माया ने दिया कांग्रेस को करारा जवाब

- माया ने दिया कांग्रेस को करारा जवाब/
-भगवान के घर अंधेर नहीं,/
-शीशे के घरों में रहने वालों को दूसरों पर पत्थर नहीं फेंकना चाहिए/
27 जून को मायावती में कांग्रेस को उसकी ही भाषा में ऐसा जवाब दिया कि अठ्ठाहस कर रहे दिग्विजयी कांग्रेसी कागची शेर माया के वार से लखनऊ में ही चारों खाने चित्त हो हो गये। माया के इस करारे सबक से कांग्रेसियों ने मान ही लिया होगा भगवान के घर अंधेर नहीं है। मायावती के इस दमनकारी कदम से कांग्रेस ने यह सबक भी सीखा होगा कि जिनके घर शीशों के होते हैं उनको दूसरों को पत्थर नहीं मारने चाहिए। ऐसा ही रहस्यमय सबक सिखाया समय ने सत्तामद में जनहितों को रोंद रही देश की सत्ता में आसीन कांग्रेस को। दमन कांग्रेस ने किया लोकशाही का, दमन माया भी कर रही है लोकशाही का। दोनों दमनकारी दलों को समय, समय-समय पर ऐसा करारा सबक सिखाता की उनके मंसूबे धरे की धरे रह जाते हैं।
देश की सत्ता में आसीन कांग्रेस गठबंधन की सरकार ने अपनी सत्तामद में चूर हो कर देश के हित में विश्व विख्यात योगगुरू बाबा रामदेव के नेतृत्व में शांतिपूर्ण ढंग से दिल्ली के रामलीला मैंदान में आमरण अनशन कर रहे हजारों आंदोलनकारियों को रोते हुए 4 जून की मध्य रात्रि में लाठी व आंसू गैस की मार से उखाड़ फेंक कर खलनायकी अठ्ठाहस भरते हुए दिग्विजयी शंख बजा रहे थे। वे बाबा रामदेव को ही नहीं अपितु देश के अग्रणी गांधीवादी नेता अण्णा हजारे को भी बाबा रामदेव की तरह हस्र होने की गिदड सी धमकी दे रहे थे। बाबा रामदेव पर तो कांग्रेसी सरकार ने 15 दिनों तक दिल्ली में प्रवेश का प्रतिबंध ही लगा दिया गया। परन्तु कांग्रेस को क्या पता भगवान के यहां कहीं अंधेर नहीं है। लोकशाही का दमन कर खुद को शेर समझ रही कांग्रेस को उप्र की मुख्यमंत्री मायावती ने ऐसा ही करारा सबक सिखाया की कांग्रेसी नेताओं को अब लोकशाही याद आने लगी। जब माया ने कांग्रेस को उनके ही तरीके से पुलिसिया दमनकारी जवाब उप्र की राजधानी लखनऊ में 27 जून को कांग्रेस की न्याय यात्रा पर प्रतिबंध लगा कर कांग्रेस को एक प्रकार से ऐसा करारा जवाब दिया जिससे कांग्रेसी दिग्गजों के भी पसीने ही छूट गये अब वे किस मुंह से मायावती के लखनऊ में प्रतिबंध लगाने का विरोध करे। यही नहीं मायावती के इस फरमान के बाद पूरे लखनऊ में धारा 144 ही लगा दिया गया और इस धारा का उलंधन करते हुए जिन भी कांग्रेसियों ने न्याय यात्रा करने पर उतारू कांग्रेसियों को पुलिसिया दमन से रोका गया। इसमें अनेक कांग्रेसी घायल हो गये। इस प्रकरण से कांग्रेसी नेताओं का बाबा रामदेव के शांतिपूर्ण आंदोलन को पुलिसिया दमन से खदेड़ने की कार्यवाही हिमालयी भूल सी प्रतीत होने लगी।
इससे पहले 4 जून को बाबा रामदेव की शांतिप्रिय आंदोलन को अपनी पुलिसिया दमन से दिल्ली से खदेड़ कर भले ही कांग्रेसी अपनी दमनकारी सत्ता की हनक से देश में जन आंदोलनों को कुचलने की दिग्विजयी हुंकार भर रहे थें यही नहीं दिग्विजय सहित कांग्रेसी नेताओं की अलोकतांत्रिक व दमनकारी हुंकार का बाबा रामदेव या अन्ना हजारे ने भले ही करारा जवाब न दिया हो परन्तु कहते हैं बकरे की माॅं कब तक खेर मनायेगी, महाकाल ने सत्तामद में दमनकारी कांग्रेसी हुक्मरानों इसका करारा मायावती के द्वारा दे कर उनको आईना दिखा ही दिया। कांग्रेसी हुक्मरानों को अब कोई जवाब देते नहीं बन रहा है कि वे किस मुंह से मायावती के इस दमन का विरोध करें। वक्त ने कांग्रेस को उनके कृत्यों का जवाब तब मिला जब मायावती ने कांग्रेस की न्याय न्यात्रा पर 27 जून को लखनऊ में प्रतिबंध लगा कर दिया तो कांग्रेसी सन्न रह गये। इस प्रकरण से एक बात साफ हो गया कि दमनकारी, अत्याचारी, दुराचारी सत्तांध चाहे कितने भी बलशाही क्यों न हो, महाकाल उसको समय आने पर ऐसा सबक सिखाता है कि लोग बरबस कह उठते हैं कि भगवान के घर अंधेर नहीं और ऊपर वाली की लाठी की मार की कोई आवाज तक नहीं होती है। भले ही सत्तांध सांसारिक न्यायालयों द्वारा दण्डित न हो पायें परन्तु महाकाल किसी भी गुनाहगार को कभी माफ नहीं करता।

Comments

  1. mayawati ji sachmuch mahan hai desh ko aisi beti ki jarurat hai

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