जनविरोधी भाजपा-कांग्रेस पर महाकाल की काली छाया

जनविरोधी भाजपा-कांग्रेस पर महाकाल की काली छाया/
जा को प्रभु दारूण-दुख देऊं, ताकी मति पहले हर लेहूॅ/

त्रिकालदर्शी महाकवि तुलसीदास की उपरोक्त पंक्तियां जनता से पूरी तरह से कट गये भाजपा व कांग्रेस के पदलोलुप नेताओं पर शतः प्रतिशत सटीक बैठती है। कांग्रेस पर महाकाल की वक्रदृष्टि का स्पष्ट संकेत यह देख कर सहज ही महसूस किया जा सकता है कि देश को अपने कुशासन से भ्रष्टाचार, मंहगाई व आतंक पर जरा सी भी ईमानदारी से अंकुश लगाने के प्रथम दायित्व का निर्वाहन न करने से देश की आम जनता का जीना दुश्वार कर ने वाली सप्रंग सरकार का प्रमुख दल कांग्रेस ने अपने पतन का ठीकरा देश व कांग्रेस की महान जननेत्री श्रीमती इंदिरा गांधी के सर फोडने का आत्मघाति कार्य किया। जिस प्रकार से कांग्रेस के नेताओं ने मनमोहन सिंह जैसे आत्मघाति राजनेता को प्रधानमंत्री के पद पर बनाये रखा है वह देश व कांग्रेस के लिए ही घातक साबित हो रहा है। मनमोहन सिंह की सरकार भारतीय हितों के बजाय अमेरिका के हितों को भारत में मजबूत करती रही। वहीं मन मोहन की तरह ही कांग्रेस पार्टी ने सरकार में आस्कर फर्नाडिस जैसे जन नेताओं की बजाय जनार्जन द्विवेदी, अहमद पटेल व आनन्द शर्मा जैसे लोगों को आगे कर रखा है। इस कारण आज कांग्रेस जनता से ही नहीं अपने कार्यकत्र्ताओं से भी दूर हो गयी है। मनमोहन सरकार की सत्तालोलुपता कितनी है कि बाबा रामदेव के आमरण अनशन से सत्ताच्युत होने की आशंका से इतने भयाक्रांत हो गये कि मनमोहन सिंह सरकार के चार चार मंत्री बाबा रामदेव से अनशन न करने की गुहार लगाने हवाई अड्डे पर ही पंहुच गये। अगर यह सरकार मंहगाई व जनहितों के लिए इतनी तत्पर रहती तो आज देश को इतने दुर्दिन नहीं देखने पड़ते।
वहीं भाजपा के आला नेतृत्व का पतन की नींव उसी दिन पड़ी जब भाजपा के नेताओं ने ‘भगवान राम मंदिर बनाने को अपने ऐजेन्डे में न होने की बात कही, कारगिल, कंधार व संसद प्रकरण पर शर्मनाक हथकण्डे अपनाया, ताबूत प्रकरण, नवरत्नों को कोड़ी के भाव बेचना व इंडिया इज साइनिंग नाउ के बेमोसमी गीत गाने के कृत्य किये। भाजपा ने जनता से जुड़े उमा भारती, गोविन्दाचार्य, मदनलाल खुराना आदि नेताओं को दरकिनारे करते हुए सुषमा व जेटली जेसे बंद कमरों की राजनीति करने वालों को अपनी कमान सोंपी। सुशासन देने का दम भरने वाले देवभूमि उत्तराखण्ड में सत्तासीन होते ही घोर जातिवादी व भ्रष्टाचारियों के संरक्षक बन कर ऐसे बेनकाब हुए कि जिस देख कर उत्तराखण्ड की जनता भाजपा नेतृत्व को धिक्कार रही है। परन्तु क्या मजाल भाजपा व संघ नेतृत्व का मोह धृतराष्ट्र की तरह उत्तराखण्ड व कर्नाटक के सत्तांधों से हो रहा है। आज जिस प्रकार से भाजपा में कर्नाटक के रेड़डी बंधुओं के संरक्षण देने के मामले में सुषमा व जेटली में मै नहीं-मैं नहीं का द्वंद चला हुआ है तथा वहीं दूसरी तरफ उत्तराखण्ड में आसीन भाजपा की निशंक सरकार के भ्रष्टाचार के प्रकरणों की वाद उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय में गूंज रहे हों परन्तु भाजपा के तथाकथित भावी प्रधानमंत्री ही नहीं जिस प्रकार से संघ द्वारा भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष के पद पर आसीन किये गये गडकरी कर रहे हैं, उसके बाद साफ हो गया कि भाजपा भी कांग्रेस की ही कार्बन कापी है व उसका भ्रष्टाचार का विरोध करने की बात हाथी के दांत की तरह छदम ही है। आज इन दोनों दलों में इतनी ताकत भी नहीं रही कि दोनों मिल कर बाबा राम देव की तरह हुंकार भर कर आम जनता तो रही दूर अपने तथाकथित पूरे कार्यकत्र्ताओं को ही सड़को ंपर उतार सके। दोनों दलो सहित तमाम राजनैतिक दल आज देश की जनता के विश्वास पर पूरी तरह से बेनकाब हो चूके है। लगता है इनकी जनविरोधी कृत्यों को चुकता करने के लिए ही महाकाल ने इनके नेतृत्व की मनोशक्ति को उलटी पुलटी कर दी है। इसी कारण ये ऐसे कृत्य महाकाल के पाश में फंस कर कर रहे हैं।

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