अण्णा व टीम अण्णा का उपहास व अपमानित करने के बजाय इनको सम्मानित करे सरकार व मीडिया
-महानायक अण्णा का सलाम
-जब बिना सीबीआई के कैग भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करता है तो लोकपाल के अंदर सीबीआई लाने की जिद्द क्यों?
-टीम अण्णा नहीं देश की सवा अरब जनता को समझे अण्णा अपनी शक्ति
अण्णा व टीम अण्णा का उपहास व अपमानित करने के बजाय इनको सम्मानित करे सरकार व मीडिया
जब बिना सीबीआई को अपने नियंत्रण में लिये हुए देश में केन्द्र व राज्य सरकारों के कई बडे घोटालों को भारत का नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक यानी कैग , हर साल बखुबी से बेनकाब करता है तो क्यों अण्णा हजारे व उसकी टीम लोकपाल के नियंत्रण में सीबीआई लाने की जिद्द कर रहे हैं? क्या लोकपाल के पास असीमित शक्तियां देना लोकशाही के खिलाफ नहीं है। लोकपाल देश में एनजीओ यानी स्वयं सेवी संस्थाओं व मीडिया सहित तमाम सरकारी विभागों के भष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम करे। इसी दिशा में मजबूत पहल होनी चाहिए तथा सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने वाले याची को किसी प्रकार से प्रताड़ित करने वाले व आरोपी को बचाने वाले किसी प्रकार का प्रावधान इस लोकपाल के अंदर होना चाहिए। अण्णा हजारे ने अपना अनशन को समाप्त करके तथा अपना जेल जाने वाला आंदोलन भी स्थगित करके सराहनीय कार्य किया। पूरा देश अण्णा जी की देश को मजबूत बनाने वाली भावना का सम्मान करता है परन्तु उनको अपनी टीम पर अंधा संरक्षण देने के बजाय जो भी गलत करे या देश हित के खिलाफ कार्य करेगा उसका विरोध करने का नैतिक साहस अपने अंदर से जुटाना चाहिए। देश की जनता इसी दिशा के राही के रूप में अण्णा को देखना चाहती है। अण्णा ने अपनी वयोवृद्व अवस्था में सोई हुई देश की जनता को जागृत करने का ऐतिहासिक काम किया है उसके लिए उनको शतः शतः नमन्। जो लोकपाल कानून सरकार इन दिनों संसद में पारित कर रही है वह सब अण्णा जी व उनकी टीम के अरविंद केजरीवाल के सत्त प्रयासों से हुआ। आज देश की अधिकांश मीडिया जो अण्णा जी के मुम्बई में समापन किये आंदोलन को कम आंदोलनकारियों के होने से असफल बता कर अण्णा जी का मजाक उडाने में लगे हैं, उनका यह कृत्य देश में लोकशाही को कमजोर करने वाला साबित होगा। अण्णा जी को चाहिए कि वह अपने सिपाहे सलारों पर अंध विश्वास न करके पूरी जांच पडताल के साथ अंध विरोध या अंध समर्थन नहीं करे। उनको दलगत राजनीति से उपर उठ कर ही कार्य या समर्थन करना चाहिए। उत्तराखण्ड का लोकायुक्त जो बहुत कमजोर बना है, जिसको बनाने की वाहवाही लूट रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी की नियत पर प्रश्न चिन्ह यह लोकायुक्त बिल का ‘‘विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री पर लोकायुक्त के पूरे सदस्यों की सहमति होने पर ही इन पर मामला दर्ज होने वाली लक्ष्मण रेखा ही उजागर करती है। ऐसे कमजोर लोकायुक्त को सर्वोत्तम बता कर उसका समर्थन करके अण्णा ने जहां उत्तराखण्ड के उन लोगों के साथ विश्वासघात किया जो उन पर अंध विश्वास करते हैं, इसके साथ वे खुद भाजपा के हाथों का खिलोना बन कर रह गये। इसलिए भविष्य में अण्णा को चाहिए कि वह इस प्रकरण पर उत्तराखण्ड की जनता से माफी मांगे तथा इस बिल का समर्थन करने वाले अपने बयान वापस लें । अण्णा के सबसे खासमखास सिपाहे सलार केजरीवाल ने देश को सही दिशा देने का सराहनीय कार्य किया, परन्तु उनको अंध समर्थन व विरोध से बचना चाहिए। किरण बेदी को देश की अधिकांश जनता ईमानदार मानती है, उनके कई प्रकरण जो छोटे से हवाई जहाज के किराये में मामुली भ्रष्टाचार के दायरे में आता है उनको भी अपनी इस भूल के लिए देश की जनता से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। वहीं प्रशांत भूषण को भी चाहिए था कि अण्णा का जनलोकपाल का आंदोलन राष्ट्र को मजबूत बनाने वाला आंदोलन है, इस आंदोलन से जुड़ने से मिली ख्याति को वे देश के विभाजन को उतारू कश्मीरी ताकतों के पक्षवाले बयान देने में दुरप्रयोग नहीं करना चाहिए। अण्णा को चाहिए था कि वे प्रशांत भूषण से दो टूक शब्दों से कहते कि अगर आपने देश के विभाजन करने को उतारू कश्मीरी आतंकियों की भाषा का समर्थन करना है तो आप टीम अण्णा से दूर रहें। परन्तु अपनी टीम के सदस्यों की इन्हीं भूलों का भी आम आदमी की तरह ढाल बना कर बचाव करते रहें। यही कार्य देश की आम जनता की आंखों में उनकी छवि को कमजोर कर गया। जो विश्वास देश की जनता ने उनके प्रति रामलीला मैदान व जंतर मंतर के पहले दौर के आंदोलन के दिनों दिया था वह कहीं दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है। इसके बाबजूद आज भी देश को अण्णा की जरूरत है, क्योंकि आज देश का दुर्भाग्य यह है कि हमारे पास देश को सही दिशा देने के लिए अण्णा हजारे से बेहतर कोई जननायक नहीं है। अण्णा हजारे की एक ही भूल रही कि उन्होंने अपनी शक्ति देश की सवा अरब जनता को छोड़ कर मात्र टीम अण्णा के सदस्यों तक मान लिया। अगर वे देश की आम जनता के समक्ष फिर से अपनी टीम के शिकंजे से उपर उठ कर कार्य करें तो आज भी देश की जनता उनके पीछे मर मिटने के लिए समर्पित है।
अण्णा को चाहिए कि वह बाबा रामदेव की तरह मात्र कांग्रेस का अंध विरोध न करें अपितु वे हर दलों के भ्रष्टाचारियों का विरोध करने की रणनीति पर अपने आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहिए। कांग्रेस को भी चाहिए कि अण्णा व टीम अण्णा के सदस्य केजरीवाल व किरण वेदी को खलनायक मानने के बजाय देश निर्माण में इनकी बहुमुखी प्रतिभा व अनुभवों का सदप्रयोग करे। इनमें कुछ कमियां हो सकती है परन्तु देश के भ्रष्ट व जनविरोधी कई मंत्रियों से इनका देश हित में समर्पण कई गुना अधिक है। देश की प्रतिभाओं व जनहितों के लिए समर्पित योद्वाओं का स्वागत किया जाना चाहिए, उनको प्रताडित व अपमानित करना देश विरोधी कृत्य होगा।
-जब बिना सीबीआई के कैग भ्रष्टाचारियों को बेनकाब करता है तो लोकपाल के अंदर सीबीआई लाने की जिद्द क्यों?
-टीम अण्णा नहीं देश की सवा अरब जनता को समझे अण्णा अपनी शक्ति
अण्णा व टीम अण्णा का उपहास व अपमानित करने के बजाय इनको सम्मानित करे सरकार व मीडिया
जब बिना सीबीआई को अपने नियंत्रण में लिये हुए देश में केन्द्र व राज्य सरकारों के कई बडे घोटालों को भारत का नियंत्रक एवं महा लेखा परीक्षक यानी कैग , हर साल बखुबी से बेनकाब करता है तो क्यों अण्णा हजारे व उसकी टीम लोकपाल के नियंत्रण में सीबीआई लाने की जिद्द कर रहे हैं? क्या लोकपाल के पास असीमित शक्तियां देना लोकशाही के खिलाफ नहीं है। लोकपाल देश में एनजीओ यानी स्वयं सेवी संस्थाओं व मीडिया सहित तमाम सरकारी विभागों के भष्टाचार पर अंकुश लगाने का काम करे। इसी दिशा में मजबूत पहल होनी चाहिए तथा सरकार को भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग लड़ने वाले याची को किसी प्रकार से प्रताड़ित करने वाले व आरोपी को बचाने वाले किसी प्रकार का प्रावधान इस लोकपाल के अंदर होना चाहिए। अण्णा हजारे ने अपना अनशन को समाप्त करके तथा अपना जेल जाने वाला आंदोलन भी स्थगित करके सराहनीय कार्य किया। पूरा देश अण्णा जी की देश को मजबूत बनाने वाली भावना का सम्मान करता है परन्तु उनको अपनी टीम पर अंधा संरक्षण देने के बजाय जो भी गलत करे या देश हित के खिलाफ कार्य करेगा उसका विरोध करने का नैतिक साहस अपने अंदर से जुटाना चाहिए। देश की जनता इसी दिशा के राही के रूप में अण्णा को देखना चाहती है। अण्णा ने अपनी वयोवृद्व अवस्था में सोई हुई देश की जनता को जागृत करने का ऐतिहासिक काम किया है उसके लिए उनको शतः शतः नमन्। जो लोकपाल कानून सरकार इन दिनों संसद में पारित कर रही है वह सब अण्णा जी व उनकी टीम के अरविंद केजरीवाल के सत्त प्रयासों से हुआ। आज देश की अधिकांश मीडिया जो अण्णा जी के मुम्बई में समापन किये आंदोलन को कम आंदोलनकारियों के होने से असफल बता कर अण्णा जी का मजाक उडाने में लगे हैं, उनका यह कृत्य देश में लोकशाही को कमजोर करने वाला साबित होगा। अण्णा जी को चाहिए कि वह अपने सिपाहे सलारों पर अंध विश्वास न करके पूरी जांच पडताल के साथ अंध विरोध या अंध समर्थन नहीं करे। उनको दलगत राजनीति से उपर उठ कर ही कार्य या समर्थन करना चाहिए। उत्तराखण्ड का लोकायुक्त जो बहुत कमजोर बना है, जिसको बनाने की वाहवाही लूट रहे प्रदेश के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी की नियत पर प्रश्न चिन्ह यह लोकायुक्त बिल का ‘‘विधायक, मंत्री व मुख्यमंत्री पर लोकायुक्त के पूरे सदस्यों की सहमति होने पर ही इन पर मामला दर्ज होने वाली लक्ष्मण रेखा ही उजागर करती है। ऐसे कमजोर लोकायुक्त को सर्वोत्तम बता कर उसका समर्थन करके अण्णा ने जहां उत्तराखण्ड के उन लोगों के साथ विश्वासघात किया जो उन पर अंध विश्वास करते हैं, इसके साथ वे खुद भाजपा के हाथों का खिलोना बन कर रह गये। इसलिए भविष्य में अण्णा को चाहिए कि वह इस प्रकरण पर उत्तराखण्ड की जनता से माफी मांगे तथा इस बिल का समर्थन करने वाले अपने बयान वापस लें । अण्णा के सबसे खासमखास सिपाहे सलार केजरीवाल ने देश को सही दिशा देने का सराहनीय कार्य किया, परन्तु उनको अंध समर्थन व विरोध से बचना चाहिए। किरण बेदी को देश की अधिकांश जनता ईमानदार मानती है, उनके कई प्रकरण जो छोटे से हवाई जहाज के किराये में मामुली भ्रष्टाचार के दायरे में आता है उनको भी अपनी इस भूल के लिए देश की जनता से सार्वजनिक माफी मांगनी चाहिए। वहीं प्रशांत भूषण को भी चाहिए था कि अण्णा का जनलोकपाल का आंदोलन राष्ट्र को मजबूत बनाने वाला आंदोलन है, इस आंदोलन से जुड़ने से मिली ख्याति को वे देश के विभाजन को उतारू कश्मीरी ताकतों के पक्षवाले बयान देने में दुरप्रयोग नहीं करना चाहिए। अण्णा को चाहिए था कि वे प्रशांत भूषण से दो टूक शब्दों से कहते कि अगर आपने देश के विभाजन करने को उतारू कश्मीरी आतंकियों की भाषा का समर्थन करना है तो आप टीम अण्णा से दूर रहें। परन्तु अपनी टीम के सदस्यों की इन्हीं भूलों का भी आम आदमी की तरह ढाल बना कर बचाव करते रहें। यही कार्य देश की आम जनता की आंखों में उनकी छवि को कमजोर कर गया। जो विश्वास देश की जनता ने उनके प्रति रामलीला मैदान व जंतर मंतर के पहले दौर के आंदोलन के दिनों दिया था वह कहीं दूर-दूर तक दिखाई नहीं दे रहा है। इसके बाबजूद आज भी देश को अण्णा की जरूरत है, क्योंकि आज देश का दुर्भाग्य यह है कि हमारे पास देश को सही दिशा देने के लिए अण्णा हजारे से बेहतर कोई जननायक नहीं है। अण्णा हजारे की एक ही भूल रही कि उन्होंने अपनी शक्ति देश की सवा अरब जनता को छोड़ कर मात्र टीम अण्णा के सदस्यों तक मान लिया। अगर वे देश की आम जनता के समक्ष फिर से अपनी टीम के शिकंजे से उपर उठ कर कार्य करें तो आज भी देश की जनता उनके पीछे मर मिटने के लिए समर्पित है।
अण्णा को चाहिए कि वह बाबा रामदेव की तरह मात्र कांग्रेस का अंध विरोध न करें अपितु वे हर दलों के भ्रष्टाचारियों का विरोध करने की रणनीति पर अपने आंदोलन को आगे बढ़ाना चाहिए। कांग्रेस को भी चाहिए कि अण्णा व टीम अण्णा के सदस्य केजरीवाल व किरण वेदी को खलनायक मानने के बजाय देश निर्माण में इनकी बहुमुखी प्रतिभा व अनुभवों का सदप्रयोग करे। इनमें कुछ कमियां हो सकती है परन्तु देश के भ्रष्ट व जनविरोधी कई मंत्रियों से इनका देश हित में समर्पण कई गुना अधिक है। देश की प्रतिभाओं व जनहितों के लिए समर्पित योद्वाओं का स्वागत किया जाना चाहिए, उनको प्रताडित व अपमानित करना देश विरोधी कृत्य होगा।
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