बाबा रामदेव की एकपक्षता ने कमजोर किया भ्रष्टाचार की असली जंग



बाबा रामदेव की एकपक्षता ने कमजोर किया भ्रष्टाचार की असली जंग
नाक की जंग तक सीमित रह गयी है बाबा रामदेव व कांग्रेस का जुबानी जंग
 भ्रष्टाचार शिकंजे में दम तोड़ रहे भारत को मुक्तिदाता के रूप में उभरे हुए बाबा रामदेव का एकपक्षीय भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान के मार्ग में आज सबसे बड़ा अवरोध कांग्रेसी नेता नहीं अपितु कोई दूसरा नहीं अपितु स्वयं बाबा रामदेव का एकपक्षीय भ्रष्टाचार विरोधी अभियान उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ छेड़ी जंग को कमजोर कर रही है।  लिए आम भारतीयों के आशा के सूर्य बन कर उभरे बाबा रामदेव की एकपक्षीय भ्रष्टाचार की जंग ने देश की आशाओं पर बज्रपात ही कर दिया है। भले ही बाबा अपनी तरफ से इस अभियान को देश से भ्रष्टाचार के समूल सफाये के उद्देश्य से कर रहे हों परन्तु उनके द्वारा केवल कांग्रेस पर ही निशाना साधने व उनके अपने प्रदेश उत्तराखण्ड सहित अन्य भाजपाई प्रदेशों में हो रहे भ्रष्टाचार के मुद्दे पर उतने प्रखर हो कर न बोलने या मूक रहने से उनके इस ऐतिहासिक संघर्ष की धार ही कुंद हुई। देश की जनता भले ही कांग्रेसियों के द्वारा लगाये गये तमाम आरोपों को सिरे से नकार दे परन्तु बाबा द्वारा इस संघर्ष को निष्पक्ष न बनाये रखने के कारण आम जनता के उस विश्वास को जरूर झटका लगा जिससे उनको बाबा रामदेव देश को भ्रष्टाचार का मुक्तिदाता के समान लगता था। बाबा रामदेव को चाहिए कि वह देश की उस अवाम का डगमगाते हुए विश्वास को फिर से बहाल करने के लिए दलीय राजनीति से उपर उठ कर हर भ्रष्टाचार के खिलाफ खुल कर अपना संघर्ष जारी रखे। क्योंकि कांग्रेसियों द्वारा बाबा रामदेव पर अकूत सम्पतियां अर्जित करने के आरोप देश की आम जनता की नजरों में जानते हुए भी कहीं नहीं टिकते है। बाबा के पास जो भी संसाधन है वह उन्होंने किसी शासकीय पद या नीतियों को देशहितों पर चोट पंहुचा कर अर्जित नहीं किया। उन पर एक ही आरोप हो सकता है कि उन्होंने अर्जित धन पर कर नहीं भरा हो या जो दान दे  रहा हो उसके स्रोत का उनको जानकारी न हो, परन्तु उनका सम्पूर्ण संसाधन, योग तथा देश निर्माण के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष भी राष्ट्र के हितों की पूर्तिकारक व इसको मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे है। परन्तु इस दिशा में अपना पथ जनांकांक्षाओं के अनरूप ही पाक साफ रखने में बाबा रामदेव खासकर उत्तराखण्ड की उस भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार पर मूक रह कर असफल रहे, जिस निशंक सरकार के जल विद्युत परियोजनाओं व रिषिकेश भूमि घोटाले की गूंज से पूरा प्रदेश स्तब्ध है। खासकर स्टर्जिया भूमि घोटाले में तो प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री ही खुद लिप्त हैं। जिसे उच्च न्यायालय ने भी भ्रष्टाचार के लिए भले ही प्रदेश प्रशासन को जिम्मेदार माना परन्तु प्रदेश की आम जनता ही नहीं इस मामले को उच्च न्यायालय में ले जाकर प्रदेश सरकार को कटघरे में खडा करने वाले उत्तराखण्ड राज्य आंदोलन के अग्रणी मोर्चा उत्तराखण्ड जनता संघर्ष मोर्चा के संयोजक व सर्वोच्च न्यायालय के प्रखर अधिवक्ता अवतार सिंह रावत ने देश की सर्वोच्च न्यायालय में इस काण्ड के असली भ्रष्टाचारी को दण्डित करने की मांग को लेकर गुहार लगाई है। इसके बाबजूद बाबा रामदेव द्वारा प्रदेश सरकार के भ्रष्टाचार पर खुल कर न बोलना देश व प्रदेश की जनता की नजरों में खटकता है। लोगों को बाबा की मूकता गले नहीं उतर रही है। वहीं दूसरी तरफ बाबा के इस भाजपा मोह या अपनी मजबूरी के कारण देश में  आजादी के बाद भ्रष्टाचार व देश की संस्कृति के संबर्धन के चलाये गये इस सबसे बड़े  ऐतिहासिक मुहिम की धार कुंद होने का भय आम जनता को ही नहीं इस मुहिम में जुड़े देश के अग्रणी समाज सुधारकों व बाबा के इस मुहिम में अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले माॅं भारती के सपूतों को भी होगा।
  भ्रष्टाचार और काले धन को लेकर योग गुरू बाबा रामदेव की मुहिम का निशाना बनी कांग्रेस के नेता भी अब बाबा रामदेव को लगातार निशाना बना रहे है।  हालत यह हो गयी है कि भ्रष्टाचार के नाम पर शुरू हुआ यह संघर्ष अब भ्रष्टाचार के खिलाफ नहीं अपितु नाक की लड़ाई बन कर रह गयी है। जिस प्रकार से बाबा रामदेव की करोड़ों की सम्पतियों का खुलाशा हुआ और उसके बाद बाबा रामदेव के ट्रस्ट द्वारा भाजपा को चुनावी चंदा देने के बाद कांग्रेसी नेताओं ने भी खुलकर बाबा रामदेव के खिलाफ अपना जबावी अभियान शुरू कर दिया है।
 गौरतलब है कि बाबा रामदेव द्वारा कांग्रेस की प्राण समझी जाने वाली नेहरू गांधी परिवार की वर्तमान ध्वजवाहक सोनिया गांधी पर अप्रत्यक्ष निशाना साधने के बाद कांग्रेस ने शायद मूक रहना हितकर नहीं समझा ओर उसने संघ व भाजपा पर निर्मम प्रहार करने के लिए विख्यात रहे अपने महारथी दिग्गविजय यानी दिग्गी राजा को आगे किया। कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्गविजय द्वारा बाबा रामदेव से सीधे आरोप प्रत्यारोपों के दंगल में सीधी चुनौती देने से पूरे देश में कांग्रेसियों में एक संदेश गया कि कांग्रेस नेतृत्व अब बाबा रामदेव के आरोपों को मूक बन कर सहन करने के मूड़ में नहीं है। वह बाबा रामदेव के भ्रष्टाचार के विरोध तथाकथित अभियान को एकाकी मानते हुए इसे केवल भाजपा के लिए राह बना कर कांग्रेस को कमजोर करने का षडयंत्र मान रही है। खासकर जिस प्रकार से बाबा रामदेव भाजपा खासकर जिस प्रदेश में स्वयं रहते हैं व जिस प्रदेश उत्तराखण्ड में उनका विश्व विख्यात पातंजलि योग संस्थान हैं उस प्रदेश में हो रहे भाजपा सरकार पर बाबा रामदेव की मूकता पर भले ही कांग्रेसी प्रश्न उठाते नजर आये पर देश के आम जागरूक लोगों को भी बाबा रामदेव की उत्तराखण्ड व कर्नाटक भाजपा सरकार के भ्रष्टाचार पर मूकता भी अखरने लगी है। इसक्रम में उत्तराखण्ड के नेताओं में भी एक होड़ सी लगी हुई है। इस होड़ में कांग्रेस में जहां हरीश रावत समर्थकों ने अपने दलीय विरोधियों को पछाड़ते हुए मोर्चा ही मार लिया है। केन्द्रीय राज्य मंत्री व हरिद्वार के सांसद कांग्रेसी दिग्गज हरीश रावत ने महिनों पहले ही बाबा रामदेव को भ्रष्टाचार के मामले में उनके ही द्वारा प्रदेश सरकार के मंत्री पर करोड़ रूपये लेने के आरोप लगाने के बाद उस मंत्री का नाम उजागर करने की खुली चुनौती देते हुए उनके भ्रष्टाचार के खिलाफ अभियान पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया था। इसके बाद हरीश रावत के दाहिना हाथ समझे जाने वाले प्रदेश में टिहरी विधानसभा के विधायक पूर्व राज्य मंत्री किशोर उपाध्याय ने भी बाबा रामदेव के खिलाफ एक हजार करोड़ से अधिक रूपये की सम्पति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच सीबीआई से करने की मांग की।  इसके बाद बाबा रामदेव पर आरोपों की झड़ी लगाते हुए अल्मोड़ा पिथोरागढ़ संसदीय क्षेत्र के सांसद व हरीश रावत के करीबी प्रदीप टम्टा ने आजतक सहित अनैक टीबी चैनलों में अपने सहयोगी सांसद प्रवीण ऐरन के साथ बाबा रामदेव के नार्को टेस्ट कराने की पुरजोर मांग की।  वहीं इसके साथ ही उत्तराखण्ड में प्रदेश की थोपी हुई राजधानी देहरादून में गत शुक्रवार को अखिल भारतीय कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय समन्वयक नवनीत कालरा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन राज्यपाल श्रीमती मारग्रेट आल्वा को सौंपा। इसमें मांग की गई है कि तत्काल बाबा रामदेव की जेड प्लस सुरक्षा वापस ली जाए और आचार्य बालकृष्ण समेत उनकी संपत्ति की सीबीआई से जांच कराई जाए। श्री कालरा ने बताया कि जांच से पूर्व बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण को सभी ट्रस्टों और संस्थाओं से हटाकर रिसीवर नियुक्त किये जाने चाहिए, ताकि वे जुटाए गए काले धन को खुर्दबुर्द न कर सकें। जहां तक बात हैं कांग्रेसी आरोपों की इससे न तो बाबा रामदेव को व नहीं देश की आम जनता जो भ्रष्टाचार के लिए काफी हद तक कांग्रेस को ही दोषी मानती है उस पर असर होगा। बाबा रामदेव पर आरोप लगा कर कांग्रेसी तो बाबा रामदेव के पक्ष में देश की आम पीडित जनता को धकेल रही है। परन्तु बाबा रामदेव द्वारा एकपक्षीय भ्रष्टाचार के खिलाफ होना इस मुहिम को सबसे कमजोर करेगी। इस लिए बाबा रामदेव को मेरी यही सलाह है कि वह दलीय मोह व रागद्वेष से उपर उठ कर हर भ्रष्टाचार के खिलाफ मुखर हो कर प्रहार करे। देश की जनता उनसे इसी प्रकार की निष्पक्षता की आश लगाये हुए है। उनको इस बात का भान रहना चाहिए कि उनकी असली पूंजी उनके पास आज आयी अकूत सम्पति नहीं अपितु देश की सोयी व रौंदे गये स्वाभिमान को जागृत करने व बचाने के आवाहन से अर्जित देश की आम जनता का विश्वास है। उस विश्वास को बचाने में जहां तक बाबा रामदेव सफल रहेंगे वहीं उनको मंजिल तक पंहुचायेगा। उस विश्वास को अगर बाबा अपनी नाक की लड़ाई में कमजोर करेंगे तो वे भी समय  चक्र के थप्पेडों के प्रहार से इतिहास के पन्नों में कहां गुमनाम होंगे, इसकी शायद उन्होंने कल्पना भी नहीं की होगी। भगवान श्रीकृष्ण कालनेमियों को पूरी तरह से बेनकाब करते हैं और सत्य व न्याय के महारथियों को कुरूक्षेत्र में विजय श्री का वरण कराते है। अब फेसला बाबा रामदेव को करना है। समय फिर किसी को पश्चाताप करने का लम्हां भी नहीं देता है। शेष श्रीकृष्ण कृपा। हरि ओम तत्सत्। श्री कृष्णाय् नमो।

Comments

  1. Baba Ramdev said corruption exists in every party.

    He said he never gave clean chit to BJP.

    He said " Jo humko chedega hum unko chodege nahi "

    Congress ne unko cheda aur Baba Ramdev ne unhe choda nahi.

    Yeh baat desh ke har party ke sath lagu hota hai na sirf Congress par.

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