>भारत रत्न, अच्चुत सामंत से प्रेरणा ले समाज व सरकार

भारत रत्न, अच्चुत सामंत से प्रेरणा ले समाज व सरकार
13 हजार गरीब आदिवासी बच्चों को निशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं सामंत

चार साल की उम्र में ही जिस गरीब बच्चे के सर से बाप का साया उठ गया हो, जिसने अपनी विधवा गरीब मां का सहारा बनने, परिवार की दो जून की रोटी के लिए तथा अपनी पढ़ाई के लिए सब्जी इत्यादि बेच कर तमाम विपरित परिस्थितियों को झेलते हुए भी केमेस्ट्री से न केवल एमएससी किया अपितु उत्कल विश्वविद्यालय के महर्षि महाविधालय में अध्यापन करने के बाद, आज पूरे विश्व में सबसे बड़ा ऐसा दूरस्थ अत्याधुनिक विश्वविद्यालय ‘कैट’ स्थापित कर दिया है जिसमें उस जैसे 13000 गरीब आदिवासी बच्चों को पहली कक्षा से स्नातकोत्तर की शिक्षा होस्टल भोजनादि सहित निशुल्क प्रदान किया जाता है। अनाथ बचपन में गरीबी की थप्पेड़ो ने उनको इतना विचलित कर दिया की उन्होंने ताउम्र शादी न करने का ऐलान कर अपना पूरा जीवन ऐसे ही बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए समर्पित कर दिया है। प्यारा उत्तराखण्ड समाचार पत्र 19 अप्रैल 1965 को स्व. अनादि चरण सामंत व श्रीमती निलिमा रानी सावंत के उडिसा के कटक जनपद के कलरबंका गांव में जन्मे असली भारत रत्न को उनके जन्म दिवस के अवसर पर शतः शतः नमन करता है।
उनके महान कार्य के लिए पूरे विश्व के नेता व सरकारें उनकी मुक्त कण्ठों से सराहना कर रही है। उनकी प्रतिभा का सम्मान करने के लिए ही अगले साल जनवरी में होने वाला राष्ट्रीय विज्ञान कांग्रेस भी उनके भुवनेश्वर में स्थित विश्व विख्यात ‘कलिंगा इंस्टिट्यूट औफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलजाॅजी में ही होगा। 800 करोड़ रूपये की इस विश्व के दूरस्थ विश्वविघालयों में अग्रणी संस्थान की स्थापना अच्युत सामंत ने 1993 में शुरू किया। उन्होने अपने संस्थान की स्थापना दूसरी शिक्षा की दुकानों की तरह धनपशुओं के बच्चों को पढ़ाने के लिए नहीं अपितु गरीब आदिवासी बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने के लिए की है। अपने जीवन के अपने इस संकल्प को साकार करने के लिए उन्होंने ताउम्र अविवाहित रहने की भीष्म प्रतिज्ञा की है। वे अपने पूरे जीवन को उन्होने अपने गरीबों के लिए निशुल्क शिक्षा के लिए ‘कलंगा इंस्टिटयूट आॅफ सोशल साइंसेज की स्थापना की। इसी किस संस्थान में वह गरीब बच्चों को न केवल निशुल्क पहली से स्नातकोतर आधुनिक शिक्षा देते हैं अपितु उन्होने यहां उडिसा के दूरस्थ क्षेत्रों के 62 जाति के आदिवासी गरीब बच्चों आत्म निर्भर होने के साथ साथ वोकेशनल टेªनिंग भी देते है। इन बच्चों द्वारा बनाया गया समान उनका दूसरा संस्थान किट ही खरीद लेता है। इससे हुई आय को उन गरीब बच्चों के माता पिता को भी भेजी जाती है। इस तरह सामंत के इस महान कार्य से न केवल गरीब आदिवासी बच्चों को उच्च शिक्षा मिल रही है अपितु उनके परिजनों की बदहाली भी दूर हो रही है।
उनके संस्थान में इंजीनियरिंग, एमबीए, मेडिकल सहित तमाम व्यवसायिक शिक्षा प्रदान की जाती है। जो विश्व स्तरीय तमाम आधुनिक सुविधाओं से युक्त है। परन्तु इसके बाबजूद यह महानायक अच्युत सावंत एक साधारण मकान में संतों की तरह रहते हैं। अपनी इसी लगन से आज उन्होने अपने संस्थान को गरीब आदिवासी बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने वाला संसार का सबसे बड़ा संस्थान के रूप में स्थापित कर दिया है। आज प्रतिवर्ष उनके संस्थान में 50 हजार बच्चे शिक्षा के लिए प्रार्थना करते हैं, सभी बच्चों को प्रवेश न देने की टिश के कारण ही वे अब राज्य में इस प्रकार के कई अन्य विधालय और भी खोलना चाहते है। उनकी लगन व प्रतिभा को सम्मानित करने के लिए ही भारत सरकार ने उनको यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन का सदस्य नियुक्त करके उनके अनुभवों व सुझावों से पूरे राष्ट्र को लाभान्वित करना चाहते है। देश विदेश के अनेक महत्वपूर्ण सम्मानों से सम्मानित डा अच्युत सावंत के कार्यो की मुक्त कण्ठों से सराहना करने वालों में पूर्व राष्ट्रपति डा अब्दुल कलाम जहां उनको अपने भारत 2020 के मिशन के महानायक मानते हैं, वहीं भारत में अमेरिकी राजदूत थिमोथी उनको गांधी जी के सपनों को धरती पर साकार करने वाला महानायक बताते है। पूर्व शिक्षा मंत्री अर्जुन सिंह उनको मदन मोहन मालवीय की उपाधि से नमन् करते हैं तो भारत ही नहीं पूरे विश्व के शिक्षाविद व समाज शास्त्री उनके कार्यो को देख कर गदगद है। संसार में उनकी निष्ठा व गरीबों को शिक्षा संस्कार देने के कार्यो को देख कर मन में एक ही टिश उठती है कि काश ऐसा अच्युत संसार के हर शहर में होता तो विश्व को स्वर्ग बनाने के संकल्प को साकार करने से कोई नहीं रोक पाता। आज भारत का शौभाग्य है कि यहां पर अच्युत सांवत व बिहार के सुपुर -30 के संस्थापक आनन्द कुमार जेसे महानायक है। ऐसे ही महानायकों की बदौलत आज भारत इस देश को लुटने खसोटने में लगे हुक्मरानों की चंगेजी प्रवृति के बाबजूद जीवंत है। आज देश के हुक्मरानों को जरा भी शर्म होती तो वह देश को अपने हाल पर छोड़ कर अपनी सारी सम्पति ऐसे संस्थानों को अर्पित कर राजनीति से सन्यास ले लेते। आज देश में शिक्षा की जो दयनीय स्थिति है उसके लिए इस देश के हुक्मरान काफी हद तक जिम्मेदार है। हमारे समाज में आज कई सामाजिक संगठन हैं परन्तु ये मात्र नाच गाना करने व शराब पी कर हुदडंग मचाने व देश को लुटने खसोटने वाले राजनेताओं व माफियाओं को मंचासीन कर उनके गले में माला डालने के अलावा शायद ही कोई दूसरा काम करते है। ऐसे ही सामाजिक संगठनों व देश के भ्रष्ट हुक्मरानों के कारण देश की आज ऐसी शर्मनाक स्थिति हो रखी है।
इसके बाबजूद निराशा भरे संसार में जहां चारों तरफ लुट खसोट तथा हिंसा का माहौल हो ऐसे में अच्युत सांवत जैसे महानायकों को देख कर जीवन में आशा की नयी किरण दिखाई देती है। सावंत के सफलता के इस मिशन में कई बार भारी विपतियां आयी। आर्थिक अभावों के कारण वे आत्महत्या करने जैसे विकल्प भी सोचने लगे परन्तु उनके बैक में कार्यरत एक मित्र के सहयोग ने उनको इस विचार को छोड़ कर फिर पूरे मनोयोग से अपनी मिशन को सफल बनाने में जुट गये। आज उनकी सफलता उनके लिए ही नहीं अपितु लाखों गरीब बच्चों के लिए आशा के सूर्य के रूप में चमक रही है।
ओरों को हंसते देखों मनु,
हंसो और सुख पाओ।
अपने सुख को विस्तृत कर लो
सबको सुखी बनाओ।।
सबके सुख में अपना सुख देखने वाले ही सच्चे अर्थो में महापुरूष होते हैं।वहीं सच्चे अर्थो में भारत रत्न होते है। सर्वभूत हिते रता के भगवान श्रीकृष्ण के पावन आदर्श को जीवन में सिरौधार्य करने वाले महानायक अच्युत सावंत को उनके 47 वें जन्म दिवस पर हार्दिक बधाई। मैने जैसे इस महामानव का जीवन वृत पढ़ा मेरा मन गदगद हो गया। भारत रत्न केवल वही नहीं जो भारत सरकार सम्मानित करे, असली भारत रत्न वे हैं जो सर्व भूत हिते रता की प्राचीन भारतीय संस्कृति को आत्मसात करते हुए अपना जीवन समर्पित करके लाखों लोगों के जीवन को रोशन कर दे। ऐसे महा नायक भारत रत्न व सच्चे संत को मैं एक बार फिर शतः शतः नमन् करते हुए भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना करता हॅू कि वे पूरे विश्व के गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए सक्षम हो कर विश्व में खुशहाली की नींव रखने में सफल हों। शेष श्री कृष्ण कृपा। हरि औम तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।

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