नक्कारे मुख्यमंत्री बहुगुणा से अधिक गुनाहगार है सोनिया 


मुख्यमंत्री बहुगुणा की अकुशलता ने और खौपनाक बना दिया उत्तराखण्ड में आयी राष्ट्रीय त्रासदी को 



सोनिया गांधी द्वारा बलात थोपे गये मुख्यमंत्री की अकुशलता का दण्ड भोग रहा है उत्तराखण्ड स
हित राष्ट्र

उत्तराखण्ड में इस पखवाडे आयी विनाशकारी प्राकृतिक आपदा को प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा की अक्षम सरकार ने और भी खौपनाक बना दिया। इस त्रासदी को विकट बनाने वाले मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा व उनकी मृतप्राय सरकार से अधिक अगर कोई गुनाहगार है तो कांग्रेस की आलाकमान जिन्होने विधायक व जनता द्वारा नकारे गये व्यक्ति को प्रदेश को बलात मुख्यमंत्री के रूप में थोपा और बार बार असफल होने के बाबजूद इनको थोपे रखा है। अगर भारतीय जांबाज सैनिक(सेना/वायुसेना/भातिसीसु/आपदा)
इस राहत व बचाव में नहीं आते तो प्रदेश सरकार इस देवभूमि में फंसे लोगों का क्या दुर्दशा करती इसकी कल्पना से भी लोगों की रूह भी कांप जाती है। सैनिकों ने ही यहां फंसे 1 लाख 7 हजार से अधिक लोगों को सुरक्षित निकाला, सडके व पुल बनाये व आपदा में फंसे लोगों के लिए फरिश्ते साबित हुए। पूरा देश जहां जांबाज सैनिकों को शतःशतः नमन् कर रही है। वहीं इस त्रासदी में मृतप्राय प्रदेश सरकार के नक्कारेपन के लिए मुख्यमंत्री बहुगुणा व इस नक्कारे सरकार को संरक्षण देने वाली सोनिया गांधी को धिक्कार रहे है। 
इस त्रासदी के 15 दिन बाद भी प्रदेश के मुख्यमंत्री न तो पौने दो सो करोड लोगों की विश्व प्रसिद्ध श्रद्धा के सर्वोच्च धाम केदारनाथ जी जो इस त्रासदी का सबसे सबसे ज्यादा प्रभावित रहा और यहीं हजारों लोग इस त्रासदी में जमीदोज हो गये, वहां की धरती पर जाने का मुख्यमंत्री का एवं एक मानवीय दायित्व तक नहीं निर्वाह करके लोगों के जख्मों में नमक छिडकने का काम किया। 
इस विकट राष्ट्रीय संकट में पीडितों तक राहत पंहुचाने खुद जाने के लिए आगे आयी स्वयं सेवी संस्थाओं को सहयोग करने के बजाय उनका राह रोकने का काम करके प्रदेश के मुख्यमंत्री व उनकी सरकार ने इस त्रासदी को और विकट बना दिया। इस त्रासदी में मारे गये लोगों का अंतिम संस्कार तक समय पर न करा कर लोगों के जख्मों पर प्रदेश की मृतप्रायः सरकार ने नमक छिडकने का काम किया। प्रदेश सरकार केवल एक ही काम कर रही है वह प्रदेश में मारे गये लोगों की संख्या छुपाने में और पीडितों को राहत पंहुचाने के लिए आने वाले स्वयंसेवी संस्थाओं का रास्ता रोकने के लिए। सरकार को भय है कि कहीं इस खौपनाक हादसे की सच्चाई पूरा जग न जान जाये। 
न तो इस सरकार ने अपना दायित्व निभाया व नहीं मुख्यमंत्री व उसकी सरकार ने जनआस्थाओं का सम्मान किया व नहीं इस विश्व को झकझोर रही इस त्रासदी में सामान्य सा मानवीय व राज धर्म का ही पालन किया। इसके लिए अगर कोई गुनाहगार है तो कांग्रेस की आलाकमान सोनिया गांधी जिन्होने अपने आत्मघाति संकीर्ण सलाहकारों की सलाह पर विजय बहुगुणा जैसे व्यक्ति को प्रदेा का मुख्यमंत्री बनाया व तमाम असफलताओं के बाद भी थोपे रखा। ऐसे मुख्यमंत्री को 
कांग्रेसी आलाकमान द्वारा जनता व कांग्रेसी विधायकों दोनों द्वारा नकारे गये व्यक्ति विजय बहुगुणा को बलात मुख्यमंत्री के रूप में थोपे जाने का खमियाजा आज उत्तराखण्ड व देश को इस आपदा में भी उत्तराखण्ड सरकार की अकुशलता व दिशाहीनता का दण्ड भोगना पड़ रहा है।
हालत इतने बदतर है कि अपने मुख्यमंत्री व सरकार के इस आपदा पर भी गैर जिम्मेदाराना व अलोकतांत्रिक व्यवहार के कारण बदरीनाथ के कांग्रेसी विधायक राजेन्द्र भण्डारी को भी सार्वजनिक ढ़ग से लोकशाही का आईना दिखाना पडा। इसी कारण रूद्र प्रयाग में आक्रोशित जनता के आक्रोश का कोप भाजन बन कर मुख्यमंत्री बहुगुणा, आपदा मंत्री यशपाल आर्य व कबीना मंत्री हरक सिंह रावत को हेलीकप्टर से उल्टे पांव वापस जाना पडा। महिलाओं ने मुख्यमंत्री व उनकी सरकार को उनके निकम्मेपन के कारण चूड्डियां भेंट की। आपदा प्रबंधन व राहत पंहुचाने में प्रदेश सरकार का इतना गैरजिम्मेदाराना रवैया रहा कि बदरीनाथ जेसे विश्वविख्यात धाम में इस आपदा में फंसे 20 हजार लोगों को भी खाद्यान्न की समस्या से जुझना पडा। इससे साफ हो गया कि छोटी छोटी जगहों में फंसे लोगों को कितनी तकलीफ उठानी पडी होगी।इनकी सुध लेने की आश करना भी बहुगुणा सरकार से करना एक प्रकार से नाइंसाफी होगी। मुख्यमंत्री बहुगुणा व उनकी सरकार की संवेदनहीनता इसी बात से जगजाहिर हो गयी कि जिस दिन उत्तराखण्ड इस भयंकर त्रासदी से गुजर रहा था, देश के प्रधानमंत्री व कांग्रेस अध्यक्षा स्वयं दोनों प्रभावित क्षेत्रों का हवाई निरीक्षण कर रहे थे उसी दिन प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य, कबीना मंत्री हरक सिंह रावत व इंदिरा हृदेश के अलावा प्रदेश के मुख्य सचिव सुभाष कुमार व वित्त सचिव राकेश शर्मा आपदा क्षेत्रों में राहत व बचाव कामों को दिशा देेने के बजाय दिल्ली में देखे गये। दिल्ली में कई कांग्रेसी आला नेताओं द्वारा उनके दिल्ली में रहने पर डपट लगाने के कारण किसी की भी इतनी हिम्मत नहीं हुई कि दिल्ली में होने के बाबजूद वे कांग्रेस के कार्यकारी आला नेतृत्व राहुल गांधी को उनके जन्म दिन पर बधाई देने के लिए उनके द्वार पर कदम रखने का साहस कर पाये। राहुल गांधी इस आपदा के बाद यकायक जिस तरह से कुछ दिनों के देश को इस दर्दनाक हालत में छोड कर ओझल होने के बाद यकायक प्रकट हो कर कांग्रेस सरकार की मोदी सहित अन्य दलों के नेताओं को प्रभावित क्षेत्रों में न जाने देने राजनीति को खुद ही उत्तराखण्ड में जा कर बेनकाब कर गये । 
जिस प्रकार से प्रदेश के मुख्यमंत्री वमंत्रियों के खिलाफ जनता में आक्रोश बढ रहा है, प्रदेश सरकार का मुख्यमंत्री भगवान के द्वार पर जाने का साहस तक नहीं कर पा रहा है। प्रदेश सरकार का नुमाइंदा जो मंदिर कमेटी का सरताज बना हुआ है वो जनआस्थाओं को रौंद कर जूते ले कर मंदिर में प्रवेश कर रहा है। लोगों को राहत देने में सरकार पूरी तरह असफल है। सरकार की अकर्मण्यता व अमानवीय रूख देख कर न केवल प्रदेश के विधानसभाध्यक्ष ही नहीं अपितु राज्यपाल भी अपनी अप्रसन्नता जाहिर कर चूके है। इसके बाबजूद सोनिया गांधी पूरी तरह से असफल हो चूके ऐसे मुख्यमंत्री को संरक्षण दे कर आहत प्रदेश व देश के जख्मों को कुरेदने का काम कर रही है। देश व प्रदेश को मर्माहित करने वाली इस त्रासदी के हजारों पीड़ितों के जख्मों व करोड़ों लोगों की जनास्था को रौदा जा रहा है। ऐसे व्यक्ति को एक पल के लिए भी प्रदेश की कमान सौपना प्रदेश को रसातल में धकेलने के समान है। इससे न केवल प्रदेश का विकास अवरूद्ध हो जायेगा अपितु प्रदेश को मिले जख्म नासूर बन जायेंगे।

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