-लीबिया में अमेरिका द्वारा किये जा रहे नरसंहार पर मूक क्यों हैं पोप

-लीबिया में अमेरिका द्वारा किये जा रहे नरसंहार पर मूक क्यों हैं पोप
अमेरिका के नेतृत्व में उसके प्यादा नाटो संगठन की लीबिया में भयंकर बमबारी पर अमेरिका व नाटो देषों के धर्मगुरू पोप के मौन पर उन सभी लोगों के विष्वास पर गहरा झटका लगा जो ईसायत को षांति व प्रेम का धर्म मानते है। गौरतलब है कि अमेरिका के दवाब मै भले ही संयुक्त राश्ट्र संघ ने लीबिया पर ढुलमुल रवैये का फायदा उठाते हुए अमेरिका व उनके प्यादों ने लीबिया पर कर्नल गद्दाफी से मुक्ति के नाम पर भारी हमला कर रहे हैं। गुड़ फ्राइडे व इस्टर के पवित्र त्योहारों के अवसरों में भी जिस प्रकार से हमला किया गया। उस पर पोप का मूक रहना सभी को दुख ही प्रदान करता है। लीबिया से कर्नल गद्दाफी से मुक्ति के नाम पर व लोकषाही को लाने के नाम पर किये जा रहे हमलों को किसी भी अर्थो में सही नहीं ठहरा जा सकता हे। अगर इस मामले को जायज ठहराया जाता है तो आज पूरे विष्व में मानवता व नरसंहार के लिए अगर कोई दोशी है तो वह अमेरिका हे। आज पूरे विष्व की लोकषाही के लिए अगर कोई खतरा हे तो वह अमेरिका है। इसके बाबजूद अमेरिका की हिटलरषाही पर कोई प्रष्न तक नहीं उठा पा रहा है। क्यों ऐसी कार्यवाही संयुक्त राश्ट्र संघ अमेरिका के खिलाफ दे सकता हे। जो अमेरिका ने बलात इराक, अफगानिस्तान व अब लीबिया में खुलेआम हमला किया हुआ है। ऐसे में पूरा विष्व के हुक्मरानों ने जो षर्मनाक मौन रखा हुआ है इसी से अमेरिका की अमानवीय हमले िनरंतर पूरे विष्व को रौंदने के लिए बढ़ रहे है। लीबिया की राजधानी त्रिपोली में हुए हवाई हमले में सोमवार 25 अप्रैल को मुअम्मर गद्दाफी का एक कार्यालय ध्वस्त हो गया। घटनास्थल पर मौजूद एक लीबियाई अधिकारी ने बताया कि इस हमले में 45 लोग घायल हुए हैं जिनमें 15 की हालत गंभीर है। इस हम3लों के बारे में कहा जा रहा है कि यह हमला गद्दाफी की हत्या करने का एक प्रयास था। नाटो के विमानों द्वारा स्थानीय समयानुसार 12 बज कर 10 मिनट पर की गई यह बमबारी इतनी जबरदस्त थी कि इससे वह होटल भी थर्रा गया जिसमें विदेशी संवाददाता ठहरे हुए हैं।गौरतलब है कि नाटो शुक्रवार से ही त्रिपोली को लक्ष्य बना कर हवाई हमले कर रहा है। इस हमले के तुरंत बाद सरकारी टेलीविजन को बंद कर दिया गया। कुछ मिनट बाद प्रसारण शुरू किया गया।
आज जिस प्रकार से दबे हुए स्वर में रूस,चीन, भारत सहित कुछ देषों ने अमेरिका की इस मामले में भत्र्सना की । परन्तु कोई भी देष अमेरिका का ईमानदारी से प्रखर ढ़ग से विरोध नहीं कर पा रहा है। इसी कारण आज अमेरिका की सेना 70 से अधिक देषों की लोकषाही को रौंदने में लगी हुई है। सवाल लीबिया में लोकषाही का नहीं अपितु सवाल आज विष्व में मानवता व लोकषाही को बचाने की। आज इस पर पूरे ढंग से अमेरिका के नापाक इरादों से इस पर ग्रहण लग चूका हे। लीबिया में लोकषाही होनी चाहिए परन्तु लोकषाही के नाम पर जिस प्रकार से अमेरिका अपने पिठ्ठुओं ने पूरे विष्व की मानवता को रौंद रखा है उससे साफ लग रहा है कि अमेरिका का पूरे विष्व में कभी भी लोकषाही पर विष्वास ही नहीं रहा। अमेरिका ने हमेषा विष्व में तानाषाहों का ही संरक्षण किया। पूरे विष्व की मानवता को रौंदा। जिस अलकायदा व लादेन को आज अमेरिका विश्व शांति के लिए खतरा बता रहा है वही अमेरिका न केवल अलकायदा अपितु लादेन का संरक्षक व पोषण रहा है। वही अंमेरिका आज विश्व में आतंक की फेक्टरी बन चूका पाकिस्तान का शर्मनाक संरक्षक हैं। इस लिए आज लीबिया पर अमेरिका का हमला किसी भी तरह से लोकशाही का समर्थक होने के कारण नहीं अपितु अमेरिका के नापाक कृत्यों का विरोध करने वाले लीबिया के प्रमुख कर्नल गद्दाफी के सफाया करने के लिए ही है। चाहे अमेरिका इस मामले को कोई भी नाम दे परन्तु सच्चाइ्र यही है कि वह पूरे विश्व को अपना गुलाम बनाना चाहता है। इसके लिए बहाना चाहे कुछ भी हो।

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