बाबा रामदेव को भगोड़ा कहने पर हुआ संसद के समीप भारी हंगामा
बाबा रामदेव को भगोड़ा कहने पर हुआ संसद के समीप भारी हंगामा/
गोविन्दाचार्य के नेतृत्व में बना देश को नयी व्यवस्था देने के लिए संगठन/
नई दिल्ली(प्याउ)।भले ही आज कांग्रेसी नेता व चंद लोग बाबा रामदेव को 4 जून की सरकार की दमनकारी कार्यवाही के बाद केन्द्र सरकार की दमनकारी कृत्यों का पुरजोर विरोध करने के बजाय देश के हित में आवाज उठाने वाले बाबा रामदेव की निंदा करने में ही अपनी वीरता का प्रदर्शन कर रहे हैं। परन्तु देश की बहुसंख्यक जागरूक जनता बाबा रामदेव की निदां को किसी भी सूरत में सहन नहीं कर रही है। वह बाबा रामदेव का विरोध करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दे रही है। ऐसी ही एक घटना संसद के समीप घटित हुई। इस घटना के बाद लगता है कि आने वाले समय में कांग्रेस सहित बाबा का विरोध सार्वजनिक मंचों से करने वालों को भारी विरोध का सामना करना पडेंगा।
आज 25 जून 2011 को दिल्ली में संसद के समीप प्रतिष्ठत काॅंस्टिट्यूशनल क्लब में गोविन्दाचार्य के नेतृत्व देश में नये राजनैतिक विकल्प देने व पूरी भ्रष्ट्र व्यवस्था को सामूल परिवर्तन लाने के लिए आयोजित सम्मेलन में उस समय अजीबोगरीब स्थिति हो गयी जब राजस्थान से आये एक समाजसेवी ने अपने संबोधन में जब बाबा रामदेव के 4 जून को पुलिस दमन के दौंरान मंच से भाग जाने पर कटाक्ष करते हुए गोविन्दाचार्य के नेतृत्व में काम करने का आवाहन किया। उस वक्ता के संबोधन होते ही सम्मेलन में दर्जनों की संख्या में लोगों ने बाबा रामदेव पर कटाक्ष करने वाले का भारी विरोध किया। विरोध इतना प्रबल था कि विरोध करने वाले ने माफी मांग ली परन्तु लोग तब तक शांत नहीं हुए जब तक वह वक्ता तुरंत मंच से ही नहीं सम्मेलन स्थल से बाहर न चला जाय। बड़ी जिद्दोजहद के बाद गोविन्दाचार्य ने स्वयं स्थिति को संभालने के लिए मंच संभालना पड़ा। उस समय मंच में पूर्व केन्द्रीय मंत्री मोहम्मद आरिफ खाॅं, कर्नाटक में गुलबर्गा क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवी पूर्व सांसद पाटिल, महाराष्ट्र के दो बार स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में विजयी रहे विधायक, आजादी के तीसरे आंदोलन के नायक गोपाल राय, भाजपा के वरिष्ठ नेता मोहनसिंह ग्रामवासी आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर चिंतक , अग्रणी समाजसेवी व प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत ने सुझाव दिया कि भ्रष्टाचार पर तब तक अंकुश नहीं लग सकता है जब तक देश में व्यक्तिगत सम्पति का राष्ट्रीय करण न कर दिया जाय। इसके साथ ही उत्तराखण्ड राज्य गठन पर संसद की चैखट पर निरंतर 6 साल तक ऐतिहासिक धरना दे कर राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित करने वाले क्रांतिवीर के नाम से विख्यात देवसिंह रावत ने स्वामी रामदेव या अन्ना का नाम न लेते हुए इशारे ही इशारे में कटाक्ष किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश का नेतृत्व कर रहे लोगों को भ्रष्टाचारियों व दुराचारियों से दूरी बनाने को आगाह किया।
गोविन्दाचार्य के नेतृत्व में बना देश को नयी व्यवस्था देने के लिए संगठन/
नई दिल्ली(प्याउ)।भले ही आज कांग्रेसी नेता व चंद लोग बाबा रामदेव को 4 जून की सरकार की दमनकारी कार्यवाही के बाद केन्द्र सरकार की दमनकारी कृत्यों का पुरजोर विरोध करने के बजाय देश के हित में आवाज उठाने वाले बाबा रामदेव की निंदा करने में ही अपनी वीरता का प्रदर्शन कर रहे हैं। परन्तु देश की बहुसंख्यक जागरूक जनता बाबा रामदेव की निदां को किसी भी सूरत में सहन नहीं कर रही है। वह बाबा रामदेव का विरोध करने वालों को मुंहतोड़ जवाब दे रही है। ऐसी ही एक घटना संसद के समीप घटित हुई। इस घटना के बाद लगता है कि आने वाले समय में कांग्रेस सहित बाबा का विरोध सार्वजनिक मंचों से करने वालों को भारी विरोध का सामना करना पडेंगा।
आज 25 जून 2011 को दिल्ली में संसद के समीप प्रतिष्ठत काॅंस्टिट्यूशनल क्लब में गोविन्दाचार्य के नेतृत्व देश में नये राजनैतिक विकल्प देने व पूरी भ्रष्ट्र व्यवस्था को सामूल परिवर्तन लाने के लिए आयोजित सम्मेलन में उस समय अजीबोगरीब स्थिति हो गयी जब राजस्थान से आये एक समाजसेवी ने अपने संबोधन में जब बाबा रामदेव के 4 जून को पुलिस दमन के दौंरान मंच से भाग जाने पर कटाक्ष करते हुए गोविन्दाचार्य के नेतृत्व में काम करने का आवाहन किया। उस वक्ता के संबोधन होते ही सम्मेलन में दर्जनों की संख्या में लोगों ने बाबा रामदेव पर कटाक्ष करने वाले का भारी विरोध किया। विरोध इतना प्रबल था कि विरोध करने वाले ने माफी मांग ली परन्तु लोग तब तक शांत नहीं हुए जब तक वह वक्ता तुरंत मंच से ही नहीं सम्मेलन स्थल से बाहर न चला जाय। बड़ी जिद्दोजहद के बाद गोविन्दाचार्य ने स्वयं स्थिति को संभालने के लिए मंच संभालना पड़ा। उस समय मंच में पूर्व केन्द्रीय मंत्री मोहम्मद आरिफ खाॅं, कर्नाटक में गुलबर्गा क्षेत्र के वरिष्ठ समाजसेवी पूर्व सांसद पाटिल, महाराष्ट्र के दो बार स्वतंत्र प्रत्याशी के रूप में विजयी रहे विधायक, आजादी के तीसरे आंदोलन के नायक गोपाल राय, भाजपा के वरिष्ठ नेता मोहनसिंह ग्रामवासी आदि उपस्थित थे। इस अवसर पर चिंतक , अग्रणी समाजसेवी व प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत ने सुझाव दिया कि भ्रष्टाचार पर तब तक अंकुश नहीं लग सकता है जब तक देश में व्यक्तिगत सम्पति का राष्ट्रीय करण न कर दिया जाय। इसके साथ ही उत्तराखण्ड राज्य गठन पर संसद की चैखट पर निरंतर 6 साल तक ऐतिहासिक धरना दे कर राष्ट्रीय कीर्तिमान स्थापित करने वाले क्रांतिवीर के नाम से विख्यात देवसिंह रावत ने स्वामी रामदेव या अन्ना का नाम न लेते हुए इशारे ही इशारे में कटाक्ष किया कि भ्रष्टाचार के खिलाफ देश का नेतृत्व कर रहे लोगों को भ्रष्टाचारियों व दुराचारियों से दूरी बनाने को आगाह किया।
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