जन लोकपाल कानून बनाने के लिए अविलम्ब संसद का विशेष सत्र बुलाया जाय



सरकार नहीं ंजागी तो अण्णा के नेतृत्व की आंधी से जनाक्रोश सुमानी बन जायेगी
जन लोकपाल कानून बनाने के लिए अविलम्ब संसद का विशेष सत्र बुलाया जाय
 सरकार के निकम्मेपन से देश की पूरी व्यवस्था जहां भ्रष्टाचार के शिकंजे में जकड़ कर मृतप्रायः हो गयी है। वहीं बेलमाग मंहगाई व आतंकबाद से भी देश की जनता पूरी तरह त्रस्त हैं। देश की जनता को लोकशाही में भी अपने जनप्रतिनिधी या सरकार किसी  के भी दल हों परन्तु देश की आम जनता को ये सरकारें किसी भी तरह से अपनी नहीं लगती हैं। ऐसी शर्मनाक स्थिति से देश को उबारने के लिए भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए जनलोकपाल कानून बनाने की मांग को लेकर 5 अप्रैल 2011 से संसद की चैखट, राष्ट्रीय धरना स्थल जंतर मंतर पर आमरण अनशन प्रारम्भ कर केन्द्रीय सरकार की चूलें ही हिला दी। ऐसे में देश के हुक्मरानों से त्रस्त जनता को भ्रष्टाचार के खिलाफ अण्णा हजारे आज का गांधी बन कर अपना सच्चा तारन हार नजर आने लगा। इसी कारण पूरे देश की जनता अण्णा हजारे के साथ  आंधी की तरह उमड़ कर खडे हो रही है। जो भ्रष्टाचार से त्रस्त जनता का आक्रोश, अण्णा हजारे के नेतृत्व की आंधी से सुमानी बन कर देश के भ्रष्टाचारी कुशासनों की लंका को मिश्र की तरह उखाड़ कर फेंकने का काम भी कर सकती है। 
अण्णा हजारे तीसरे दिन के अनशन से मनमोहनी कुशासन की चूलें हिल गयी। जनाक्रोश को बढ़ने की आशंका से भयभीत सरकार ने अण्णा हजारे से एक संयुक्त ड्राफटिग कमेटी बनाकर आगामी मानसून सत्र  में रखने का केवल आश्वान देना चाहती है। परन्तु अण्णा हजारे एवं उनके आंदोलनकारी साथी स्वामी अग्निवेश व अरविन्द केजरीवाल के अनुसार 7 अप्रैल को कबीना मंत्री कपिल सिब्बल से हुई वार्ता में सरकार अन्ना हजारे की इस मांग को भी मानने के लिए सहमत नहीं है कि सरकार इसके लिए सरकारी नोटिफिकेशन इस जनलोकपाल विधेयक के प्रारूप को बनाने के लिए संयुक्त ड्राफिटंग कमेटी के गठन के लिए जारी किया जाय। सरकार इसके लिए भी आज रात तक तैयार नहीं है। सरकार इस लोकपाल विधेयक को मानसून सत्र के लाने का मात्र कोरे आश्वास का झांसा दे कर अण्णा हजारे का अनशन खत्म करने का षडयंत्र रच रही है। सरकार इस मामले में भी ईमानदारी से अपनी जिम्मेदारी निर्वाह करने के बजाय बला टालने के नाम पर केवल हवाई आश्वासन देने की नोटंकी कर देश को धोखा दे रही है। 
अण्णा के इस ऐतिहासिक आमरण अनशन से जहां आज देश की भ्रष्टाचार से मृतप्राय जनता की आत्मा एक प्रकार से जागृत हो कर वह अण्णा को गांधी मान कर देश से भ्रष्टाचार का समूल नाश करने के लिए आज सड़कों पर उतरने का मन बना चूकी हे। ऐसे में अण्णा हजारे व उनके दोनों सहयोगियों स्वामी अग्निवेश व अरविन्द केजरीवाल को  भी एक बात साफ समझ लेनी चाहिए कि वह इस निर्णायक में सरकार के झांसे में आ कर मानसून सत्र के नाम पर इस मामले को टालने के बजाय अविलम्ब इसी माह संसद का विशेष सत्र बुला कर इस को कानून बनाने पर ही सरकार पर दवाब डालना चाहिए। इस विशेष सत्र की जरूरत इस बात से है कि आज देश में पूरी व्यवस्था भ्रष्टाचार से मृतप्राण सी हो गयी है। इस लिए देश की रक्षा के लिए तथा देश को बचाने के उद्देश्य से इस आपात समाधान की आज नितांत जरूरत है। इसलिए संसद का विशेष सत्र देश को बचाने के नाम पर इसी माह बुला कर लोकपाल कानून बना कर भ्रष्टाचार के शिकंजे में जकड़े दश की रक्षा की जाय। 

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