देवी देवताओं के नृत्यों व खला मेलों की धूम है इस माह उत्तराखण्ड में


देवी देवताओं के नृत्यों व खला मेलों की धूम है इस माह उत्तराखण्ड में
रुद्रप्रयाग,(प्याउ)। इन पूरे उत्तराखण्ड में कहीं माॅं भगवती की अठवाड़ रूपि नृत्य तो कहीं कोई ग्वेल, भैरव व नरसिंह आदि देवी देवताओं की नृत्य व पूजन भी इसी महिने किया जाता हे। एक प्रकार से यह महिना पूरे उत्तराखण्ड में देवी देवता पूजन व खला मैलों का महिना यानी उत्सव का महिना ही माना जाता है। यहां हर जनपद में किसी न किसी प्रकार का मेला का आयोजन होता हैं। हर क्षेत्र में देवी देवताओं व स्थानीय मेलो का आयोजन किया जाता है। टिहरी में सेम मुखेम हो या पौडी में बूंखाल की कालिंका, चम्पावत हो या सुदूर पिथोरागढ़, अल्मोड़ा हो या पौड़ी सभी जगह मेलों व देवी देवताओं के नृत्यों का आयोजन इसी नवम्बर माह में बड़ी धूम धाम से किया जाता हे। जौल जीवी का मेला हो या पूर्णागिरी का मेला चारों तरफ मेलों का आयोजन।
 इन दिनों जनपद रूद्रप्रयाग व चमोली में पांडव नृत्यों की धूम मची हुई है। सदियो ंसे उत्तराखण्ड के इन अंचलों में पांडव लीला के आयोजन अनन्य धार्मिक अनुष्ठान के रूप में आयोजित किया जाता है। पांडव नृत्यों का उत्सव मनाने वाले गांवों में पूरा गांव सामुहिक रूप से इसमें पूरी श्रद्वा से भाग लेता है।  कई जगह चक्रव्यूह का आयोजन व कई जगह बिना चक्रव्यूह के यह आयोजन किया जाता रहा है। परन्तु भले ही देश के इतिहास में पांडवों को राजपरिवार के रूप में माना जाता रहा हो पर उत्तराखण्ड के इन भू भाग में पांडव देवता के रूप में सदियों से पूजे जाते है।

Comments

  1. Dev singh rawat ji, bahut achcha laga ki aapane fir se uttrakhand ki sair kara di. lekh aapake brabar padhta hoon, apanee kavitaa aapko bhi bhejata hoon. lekin aap unka kyaa krate hain, aap hi jaane . with best wishes.

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