अंध विश्वास में न पडें-----काल्पनिक है सब सन्, महिने व दिन वार -11.11 .11,


अंध विश्वास में न पडें-----काल्पनिक है सब सन्, महिने  व दिन वार -11.11 .11, 
आज लोग बंहुत ही अदभूत  संयोग व उत्साहित है 11.11.11 के संयोग को देख कर। नंवम्बर माह की  ग्यारह तारीक व सन 2011 ंको 11.11.11 के रूप में अपने आप में उत्साहित है। कई  तथाकथित भविष्य को बताने वाले लूटेरों ने इस दिन की  आड में अंध विश्वास में फंसे लोगों को इस दिन के नाम पर ंजम कर लूट रहे हैै। परन्तु अधिकांश लोग इस बात से अनविज्ञ हैं कि ये संब झूट है। केवल माना गया है। वास्तव में न तो आज सन 2011  ही चल रंहां है व नहीं नवम्बर नाम का महिना  व नहीं आज की  तारीक ही 11 है। यह सब कुछ लोगों द्वारा  अपनी सुविधा के लिए या अपनी व्यवस्था  को संचालित करने के लिए इन सबको मान कर अपना जीवन चक्र को संचालित कर रहे हैं। पर हकीकत में ये दिन, महिना व सन हम मान रहे हैं वे काल्पनिक हैं। हम सब कल्पना लोक  में आश्रय लेकर अपने इस जीवन को संचालित कर रहे है। न तो ये महिने सन व दिन वास्तविक  है। वास्तविक क्या है? यह  सृष्टि कब से चली यह सृजनकार ही जान सकता है। जो ये सन् 2011 है ये तो ईसायत के लिए समर्पित ंसमय चक्र है। हमारे ंयहां विक्रम व शक सम्वत् का व ंयुगादि तथा सृष्टि सम्वत का भी प्रचलन था। परन्तु अब ईसायत को समर्पित  सन् का प्रचलन का सम्राज्य है। उसी  के दिन महिने का  नाम से संसार मान व जान रहा हैं परन्तु आज हमारे इतिहासकार व जानकार जानते हैं कि इस ईसा को समर्पित सम्वत 2011 से पहले भी संसार व समाज, देश ंसंचालित रहा। संसार में ईसायत को मानने वालों के बाद संसार संसार में सबसे अधिक जनसंख्या व देशों की जमात में अपने वजूद को स्थापित करने वाले मुस्लिम समाज का हिजरी सन भी प्रचलित है। संसार  का सबसे प्राचीन हिन्दू  धर्म का विक्रमी व शक सम्वत् भी विद्यमान है। परन्तु ब्रिट्रेन के बाद अमेरिका व ईसायत देशों के बर्चस्व के कारण आज पूरे विश्व में ईसायत का सम्वत् 2011 के रूप में आज हम सब अंगीकार कर रहे है। संसार का वास्तविक समय इस समय क्या हैं, ंयह तो केवल वही परम्ब्रह्म परमेश्वर ही जान सकते है जिन्होने इस पृथ्वी  सहित इस सृष्टि की रचना की। विज्ञान तो अभी उस काल गणना से कोसोें दूर है। ज्योतिषि भी  अंधेरे में तीर मार रहे है। हमारे संसार में पहले राजा महाराजा अपने नाम से संम्वतसर चलाते थे । अभी  मनुष्य, ज्ञान विज्ञान, मनुष्य की संरचना के रहस्य को नहीं जान पाया  तो इस पृथ्वी, अंतरिक्ष, सागर सहित सकल सृष्टि के बारे में जानना  बहुत दूर की कोड़ी का खेल है। एक ही बात यहां बताना चाहता हॅू कि लोग  11 .11.11 आदि किसी के चक्कर में न पड़ेे। हर पल विलक्षण व प्रभु की अपार कृपा से मिला है। संसार की  पूरी दौलत से भी  हम इस  एक  पल को हासिल नहीं कर सकते हैं। इसलिए अंध विश्वास में न पडें। ंभगवान श्री कृष्ण  का यही अपार संदेश है ।

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