खंडूडी से ही नहीं, अण्णा से भी निराश हुए उत्तराखण्डी
खंडूडी से ही नहीं, अण्णा से भी निराश हुए उत्तराखण्डी/
-खंडूडी द्वारा जनता की आंखों में धूल झोंकने वाले कमजोर लोकायुक्त विधेयक का क्यों कर रहे हैं अण्णा समर्थन/
भ्रश्टाचार को मिटाने के लिए जिस लोकायुक्त को ऐतिहासिक बता कर देष में भ्रश्टाचार मिटाने का हौव्वा उत्तराखण्ड की खंडूडी सरकार व उनके प्यादे तथा अण्णा हजारे की टीम कर रही है क्या वे बता सकते हैं कि - भ्रश्टाचार के प्रतीक बने एनजीओ यानी स्वयं सेवी संस्थाओं को क्यों इस लोकपाल /लोकायुक्त से बाहर क्यों रखा गया ?
क्या अण्णा हजारे व उनकी टीम केन्द्र सरकार द्वाराा बनाये गये ऐसे जनलोकपाल विधेयक को स्वीकार करेंगे जिसमें यह प्रावधान होगा कि जब तक लोकपाल के सभी सदस्य एकमत नही होंगे तो तब तक किसी भी भ्रश्टाचार में लिप्त सांसद, मंत्री या प्रधानमंत्री पर मामला ही दर्ज नहीं किया जायेगा? ंयदि नही ं तो फिर वे क्यों उत्तराखण्ड के भ्रश्टाचार पर अंकुष लगाने के लिए उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेष में इसी प्रकार का बनाये गये लोकायुक्त विधेयक का खुला समर्थन कर रहे हैं? आज उत्तराखण्ड की ही नहीं ंपूरे देष की जनता यह जानकर हैरान है कि अण्णा हजारे क्यों ऐसे लोकायुक्त जिसमें किसी भी भ्रश्टाचार में लिप्त विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री पर लोकायुक्त अपना अंकुष रखेगा जब तक लोकायुक्त का सभी सदस्य इस पर एकमत न हों।
-इस लोकायुक्त में विधायक व मुख्यमंत्री पर तबतक मामला दर्ज नहीं होगा जब तक लोकायुक्त के सभी सदस्य इस पर सहमत न हों ? ये सदस्य जो भी होगें ये पक्ष विपक्ष के नेताओं की कृपा से ही इसमें चयनित होंगे, फिर न नौ मन तेल होगा , न राधा नाचेगी। यानी जिन जनप्रतिनिधियों के भ्रश्टाचार पर अंकुष लगाने के नाम पर बना लोकायुक्त में इनकोे बचने का साफ रास्ता दिया गया। ंआम आदमी के लिए लोकायुक्त क्या एक पुलिस का सिपाही भी काफी होता है। कोर्ट कचहरी के बिना ही पटवारी का चपरासी व सिपाई इतना दण्डित कर देता है कि बेकसूर भी बिना किये जुर्म कबूल कर देता? फिर खंडूडी जी बताये कि उनका लोकायुक्त किसके भ्रश्टाचार पर अंकुष लगाने के लिए बनाया है? अण्णा की टीम के सिपाहेसलार बताये कि क्या वे ऐसा ही लोकायुक्त/लोकपाल देष में बनाना चाहते हैं जिसके सभी सदस्य जब तक सहमत न हो सांसद, मंत्री व प्रधानमंत्री आदि पर कोंई मामला ही दर्ज नहीं होगा।
खंडूडी जी प्रदेष की जनता काो पहले यह बतायें कि अपने प्यादे के भ्रश्टाचार पर वे चंद महिने पहले तक घडियाली आंसू बहा रहे थे वे मुख्यमंत्री बनते ही कहां गुम हो गया ? अब उनको वह भ्रश्टाचार दिखाई देना बंद हो गया ? खंडूडी जी को उत्तराखण्ड का तारनहार व भ्रश्टाचार का नाषक समझने वाले व उनके लिए भौंपू बजाने वाले मित्रों से यही कहना चाहता हॅू कि जिस खंडूडी ने मुख्यमंत्री रहते हुए मुजफरनगर काण्ड के दोशियों को सजा दिलाने में ठोस पहल तक नहीं की हो, जिस खंडूडी मुख्यमंत्री रहते हुए प्रदेष के भविश्य को जमीदोज करने वाले जनसंख्या पर आधारित विधानसभाई परिसीमन पर आंदोलनकारियों द्वारा बार-बार आग्रह पर उफ तक नहीं किया हो, जिस खंडूडी जी ने जनभावनाओं के अनरूप प्रदेष की स्थाई राजधानी गैरसैंण बनाने के लिए कुछ भी नहीं ंिकया हो तथा जिस भ्रश्टाचार को मिटाने के तथाकथित मषीहा की सारंगी की तान व निषंक की ताजपोषी में अपनी षान रही हो, वह अब चंद महिने पहले तक जिन भ्रश्टाचारियों के कुषासन के लिए घडियाली आंसू बहा रहे थे, वह उत्तराखण्डी प्रेम का वह दर्द प्रदेष की ंसत्ता मिलते ही खंडूडी जी के सीने व आंखों से सियार के सींग की तरह कैसे गायब हो गयी। जिन भ्रश्टाचारियों के कृत्यों पर वे घडियाली आंसू बहा रहे थे सत्ता मिलने के बाद को उन्होंने दण्डित करने का धर्म निभाने के बजाय वे गलबहियां करते नजर आये तो उनके द्वारा भ्रश्टाचार मिटाने के लिए ंमृतप्राय लोकायुक्त बनाने ंपर कौन विष्वास करेगा। वह भी तब प्राणवान होगा जब उसको केन्द्र सरकार ंस्वीकृत करेगी। पर न जाने उनके स्वयंभू रागी व भौंपूओं को उनके कृत्योें पर युगान्तकारी क्या नजर आ रहा है। प्रदेष के गठन के लिए यहां के लोगों ने अपनी षहादत चंद लोगों द्वारा प्रदेष में जाति, क्षेत्र व दलों के नाम पर लूटने के लिए नहीं बनाया था। प्रदेष बनाया था उत्तराखण्डी समाज के सम्मान व संसाधनों की रक्षा व ंप्रदेष का चहुमुखी विकास के लिए।
ंभ्रश्टाचार को मिटाने के लिए मजबूत कानून व सबसे अधिक संवैधानिक महत्वपूर्ण पदों पर आसीन व्यक्तियों की ईमानदार नियत की जरूरत होती है। क्योंकि देखा यह जा रहा है कि राजनेताओं द्वारा संवैधानिक पदों पर ईमानदार, प्रबुद्व निश्पक्ष जिम्मेदार व्यक्ति के बजाय अपने हाथों की कठपुतली बन सकने वालों को ही प्रायः आसीन किया जा रहा है। इसी कारण आज पूरी व्यवस्था एक प्रकार से भ्रश्टाचार के दलदल में दम तोड़ चूकी है। आज जरूरत मात्र कानूनों की नहीं अपितु ईमानदार, जिम्मेदार व राश्ट्रभक्त युगान्तकारी नेतृत्व की है। जो वर्तमान में दिखाई देने वाली राजनैतिक दलों में ही नहीं अपितु परिवर्तन का दंभ भर रहे आंदोलनकारियों में कहीं दूर-दूर तक दिखाई तक नहीं दे रही है। षेश श्रीकृश्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्रीकृश्णाय नमो।
http://uk.gov.in/files/Documents/ENGLISH_-_UTTARAKHAND_LOKAYUKTA_BILL__2011.pdf
ReplyDeletesomething is better than nothing.
ReplyDeleteThis is the start and more the people start to understand more the good laws we will get.
ये शुरुआत तो होने दो, फ़िर इसमें जो कमी होगी उसमें संविधान की तरह बदलाव होता रहेगा।
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