चीन की धमक से बनेगी ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन

-चीन की धमक से बनेगी ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन/
-सतपाल महाराज से प्रेरणा लेकर प्रदेश के हित में कार्य करें खंडूडी व अन्य राजनेता /

 उत्तराखण्ड में रेल परियोजना का गौचर में शिलान्यास हुआ। जिस प्रकार से इसमें विवाद खडा किया गया उससे मुझे ही नहीं देश के विकास के राह के अनुगामी को जरूर दुख हुआ होगा। ऋषिकेश से कर्णप्रयाग रेल लाइन बिछाने की मंशा अंग्रेजी राज्य में भी शासकों ने साकार करने का प्रयास किया था परन्तु वे सफल नहीं हो पाये, क्योंकि देश तब तक आजाद हो गया। इसके बाद आजादी के 64 सालों बाद यह परियोजना को साकार करने का निर्णय देश की सरकार ने लिया तो उसकी महता को समझ कर उसमें सकारात्मक सहयोग देने के बाजाय राजनैतिक पैंतरेबाजी से मन का दुखी होना स्वाभाविक है। 
इस परियोजना को भले ही कुछ लोग उत्तराखण्ड के लोगों के हित में बता रहे हों परन्तु इस परियोजना को साकार करने का अगर किसी एक को श्रेय दिया जाय तो वह देश के दुश्मन रहे चीन को। जिसने भारत की सीमा पर अपनी सरजमीन से रेल पंहुचा कर देश के सत्तांध हुक्मरानों को देश की सीमाओं पर भी चीन की तरह रेल पंहुचाने के लिए विवश कर दिया।  नहीं तो देश की आजादी के 64 साल बाद निरंतर इस मांग के लिए धरना प्रदर्शन करने वालो की उपेक्षा सप्रंग सरकार व राजग सरकार नहीं करती। न तो इस परियोजना को अब तक की कांग्रेस सरकारों ने ही स्वीकृति प्रदान की व नहीं देश भक्त कहलाने वाली भाजपा नेतृत्व वाली राजग गठबंधन की सरकार जिसमें वर्तमान मुख्यमंत्री खंडूडी स्वयं मंत्री थे। इससे स्पष्ट हो गया कि अगर देश के इस सीमान्त क्षेत्र में 6400 से 10000 करोड़ लागत मूल्य की बनने वाली रेल परियोजना जिसको रेल विभाग निरंतर अलाभकारी बता कर ठण्डे बस्ते में धकेल रहा था , वह यकायक उत्तराखण्ड का हितैषी बन कर उत्तराखण्ड प्रदेश के सालाना बजट से अधिक की एक ही योजना को कैसे स्वीकृति देता।  चलो जब आंख खुले तभी सबेरा व देर आय दुरस्थ आय। देश हित में जो भी कार्य हो हमें अपने छुद्र संर्कीण स्वार्थो से उपर उठ कर स्वागत व सहयोग करना चाहिए।  जहां एक तरफ प्रदेश के मुख्यमंत्री खंडूडी जी कमजोर लोकायुक्त बिल बना कर अपने आप को युगान्तकारी छवि बनाने में जुटे हैं वहीं सतपाल महाराज प्रदेश व देश के हित में मील का पत्थर साबित होने वाले रेल परियोजना, गढ़वाल कुमाउंनी भाषा व गैरसैंण राजधानी जेसे ऐतिहासिक कार्यों को साकार करने में जुटे हुए है। 
वहीं इस रेल परियोजना के साकार करने में सबसे अधिक किसी उत्तराखण्डी नेता का हाथ रहा तो वह सतपाल महाराज है।  भाजपा नेता भगतसिंह कोश्यारी सहित अन्य नेताओं का भी प्रयास रहा । परन्तु जिस प्रखरता व निरंतरता से सतपाल महाराज ने रेल परियोजना को साकार करने में अपने आप को समर्पित किया, उससे एक बात साफ हो गयी कि प्रदेश में ऐसे नेताओं की सख्त जरूरत है जो प्रदेश के विकास को अपनी राजनीति का माध्यम बनाये। राजनेता जो भी काम करेगा उसमें उसको प्रचार की भूख होना स्वाभाविक है, यह लोकशाही की शक्ति भी है। किसी में कम तो किसी में अधिक होगी। प्रदेश व देश के विकास के लिए सकाम राजनीति को भी अन्यथा नहीं लिया जाना चाहिए। 
उत्तराखण्ड के सांसद व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता इन दिनों रेल परियोजना की स्वीकृति व शिलान्यास होने से गदगद है। अपने फेस बुक में अपनी इस खुशी का इजहार करते हुए श्री महाराज कहते हैं कि पिछले दिनों हम पहाड़ पर बहुत सी जन सभाओ  के माध्यम से अपने पहाड़ के लोगो से मिले । हमारा  पहाड़ के लोगो से जन सम्पर्क अभियान रेल लाइन के  शिलान्यास  की घोषणा के बाद हुआ द्य मुझे ये देख कर बड़ी प्रसन्नता  हुई  की हमारे पहाड़ के लोग रेल के आगमन को लेकर बड़े खुश हैं और जनता का अपार समर्थन भी मिल रहा  हैं । जनता की  ये खुशी देखते ही बनती थी। जब मैने आज से 16 साल पहले उत्तराखंड में रेल का सपना देखा था तब कुछ विकास विरोधी लोगो ने हमारे विकास के सपने का उपहास किया था । परन्तु हमारा ये सपना अब आम आदमी के विकास का सपना बन गया  है। 14 अगस्त 1996 को रेल राज्य मंत्री के रूप में मैने ही इस रेल लाइन के सर्वे का शिलान्यास  ऋषिकेश में किया था। आज मुझे यह  कहने में कोई संकोच नहीं की पिछले 16 वर्ष से मै इस सपने को पूरा करने में लगा रहा , सपने को पूरा करने की सोच ने अनवरत प्रयास जारी रखने को प्रेरित किया और नई ऊर्जा के साथ मै इसे पूरा करने में लगा रहा । मै आभारी हूँ यू.पी.ए. अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गाँधी जी ,प्रधान मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह जी, रक्षा मंत्री ऐंटनी व तत्कालीन रेल मंत्री कु०  ममता बेनर्जी जी का जिन्होंने इस सपने को रेल बजट 2010 में पूरा  किया । भले ही  यू.पी.ए अध्यक्षा  श्रीमती सोनिया गाँधी जी  इस परियोजना के शिलान्यास करने गौचर में अस्वस्थता के कारण  9 नवम्बर 2011 को नहीं आ पायी परन्तु देेश के रक्षा मंत्री ऐटनी व रेल मंत्री  ने इस परियोजना का शुभारंभ करके देश व उत्तराखण्ड को एक अनमोल तोफहा दिया।  आशा है इस परियोजना को पूरा करने में सोनिया जी, प्रधानमंत्री मनमोहन, रेलमंत्री सहित उत्तराखण्ड सरकार व जनता का भरपूर सहयोग मिलेगा। इस परियोजना से हमारे प्रदेश के लिए जहां विकास के नये द्वार खुलेंगे वहीं देश की रक्षा के लिए मील का पत्थर साबित होगा। 
 अपनी खुशी को सतपाल महाराज भले ही छिपा न रहे हों परन्तु उनको अपने इस सपने को साकार करने में अपने विरोधियों के हाथों कदम कदम पर सहयोग के बजाय उपहास का पात्र भी बनना पड़ा। कुछ महिनों से सतपाल महाराज जिस प्रकार से निरंतर प्रदेश के दूरगामी हितों के लिए एक के बाद एक काम कर रहे है , उससे उन्होंने अपना कद न केवल उत्तराखण्ड में अपितु देश ही नहीं संयुक्त राष्ट्र में भी स्थापित कर दिया है। खासकर जिस प्रकार से उन्होंने राज्य गठन आंदोलन में सकारात्मक योगदान देने के बाद प्रदेश की स्थाई राजधानी गेरसैंण, गढ़वाली व कुमाउंनी भाषाओं को राष्ट्रीय भाषा के रूप में मान्यता देने का अभियान चलाने के बाद देश व प्रदेश के हितों के लिए महत्वपूर्ण समझी जाने वाली रेल परियोजना को साकार करने में निरंतर भागीरथ प्रयत्न किया उससे उनका कद देश के जनहितों के लिए समर्पित नेताओं के रूप में उभर गयी है। भले ही अपने विराट व्यक्तित्व व व्यस्तता के कारण आम जनता की उनसे कई शिकायतें रही हो पर उनके प्रदेश के हित में उनके समर्पित रहने व यहां की जनता व राजनेताओं को भी दिशा देने में उनका कोई जवाब ही नहीं। प्रदेश की जनता व प्रबुद्व जनो को चाहिए कि ऐसे व्यक्तित्व व नेता का सम्मान करे व उनके रचनात्मक कार्यो का दलगत व संकीर्ण मनोवृति के कारण विरोध न करके प्रदेश व देश को पतन के गर्त में न धकेले। प्रदेश में व्याप्त जातिवाद, क्षेत्रवाद व भ्रष्टाचार की अंधी राजनीति से उबारने के लिए आज जनता की आंखों में धूल झोंकने वाले दोहरे चरित्र के भ्रष्टाचारियों को संरक्षण देने वाले नेताओं के बजाय प्रदेश के दूरगामी हितों के लिए राजनीति करने वाले नेताओं को जनता को सहयोग व समर्थन देना होगा। आज प्रदेश में खंडूडी जी सहित तमाम नेताओं को सोचना होगा कि रेत के महलों की तरह बनायी गयी छदम छवि को वास्तविकता की आंधी पूरी तरह बेनकाब कर देती हे। प्रदेश में ग्यारह साल बाद भी न तो प्रदेश की स्थाई राजधानी गैरसैंण बन पायी व नहीं मुज्जफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को दण्डित ही कर पाये। प्रदेश में सुशासन व जनहित के कार्य करने के बजाय चारों तरफ भ्रष्टाचार का तांडव मचा है। सुशासन के नाम पर जातिवाद व क्षेत्रवाद की आंधी छायी हुई है। प्रदेश के राजनेताओं से जनता निराश है। परन्तु इस अंधेरी रात में भी जनता के हित में जरा सा काम करने वाले सतपाल महाराज, प्रदीप टम्टा , भगतसिंह कोश्यारी व टीपीएस जैसे नेता है। इन सबको हिमाचल के प्रथम मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार से प्रेरणा ले कर प्रदेश के मूल जनांकांक्षाओं व विकास की नींव स्थापित करनी चाहिए। प्रदेश को अब जागरूक हो कर तिवारी, निशंक व खंडूडी टाइप के नेताओं को ढोने के लिए तैयार नहीं रहना चाहिए। शेष श्री कृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृष्णाय् नमो। 

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