नव प्रभात शुभ प्रभात हो

नव प्रभात शुभ प्रभात हो


नव प्रभात शुभ प्रभात हो
जड़ चेतन का कल्याण हो
सूरज की पहली किरण से
मनमंदिर को आलौकित कर दो
ऐसे सुविचार संचारित हो मस्तिष्क में
शुभागमन परम शांति का हो जग में
मिटे राग द्वेष का तम इस जग से
प्रभु ऐसी सुप्रभात ही अब कर दो
जग में इस जीवन यात्रा में
हर ंतन मन को निर्मल कर दो
ंइस जग में बहे सदा निर्मल प्रेम की गंगा
श्रीकृष्ण ऐसा ही वरदान दे दो जग को ।।
(देवसिंह रावत -21 सितम्बर 2011 ंप्रातः सात बजे)

Comments

Popular posts from this blog

खच्चर चलाने के लिए मजबूर हैं राज्य आंदोलनकारी रणजीत पंवार

-देवभूमि की पावनता की रक्षा की फिर भगवान बदरीनाथ ने- निशंक के बाद मनंमोहन को भी जाना होगा