवी अनु आगा को मनोनीत राज्य सभा के सदस्य के रूप में मंजूरी प्रदान करा कर कांग्रेस ने  देशवासियों सहित सभी राजनेतिक दलों को अचम्भित कर दिया। भले ही झारखण्ड के नेता महेन्द्रसिंह धोनी को तो सांसद तो बना नहीं पाये, परन्तु ऐसा लगता है कि उनकी इस पहल से प्रेरणा ले कर कांग्रेस ने सचिन तेंदुलकर को राज्यसभा सदस्य मनोनीत करके बाजी ही मार ली। सचिन के खेल में भले इसका कोई प्रभाव पडे परन्तु राजनैतिक पार्टियों के लिए कांग्रेस के इस कदम का विरोध करने का साहस तक नहीं
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भगवान बचाये उत्तराखण्ड को ऐसे समर्थकों से  यह उत्तराखण्ड का दुर्भाग्य है कि एक तरफ सरकारें प्राकृतिक संसाधनों की भण्डार देवभूमि उत्तराखण्ड के जल, जमीन व जंगल तीनों को यहां पर सत्ता पर काबिज हुक्मरान अपने संकीर्ण निहित स्वार्थ के लिए विनाशकारी बडे बांधों से तबाह करने में तुली है वहीं दूसरी तरफ भूकम्प से संवेदनशील इस हिमालयी प्रदेश में कुछ तथाकथित बुद्धिजीवी, समाजसेवी व पत्रकार जो कल तक खुद टिहरी बांध जैसे बांधों का पुरजोर विरोध कर रहे थे, वे आज प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर आनन फानन में बांध बनाये जाने का समर्थन कर रहे है। जबकी हकीकत यह है इस सीमान्त प्रदेश में ऊर्जा के नाम पर पूरी घाटी की घाटियां इन जल विद्युत परियोजनाओं के नाम पर डुबा कर बर्बाद करके प्रकृति से जहां खिलवाड़ कर महाविनाश का आमंत्रित किया जा रहा है, वहीं लाखों वृक्षों, करोड़ों जीवों की निर्मम जलसमाधि दे कर हत्या की जा रही है, इसी के साथ हजारों परिवारों को अपनी जड़ों से विस्थापित किया जा रहा है। प्रदेश को यहां के प्राकृतिक संसाधनों का दोहन का हक है परन्तु यहां की भौगोलिक व प्राकृतिक तथा सामाजिक तानाबाना क
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जल विद्युत परियोजनाओ ंके नाम पर बडे बांध न बनायें मुख्यमंत्री बहुगुणा उत्तराखण्ड के बुद्धिजीवियों, पत्रकारों सहित तमाम प्रबुद्ध लोगों को चाहिए कि जिस तेजी से मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की सरकार प्रदेश के जल विद्युत ऊर्जा के नाम पर प्रदेश में बडी परियोजनाओं को संचालित करने के लिए दिन रात एक कर रही है उसका पुरजोर विरोध करे। ऐसा प्रतीत होता है कि निशंक सरकार की तरह ही  विजय बहुगुणा सरकार भी यहां की जल विद्युत परियोजना को बाहरी लोगों को देने का तानाबाना बुन रहे है।  उत्तराखण्ड की जनता को ऊर्जा का झुनझुना पकडाने के नाम पर यहां के जल, जंगल व जमीन को ओने पौने दामों पर राज्य गठन के बाद लुटाने का काम सरकारें करती रही है उस पर अविलम्ब अंकुश लगाया जाना चाहिए। विजय बहुगुणा सरकार बताये कि प्रदेश में प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसेंण, प्रदेश में निरंकुश व भ्रष्ट नौकरशाही पर अंकुश लगाना, मुजफरनगर काण्ड-94 के अभियुक्तों को दण्डित करने, प्रदेश में विकास की ठोस नीति बनाने आदि महत्वपूर्ण कार्यो को करने के बजाय केवल आनन फानन में जल विद्युत परियोजनाओं की ठोस नीति बनाये बिना इन परियोजनाओं को शुरू करने क
वाणी से नहीं कर्मो से पहचानों प्राणी को मनुष्य को जीवन में मात्र प्रथम व्यवहार से मधुर व्यवहार करने वालों व कर्कश व्यवहार करने वालों के प्रति अच्छे व बुरे होने की धारना नहीं बनानी चाहिए अपितु उनके कर्मो को ध्यान में रखते हुए उनके प्रति धारणा बनानी चाहिए। सदैव ऐसी स्थिति भी नहीं रहती है। कई बार सामने अच्छे बोलने वाले मन के काले होते हैं और दो टूक व कडुवे बोलने वाले भी मन से साफ होते है। इसलिए के वल बोली पर नहीं अपितु उनके भाव व आचरण से ही किसी व्यक्ति की पहचान करनी चाहिएं। मीठा बोलने वाली कोयल को तत्वज्ञानी लोग अच्छी तरह से उसके कर्मो से भी जानते है। वहीं कर्कश बोलने वाला कौवा भी अपने अण्डो को नष्ट करके धूर्तता से अपने अण्डे कौअे के घोसले में रख देने वाली कोयल से भी सहज होता है। वह कोयल के अण्डों को भी अपने अण्डे समझ कर पालती है। -देवसिंह रावत
आओ  इस चमन को गुलजार करें मिल कर बिछुड जाते हैं जो चंद दिनों में, ऐसे दोस्तों को भी हम सदा याद करते हैं तुम याद करो न करो इस राही को कभी, हम तो खुदा की तरह तुम्हें भूल नहीं पाते।। जिन्दगी नजर चुराने के लिए नहीं है साथी, आओ  हंसी से इस चमन को गुलजार करें। फिर ये पल इस जीवन में कभी रहे न रहे आओ हर पल को जिंदादिली से जीयें साथी फिर ये जीवन के हसीन पल रहे या न रहे। हर किसी के खुशी में मुस्कराये हम साथी।। -देवसिंह रावत
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जहां सत्य, धर्म पर चलने वाले भी अन्यायी को पोषण करते हैं वही भीष्म, कर्ण, द्रोणाचार्य जेसे भी कुरूक्षेत्र में मरते रहते है।। -देवसिंह रावत
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चार धाम यात्रा के शुभारंभ पर आप सभी को हार्दिक बधाई  24 अप्रैल को गंगोत्री व यमुनोत्री के पावन कपाट के खुलने के साथ ही उत्तराखण्ड में हिन्दु धर्म के विश्वविख्यात चार धाम यात्रा का शुभारंभ विधिवत शुरू हो गया। हिन्दुओं के सर्वोच्च धामों में शीर्ष बदरी केदार नाथ धाम के कपाट भी इसी सप्ताह खुलेगे। भगवान शिव के परमदिव्य स्वरूप भगवान केदारनाथ धाम के कपाट 28 अप्रैल को व भगवान विष्णु के साक्षात स्वरूप श्री भगवान बदरीनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल को खुलेंगे। इस अवसर पर पूरे विश्व के लाखों लोग बेसब्री से इस पावन धाम की यात्रा करके अपना जीवन धन्य करेंगे।
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भगवान ने तो इंसान बनाया, हम धर्म व देश में बंट गये दो दिन के जीवन मे हम जात पात रंग भेद में मिट गये।  -देवसिंह रावत
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गंगोत्री से विधानसभा चुनाव लड सकते हैं बहुगुणा देहरादून (प्याउ)। प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कहां से विधानसभा चुनाव लडेंगे। इस पर पूरे प्रदेश के राजनेताओं की टकटकी लगी हुई है। पक्ष व विपक्ष उनके इसी निर्णय के आधार पर अपनी राजनीति की भावी कदम उठाने के लिए रणनीति का तानाबाना बुन रहे है। सुत्रों के अनुसार वे पहले सहजपुर सीट से चुनाव मैदान में उतरने का मन बना रहे थे परन्तु वहां की वर्तमान राजनैतिक स्थिति अनुकुल न होने से उन्होंने अपना पूरा ध्यान सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के गंगोत्री विधानसभा पर लगा दिया है। इसके लिए वे वहां पर अपनी स्थिति अनकुल बनाने के लिए विकास की कई महत्वपूर्ण घोषणायें भी कर रहे हैं व करने वाले है। इसी दिशा में बहुगुणा सरकार ने  यमुनोत्री घाटी की तरह गंगोत्री क्षेत्र को भी ओबीसी की श्रेणी में सूचिबद्ध करने का महत्वपूर्ण निर्णय लेने का भी मन बना लिया हे। इसके साथ जिस प्रकार से विजय बहुगुणा लुहारी नागपाला आदि जल विद्युत  परियोजनाओं को फिर से शुरू करने जैसे कदम उठाने की रणनीति बना ली है उससे साफ है कि वे हर हाल में  गंगोत्री घाटी की जनता का दिल जीतना चाहते है।  
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शस्त्र से ही नहीं अपितु मजबूत नेतृत्व से महान बनेगा भारत -भारत के अग्नि-5 मिसाइल का सफल परीक्षण से  जैसे ही भारत ने 19 अप्रैल 2012 की प्रातः 8 बज कर 05 मिनट पर ओडिशा के व्हीलर द्वीप से अपने  अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 का  सफल परीक्षण किया है. तो देश गर्व से झूम गया। किसी सफलता पर गर्वित होने का सभी को हक हैं परन्तु हकीकत को भुला कर सामने खडे खतरनाक स्थिति को नजरांदाज करना किसी के लिए हितकर नहीं है। आज भारत चारों तरफ से न केवल अमेरिका, चीन व पाक जैसे विदेशी दुश्मनों से घिरा हुआ है अपितु स्वयं भारत अपने अंदर देश को भ्रष्टाचार व कुशासन से निरंतर कमजोर कर रहे हुक्मरानों, नौकरशाहों व माफियाओं के शिकंजे में पूरी तरह फंस गया हे। देश की वर्तमान हालत इतनी शर्मनाक है कि जिस दिन पूरा देश अग्नि मिसाइल-5 के सफल परीक्षण का गर्वोक्ति में फूले नहीं समा रहा था उसी दिन देश मे ंशासन प्रशासन की मजबूत कड़ी समझी जाने वाले जिलाधिकारी को यहां के नक्सली बंधक बना कर अपहरण कर चूके थे। हमारी विशाल पुलिस व सुरक्षा तंत्र देश के एक तिहाई क्षेत्र में अपना प्रभाव बढ़ा चूके नक्सलियों के आगे विवश व
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पेशावर काण्ड दिवस के महानायक चन्द्रसिंह गढवाली व साथियों को शतः शतः नमन् 23 अप्रैल पेशावर काण्ड दिवस पर इस काण्ड के महानायक वीर चन्द्रसिंह गढ़वाली व उनके 72 सैनिक साथियों की माॅं भारती की शान की रक्षा के लिए पूरी मानवता का शत् शत प्रणाण। जालिम फिरंगी हुकुमत के दोरान 23 अप्रैल 1930 को  पेशावर के किस्साखानी बाजार के काबुली फाटक पर आंदोलन कर रहे अब्दुल गफार खाॅं के नेतृत्व में आंदोलन कर रहे खुदाई सिदमतगार सत्याग्रहियों पर अंग्रेजी कमांडर कैप्टन रिकेट द्वारा गढ़वाली के नेतृत्व वाले 2/13 राॅयल गढ़वाल रायफल को दिये गये गोली चलाने  के आदेश को मानने से मना करने से फिरंगी हुकुमत की चूले हिल गयी थी। भारतीय आजादी की जंग के इस ऐतिहासिक घटना ने फिरंगी हुकुमत की चूले हिला दी। 1857 के बाद यह फिरंगी हुकुमत के खिलाफ भारतीय सैनिकों का सबसे बड़ा विद्रोह के रूप में देखा गया। फिरंगी हुकुमत ने सभी महानायकों को उसी समय गिरफतार करके उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया। माॅं भारती के लाल महानायक चन्द्रसिंह गढ़वाली को इस विद्रोह के लिए जहां आजीवन उम्रकेद की सजा हुई वहीं उनके 16 सैनिक साथियों को दस-दस साल की
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-अगर सांई बाबा आज के दिन होते तो क्या लोग निर्मल बाबा की तरह ही उन पर अंधविश्वास फेलाने आदि आरोप लगा कर अंगुलियां उठाते ? -क्या देश के नागरिक निर्मल बाबा के भक्तों की तरह सत्तासीन राजनैतिक दलों पर वादे खिलाफी या ठगी का मामला दर्ज करने का काम कर सकते हैं क्योंकि अधिकांश राजनैतिक दल अपने घोषणा पत्र में किये गये वायदों को पूरा ही नहीं करते?
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-सरकारी बैठकों का रिकार्डिग सार्वजनिक करने की मांग करने वाली टीम अण्णा ने खुद को किया बेनकाब   -अण्णा के वचनों की रक्षा तक नहीं कर पायी टीम अण्णा  टीम अण्णा ने 22 अप्रैल की बैठक में देश के सम्मुख खुद ही बेनकाब कर दिया। एक तरफ पूरा देश चाहता है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ पूरे देश को आंदोलित करने वाले बाबा रामदेव व अण्णा हजारे अलग अलग अपनी ढपली न बजा कर एकजूट हो कर सांझा आंदोलन करे। परन्तु अण्णा की इस मामले में बाबा रामदेव से हुई सहमति के बाबजूद 22 अप्रैल को हुई टीम अण्णा ने बाबा रामदेव के साथ सांझा आंदोलन न चलाने की बात कह कर पूरे देश की उस जनता की आशाओं पर कुठाराघात कर दिया जो चाहते थे कि अण्णा हजारे व बाबा रामदेव दोनों मिल कर भ्रष्टाचार के खिलाफ मजबूत आंदोलन छेड़ कर देश को इससे मुक्ति प्रदान करे।  वहीं दूसरी तरफ जो टीम अण्णा सरकार से हो रही वार्ता का रिकार्ड कराकर सार्वजनिक करने की पुरजोर मांग कर खुद को लोकशाही का झण्डाबरदार बता रहा था वहीं टीम अण्णा इसी प्रकार की रिकार्डिग अपनी मीटिंग की करने का आरोप लगा कर बहुत ही बेशर्मी से अपने ही टीम के एक सदस्य मुफ्ती शमीन काजमी को टीम से बाहर
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भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग में कल कहीं अकेल न रह जायें अण्णा हजारे  बाबा रामदेव व अण्णा हजारे के सांझा आंदोलन न होने से मनमोहन सरकार ने राहत की सांस  जिस प्रकार से आज टीम अण्णा से  टीम के वरिष्ठ सदस्य मौलाना मुफ्ती शमीन काजमी ने टीम अण्णा की कार्यप्रणाली से खिन्न हो कर टीम अण्णा से अपना नाता तोड़ दिया। वहीं टीम अण्णा ने अपनी बैठकों की मोबाइल फोन से गुप्त क्लीपिंग बनाने का आरोप मुफ्ती शमीन काजमी पर लगाते हुए, उनको टीम से बाहर करने का ऐलान किया। टीम अण्णा के मुताबिक मुफ्ती शमीन काजमी को भी टीम अण्णा के पूर्व सदस्य स्वामी अग्निवेश की तरह टीम की जासूसी के आरोप के कारण बाहर किया गया। टीम अण्णा इस बात से भी जिस प्रकार से भ्रष्टाचार के खिलाफ राष्ट्र व्यापी आंदोलन करने वाले स्वामी रामदेव से दूरी बनाने में जिस प्रकार लगी हुई है उससे लगता है कि टीम अण्णा में असुरक्षा का भय सता रहा है कि कहीं बाबा रामदेव अपने विशाल नेटवर्क व लाखों समर्थकों के होते हुए टीम अण्णा को अपने आगोश में तो न ले ले। सुत्रों के अनुसार 3 जून को दिल्ली में होने वाले बाबा रामदेव के प्रचण्ड जनांदोलन में अण्णा हजारे ने भाग ल
खुद को खुदा समझते है लोग, खुदा की मेहर से भी खुद को खुदा समझते है लोग, जरा सी दौलत मिले तो आसमां पर उडते है लोग शौहरत मिले तो औकात भी अपनी भूल जाते हैं लोग अपनो की दुआ के फूल को भी पत्थर समझते हैं लोग नादान ही नहीं बदनसीब हैं जो खुदगर्ज बने हैं लोग दो दिन के इस सफर में जो नफरत फेलाते हैं लोग देवसिंह रावत (रविवार 22 अप्रैल 2012 प्रातः 8.17 बजे)
-सेक्सुअल फ्रिडम के लिए उमडी मीडिया और गो हत्या बंदी आंदोलन को किया नजरांदाज -चोथे   स्तम्भ का चेहरा बेनकाब 21 अप्रैल 2012 को संसद की चैखट राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर सेक्सुअल फ्रिडम यानी योन स्वतंत्रता नामक आंदोलन ने  देश के चोथे स्तम्भ होने का दंभ भरने वाली मीडिया को पूरी तरह से बेनकाब ही कर दिया। इस कार्यक्रम के लिए भारतीय मीडिया में जिस प्रकार की उत्सुकता गत सप्ताह शनिवार से आज तक देखने को मिली, वह बेताबी ही भारतीय मीडिया को पूरी तरह से बेनकाब कर गयी।  जहां पर देश विदेश का मीडिया दो नाबालिक बच्चों को भारतीय संस्कृति का दुहाई देने वाले बेनर को थामे चार आदमी ही खडे थे। देश का मीडिया उस व्यक्ति के फोटों लेने के लिए एक प्रकार से उमड रहे थे। उसी स्थान से 5 मीटर की दूरी पर भारत में हो रही गो हत्या पर अंकुश लगाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे साधु व उनके चार समर्थक बैठे हुए थे। यहां पर देश की स्वनाम धन्य मीडिया जो सेक्सुअल फ्रिडम वाले आंदोलनकारी पर सम्मोहित थी। वहीं वे गो हत्या पर अंकुश लगाने की मांग को लेकर कई दिनों से आंदोलन कर रहे हरियाणा के साधु व उनके साथियों की तरफ एक हिरा
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-दुग्ध उत्पादको का शोषण कर रहे दुग्ध बिचोलियों के काले कारोबार को खुला संरक्षण क्यों -हर माह दूध के बढ़ते दाम पर कांग्रेस-भाजपा की शर्मनाक चुप्पी नई दिल्ली(प्याउ)। हर माह दुग्ध की कीमतों में बढ़ोतरी करके देश की जनता को ही नहीं अपितु दुग्ध उत्पादकों का शोषण करने वाले दुग्ध कम्पनियों  के खिलाफ आखिरकार दुग्ध उत्पादकों ने 21 अप्रैल को देशव्यापी आंदोलन का शंखनाद ससंद पर प्रदर्शन करके  किया। सैकडों की संख्या में हजारों लीटर दुग्ध के साथ राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर पंहुचे आक्रोशित देश के दुग्ध उत्पादकों ने सरकार व राजनैतिक दलों पर इन बिचोलियों की खुली लूट पर मूक रहने की कड़ी भत्र्सना की। दुग्ध उत्पादकों ने मांग की कि सरकार दुग्ध का मूल्य इन बिचोलियों के रहमोंकरम पर न छोड़ कर आम जनता व उत्पादकों के हितों की रक्षा के लिए खुद ही निर्धारित करे। दुग्ध उत्पादक किसानों का यह भी आरोप था कि दुग्ध व्यापार मे ंलगे बिचोलिये जहां किसानों से 12 से 24 रूपये प्रति लीटर दुग्ध खरीद कर 40 रूपये प्रति लीटर बेच रही है।  वे न तो ये बिचोलिये दुग्ध कम्पनियां, किसानों को उनके दुग्ध का पिछला बकाया ही चूक
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वंश व जात को नहीं कर्म को महान मानती है भारतीय संस्कृति कुछ लोग अपने जीवन का बहुमल्य समय इन दिनों भी वंशावली के आधार पर मिसी को डा या छोटा साबित करने में लगाने की भूल कर रहे है। नेहरू के वंशज कौन थे, हिन्दू थे या मुस्लिम इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला, केवल यह इतिहासकारों के लिए ज्ञानार्जन व टांग खिचने वालों का एक बहाना हो सकता हे। वेसे भी धार्मिक दृष्टि से माने तो इस्लाम व ईसायत आदि धर्मो का भारतीय संदर्भ में यही कहा जा सकता है कि यहां पर अधिकांश लोग भारतीय संस्कृति के ध्वजवाहक हिन्दू धर्म के मानने वाले थे। बाद में चाहे कोई भय, प्रलोभन या अज्ञानता के कारण अपना धर्म परिवर्तन करके हिन्दू से मुस्लिम या ईसाई भले ही बन गये हों परन्तु मूल में सब एक ही है। वैसे भी पूरी मानवीय सृष्टि ही नहीं भारतीय इतिहास भी वर्णसंकरों से भरा हुआ है।महाभारत में ही वेद व्यास, वशिष्ट, विदुर, कर्ण आदि की श्रेष्ठता को क्या हम उनके जनकों के कारण कम कर आंक सकते है।   भारतीय मनीषी कभी आदमी के कुल, धर्म, रंग, लिंग या क्षेत्रादि के कारण नहीं अपितु व्यक्ति के अपने कर्मो के कारण ही वरियता देता है। क्या लेखक या हम क
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गांधी को गाली देने से नहीं बनेगा भारत महान रात की बात न कर, रात तो गुजर गयी, ऐ सुबह मुझे बता, तेरी रोशनी कहां गयी।। अनाम शायर की उक्त पंक्तियां मेरे उन सभी साथियों के लिए है जो देश की समस्याओं का ईमानदारी से समाधान खोजने के बजाय केवल बीते जमाने के नेताओं, महापुरूषों व हुक्मरानों को कोसते है। देश में एक बड़ा वर्ग है जो भारत की बदहाली के लिए गांधी व उनके विरासत के वाहक नेहरू को जिम्मेदार मानते है। मैं नहीं कहता कि यह सही है या नहीं। मैं मानता हॅू कि कोई भी भूत चाहे कितना भी बडा हो वह वर्तमान से बड़ा नहीं हो सकता। आज भारत का दुर्भाग्य यह है कि जिन लोगों का समाजसेवा व चरित्र नाम की कोई चीज खुद भी न हो वे लोग भी बेशर्मी से गांधी को गाली दे कर खुद को बडे देशभक्त साबित करते है। हम वर्तमान हैं हमारा दायित्व है वर्तमान को संवारने व समाधान करने का। हम अपनी पूरी पीढी इसी निदंा में भी खपा दें तो भी इसका समाधान नहीं निकलेगा। हमे तो समस्या को पहचान कर उसका पूरी ईमानदारी से समाधान करना चाहिए। यह सही है कि जो समस्या का निदान प्रारम्भिक स्थिति में हो सकता था वह समाधान करने में आज काफी परेशानी

सो जाओं अब मध्य रात हो गयी,

सो जाओं अब मध्य रात हो गयी,  सो जाओं अब मध्य रात हो गयी, पशु पक्षी सब जीव  सो रहे आंखों में मेरी तु आये निंदिया कृष्ण की सी श्याम वर्ण हो गयी  सो जाओं अब मध्य रात हो गयी। फिर होगी सुबह नव जीवन की हर बाग में महकेंगे फूल कलियां मेरे उपवन में भी खिलेंगे तुम्हारी यादों के मधुर कलियां  देवसिंह रावत (17 अप्रैल  2012  रात के 11.49 बजे)

-देशद्रोह से कम नहीं है शिक्षा का निजीकरण

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-देशद्रोह से कम नहीं है शिक्षा का निजीकरण -शिक्षा, चिकित्सा व न्याय का देश की सुरक्षा की तरह निजीकरण किसी भी कीमत पर नहीं होना चाहिए देश में शिक्षा का निजीकरण देश ही नहीं मानवता के साथ भी किया जाने वाला सबसे बड़ा अपराध है। मेरी बचपन से ही यह स्पष्ट धारणा रही है कि देश में ही नहीं पूरे विश्व में प्रत्येक शिशु को शिक्षा ग्रहण करने का जन्मसिद्ध अधिकार है। यह माता पिता का ही नहीं अपितु देश व संसार की तमाम सरकारों का प्रथम दायित्व है कि वह प्रत्येक बच्चे का उचित लालन पालन करने के साथ ही उसको उचित शिक्षा प्रदान करे। अगर संसार को एक भी व्यक्ति अशिक्षित व उचित शिक्षा से वंचित रह जाता है तो वह पूरे संसार की शांति व समाज के ताना बाना पर ग्रहण लगाने का कारण बन सकता है। इसलिए पूरे विश्व में एक मानक शिक्षा दी जानी चाहिए। शिक्षा देश व समाज के मानकों के हिसाब से दी जानी चाहिए। शिक्षा प्रदान करना प्रत्येक देश के लिए देश की सीमाओं की रक्षा करने की तरह ही परम आवश्यक है। मेरा साफ मानना है कि कल्याणकारी व्यवस्था में सरकार को शिक्षा, चिकित्सा व न्याय का किसी भी हाल में निजीकरण के रहमोकरम पर छोड़ना एक

देश की जनता का मनमोहन सरकार व कांग्रेस से मोह भंग

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देश की जनता का मनमोहन सरकार व कांग्रेस से मोह भंग -दिल्ली नगर निमग में भी कांग्रेस को जनता ने ठुकराया दिल्ली के स्थानीय निकाय के चुनाव के तहत दिल्ली नगर निगम के चुनाव की 17 अप्रैल को हुई मतगणना में दिल्ली के तीन नगर निगमों में भाजपा ने बाजी मार ली है। महाराष्ट्र के स्थानीय निकायों के चुनाव व पांच विधानसभा चुनाव परिणामों में मुंह की खाने के बाद कांग्रेस को दिल्ली नगर निमग चुनाव में आशा थी कि दिल्ली के लोग उसकी लाज रख देंगे। परन्तु जिस प्रकार से लोग प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नेतृत्व वाली कांग्रेस के कुशासन में भ्रष्टाचार, मंहगाई व आतंकवाद से त्रस्त है उससे लोग पूरे देश से कांग्रेस को उखाड फेंकने का मन बना चूके है। भले ही कांग्रेस के नेता अपनी नाक बचाने के लिए इसे मात्र स्थानीय निकायों का चुनाव बतायें परन्तु जिस प्रकार से पूरे देश में एक के बाद एक राज्यों में हो रहे चुनावों में जनता के रूझान का पता चल रहा है उससे साफ हो गया है कि जनता का अब पूरी तरह से कांग्रेस से मोह भंग हो गया है। कांग्रेस में इन चुनाव परिणामों से बडा वर्ग अब सोनिया गांधी अविलम्ब मनमोहन सिंह को बदल कर 2014 में होने व

उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण ही बनेंः प्रदीप टम्टा

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उत्तराखण्ड की राजधानी गैरसैंण ही बनेंः प्रदीप टम्टा गैरसेंण ही उत्तराखण्ड की स्थाई राजधानी बने। यह दो टूक बात कांग्रेस के जमीनी नेता प्रदीप टम्टा ने प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र से अपने संसदीय आवास में इस सप्ताह एक विशेष भैंटवार्ता में कही। सांसद टम्टा ने कहा कि प्रदेश गठन के 12 साल बाद भी जनांकांक्षाओं के सम्मान करते हुए प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण न बनाना लोकतंत्र को शर्मसार करने वाली बात हे। उन्होंने कहा जिन उदेश्यों की पूर्ति के लिए प्रदेश के लोगों ने पृथक राज्य गठन के लिए शहादतें दी और ऐतिहासिक संघर्ष किया वे सभी जनांकांक्षायें प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसेंण बनाने से ही साकार होंगी। दशकों तक जनसंघर्षो में समर्पित रहे सांसद प्रदीप टम्टा ने कहा कि गैरसेंण आज उत्तराखण्डियों के लिए केवल स्थान मात्र तक सीमित नहीं है अपितु गैरसैण प्रदेश के स्वाभिमान, पहचान, लोकशाही व विकास का जीवंत प्रतीक भी बन गया हे। उन्होंने कहा यह शर्म की बात है कि गैरसेंण राजधानी बनाने की आंदोलनकारियों की सर्व सम्मत मांग को सरकारी समितियों द्वारा भी माने जाने के बाबजूद प्रदेश की सरकारें वहां पर राजधानी न ब

निर्मल बाबा से अधिक गुनाहगार है निर्मल बाबा प्रचार करने वाले चैनल

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निर्मल बाबा से अधिक गुनाहगार है निर्मल बाबा प्रचार करने वाले चैनल  निर्मल बाबा का विज्ञापन प्रसारित करने वाले चैनलों पर लगे 100 गुना जुर्माना  निर्मल बाबा को समाधान के नाम पर आम श्रद्धालुओं को ठगने का आरोप लगा कर अपने को पाक साफ बताने वाले देश के अधिकांश चैनल , निर्मल बाबा से अधिक गुनाहगार है। निर्मल बाबा तो भले ही ठग हो परन्तु इन खबरिया, धार्मिक व मनोरंजन चैनलों ने निर्मल बाबा से मिलने वाले धन के लालच में अपने चैनलों में इस बाबा का विज्ञापन प्रमुखता से प्रचारित करके लोगों को इस बाबा के झांसे में फंसाने में उसके प्यादे की तरह काम किया है। इन चैनलों की नैतिकता व सामाजिक दायित्व होता है कि ऐसा कोई खबर या विज्ञापन न प्रसारित न करें जिसके बारे में उनको खुद जनहित या विश्वास न हो। सच तो यह है निर्मल बाबा से अधिक गुनाहगार ये 35 चैनल हैं जिन्होंने बाबा के द्वारा डाले गये विज्ञापन के टुकडों के लालच में फंस कर देश के लाखों लोगों को इस बाबा के जाल में फंसाने का काम किया। लोगों को निर्मल बाबा से नहीं इन चैनलों की विश्वसनीयता पर विश्वास था। इन्हीं चैनलों के माध्यम से बाबा ने लोगों को अपने षडयंत

आखिर कब मिलेगी भारत को इंडिया से आजादी

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आखिर कब मिलेगी भारत को इंडिया से आजादी -विदेशी भाषा, विदेशी नाम, भारत आज भी है इंडिया का गुलाम 21 अप्रैल 1989 को संसद में अंग्रेजी मुर्दाबाद के नारे गूंजाने के बाद सुरक्षा कर्मियों ने संसद दीर्घा से मुझे गिरफतार किया गया तो मुझसे जो पूछताछ की गयी उसमें मैने साफ कहा कि इस संसद ने देश की आजादी को अंग्रेजी का गुलाम बना रखा है, इसी लिए इस संसद से भारत की आजादी को मुक्त करने की दो टूक बात कहने के लिए मेने यह नारेबाजी की। इसकी मुझे यदि फांसी की सजा भी दी जाय तो मुझे स्वीकार है। क्योंकि मेरा मानना है कि आजाद भारत मे देश के भाषाओं के बजाय उसी विदेशी भाषा से देश का पूरा तंत्र संचालित करना देश की आजादी को बंधक बनाने जैसा राष्ट्रद्रोह है। इस कलंक को ढोने के कारण भले ही फिरंगियों से 15 अगस्त की आधी रात में जो आजादी मिली थी उस आजादी का सूर्योदय ही आज भी भारत में नहीं हुआ। यह भारतीय आजादी के लिए अपनी शहादत देने वाले हजारों देशभक्तों की शहादत का अपमान है। यह अपमान है भारतीय स्वाभिमान के लिए अपना पूरा जीवन होम करने वाले लाखों आजादी के दिवानों के संघर्ष का। आज भी आजादी के 65 साल बाद भी देश के ये नप

मुलायम-राव से अधिक गुनाहगार निकले उत्तराखण्ड के सत्तालोलुपु हुक्मरान

मुलायम-राव से अधिक गुनाहगार निकले उत्तराखण्ड के सत्तालोलुपु हुक्मरान अखिलेश व डिम्पल के विवाह को तुल देना उचित नहीं मुलायम सिंह व राव, उत्तराखण्डियों की अस्मिता को रौंदने वाले दो दुर्दान्त कुशासक रहे, इनको व इनके कहारों को जो प्रदेश की अस्मिता को रौंदते देख कर भी इन के अंध समर्थक रहे वे भी उत्तराखण्ड के भी इनके समान ही खलनायक है। खासकर उत्तराखण्ड के आस्तीन के सांप जो मुलायम व राव के इस कुकृत्य के बाद भी उसके समर्थक रहे उनको उत्तराखण्ड के सपूत आज भी माफ नहीं कर सकता। यहां पर चर्चा मुलायम के बेटे व बहु की हो रही है। हमारा शास्त्र कभी बेगुनाह को दण्डित करने या उससे धृणा करने की इजाजत नहीं देता। अखिलेश उस समय न तो सपा का पदाधिकारी था व नहीं डिम्पल शायद इस मान अपमान का भान तक होगा। ये शायद उस समय बचपन यानी स्कूलों में होगे। हाॅं नैतिकता दोनों में नहीं रही होगी। जैसी नैतिकता प्रहलाद आदि बच्चों में रही। अगर रहती तो अखिलेश इस काण्ड के लिए जरूर अपने पिता की तरफ से माफी मांगते। मुझे तो मुलायम सिंह के बेटे से उत्तराखण्डी बेटियों की शादी होने पर जरूर दुख हुआ परन्तु इस बात का भी भान रहा कि दोन

उत्तराखण्ड द्रोही राव-मुलायम बनने की धृष्ठता न करें बहुगुणा व इंदिरा

उत्तराखण्ड द्रोही राव-मुलायम बनने की धृष्ठता न करें बहुगुणा व इंदिरा/ भू माफियाओं से मिल कर उत्तराखण्ड को कश्मीर बनाने की धृष्ठता न करे बहुगुणा सरकार/ उत्तराखण्ड के थोपे गये मुख्यमंत्री  बहुगुणा व कबीना मंत्री इंदिरा हृदेश प्रदेश की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए प्रदेश की जनाकांक्षाओं व स्वाभिमान के प्रतीक राजधानी गैरसेंण में ही घोषित कर वहीं पर विधानसभा के भवन के निर्माण करें। उनको 88 करोड़ रूपये जो प्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने के नाम से आये हुए हैं उनको बंदरबांट करने के लिए हडबड़ी में देहरादून में ही बनाने की धृष्ठता न करें। इसके साथ ही उत्तराखण्ड में प्रदेश की वित्तमंत्री इंदिरा हृदयेश द्वारा भू अधिनियम में संशोधन कर उसकी सीमा 250 वर्गमीटर से बढ़ाकर 500 वर्गमीटर करने के सुझाव दिया है, वह भू माफियाओं के हाथों प्रदेश की जमीन को लुटाने का आत्मघाती  कदम होगा। जो चंद सालों में उत्तराखण्ड को भी कश्मीर जेसा अशांत प्रदेश बनाने वाला हिमालयी भूल साबित होगी। उससे साफ हो गया कि इंदिरा हृदेश को राज्य गठन आंदोलनकारियों व शहीदों की उस भावना का तनिक सा भी भान नहीं हैं जो प्रदेश को भू माफियाओं

बांधों, बांघों व पार्को के लिए उत्तराखण्ड को उजाडने की इजाजत किसी को नहीं

बांधों, बांघों व पार्को के लिए उत्तराखण्ड को उजाडने की इजाजत किसी को नहीं भारतीयता को उत्तराखण्ड से अलग करके देखने वाले ही भारतीय संस्कृति के मर्म को नहीं समझ पाये है। उत्तराखण्ड समाधान खण्ड है। जहां अनादिकाल से इस सृष्टि के तमाम समस्याओं का समाधान इस सृष्टि को मिला। देवताओं को ही नहीं रिषी मुनियों व मानवों को ही नहीं स्वयं भगवान की भी यह तपस्थली रही है। इसलिए उत्तराखण्डियों को अलगाववाद की दृष्टि से देखने वाले न तो भारतीयता को जान पाये तो उत्तराखण्ड को कहां पहचान पायेंग े। उत्तराखण्ड से तो हम भू माफियाओं, लोकशाही के गला घोंटने वालों व यहां के संसाधनों को लूटने के उदेश्य से यहां पर कालनेमी की तरह घुसपेट करने वालों से दूर रखना चाहते है। इस पर किसी को मिर्ची लगती है तो उसको हमारे पास राम राम कहने के अलावा कोई इलाज व जवाब नहीं है। एक बात देश के हुक्मरानों व यहां के शासकों को ध्यान में रखना चाहिये कि उत्तराखण्ड पावन देवभूमि है यहां पर संसाधनों को लुटने व लुटाने के लिए बांधों, बाघों व अभ्याहरणों-पार्को से यहां के वासियों को बलात उजाडने की धृष्ठता करने की कोई इजाजत किसी भी कीमत पर नहीं दी जा

सच्चा उत्तराखण्डी कौन

सच्चा उत्तराखण्डी कौन उत्तराखण्डी केवल वो नहीं जो उत्तराखण्ड में पैदा हुआ हो या उत्तराखण्डी मूल का हो,असल में उत्तराखण्डी वही है जो जनहित में समर्पित हो, जो अन्याय के खिलाफ सतत् संघर्षरत होते हुए ज्ञान, दया व धर्म को आत्मसात करते हुए सदाचारी हो। उत्तराखण्ड का अर्थ ही जो हमेशा समाधान स्वरूप हो। जो स्वयं अखण्ड समाधान हो। मैं उत्तराखण्डी उन लोगों को नहीं मानता हूूॅ जो उत्तराखण्ड राज्य गठन आंदोलन को कुचलने वाले राव मुलायम के समर्थक थे, जो मुजफरनगर काण्ड के समय व उसके बाद भी मुलायम के बेशर्मी से समर्थक रहे। न हीं वे उत्तराखण्डी हें जिन्होंने मुजफरनगर काण्ड के हत्यारों को शर्मनाक संरक्षण देने की भूमिका निभाई। असली उत्तराखण्डी राज्य गठन का संकल्प लाल किले के प्राचीर से राष्ट्र के समक्ष लेने वाले प्रधानमंत्री देवेगोड़ा । असली उत्तराखण्डी रहा मुजफरनगर काण्ड में उत्तर प्रदेश पुलिस की कलंकित भूमिका को धिक्कारते हुए उत्तर प्रदेश पुलिस की नौकरी से इस्तीफा देने वाले बहादूर सिपाई रमेश। असली उत्तराखण्डी तो मैं मुम्बई के उन साहित्यकार व कलाकारों को मानता हॅू जिन्होंने मुजफरनगर काण्ड में तत्कालीन उप्र