-देश को अब माफ करें मनमोहन

-देश को अब माफ करें मनमोहन/
-देश के लिए आत्मघाति साबित हो रहे हैं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह
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राहुल गांधी की किसान महा पंचायत की सफलता के बाद इस सप्ताह देश की जनता को आशा थी कि कांग्रेस आलाकमान देश के हितों पर अपने निकम्मेपन से ग्रहण लगा चूके मनमोहन सिंह को देश की जन भावनाओं का सम्मान करते हुए प्रधानमंत्री की कुर्सी से हटाने का विवेकपूर्ण व साहसिक निर्णय लेगी। परन्तु देश की जनता

के विश्वास को उस समय गहरा धक्का लगा जब सोनिया गांधी ने देश को पतन के गर्त में धकेल रहे मनमोहन सिंह को बनाये रखने का आत्मघाति निर्णय ले कर केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में नये विस्तार की मंजूरी दे दी। केन्द्रीय मंत्रीमण्डल के विस्तार को होता देख कर लोगों को ऐसा लगा कि मानो सोनिया गांधी मनमोहन सिंह को बनाये रख कर देशवासियों के गहरे जख्मों में नमक छिड़ने का काम जानबुझ कर रही है। देश की जनता आज मनमोहन सिंह के नक्कारेपन्न से जहां एक तरफ बेलगांम मंहगाई से त्रस्त है वहीं देश को तबाह कर रहे भ्रष्टाचार से भी मर्माहित है। इससे अधिक शर्मनाक बात दूसरी क्या हो सकती है कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मंत्रीमण्डल के कई साथी, समर्थक दल के सांसद, कांग्रेसी सांसद या तो आज भ्रष्टाचार के मामले में तिहाड़ जेल में है या तो जाने के लिए तैयार खडे है। परन्तु क्या मजाल है कि मनमोहन सिंह जूं की तरह अपनी कुर्सी पर बेशर्मी से चिपके हुए है। ईमानदारी का ढ़ोंग करने वाले मनमोहन सिंह की आत्मा न जाने पदलोलुपता की आंधी मेें कहां दम तोड़ चूकी है। मनमोहन सिंह को तो देश व देशवासियों से लेना ही क्या परन्तु सोनिया गांधी को लगता है अब न तो कांग्रेस से ही कुछ लेना देना व नहीं देश से। अगर उन्हें अपने कर्तव्य का बोध होता तो वे मनमोहन सिंह को तुरंत पदमुक्त कर देश व जनता की रक्षा के लिए राहुल गांधी को प्रधानमंत्री पद पर आसीन कर देती। देश की जनता व समय अब मनमोहन सिंह को एक पल के लिए भी प्रधानमंत्री पद पर आसीन देखना ही नहीं चाहती। देश की वर्तमान शर्मनाक स्थिति का अगर कोई एकमात्र दोषी है तो प्रधानमंत्री जैसे महान पद पर आसीन हुए पदलोलुप मनमोहन सिंह। इस कारण मंत्री मण्डल को बदलना केवल देश की जनता की नजरों में धूल झोंकना व उनके जख्मों को कुरेदना ही होगा।
लगता हैं कांग्रेस आलाकमान को देश की हवाओं में बह रहे जनसंदेश को भांपने में असफल हैं या वह अमेरिका के भारी दवाब के कारण इतनी लाचार है कि वह देश व कांग्रेस को पतन के गर्त में धकेलने वाली अपनी सरकार के सबसे नक्कारे साबित हो चूके प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तत्काल हटाने के बजाय केन्द्रीय मंत्रीमण्डल में ही बदलाव करने को समर्थन कर रही है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को तत्काल हटा कर उनके कुशासन के कारण बेलगाम मंहगाई, भ्रष्टाचार व आतंकवाद से अराजकता के गर्त में पंहुच चूके देश को बचाने के लिए तत्काल राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बना कर देश व कांग्रेस की रक्षा करने के अपने दायित्व का निर्वाह करना चाहिए। वहीं दूसरी तरफ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह आज से अपनी छवि सुधारने के नाम पर देश के वरिष्ठ सम्पादकों से मिलने कर अपनी व अपनी सरकार की छवि सुधारने का काम कर रहे हैं, मनमोहन सिंह का यह टोटका भी कहीं काम नहीं आने वाला। क्योंकि मनमोहन सिंह ने देश की हालत इतनी शर्मनाक कर दी है कि इसका कोई प्रायश्चित नहीं है। वैसे भी जिन स्वनामधन्य सम्पादकों से वे मिल रहे हैं या मिलेंगे, वे ही ंनहीं देश के तमाम तथाकथित मीडिया धरानों के अधिकांश पत्रकार भी आज देश की आम जनता से पूरी तरह से कटे हुए हैं। आज ंका सम्पादक व पत्रकार अब मीडिया के लिए समर्पित पत्रकार नहीं अपितु एक सेल्समेन से ज्यादा नहीं रह गया है। वेसे भी आज के अधिकांश पत्रकार देश की उस 50 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाली गरीबी के रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाली जनता के सुख दुखों से ही नहीं उनकी दुनिया से पूरी तरह से अनजान हैं जिनके जीवन पर मनमोहनसिंह सरकार ने मंहगाई व भ्रष्टाचार से पूरी तरह ग्रहण लगा दिया है। देश के दूरस्थ क्षेत्रों की बात तो रहने दें देश की राजधानी दिल्ली में ही आज इस लोकशाही के तथाकथित चोथे स्तम्भ को इतना भान नहीं है कि दिल्ली की आम जनता किस कदर से परिवहन के लिए संचालित डीटीसी की बसों से पीड़ित है। यह तो बहुत जमीनी बात है मीडिया के अधिकांश वर्ग को लोकशाही पर लगाये सरकार की वंदिशों का ही भान नहीं होगा। इन मीडिया के तथाकथित पंचतारा संस्कृति के सम्पादकों व पत्रकारों के भरोसे प्रधानमंत्री सोचते हैं कि वे अपनी व अपनी छवि उस आम जनता के नजरों में सुधार देंगे तो यह उनकी हिमालयी भूल है। उनकी देश सेवा के लिए एक ही विकल्प रह गया कि वे देश व कांग्रेस के हित में यह सर्वोच्च काम कर सकत हैं कि वे अपने पद से इस्तीफा दे कर देश की सच्ची सेवा करें। लगता है प्रधानमंत्री मनमोहन अब इतने सत्तालोलुप हो गये हैं कि उनको अपनी सरकार से देश की ंहो रही ंभयंकर दुर्दशा भी नहीं दिखाई देगी। वैसे भी मंत्रीमण्डल में बदलाव के नाम पर सरकार से जन नेता व ईमानदार छवि के लोगों को दूर करके उन प्यादों को जोड़ा जायेगा जिनका मनमोहनसिंह की तरह आम जनता से कभी कोई सरोकार ही नहीं रहा। मंत्रीमण्डल के बदलाव के नाम पर उन लोगों को मंत्रिमण्डल व बड़े पदों पर आसीन किया जायेगा, जो अपने आकाओं की पूजा कर सके, लगता है मनमोहन सिंह मंत्रीमण्डल में बीरभद्र सिंह जेसे ईमानदार व जननेताओं के बजाय आनन्द शर्मा जैसे हवाई नेताओं की ज्यादा जरूरत है। आज जिस प्रकारं से कांग्रेस में आस्कर फर्नाडिस जैसे जनता के लिए समर्पित नेताओं की उपेक्षा मंत्रीमण्डल में हो रही है वह कांग्रेस नेतृत्व की सोच को ही कटघरे में रख रही है। राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाने व मनमोहन की विदाई में कांग्रेस जितनी भी देर करेगी, देश व कांग्रेस के लिए एक एक पल बहुत ही खतरनाक साबित हो रहे है।
शेष श्री कृष्ण कृपा।
हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो।

Comments

  1. MANNEEY MANMOHAN SINGH JI DIKHA RHE HAI ANGULIYAN DO. HUM TO YAHEE SUJHAV DENGE SIR AB TO ESTEEFA DO...................

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