लोटी ऐजा मेरो दगड्या अपण पहाड
लोटी ऐजा मेरो दगड्या अपण पहाड
हिंसोली किलमोड़ी, यख काफोल भमोरा,
खाणू ऐजा मेरा दगड्या हमारा पहाड़।
ठण्ड मिठो पाणी यख, देखो बुरांशी फूल
कफूवा बासिंदो यख, प्यारी घुघुती घुर।।
हरयां भरयां बोण यख प्योंली सिलपारी
हिंवाली कांठी देखो हरियां भरयां बाज।।
क्यों डबकण्यू मेरो दगडया निरदयी परदेश
लोटी ऐजा लोटी तु अब अपण मुलुका।।
स्वर्ग सी मेरी देवभूमि धे लगाणी त्येतें
लोटी ऐजा मेरों बेटा तु भूलये धरती।।
दो दिन की जिन्दगी माॅं यति न भटकी।
पैंसों का बाना न भूली ब्वे बुबें की धरती।।
परदेशमां सब होंदा द्वी पैंसों का यार
यख तेरा ईष्ट मित्र यखी च माटी धार।
लोटी ऐजा मेरो दगड्या अपण पहाड़।।
(ंदेवसिंह रावत 1 अप्रेल 2011)
bahut sundar kavita rawat ji
ReplyDeletenice! likhte rahiyega.
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