सन् 1994 के बाद से कोडियों भाव एनजीओ को लुटवायी उत्तराखण्ड की भूमि जब्त करे सरकार
सन् 1994 के बाद से कोडियों भाव एनजीओ को लुटवायी उत्तराखण्ड की भूमि जब्त करे सरकार
उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद यहां की जमीनों व संसाधनों को अपने दिल्ली बैठे राजनैतिक आकाओं, माफियाओं व अन्य बाहरी लोगों को करोड़ों मूल्य की जमीन कोड़ी के भाव समाजसेवी संस्थाओं व आदि जनहित के नाम से आवंटित की गयी। जो इस प्रदेश की जनता के हक हकूकों पर सीधा डाका ही नहीं इस सीमान्त प्रदेश की सुरक्षा के लिए व पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा है। अब यहां की जनता सरकार से मांग करती है कि 1994 के बाद से ही यहां पर एनजीओ व आदि को कोडियों के भाव में आवंटित की गयी जमीनों पर श्वेत पत्र जारी कर उनको अविलम्ब जब्त किया जाय। प्रदेश के हक हकूकों को अपने बाप की सम्पति समझ कर लुटवाने का किसी भी सरकार को कोई हक नहीं है। जिन संगठनों का कोई सामाजिक सेवा व यहां की धरती पर कोई कार्य जनता की नजरों में नहीं है। उस भूमि को अविलम्ब जब्त की जाय। सभी नेताओं, नौकरशाहों आदि द्वारा यहां पर कोडियों के भाव ली गयी जमीनें भी जब्त की जाय।
उत्तराखण्ड राज्य गठन के बाद यहां की जमीनों व संसाधनों को अपने दिल्ली बैठे राजनैतिक आकाओं, माफियाओं व अन्य बाहरी लोगों को करोड़ों मूल्य की जमीन कोड़ी के भाव समाजसेवी संस्थाओं व आदि जनहित के नाम से आवंटित की गयी। जो इस प्रदेश की जनता के हक हकूकों पर सीधा डाका ही नहीं इस सीमान्त प्रदेश की सुरक्षा के लिए व पर्यावरण के लिए भी गंभीर खतरा है। अब यहां की जनता सरकार से मांग करती है कि 1994 के बाद से ही यहां पर एनजीओ व आदि को कोडियों के भाव में आवंटित की गयी जमीनों पर श्वेत पत्र जारी कर उनको अविलम्ब जब्त किया जाय। प्रदेश के हक हकूकों को अपने बाप की सम्पति समझ कर लुटवाने का किसी भी सरकार को कोई हक नहीं है। जिन संगठनों का कोई सामाजिक सेवा व यहां की धरती पर कोई कार्य जनता की नजरों में नहीं है। उस भूमि को अविलम्ब जब्त की जाय। सभी नेताओं, नौकरशाहों आदि द्वारा यहां पर कोडियों के भाव ली गयी जमीनें भी जब्त की जाय।
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