विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की लूटिया डुबोयेंगे खंडूडी



विधानसभा चुनाव में भी भाजपा की लूटिया डुबोयेंगे खंडूडी/
-भाजपा को डूबता जहाज मान कर दामन छोड़ रहे हैं भाजपा नेता/
एक तरफ नैनीताल में भाजपा के राष्ट्रीय महामंत्रियों की बैठक में भाजपा ने उत्तराखण्ड में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री खण्डूडी के ही नेतृत्व में कराये जाने की आत्ममुग्ध ऐलान की गूंज, प्रदेश की जनता के कानों तक भी नहीं पंहुच पायी थी कि सीमान्त जनपद पिथौरागढ़ की जिला पंचायत अध्यक्षा सुनीता देवी ने भाजपा को डूबता जहाज समझते हुए उसका दामन छोड़ कर कांग्रेस का दामन थामने का ऐलान कर प्रदेश की राजनीति में जनभावनाओं का आयना भाजपा को दिखा कर, भाजपा के रणनीतिकारों की नींद ही उडा दी। हालांकि यह पहली बार नहीं हुआ कि भाजपा समर्थक किसी जिला पंचायत अध्यक्ष ने प्रदेश में भाजपा के शासन में उत्तराखण्ड में भाजपा का दामन छोड़ा हो। इससे पहले 13 जनपदों के प्रदेश में 3 भाजपा समर्थक जिला पंचायत अध्यक्षों ने भाजपा का दामन इस सरकार के वर्तमान कार्यकाल में छोड़ दिया हे। सबसे पहले प्रदेश की थोपी गयी राजधानी देहरादून की जिला पंचायत अध्यक्षा ने भाजपा के हवाई नेतृत्व को जमीनी हकीकत का अहसास कराया। उसके बाद टिहरी के जिला पंचायत अध्यक्ष रतन सिंह गुनसोला जो टिहरी में ही नहीं प्रदेश में भाजपा के सबसे वरिष्ठ व मजबूत नेताओं में जाने जाते थे उन्होंने खण्डूडी की दूबारा ताजपोशी के चंद दिनों के अंदर ही भाजपा नेतृत्व की आत्मघाति व अलोकशाही सोच के कारण प्रदेश भाजपा से नाता तोडते हुए, भाजपा की जनविरोधी व भ्रष्टाचार संरक्षक नीतियों से खपा हो कर इस्तीफा देने वाले पूर्व सांसद ले. जनरल तेजपाल सिंह रावत के नेतृत्व में बने उत्तराखण्ड रक्षा मोर्चा का दामन थाम कर भाजपा को पूरी तरह से बेनकाब ही कर दिया था।
भले ही भाजपा उत्तराखण्ड में 2012 में होने वाले विधानसभा चुनाव में फिर से सत्तासीन होने के तमाम हवाई दावे करते हुए प्रदेश में भाजपा से मोह भंग जनता को लुभाने के लिए वहां पर अपने जनता की नजरों में बुरी तरह से असफल मुख्यमंत्री लगने वाले निशंक को आनन फानन में बदल कर पहले ही जनता द्वारा ठुकराये गये खंडूडी की ताजपोशी मुख्यमंत्री के रूप में की गयी हो, परन्तु जिस प्रकार से प्रदेश में भाजपा का दामन एक के बाद एक  भाजपा समर्थक जिला पंचायत अध्यक्ष  व  पूर्व सांसद जनरल तेजपाल सिंह रावत जैसे कद्दावर नेता छोड़ रहे हों तो उससे  राजनैतिक समीक्षकों को ही नहीं यह है कि भाजपा के बडे दिग्गजों को एक आशंका भयभीत कर रही है कि कहीं  खण्डूडी फिर लोकसभा चुनाव की तरह विधानसभा चुनाव में भी  भाजपा की आशाओं में पानी फेरने वाले जनरल तो साबित नहीं होगे।  हालांकि लोगों की यह आशंका हवाई नहीं है इसके पीछे खण्डूडी की हवाई राजनीति व अलोकतांत्रिक सोच कहीं ज्यादा जिम्मेदार है। जिस प्रकार से खंडूडी ने अपनी दूसरी पारी में जनहितों व ईमानदारी से काम करने के बजाय ‘कमजोर लोकायुक्त बनाने के बाबजूद हवाई कलाकारी कर उसको मजबूत लोकायुक्त बता कर देश भर में वाह वाही लूट कर जनता की आंखों में धूल झोंकने का हथकण्डा अपनाया, उसकी कलई खुलने के बाद जनता इस विश्वासघात से खंडूडी जी से खपा है। खंडूडी जी व भाजपा के दिल्ली बैठे हुए नेताओं को इस बात का अहसास होना चाहिए कि जनता का विश्वास ईमानदारी से हर कोई जीत सकता है परन्तु उसकी आंखों में धूल झोंक कर विश्वासघात करने वाले दोहरे लोगों को जनता कभी माफ नहीं करती है। यही हाल प्रदेश में विकास पुरूष की छदम छवि से जनता से विश्वासघात करने वाली कांग्रेस के बाद भाजपा का आगामी विधानसभा चुनाव में ठगपाल का झुनझुना पकड़वा कर छलने वाले खण्डूडी का भी जनता लोकसभा चुनाव की तरह न करदे, इसी आशंका से भाजपा के दिल्ली दरवार के आला नेता सहमें हुए हैं।
दिल्ली में 23.74 करोड़ रूपये की लागत से नव निर्मित उत्तराखण्ड सदन के लोकार्पण के अवसर पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री भुवनचंद खंडूडी मेरी एक टिप्पणी पर बहुत ही विश्वास के साथ अपने समर्थकों की तरफ इशारा करते हुए जिस दंभ से कह रहे थे कि उनके ये सब जनरल हैं, परन्तु सत्तामद में आत्ममुग्ध मुख्यमंत्री को इस बात का शायद ही अहसास हो कि उनके नेतृत्व में प्रदेश भाजपा को डूबता हुआ जहाज समझते हुए उनके कई मजबूत लोकशाही के जनरल एक एक कर भाजपा का दामन छोड़ रहेे है।

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