पर्यावरण व देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक है सीमान्त क्षेत्र में बस्ती बसाना


पर्यावरण व देश की सुरक्षा के लिए खतरनाक है  
सीमान्त क्षेत्र में बस्ती बसाना

किसके लिए बसायी जा रही है बदरीनाथ के समीप यह नगरी
प्रदेश गठन के बाद यहां पर दी गयी एनजीओ तमाम भूमि सौदों को रद्द करे
बदरीनाथ केदारनाथ समिति बदरी नाथ और गौरकुण्ड के पास जिस अस्थाई नगरी को बसाने जा रही है उसकी भनक लगते ही लोगों के कान खडे हो गये।इस अस्थाई नगरी बसाने की योजना का खुलाशा तब हुआ जब श्री बदरीनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अनुसूया प्रसाद भट्ट ने गत सप्ताह  बद्रीनाथ और गौरीकुंड के पास एक अस्थायी नगरी बनाने का ऐलान किया। उनके अनुसार इसके लिये निविदा जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू की जा चुकी है। भट्ट ने बताया कि इस अस्थायी नगरी में करीब 2000 लोगों को समायोजित किया जायेगा, इसके लिए गत दिनों मंदिर समिति की एक बैठक में यह फैसला किया गया है। श्री भट्ट ने बताया कि  कहा कि अगले महीने से शुरू होने वाले चारधाम यात्रा के दौरान ही मुफ्त में भोजन और आवास की व्यवस्था की जायेगी। उत्तराखंड में बद्रीनाथ-केदारनाथ समिति ने तीर्थयात्रा पर आये गरीब लोगों को मुफ्त में भोजन और आवास मुहैया कराने का फैसला किया है। पर्यावरण व धार्मिक महत्व की दृष्टि से इस क्षेत्र में किसी प्रकार की नयी बस्ती बसाना एक प्रकार से इसके स्वरूप से खिलवाड़ ही होगी। वैसे भी यह स्थान न केवल सनातन धर्मावलम्बियों के लिए अपितु पर्यावरण की दृष्टि से बहुत ही संवेदनशील है। इस क्षेत्र में किसी प्रकार का निर्माण या स्थाई या अस्थाई नगरी बसाना एक प्रकार से किसी खतरे से कम नहीं है। वैसे भी उत्तराखण्ड के लोग सरकार की इस प्रकार की योजनाओं से पहले से उद्देल्लित हे। प्रदेश के लोग जनसंख्या के आधार पर हुए विधानसभाई परिसीमन के बाद ऐसे मामलों को बहुत ही बारिकी से नजर रखे हुए है। वे प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण के अलावा पर्वतीय क्षेत्र में कहीं भी किसी और नगरी बसाने की किसी भी कीमत पर इजाजत किसी सरकारों को नहीं ंदेगे। खासकर जिस प्रकार से राज्य गठन के बाद उत्तराखण्ड की जमीन व घाटियों को समाजसेवा के नाम पर पंजीकृत बड़े नेताओं के चेहतों को कोडियों के भाव में आवंटित करके लुटवा दि गयी हो। अब लोगों को जैसे जैसे इसकी भनक लग रही है। यहां पर विकास के नाम पर बन रही योजनाओं के लिए घाटियों को चंद लोगों के हवाले कर स्थानीय लोगों के हक हकूकों पर सेंध लगा दी गयी हो। ऐसे में अब पावन बदरीनाथ धाम व गौरीकुण्ड के समीप बनायी जाने वाली अस्थाई नगरी के बारे में लोगों के कान खडे होने स्वाभाविक है। सरकार की इस योजना की आड में यहां पर किन लोगों का पोषण किया जा रहा है।  गौरतलब है कि पहले भी बदरीनाथ  क्षेत्र में जैन मंदिर बनाने का प्रयास किये गये जिसको जनता की जागरूकता से असफल किया गया। इसके बाद इस योजना को ठण्डे बस्ते में डाल दिया गया। 
अब सरकार जिस अस्थाई नगरी को बसा रही है उसके पीछे किन्ही लोगों को यहां पर काबिज कराने की योजना तो नहीं है। सरकार की इस योजना पर उत्तराखण्ड की जनता को करीबी से नजर रखना होगा। क्योंकि जिस प्रकार राज्य गठन के बाद विकास के नाम पर यहां की जमीन व प्राकृतिक संसाधनों को निहित स्वार्थी व बाहरी लोगों को लुटवाया जा रहा है, उसको देखते हुए प्रदेश की जनता को जागरूक होना जरूरी है। वैसे भी श्री बदरीनाथ धाम प्रदेश के ही नहीं देश का संवेदनशील सीमान्त क्षेत्र में है। यहां  पर यकायक 2000 लोगों की विशाल बस्ती बसने से एक तो यहां के पर्यावरण को असंतुलित कर देगा दूसरा इस क्षेत्र की सामाजिक समरसता को बदल कर रख देगा। इन तमाम आशंकाओं को देखते हुए सरकार को चाहिए कि वे उत्तराखण्ड के किसी भी पर्वतीय क्षेत्र में इस प्रकार की किसी भी संवेदनशील योजना को न बनाये जो यहां के सामाजिक ताना बाना व प्राकृतिक संतुलन को पूरी तरह से बदल कर रख दे। ऐसे शहर बसाने के बाद यहां पर लोगों को आसाम व कश्मीर के लोगों की तरह अपने ही क्षेत्र में अल्पसंख्यक होने का खतरा भी मंडराने लगेगा। प्रदेश की जनता को चाहिए कि वे सरकार से राज्य गठन के बाद प्रदेश की भूमि को किन किन लोगों को औने पौने दामों में आवंटित हुए उसकी सूचि तत्काल सार्वजनिक करे। 
आने वाली सरकारें किसी की भी हो परन्तु जनता को चाहिए कि वे तमाम राजनेताओं पर दवाब डाले की राज्य गठन के एक दो साल पहले व गठन  के बाद प्रदेश की भू सम्पति के इस प्रकार के तमाम बंदरबांट को रद्द किया जाय। यहां पर जिस प्रकार से राज्य गठन के बाद खासकर देश के नेताओं के रिश्तेदारों व उनके चेहतों की तथाकथित सामाजिक संगठनों को उत्तराखण्ड की हजारों एकड़ जमीन को कोडियों में लुटायी गयी, उस सूचि का सार्वजनिक होना जरूरी है। क्योंकि इन में से अधिकांश समाजसेवी लोगों का इस प्रदेश में इससे पहले कभी एक पल के लिए समाजसेवा करने का इतिहास तक नहीं है। राजनेताओं व नौकरशाहों की मकड़जाल में फंसा उत्तराखण्ड आज इस प्रकार से लुट रहा है उस पर यहां के हर जागरूक आदमी को बहुत ही गंभीरता से नजर रखना होगा। नहीं तो आने वाले समय में उत्तराखण्ड के लोग उत्तराखण्ड में ऐसे ही असुरक्षित व अल्पसंख्यक हो जायेंगे जिस प्रकार असम व कश्मीर में वहां के मूल निवासी। क्योंकि प्रदेश की सत्ता में आसीन हुक्मरानों ने अपनी अंधी सत्ता लोलुपता के लिए प्रदेश के संसाधनों की जो शर्मनाक बंदरबांट की उसका खुलासा यहां पर बांटी गयी सूचि से स्वयं ही हो जायेगा। इस जमीनों को आने वाले समय में प्रदेश की सरकारों को वापस ले कर प्रदेश के हितों की रक्षा करनी चाहिए। तथा किसी भी तर्क के आड में सीमान्त क्षेत्र बदरीनाथ में नया शहर बसाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। क्योंकि इससे यहां का पर्यावरण सहित सामाजिक ताना बाना के साथ देश की सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न हो सकता है। सीमान्त क्षेत्र में सेना के अलावा किसी प्रकार की बस्तियां बसाने पर हर हाल में रोक होनी चाहिए।  शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।

Comments

Popular posts from this blog

पतंजलि के संत रामदेव तुने कर दिया कमाल