भारत को गुलामी से मुक्त करने के लिए आगे आयें देशभक्त

भारत को गुलामी से मुक्त करने के लिए आगे आयें देशभ>क्त
जिस देश के हुक्मरान अपने निहित स्वार्थ में अंधे हो कर देश के दुश्मन देशों के हितों की पूर्ति हेतु देश की भाषा, नाम, संस्कृति व इतिहास को रौंद रहे हों। देश के स्वाभिमान, देश की एकता-अखण्डता से निर्लज्जता से खिलवाड करें हुए मंहगाई, आतंकवाद तथा भ्रष्टाचार के गर्त में देश को धकेल कर देश की जनता का जीना हराम कर रहे हों तो ऐसे हुक्मरानों से देश हितों की आश करना भी एक प्रकार से नासमझी ही होगी।
जब ऐसे देशद्रोही ही हुक्मरान बन जाय तो वहां देशभक्त ही देशद्रोही ही बता कर दण्डित किये जाते रहेंगे और देशद्रोही व असामाजिक लोग देश के हुक्मरान बन कर देश को चंगैज व फिरंगियों से अधिक निर्ममता से देश को लुटेंगे ही। यही कारण है कि आज भारत दुनिया में एक ऐसा अभागा देश है जो आजाद होने के 64 साल बाद भी अपने नाम, भाषा, संस्कृति व इतिहास से न केवल वंचित है अपितु दुनिया में एक मात्र ऐसा देश भी हो गया है जो अपनी जड़ों में अपने आप ही मठ्ठा डाल रहा है। ऐसे समय समाजसेवा के नाम पर खड़े संगठनो सहित प्रमुख संस्थानों के महत्वपूर्ण पदों में आसीन असामाजिक तत्व देशभक्तों की उपेक्षा कर देशद्रोहियों की चरण वंदना कर समाज व देश को पथभ्रष्ट बनाते रहते है। वास्तव में भले ही देश 1947 में फिरंगियों की गुलामी से मुक्त हो गया हो परन्तु आज 64 साल बाद भी भारत आजादी से वंचित है। देश आज भी अपनी आजादी के लिए तरस रहा है। फिरंगियों से देश को नहीं यहां के चंगैजों के वंशजों को आजादी मिली देश को लुटने के लिए। देशद्रोहियों को आजादी मिली देश के संसाधनों को लुटने के लिए। हकीकत यह है कि आज भी देश अपने नाम, भाषा, संस्कृति व इतिहास से वंचित है। लोकशाही का मुखोटा भले ही देश में जबरन पहनाया गया हो परन्तु हकीकत यह है कि लोकशाही में भी लोकभाषा पर उसी फिरंगी भाषा की लगाम लगी हुई है जिससे मुक्ति के लिए देश के लाखों सपूतों ने अपनी शहादत दी थी। जिस देश में उसकी अपनी भाषा में न्याय, शिक्षा व सम्मान तीनों से वंचित रखा जाय तो ऐसे देश को आजाद कहना एक प्रकार आजादी का अपमान करना ही है। हकीकत तो यह है कि देश आज भी आजादी के लिए 1947 की तरह ही तरस रहा है। यहां पर गुलामी पहले से भी अधिक बदतर स्थिति में देश के आत्मसम्मान को रौंद रही है।

Comments

  1. Dev Bhai..Saadhuvaad..vakai ye khatranak satya hai " apni hi jadon me mattha daal rahe hai".
    Mere pakistani fb mitra bhi rote hain bharat waapas aane ko..unko bhi itna pyar hai hindustaan se ki unhone world cup jashn kafoto apni waal par lagane ki himmat ki aur unpar khatarnaak tippaniya Pakist Dehsatgardo ne karni shuru ki..Jab vo Hindustaan ko Hindu sthhan kah kar khush hote aur apne Hindustaani hone par fakra kar sakte hain to fir ham kyon nahi...

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