सार्वजनिक व सामाजिक कार्यक्रमों में शराब पिलाने वालों का होगा सामाजिक बहिष्कार
-सार्वजनिक व सामाजिक कार्यक्रमों में शराब पिलाने वालों का होगा सामाजिक बहिष्कार/
-दरमोला गांव से प्रेरणा लें समाज/
शराब व भ्रष्टाचार में तबाह हो रहे गंगा यमुना के इस उदगमी प्रदेश को बचाने के लिए अब समाज में धीरे धीरे जागरूकता आ रही है। यहां शराब ने समाज को अपने आगोश में लेकर उसका बर्बाद सा कर दिया है । शर्मनाक बात यह है कि देवभूमि समझी जाने वाली इस प्रदेश में विवाह, सगाई, मुंडन, नामकरण, होली, दीपावली, रामलीला, पांडवलीला सहित किसी भी सार्वजनिक समारोह में ही नहीं मृतक श्राद्व व अंतिम संस्कार में भी शराब परोसने का चलन बढ़ने से यहां के जागरूक लोग काफी चिंतित है। कई प्रबुद्व लोग अपने स्तर पर इसे रोकने का प्रयास कर रहे है। ऐसा ही सराहनीय प्रयास जनपद रुद्रप्रयाग में भरदार गांव में किया गया। यहां के ग्रामीणों ने एक स्वर में प्रस्ताव पारित किया कि विवाह, सगाई, मुंडन, नामकरण, होली, दीपावली, रामलीला, पांडवलीला सहित किसी भी सार्वजनिक समारोह या समारोह आयोजित करने वाले परिवार द्वारा शराब नहीं परोसी जाएगी यदि इस प्रस्ताव का गांव के किसी परिवार या उसके किसी भी सदस्य ने उल्लंघन किया तो उस पर कठोर कार्रवाई की जाएगी और पंचायत की सहायता से उस परिवार या व्यक्ति का सामाजिक बहिष्कार किया जा सकता है। इस सप्ताह विकासखंड जखोली की पश्चिमी भरदार के अंतर्गत ग्राम दरमोला की कप्रवाण समिति दरमोला की बैठक में पारित एक महत्वपूर्ण प्रस्ताव में ऐलान किया कि आगामी विधानसभा चुनाव में प्रत्याशियों द्वारा वोट के लिए शराब पिलाये जाने पर विरोध किये जाने का निर्णय लिया गया। ग्रामीणों ने कहा कि गांव में आयोजित समारोहों और विधानसभा चुनाव में भोली-भाली जनता को शराब के लालच में वोट खरीदने वाले प्रत्याशियों का विरोध कर उन्हें गांव में घुसने नहीं दिया जाएगा। उन्होेंने कहा कि पांच सालों में ग्रामीणों की समस्याओं को दरकिनार कर चुनाव के दौरान उन्हें शराब व रुपये देकर उन्हें बेवकूफ बनाया जाता है । इसके साथ समारोह में कोई भी ग्रामीण शराब पीकर नहीं आएगा और यदि कोई ऐसा पाया गया तो उस पर अर्थदंड वसूला जाएगा। गौरतलब है कि इस गांव में ही नहीं अपितु प्रदेश के अधिकांश गांवों में शराब का सेवन से आये दिन हो रहे झगड़े, गाली-गलोच से महिलाओं एवं बच्चों पर बुरा असर पड़ रहा है। युवा पीढ़ी भी इसका सेवन कर बर्बाद होती जा रही है। ंप्रदेश में शराब बंदी के लिए महिला मंगल दलों ने कमर कसी हुई है। जहां सरकार अपने सामाजिक दायित्व से मुंह मोड़ कर दूर दराज के क्षेत्रों में पानी, बिजली या स्वास्थ्य सेवायें उपलब्ध कराने के बजाय शराब की दुकाने खोलने का समाज विरोधी कृत्य कर रही है वही प्रदेश में महिला मंच, महिला मंगल दल सहित चंद संगठन ही शराब से तबाह हो रहे इस प्रदेश को बचाने के लिए कमर कसे हुए है। नहीं तो देखने में यह आ रहा है कि समाज सेवा के नाम पर हो रहे अधिकांश सामाजिक ,धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजक ही जनता को सही दिशा देने के बजाय खुद ही शराब खोरी में लिप्त रहते है। इन सामाजिक संगठनों का मानसिक पतन इतना शर्मनाक है कि ऐसे आयोजनों ंमें वे खुल कर खुले रूप से शराब परोसने व पिलाने में अपनी शान समझते है। वे भूल जाते है कि उनके इस कृकृत्य या अपनी झूठी शान को दिखाने के दंभ की कीमत पूरे समाज व प्रदेश को कितनी चूकानी पड़ती है। इस प्रकार के कृत्य करने वाले लोग समाज के विरोधी ही नहीं आनी वाली पीड़ियों को पथभ्रष्ट करने के अपराधी भी है। समाज को दिशा देने के लिए स्कूल के गुरूओं के साथ समाजसेवियों, राजनेताओं के साथ पुजारियों का महत्वपूर्ण ंभूमिका हो सकती है। इन्हीं के शराबी होने या मूक होने पर समाज पतन के गर्त में निरंतर गिर रहा है।
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