-भगवान श्रीबदरीनाथ अंधे नहीं हैं निशंक व गडकरी जी
-भगवान श्रीबदरीनाथ अंधे नहीं हैं निशंक व गडकरी जी
-निशंक से ही नहीं गड़करी से भी नाखुश हैं भगवान बदरीनाथ!
भले ही चार बार के अथक प्रयास के बाबजूद मुख्यमंत्री निशंक को भगवान बदरीनाथ के दर्शन इसी रविवार 19 जून को हो गये हों परन्तु उनको व उनके साथ गये भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी को एक संकेत भले ही भगवान श्रीबदरीनाथ का एक संकेत समझ में आ रहा हो पर प्रदेश की जनता ने समझ लिया कि उनकी तरह ही भगवान श्रीबदरीनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री निशंक से खुश नहीं हैं। वे गत वर्ष जब भगवान श्री बदरीनाथ के कपाट 19 मई को खुले थे तब भी भाजपा के आला कमान लालकृष्ण आडवाणी को भगवान बदरीनाथ के दर्शन कराने हवाई मार्ग से भगवान बदरीनाथ जाना चाहते थे परन्तु तब भी मोसम ठीक होने के कारण चाह कर भी भगवान बदरीनाथ के दर्शन नहीं कर पाये। इस साल जब 9 मई 2011 को भगवान श्री बदरीनाथ के कपाट खुले तो तब भी मुख्यमंत्री निशंक बदरीनाथ के दर्शन चाह कर नहीं कर पाये, उस दिन दिल्ली में भाजपा आलाकमान ने बैठक रख दी। इसके बाद मुख्यमंत्री का 1 जून को कार्यक्रम पर भी मौसम ने ग्रहण लगा दिया। अभी इसी माह 17 जून को उनका भगवान बदरीनाथ धाम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी को सपरिवार दर्शन कराने के कार्यक्रम पर भी मौसम ने फिर ग्रहण लगाया। पूरे देश में इस कार्यक्रम के पूरे पेज के रंगीन विज्ञापनों से विकास के लिए तरस रहे प्रदेश का विकास कार्यो में लग सकने वाला करोड़ो रूपये बहाने में मुख्यमंत्री निशंक को तनिक सा भी दर्द नहीं हुआ। इससे यह लगता है कि अगर उनका बस चलता तो वे पूरे प्रदेश के संसाधनों को गडकरी की खुशी के लिए कुर्वान तक कर देते। परन्तु भगवान बदरीनाथ को शायद उनकी यह प्रवृति फिर भी नहीं जंची और निशंक व गडकरी के मंसूबों पर एक बार उसी दिन नहीं अपितु दूसरे दिन भी ग्रहण लगा। इससे निशंक ही नहीं मडकरी व उनके परिजनों के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी। इसके बाबजूद भी 19 जून को लगता है भगवान बदरीनाथ का दिल पसीजा और उन्होंने मौसम साफ करके दर्शन की इजाजत दी। 19 जून को मुख्यमंत्री निशंक अपने खास मेहमान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी व उनके परिजनों को भगवान बदरीनाथ के दर्शन उडन खटोले से कराने में सफल रहे। परन्तु उनकी खुशी उस समय फुर्र हो गयी जब गडकरी के परिजनों को देहरादून हवाई अड्डे में छोड कर वापस आ रहा उडन खटोला दुर्घटनाग्रस्त हो गया। भले ही इसमें गडकरी के परिजन या नहीं थे। पायलट भी बच गये। परन्तु इस दुर्घटना से मुख्यमंत्री निशंक, गडकरी व उनके परिजनों को ही नहीं अपितु देश के आम जागरूक लोगों को भी अंदर से हिला दिया। भगवान बदरीनाथ की यात्रा के बाद इस प्रकार की दुर्घटना को गड़करी व निशंक जैसे नेताओं के लिए मैं भगवान बदरीनाथ की चेतावनी के रूप में ही देख रहा हॅू। मानों भगवान बदरीनाथ कह रहे हैं कि मैं सब कुछ जानता हॅू, सत्तांध हो कर जनहितों को रौंदने वालों को हर हाल में मैं दण्डित करता हॅू। मैने गत वर्ष भी निशंक जी सहित तमाम सत्तांधों को सावधान करने के लिए लिखा था कि भगवान श्री बदरीनाथ को अंधा या मात्र पत्थर की मूर्ति न समझें। वे साक्षात हैं सर्वज्ञ है। वे कभी किसी अहंकारी व अत्याचारी को माफ नहीं करते है। प्रस्तुत है 27 मई 2010 के प्यारा उत्तराखण्ड में प्रकाशित मेरे दो टूक लेख।
गत वर्ष भी 19 मई 2010 को भगवान बदरीनाथ के कपाट खुले, सभी भक्तों ने दर्शन किये। परन्तु निशंक जी व भाजपा आलाकमान आडवाणी जी को चाह करके भी भगवान के दर्शन नहीं कर पाये। करते कैसे, कपाट खुलते समय के पावन मुहूर्त में भगवान बदरीनाथ धम व बदरीनाथ क्षेत्रा में मूसलाधर बरसात जो हो रही थी। इस कारण भाजपा आलाकमान आडवाणी व प्रदेश के मुख्यमंत्राी रमेश पौखरियाल निशंक चाह कर भी भगवान बदरीनाथ के दर्शन उस शुभ मुहूर्त में नहीं कर पाये। क्योंकि वे वहां वायु मार्ग से सरपट पंहुचना चाहते थे। शायद यह भगवान को मंजूर नहीं था। वर्षा तो हर साल आती है भगवान बदरीनाथ धम के पावन कपाट खुलने वाले दिन। न केवल बदरीनाथ धम में अपितु पूरे बदरीनाथ क्षेत्रा में भी वर्षा आती है। बदरी भगवान का क्षेत्रा पुराना बदरी केदार विधनसभा का उत्तरी कडाकोट क्षेत्रा तक है यानी कोठुली क्षेत्रा तक। यह भगवान बदरीनाथ की पावनता का एक जीता जागता प्रमाण कई सालों से मुझे भी देखने को मिलता है। निशंक जी, भगवान बदरीनाथ बहुत तत्काल हैं। वे सर्वशक्तिमान साक्षात भगवान श्री विष्णु ही हैं। वे सबकुछ जानते हैं समझते है। दूध् का दूध् व पानी का पानी करना जानते है। भगवान बदरीनाथ के दर पर राव व मुलायम सरकारों के अमानवीय दमन से त्राही-त्राही करती हुई असहाय उत्तराखण्ड की जनता ने पफरियाद की। नरसिंह भगवान से पफरियाद की। भेरव देवता से पुकार की। पवन सुत हनुमान से पफरियाद की। उन्होंने कैसे पफरियाद की इसकी एक झलक उस जनांदोलन में विशेष रूप से बनाया गया उत्तराखण्ड के प्रसि( गीतकार व गायक नरेन्द्रसिंह नेगी के ‘जाग जाग हे उत्तराखण्ड/ हे नरसिंह भैरव बजरंग.’ ...से आपको भी भान होगा। भगवान तो जड़ चेतन में है। परन्तु उत्तराखण्ड तो सच में देवभूमि, मुक्तिधम व तपोभूमि है। यहां 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है। यहीं स्वयं नर नारायण की तपस्थली है। यहीं भगवान विष्णु व भगवान शिव का पावन धम है। यहां के कण-कण में भगवान शंकर व विष्णु विद्यमान है। यहीं पतित पावनी गंगा यमुना की अवतरण भूमि है। ऐसे पावन ध्रती पर जन्म लेने वाले तो ध्न्य हैं ही इसके दर्शन करने वाले भी बड़ भागी हैं। परन्तु इस पावन भूमि में जन्म लेने के बाद भी जो मनुष्य जनहित का गला अपने निहित स्वार्थ पूर्ति के लिए घोंटता है या समाज,प्रदेश व देश तथा ध्र्म से छल करता है तो उसको कहीं मुक्ति नहीं मिलती है।
मैं यहां पर आपसे विनम्र निवेदन करना चाहता हॅू निशंक जी। क्योंकि भगवान की कृपा से आपको जन व प्रदेश सेवा का दुर्लभ अवसर मिला है। उसको तिवारी व खंडूडी की तरह व्यर्थ में न गंवाओ। भगवान सर्वस्त्रा है। सबमें है। सबके हैं। सत्य में हैं। ध्र्म में है। न्याय में है और परमार्थ में है। त्याग में है। जल में है थल में है और इस सृष्ठि के कण-कण में व्याप्त है। वह सांसारिक अदालत नहीं जिन्हें गुनाहगारों के सबूतों की बैखाखियों की जरूरत हो। हर प्राणी के मानसपटल व अन्तःकरण में उसके संचित कर्म ;मनसा, वाचा व कर्मणाद्ध अंकित होते है। जो उसके स्थूल, सुक्ष्म, कारण व महाकारण शरीर से भी परे उसकी मुक्ति तक उसके साथ ही विद्यमान रहते है। भगवान बदरीनाथ किसी राजनैतिक दल के आला कमान नहीं जो स्वार्थपूति रूपि पूजा पाठ से प्रसन्न हो कर उनके गुनाहों से आंखे पफेर कर उनको अंध संरक्षण दे। भगवान बदरीनाथ का दण्ड देने वाले काल रूप की मार इतनी सटीक होती है कि राजभवन के अंतःपुर के अभैद सुरक्षा व्यवस्था के बाबजूद वह गुनाहगार को बेपर्दा कैसे करता है, उसे देश की जनता ने इसी साल खबरिया चैनलों के सहयोग से अपनी आंखों से देखा। वह न तो नेता को, व नहीं कालनेमी बने साध्ु को व नहीं न्यायाध्ीश बने भ्रष्ट को मापफ करता है। वह सभी गुनाहगारों को उसके गुनाह का सही समय पर ऐसी सजा देता है कि गुनाहगार को प्रायश्चित का भी अवसर नहीं मिलता है। वह जाति, ध्र्म, क्षेत्रा, रंग, नस्ल, लिंग, देश,भाषा इत्यादि के नाम पर दूसरे का शोषण करने वालों को भी दण्डित करता है। वह कैसे गुनाहगारों की बु(ि को भ्रष्ट कर उसे दण्डित करता है, इसको आपने स्वयं अपनी आंखों से कई बार देखा होगा। भगवान बदरीनाथ की मूर्ति को पफैकने वाले आततायी आज कहां हैं?
आपके पास अब भी समय है, तिवारी व खंडूडी के हस्र को देखने के बाद, आप अब भी उत्तराखण्डियों की आशाओं को साकार करने का कार्य करके अपना इह लोक व परलोक सुधरने का शुभ अवसर अपने हाथों से न गंवाओ। अब तक प्रदेश में कितने मुख्यमंत्राी हो गये। प्रदेश की जनता कहां किसी को याद कर रही है। करे भी क्यों? क्या दिया इन मुख्यमंत्रियों ने उत्तराखण्ड राज्य की उस जनता को जिसने अपने सम्मान व विकास के लिए दशकों लम्बे संघर्ष व राव-मुलायम सरकारों के जुल्मों को सहते हुए भी उत्तराखण्ड राज्य का गठन करने के लिए तत्कालीन सरकारों को विवश किया। प्रदेश की जनता की इच्छा के अनरूप न तो उसके सम्मान व विकास के प्रतीक प्रदेश की राजधनी गैरसैण ही बनायी गयी तथा नहीं मुजफ्रपफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को अभी तक दण्डित ही किया गया। नहीं आपकी सरकार ने इस दिशा में ईमानदारी से एक कदम भी अभी तक उठाया। उत्तराखण्डियों की राजनैतिक भविष्य को जनसंख्या पर आधरित परिसीमन लागू करा कर तिवारी जी व खंडूडी जी ने दपफन करने का अक्षम्य भूल की। उसको सुधरने की अभी तक आपकी सरकार ने कोई महत्वपूर्ण पहल तक नहंी की। प्रदेश की पिछड़े वर्ग के ;रंवांई क्षेत्राद्ध के मूल निवासियों के हक हकूकों पर अपने निहित स्वार्थी प्यादों द्वारा रोंदने के लिए आपकी सरकार ने कट आपफ डेट 1960 के बजाय 31 जनवरी 2004 रखने की भयंकर भूल किया था जिसको जनता के प्रबल विरोध् के बाद वापस लिया गया। प्रदेश में आदर्श राज स्थापित करने की बजाय जातिवाद, क्षेत्रावाद व भ्रष्टाचार का अंध तांडव नचाया जा रहा है। ढपोर शंख से ज्यादा दिन तक नहीं चलता। काल के हाथों कोई तिकड़मी कभी नहीं बचा। दिवस जात नहीं लागत बारा। 2012 आने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा। अब भी समय है, भगवान आपको सुबु(ि दे। जिन दिल्ली दरवार की सेवा में आप उत्तराखण्डियों के हितों को बहुत ही निर्ममता से रौंद रहे हैं वह दिल्ली दरवार तमाम कोशिशों के बाबजूद मे. जनरल खंडूडी कीे मुख्यमंत्राी की कुर्सी को नहीं बचा सका। कुर्सी आपको मिली। वह भी सदा आपकी नहीं रहेगी। आपका कल क्या था, इसको भूल जाओं, आज सच्चे हृदय से अगर प्रदेश की जनांकांक्षाओं को पूरा करने का संकल्प लो तो बदरीनाथ आपको अवश्य आर्शीवाद देगा, परन्तु जनता जर्नाजन की उपेक्षा कर दिल्ली दरवार के बल पर हवाई किल्ले बनाते रहे तो आपको भी तिवारी की तरह न केवल सत्ता च्युत होना पड़ेगा अपितु अपने दल में भी अलग थलग रहने का अभिशाप भोगना पड़ेगा। मैने लोकसभा चुनाव से पहले इसी स्तम्भ में कई बार भाजपा व लालकृष्ण आडवाणी के देश की सत्ता में आसीन होने के मंसूबों पर उत्तराखण्डी अभिशाप लगने की दो टूक चेतावनी दी थी। मैने सापफ कहा था कि आडवाणी अगर खंडूडी जी को प्रदेश के मुख्यमंत्राी पद से हटा दें तो वे अभिशाप मुक्त हो सकते हैं परन्तु न तो आडवाणी जी ने सुनी व नहीं भाजपा ने। नतीजा सामने है। अब मैं आपसे करब( निवेदन कर रहा हॅू कि उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं को साकार करके हिमाचल के मुख्यमंत्राी यशवंत सिंह परमार की तरह अमर हो जाओ। नहीं तो भगवान बदरीनाथ सब कुछ देखता है। वह जनहितों को रौंदने वालों को तिवारी व खंडूडी की तरह बेताज करने में कोई कसर नहीं छोड़ता।
शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ¬ तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमों।
-निशंक से ही नहीं गड़करी से भी नाखुश हैं भगवान बदरीनाथ!
भले ही चार बार के अथक प्रयास के बाबजूद मुख्यमंत्री निशंक को भगवान बदरीनाथ के दर्शन इसी रविवार 19 जून को हो गये हों परन्तु उनको व उनके साथ गये भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी को एक संकेत भले ही भगवान श्रीबदरीनाथ का एक संकेत समझ में आ रहा हो पर प्रदेश की जनता ने समझ लिया कि उनकी तरह ही भगवान श्रीबदरीनाथ प्रदेश के मुख्यमंत्री निशंक से खुश नहीं हैं। वे गत वर्ष जब भगवान श्री बदरीनाथ के कपाट 19 मई को खुले थे तब भी भाजपा के आला कमान लालकृष्ण आडवाणी को भगवान बदरीनाथ के दर्शन कराने हवाई मार्ग से भगवान बदरीनाथ जाना चाहते थे परन्तु तब भी मोसम ठीक होने के कारण चाह कर भी भगवान बदरीनाथ के दर्शन नहीं कर पाये। इस साल जब 9 मई 2011 को भगवान श्री बदरीनाथ के कपाट खुले तो तब भी मुख्यमंत्री निशंक बदरीनाथ के दर्शन चाह कर नहीं कर पाये, उस दिन दिल्ली में भाजपा आलाकमान ने बैठक रख दी। इसके बाद मुख्यमंत्री का 1 जून को कार्यक्रम पर भी मौसम ने ग्रहण लगा दिया। अभी इसी माह 17 जून को उनका भगवान बदरीनाथ धाम में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी को सपरिवार दर्शन कराने के कार्यक्रम पर भी मौसम ने फिर ग्रहण लगाया। पूरे देश में इस कार्यक्रम के पूरे पेज के रंगीन विज्ञापनों से विकास के लिए तरस रहे प्रदेश का विकास कार्यो में लग सकने वाला करोड़ो रूपये बहाने में मुख्यमंत्री निशंक को तनिक सा भी दर्द नहीं हुआ। इससे यह लगता है कि अगर उनका बस चलता तो वे पूरे प्रदेश के संसाधनों को गडकरी की खुशी के लिए कुर्वान तक कर देते। परन्तु भगवान बदरीनाथ को शायद उनकी यह प्रवृति फिर भी नहीं जंची और निशंक व गडकरी के मंसूबों पर एक बार उसी दिन नहीं अपितु दूसरे दिन भी ग्रहण लगा। इससे निशंक ही नहीं मडकरी व उनके परिजनों के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही थी। इसके बाबजूद भी 19 जून को लगता है भगवान बदरीनाथ का दिल पसीजा और उन्होंने मौसम साफ करके दर्शन की इजाजत दी। 19 जून को मुख्यमंत्री निशंक अपने खास मेहमान भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष गडकरी व उनके परिजनों को भगवान बदरीनाथ के दर्शन उडन खटोले से कराने में सफल रहे। परन्तु उनकी खुशी उस समय फुर्र हो गयी जब गडकरी के परिजनों को देहरादून हवाई अड्डे में छोड कर वापस आ रहा उडन खटोला दुर्घटनाग्रस्त हो गया। भले ही इसमें गडकरी के परिजन या नहीं थे। पायलट भी बच गये। परन्तु इस दुर्घटना से मुख्यमंत्री निशंक, गडकरी व उनके परिजनों को ही नहीं अपितु देश के आम जागरूक लोगों को भी अंदर से हिला दिया। भगवान बदरीनाथ की यात्रा के बाद इस प्रकार की दुर्घटना को गड़करी व निशंक जैसे नेताओं के लिए मैं भगवान बदरीनाथ की चेतावनी के रूप में ही देख रहा हॅू। मानों भगवान बदरीनाथ कह रहे हैं कि मैं सब कुछ जानता हॅू, सत्तांध हो कर जनहितों को रौंदने वालों को हर हाल में मैं दण्डित करता हॅू। मैने गत वर्ष भी निशंक जी सहित तमाम सत्तांधों को सावधान करने के लिए लिखा था कि भगवान श्री बदरीनाथ को अंधा या मात्र पत्थर की मूर्ति न समझें। वे साक्षात हैं सर्वज्ञ है। वे कभी किसी अहंकारी व अत्याचारी को माफ नहीं करते है। प्रस्तुत है 27 मई 2010 के प्यारा उत्तराखण्ड में प्रकाशित मेरे दो टूक लेख।
गत वर्ष भी 19 मई 2010 को भगवान बदरीनाथ के कपाट खुले, सभी भक्तों ने दर्शन किये। परन्तु निशंक जी व भाजपा आलाकमान आडवाणी जी को चाह करके भी भगवान के दर्शन नहीं कर पाये। करते कैसे, कपाट खुलते समय के पावन मुहूर्त में भगवान बदरीनाथ धम व बदरीनाथ क्षेत्रा में मूसलाधर बरसात जो हो रही थी। इस कारण भाजपा आलाकमान आडवाणी व प्रदेश के मुख्यमंत्राी रमेश पौखरियाल निशंक चाह कर भी भगवान बदरीनाथ के दर्शन उस शुभ मुहूर्त में नहीं कर पाये। क्योंकि वे वहां वायु मार्ग से सरपट पंहुचना चाहते थे। शायद यह भगवान को मंजूर नहीं था। वर्षा तो हर साल आती है भगवान बदरीनाथ धम के पावन कपाट खुलने वाले दिन। न केवल बदरीनाथ धम में अपितु पूरे बदरीनाथ क्षेत्रा में भी वर्षा आती है। बदरी भगवान का क्षेत्रा पुराना बदरी केदार विधनसभा का उत्तरी कडाकोट क्षेत्रा तक है यानी कोठुली क्षेत्रा तक। यह भगवान बदरीनाथ की पावनता का एक जीता जागता प्रमाण कई सालों से मुझे भी देखने को मिलता है। निशंक जी, भगवान बदरीनाथ बहुत तत्काल हैं। वे सर्वशक्तिमान साक्षात भगवान श्री विष्णु ही हैं। वे सबकुछ जानते हैं समझते है। दूध् का दूध् व पानी का पानी करना जानते है। भगवान बदरीनाथ के दर पर राव व मुलायम सरकारों के अमानवीय दमन से त्राही-त्राही करती हुई असहाय उत्तराखण्ड की जनता ने पफरियाद की। नरसिंह भगवान से पफरियाद की। भेरव देवता से पुकार की। पवन सुत हनुमान से पफरियाद की। उन्होंने कैसे पफरियाद की इसकी एक झलक उस जनांदोलन में विशेष रूप से बनाया गया उत्तराखण्ड के प्रसि( गीतकार व गायक नरेन्द्रसिंह नेगी के ‘जाग जाग हे उत्तराखण्ड/ हे नरसिंह भैरव बजरंग.’ ...से आपको भी भान होगा। भगवान तो जड़ चेतन में है। परन्तु उत्तराखण्ड तो सच में देवभूमि, मुक्तिधम व तपोभूमि है। यहां 33 करोड़ देवी देवताओं का वास है। यहीं स्वयं नर नारायण की तपस्थली है। यहीं भगवान विष्णु व भगवान शिव का पावन धम है। यहां के कण-कण में भगवान शंकर व विष्णु विद्यमान है। यहीं पतित पावनी गंगा यमुना की अवतरण भूमि है। ऐसे पावन ध्रती पर जन्म लेने वाले तो ध्न्य हैं ही इसके दर्शन करने वाले भी बड़ भागी हैं। परन्तु इस पावन भूमि में जन्म लेने के बाद भी जो मनुष्य जनहित का गला अपने निहित स्वार्थ पूर्ति के लिए घोंटता है या समाज,प्रदेश व देश तथा ध्र्म से छल करता है तो उसको कहीं मुक्ति नहीं मिलती है।
मैं यहां पर आपसे विनम्र निवेदन करना चाहता हॅू निशंक जी। क्योंकि भगवान की कृपा से आपको जन व प्रदेश सेवा का दुर्लभ अवसर मिला है। उसको तिवारी व खंडूडी की तरह व्यर्थ में न गंवाओ। भगवान सर्वस्त्रा है। सबमें है। सबके हैं। सत्य में हैं। ध्र्म में है। न्याय में है और परमार्थ में है। त्याग में है। जल में है थल में है और इस सृष्ठि के कण-कण में व्याप्त है। वह सांसारिक अदालत नहीं जिन्हें गुनाहगारों के सबूतों की बैखाखियों की जरूरत हो। हर प्राणी के मानसपटल व अन्तःकरण में उसके संचित कर्म ;मनसा, वाचा व कर्मणाद्ध अंकित होते है। जो उसके स्थूल, सुक्ष्म, कारण व महाकारण शरीर से भी परे उसकी मुक्ति तक उसके साथ ही विद्यमान रहते है। भगवान बदरीनाथ किसी राजनैतिक दल के आला कमान नहीं जो स्वार्थपूति रूपि पूजा पाठ से प्रसन्न हो कर उनके गुनाहों से आंखे पफेर कर उनको अंध संरक्षण दे। भगवान बदरीनाथ का दण्ड देने वाले काल रूप की मार इतनी सटीक होती है कि राजभवन के अंतःपुर के अभैद सुरक्षा व्यवस्था के बाबजूद वह गुनाहगार को बेपर्दा कैसे करता है, उसे देश की जनता ने इसी साल खबरिया चैनलों के सहयोग से अपनी आंखों से देखा। वह न तो नेता को, व नहीं कालनेमी बने साध्ु को व नहीं न्यायाध्ीश बने भ्रष्ट को मापफ करता है। वह सभी गुनाहगारों को उसके गुनाह का सही समय पर ऐसी सजा देता है कि गुनाहगार को प्रायश्चित का भी अवसर नहीं मिलता है। वह जाति, ध्र्म, क्षेत्रा, रंग, नस्ल, लिंग, देश,भाषा इत्यादि के नाम पर दूसरे का शोषण करने वालों को भी दण्डित करता है। वह कैसे गुनाहगारों की बु(ि को भ्रष्ट कर उसे दण्डित करता है, इसको आपने स्वयं अपनी आंखों से कई बार देखा होगा। भगवान बदरीनाथ की मूर्ति को पफैकने वाले आततायी आज कहां हैं?
आपके पास अब भी समय है, तिवारी व खंडूडी के हस्र को देखने के बाद, आप अब भी उत्तराखण्डियों की आशाओं को साकार करने का कार्य करके अपना इह लोक व परलोक सुधरने का शुभ अवसर अपने हाथों से न गंवाओ। अब तक प्रदेश में कितने मुख्यमंत्राी हो गये। प्रदेश की जनता कहां किसी को याद कर रही है। करे भी क्यों? क्या दिया इन मुख्यमंत्रियों ने उत्तराखण्ड राज्य की उस जनता को जिसने अपने सम्मान व विकास के लिए दशकों लम्बे संघर्ष व राव-मुलायम सरकारों के जुल्मों को सहते हुए भी उत्तराखण्ड राज्य का गठन करने के लिए तत्कालीन सरकारों को विवश किया। प्रदेश की जनता की इच्छा के अनरूप न तो उसके सम्मान व विकास के प्रतीक प्रदेश की राजधनी गैरसैण ही बनायी गयी तथा नहीं मुजफ्रपफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को अभी तक दण्डित ही किया गया। नहीं आपकी सरकार ने इस दिशा में ईमानदारी से एक कदम भी अभी तक उठाया। उत्तराखण्डियों की राजनैतिक भविष्य को जनसंख्या पर आधरित परिसीमन लागू करा कर तिवारी जी व खंडूडी जी ने दपफन करने का अक्षम्य भूल की। उसको सुधरने की अभी तक आपकी सरकार ने कोई महत्वपूर्ण पहल तक नहंी की। प्रदेश की पिछड़े वर्ग के ;रंवांई क्षेत्राद्ध के मूल निवासियों के हक हकूकों पर अपने निहित स्वार्थी प्यादों द्वारा रोंदने के लिए आपकी सरकार ने कट आपफ डेट 1960 के बजाय 31 जनवरी 2004 रखने की भयंकर भूल किया था जिसको जनता के प्रबल विरोध् के बाद वापस लिया गया। प्रदेश में आदर्श राज स्थापित करने की बजाय जातिवाद, क्षेत्रावाद व भ्रष्टाचार का अंध तांडव नचाया जा रहा है। ढपोर शंख से ज्यादा दिन तक नहीं चलता। काल के हाथों कोई तिकड़मी कभी नहीं बचा। दिवस जात नहीं लागत बारा। 2012 आने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा। अब भी समय है, भगवान आपको सुबु(ि दे। जिन दिल्ली दरवार की सेवा में आप उत्तराखण्डियों के हितों को बहुत ही निर्ममता से रौंद रहे हैं वह दिल्ली दरवार तमाम कोशिशों के बाबजूद मे. जनरल खंडूडी कीे मुख्यमंत्राी की कुर्सी को नहीं बचा सका। कुर्सी आपको मिली। वह भी सदा आपकी नहीं रहेगी। आपका कल क्या था, इसको भूल जाओं, आज सच्चे हृदय से अगर प्रदेश की जनांकांक्षाओं को पूरा करने का संकल्प लो तो बदरीनाथ आपको अवश्य आर्शीवाद देगा, परन्तु जनता जर्नाजन की उपेक्षा कर दिल्ली दरवार के बल पर हवाई किल्ले बनाते रहे तो आपको भी तिवारी की तरह न केवल सत्ता च्युत होना पड़ेगा अपितु अपने दल में भी अलग थलग रहने का अभिशाप भोगना पड़ेगा। मैने लोकसभा चुनाव से पहले इसी स्तम्भ में कई बार भाजपा व लालकृष्ण आडवाणी के देश की सत्ता में आसीन होने के मंसूबों पर उत्तराखण्डी अभिशाप लगने की दो टूक चेतावनी दी थी। मैने सापफ कहा था कि आडवाणी अगर खंडूडी जी को प्रदेश के मुख्यमंत्राी पद से हटा दें तो वे अभिशाप मुक्त हो सकते हैं परन्तु न तो आडवाणी जी ने सुनी व नहीं भाजपा ने। नतीजा सामने है। अब मैं आपसे करब( निवेदन कर रहा हॅू कि उत्तराखण्ड की जनांकांक्षाओं को साकार करके हिमाचल के मुख्यमंत्राी यशवंत सिंह परमार की तरह अमर हो जाओ। नहीं तो भगवान बदरीनाथ सब कुछ देखता है। वह जनहितों को रौंदने वालों को तिवारी व खंडूडी की तरह बेताज करने में कोई कसर नहीं छोड़ता।
शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ¬ तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमों।
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