निशंक के मुख्यमंत्री रहते नहीं बचापायेंगे भाजपा को राजनाथ

निशंक के मुख्यमंत्री रहते नहीं बचापायेंगे भाजपा को राजनाथ


भले ही भाजपा आलाकमान व उत्तराखण्ड प्रदेश के भाजपा के सत्तालोलुप नेता, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह को उत्तराखंड विधानसभा चुनाव की कमान सौंपे जाने से प्रदेश में निशंक कुशासन के कारण डुबती हुई नौका को पार लगाने की आश में फूले नहीं समा रहे हों परन्तु हकीकत यह है उत्तराखण्ड की स्वाभिमानी जनता किसी भी हालत में अब निशंक के कुशासन को शर्मनाक संरक्षण देने वाली भाजपा को एक पल के लिए बर्दास्त करने के लिए तैयार नहीं है। जिस प्रकार लोकसभा चुनाव के समय उत्तराखण्ड की महान जनता ने लोकशाही का रौद रहे भुवनचंद खंडूडी को भाजपा के अधिकांश विधायकों के विरोध के बाबजूद थोपने की धृष्ठता के कारण प्रदेश की जनता ने पूरी तरह से प्रदेश से लोकसभा चुनाव में भाजपा का सफाया ही कर दिया था। जनता के इस करारे सबक से भी नहीं लगता है भाजपा ने जरा सी भी सीख ली हो। उसके बाद भाजपा ने अपनी भूल को सुधारने की बजाय प्रदेश में जातिवाद व क्षेत्रवाद की घिनौना हथकण्डा अपनाते हुए प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ व साफ छवि के भगतसिंह कोश्यारी, केदारसिंह फोनिया व मोहनसिंह ग्रामवासी जैसे नेताओं को दरकिनारे करते हुए डा रमेश पोखरियाल निशंक को प्रदेश का मुख्यमंत्री के पद पर थोप कर जनता के आगे अपने राष्ट्रवाद व सुशासन के दावों की खुद ही हवा निकाल दी । जिस ढ़ग से निशंक के शासन में प्रदेश में कदम कदम पर भ्रष्टाचार का तांडव मचा हुआ है उसकी गूंज भले ही अपने निहित स्वार्थो में आकंठ डूबे हुए भाजपा के धृष्टराष्ट्र बने आडवाणी, गडकरी व संघ का ना भी सुनायी दे या सुनते हुए न सुनने का ढ़ोग कर रहे हों परन्तु पूरे देश ही नहीं देश की सर्वोच्च न्यायालय व उच्च न्यायालय में साफ सुनायी दे रहा है। आज स्थिति इतनी दयनीय हो गयी है कि निशंक को सत्तासीन करके प्रदेश के हितों को अपनी संकीर्ण सौच के कारण गला घौटने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी भी अब प्रायश्चित हो कर प्रदेश से निशंक को मुक्ति दिलाने के लिए कई बार केन्द्रीय आला कमान के दर पर गुहार लगा चूके है। जब खंडूडी ने देखा की केन्द्रीय नेतृत्व अपने निहित स्वार्थ के लिए पूरी तरह से निश्ंाक के मोहपाश में बंध कर प्रदेश में किसी तरह का बदलाव करने के लिए तैयार नहीं है तो खंडूडी इन दिनों गंभीरता से प्रदेश से निशंक की मुक्ति के लिए उक्रांद सहित तमाम संभावित संभावनाओं पर चिंतन मनन कर रहे है। यह केवल खंडूडी का आक्रोश नहीं , प्रदेश भाजपा के सबसे बडे जननेता व पाक साफ छवि के नता भगत सिंह कोश्यारी भी किसी भी कीमत पर निशंक की पालकी को ढोने के केन्द्रीय आकाओं के फरमान के आगे सर झुकाने के लिए तैयार नहीं है। यही नहीं पूर्व सैनिक बाहुल्य प्रदेश में पूर्व सैनिकों में सबसे जमीनी नेता पूर्व मंत्री टीपीएस रावत भी भाजपा की दुर्दशा देख कर किसी भी सूरत में निशंक के रहते रहते भाजपा का प्रत्याशी भी बनने को अपनी शान के खिलाफ समझ रहे हैं। ऐसी ही मंशा प्रदेश के सबसे वरिष्ठ भाजपा नेता मोहनसिंह ग्रामवासी ने भी पहले ही श्रीनगर में ताल ठोक दी है। वे भी प्रदेश भाजपा में चल रहे कुशासन से इस कदर हैरान व आक्रोशित है कि उन्होंने प्रदेश में खंडूडी के बाद निशंक के शासन में प्रदेश योजना आयोग के प्रमुख का पद तक ठुकरा दिया। श्री ग्रामवासी ही नहीं प्रदेश भाजपा के संघ के वरिष्ठ स्वयंसेवक व कार्यकत्र्ता भी प्रदेश में जातिवाद व भ्रष्टाचार को केन्द्रीय नेतृत्व से मिल रहे अंध समर्थन से हैंरान है।
हालांकि भाजपा ने उत्तराखंड में अब कुछ ही महीनों बाद होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ही इस विखराव को पाटने के लिए रणनीति को अमल में लाना आरंभ कर दिया है। प्रदेश चुनाव प्रभारी के रूप में पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और उनके सहयोगी के रूप में वरिष्ठ नेता धर्मेद्र प्रधान की नियुक्ति को इसी क्रम में देखा जा रहा है।
राजनाथ सिंह की नियुक्ति के मूल में राज्य में पार्टी की इन अंदरूनी परिस्थितियों से निबट कर चुनाव में पूरी ताकत के साथ उतरने की क्षमता मुख्य कारण मानी जा सकती है। परन्तु अब प्रदेश की दयनीय स्थिति में लगता नहीं राजनाथ सिंह भी कुछ कर पायेंगे। जब वे लोक सभा चुनाव के समय अपने अध्यक्ष रहते नहीं कर पाये तो अब क्या करेंगे दूसरी बात आज पूरे प्रदेश की जनता के सम्मुख भाजपा का राष्ट्रवाद व सुशासन के दावे अब पूरीं तरह से तार तार हो चूका है। जनता एक ही सवाल कर रही है अगर यही रामराज्य है तो भाजपा को प्रदेश में अब कोई स्थान नहीं दे पायेगी यहां की सम्मानीत जनता। यहां की जनता किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचारियों व पाखण्डियों को स्वीकार नहीं करती। कम से कम इंदिरा गांधी के शासनकाल में बहुगुणा वाले चुनाव के समय यह पूरी तरह से जग जाहिर हो गया है। भाजपा के इस विश्वासघात का जनता आने वाले चुनाव में करारा सबक सिखायेगी। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्री कृष्णाय नमो।

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