श्रीकृष्ण ही हॅू
श्रीकृष्ण ही हॅू
ना मैं देव हॅू,
ना देह हॅू।
मैं तो केवल
श्री कृष्ण ही हॅू।
खड़ा हॅू मैं,
अनादिकाल से,
विभिन्न रूपों मैं,
कुरूक्षेत्रा मैं,
अन्याय के खिलाफ,
सतत् संघर्ष में।
क्यों ढूंढ रहे हो मुझे,
गोकुल और वृंदावन में,
मैं नहीं हॅू अब,
मथुरा और द्वारिका
के महलों में,
मैं तो आज बसा हॅू
हर जन की श्वास में।
-देव सिंह रावत
ना मैं देव हॅू,
ना देह हॅू।
मैं तो केवल
श्री कृष्ण ही हॅू।
खड़ा हॅू मैं,
अनादिकाल से,
विभिन्न रूपों मैं,
कुरूक्षेत्रा मैं,
अन्याय के खिलाफ,
सतत् संघर्ष में।
क्यों ढूंढ रहे हो मुझे,
गोकुल और वृंदावन में,
मैं नहीं हॅू अब,
मथुरा और द्वारिका
के महलों में,
मैं तो आज बसा हॅू
हर जन की श्वास में।
-देव सिंह रावत
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