ग्रहों के प्रकोप से रहेगा हरीश रावत व सतपाल महाराज में 36 का आंकडा

ग्रहों के प्रकोप से रहेगा हरीश रावत व सतपाल महाराज में 36 का आंकडा/
-निशंक सरकार के भ्रष्टाचार से व्यथित जनता को मिला नरेन्द्र नेगी के गीतों का सहारा/
नई दिल्ली (प्याउ)। उत्तराखण्ड कांग्रेस के लिए ही नहीं दिल्ली में उत्तराखण्ड में आगामी 2012 में कांग्रेसी सरकार बनाने के दिवास्वप्न देख रहे आला कांग्रेसी नेताओं के लिए भी एक बुरी खबर है कि प्रदेष कांग्रेस के दोनों शीर्ष नेता केन्द्रीय कृषि राज्यमंत्री हरीष रावत व पूर्व केन्द्रीय राज्य मंत्री सतपाल महाराज में 36 का आंकड़ा बना रहेगा। इसका खुलाषा करते हुए कांग्रेसी पार्टी में दषकों से चर्चित रहे ख्याति प्राप्त ज्योतिषी पण्डित प्रेम चंद ने शनिवार इसी सप्ताह कांग्रेस मुख्यालय में प्रदेष कांग्रेस के पूर्व महामंत्री धीरेन्द्र प्रताप की उपस्थिति में की। प्रकाण्ड ज्योतिषी पण्डित प्रेमचंद ने इसका रहस्य उजागर करते हुए कहा कि हरीष रावत की राषि का स्वामी शनि और सतपाल महाराज की राषि का स्वामी बुध मित्र नहीं होने से इन दोनों के बीच चाहते हुए भी मित्रता हो ही नहीं सकती है। ंगौरतलब है कि प्रदेष के केन्द्रीय नेतृत्व द्वारा उत्तराखण्ड कांग्रेस में गुटबाजी के कारण मची घमासान को ही ठीक करने के लिए केन्द्रीय महामंत्री चैधरी बीरेन्द्रसिंह को उत्तराखण्ड का प्रभारी बनाया गया। अपना कार्यभार सम्भालने के बाद से ही केन्द्रीय प्रभारी को इन दोनों दिग्गज नेताओं को एक साथ दिल नहीं अपितु एक मंच में एकसाथ खडे करने के लिए भी काफी पसीने बहाना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि इसी पखवाड़े जहां दिल्ली में प्रदेष का एक उच्च स्तरीय षिष्टमण्डल केन्द्रीय प्रभारी चैधरी वीरेन्द्र सिंह के नेतृत्व में राष्ट्रपति से उत्तराखण्ड प्रदेष सरकार के मुख्यमंत्री रमेष पौखरियाल निषंक के भ्रष्टाचार का पिटारा ही खोलने राष्ट्रपति भवन गये तो उस षिष्टमण्डल में न तो सतपाल महाराज ही थे व नहीं इस षिष्टमण्डल में उनकी धर्मपत्नी व प्रदेष की संभावित मुख्यमंत्री की प्रबल दावेदार समझी जाने वाली अमृता रावत ही सम्मलित थी। वहीं दूसरी तरफ सतपाल महाराज भी इस बात से काफी खपा है कि हरीष रावत उनके क्षेत्र में मुख्यमंत्री के कार्यक्रमों में चढ़बढ़ कर भाग ले कर उनकी जड़ों को कमजोर करने का काम कर रहे है। हालत यह है कि भले ही कहने को प्रदेष में चुनाव भाजपा कांग्रेस के बीच में होंगे परन्तु राजनीति के मर्मज्ञ जान रहे हैं कि यह चुनाव उत्तराखण्ड में तिवारी समर्थकों व हरीष रावत समर्थकों के बीच में ही होगा। निषंक को मुख्यमंत्री बनाये रखने से जनता की नजरों में आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा पहले ही चुनावी दंगल से बाहर मान रही है। जनता में निषंक की छवि का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रदेष सरकार के एक के बाद एक भ्रश्टाचार के पिटारे के खुलने से प्रदेष की जनता की नजरों में भाजपा पूरी तरह से बदरंग हो चूकी है। प्रदेष की आम जनता प्रदेष की सत्ता में आसीन मुख्यमंत्री निषंक सरकार के भ्रश्ट कारनामों से कितनी व्यथित है इसका सहज ही अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जनता ने निषंक सरकार के भ्रश्टाचार पर प्रहार करने वाला उत्तराखण्ड के महान गायक नरेन्द्रसिंह नेगी के गीत ‘अब कथ्या खेलो’ यानी अब और कितना खायेगा को जनता ने हाथों हाथ लिया। इसकी लोकप्रियता का सहज ही इस बात से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस गीत का धमाल उत्तराखण्ड में ही नहीं अपितुदिल्ली, मुम्बई, लखनऊ ही नहीं अपितु पूरे संसार भर में रहने वाले जागरूक उत्तराखण्डियों ने इस गीत के लिए नरेन्द्र सिंह नेगी को बधाईयां दी। गौरतलब है कि उत्तराखण्ड को पतन के गर्त में धकेलने वाले पूर्व मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी के कुषासन से व्यथित जनता के स्वरों को अपने गीतों में पिरोने वाले कालजयी गायक नरेन्द्रसिंह नेगी ने नारायणदत्त तिवारी के कुषासन को तर्पण देने के लिए नौछमी नारैण नामक एलबम निकाला जिसने पूरे उत्तराखण्डी समाज में तिवारी की कुषासन की लंका को ढाहने के लिए एकनिश्ट बनाया। अब भले ही दिल्ली में आसीन भाजपा के मठाधीष अपने निहित स्वार्थो में धृतराश्ट्र बन कर प्रदेष की पतवार निषंक के हाथों में ही सौंपने की हटधर्मिता प्रदेष के दिग्गज भाजपा नेता पूर्व मुख्यमंत्री कोष्यारी व मेजर जनरल खंडूडी के पुरजोर विरोध को दरकिनारे करके कर रहे हैं तो प्रदेष की जनता प्रदेष से भाजपा के सफाया के लिए आगामी विधानसभा चुनाव की बेसब्री से इंतजारी कर रहे हैं। परन्तु जिस प्रकार से आपसी महाभारत कांग्रेस में भी हो रहा है उसे देख कर जनता में हैरानी है कि कांग्रेसी क्या गत विधानसभा चुनाव फतह करके भी इस समय भी अपने विरोधियों को सत्तासीन कर देंगे। जिस प्रकार भाजपा व कांग्रेस में अन्तकलह है उसे देख कर उक्रांद व मुन्नासिंह चैहान व अन्य साथियों के बीच तीसरे मोर्चे के नाम पर जो गठबंधन बनाया जा रहा है वह प्रदेष की राजनीति की दिषा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी। इसके साथ ही कांग्रेसी दिग्गज सतपाल महाराज व हरीष रावत की आपसी अहं के द्वंद के कारण प्रदेष की राजनीति पर एक बार फिर अनिष्चिता का ग्रहण लगे ही रहेगा। वहीं कांग्रेसी आषाओं पर तीसरे मोर्चे के उदय से व सतपाल महाराज एवं हरीष रावत के द्वंद से भी लग सकता है ग्रहण।

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