-जन चेतना यात्रा से मजबूत हुई आडवाणी की प्रधानमंत्री की दावेदारी

-जन चेतना यात्रा से मजबूत हुई आडवाणी की प्रधानमंत्री की दावेदारी
प्यारा उत्तराखण्ड-
भाजपा के आला नेतृत्व लालकृष्ण आडवाणी की प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने के स्वप्न पर लग रहे ग्रहण को दूर करने के लिए के लिए अचानक शुरू की गयी जन चेतना यात्रा का भले ही समापन दिल्ली में 20 नवम्बर को रामलीला मैदान में हो गयी हो परन्तु इस जन चेतना यात्रा के घोषित मकसद भ्रष्टाचार के खिलाफ’ जन चेतना जागृत करने के उद्देश्य के बजाय यह यात्रा लालकृष्ण आडवाणी की प्रधानमंत्री की दावेदारी में भाजपा सहित राजग गठबंध्न में ही पीछे धकेले जाने की क्षतिपूर्ति के रूप में देखा जा रहा है। गौरतलब है कि भाजपा में ही लालकृष्ण की दावेदारी पर प्रश्न चिन्ह लग गये थे। यहां संघ सहित एक बडा तबका लालकृष्ण आडवाणी के बजाय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को आगामी 2014 में प्रधानमंत्री के पद पर आसीन देखना चाहता है। इसी लिए आडवाणी को इस बार भाजपा ने अपने प्रधानमंत्री के दावेदार के तौर पर प्रस्तुत न करके एक प्रकार उनको हाशिये में धकेलने का अपरोक्ष ऐलान कर दिया था। इसी अपमान से आहत लालकृष्ण आडवाणी ने यकायक अण्णा व रामदेव के भ्रष्टाचार के खिलाफ जनांदोलन में मिली जनसहानुभूति को भुनाने के लिए व अपने विरोध्यिों को चारों खाने चित करने के लिए जनचेतना यात्रा का ऐलान करके अपने विरोधियों को ही नहीं समर्थकों को भी भौचंक्का कर दिया था। इस यात्रा का शुभारम्भ गुजरात से करने के बजाय उन्होंने अपने पसींदे मुख्यमंत्री नीतिश के राज्य बिहार से की। अब भले ही राजग गठबंध्न कुछ भी कहे पर इस यात्रा के समापन करके आडवाणी ने अपनी दावेदारी मजबूत कर दी हे। हकीकत यह है कि इस यात्रा का भ्रष्टाचार के खिलाफ कहीं दूर तक लेना देना नहीं रहा। क्योंकि लालकृष्ण आडवाणी की सरपरस्ती में कर्नाटक व उत्तराखण्ड की भाजपाई सरकारों में जो भ्रष्टाचार के कृत्य हुए। उनको लम्बे समय तक लालकृष्ण आडवाणी की मूक आशीर्वाद ही मूल शक्ति थी। अब राजनैतिक हज यात्रा यानी जनचेतना यात्रा से पहले आडवाणी ने दोनों को हटा कर अपना दामन भले ही पाक-साफ दिखाने का प्रयत्न किया, जो जानकारों की नजरों में पहले ही बेनकाब हो गया। कुल मिला कर आडवाणी की इस चेतना यात्रा से आडवाणी ने पिफर से अपने विरोध्यिों को चारों खाने चीत करने में सपफलता हासिल की। देखना है अब मोदी समर्थक किस प्रकार से आडवाणी की हसरत पर ग्रहण लगा कर अपने दावेदारी को मजबूत करते है।

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