मुजफरनंगर काण्ड व राजधानी गैरसैंण मुद्दंे पर दिल्ली में भी घिरे खंडूडी
मुजफरनंगर काण्ड व राजधानी गैरसैंण मुद्दंे पर दिल्ली में भी घिरे खंडूडी
नई दिल्ली(प्याउ)। मुजफरनगर काण्ड-94 के अभियुकतों को प्रदेश की अब तक की सरकारों द्वारा ईमानदारी से सजा देने के लिए ठोस पहल न किये जाने व प्रदेश की राजधानी गैरसैंण बनाने की जनभावनाओं ंका नजरांदाज करके जबरन राजधानी देहरादून में थोपने की नापाक कृतों से भले उत्तराखण्ड की सरजमी पर उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री को ंतीखे सवालों का सामना न करना पडे परन्तु दिल्ली में जहां उत्तराखण्ड जनांदोलन का केन्द्र रहा था वहां पर प्रदेश के ंअब तक के तमाम मुख्यमंत्रियों ंइन मुद्दों पर तीख े सवालों ंसे ंमुह चुराने के लिए विवश होना पडता है। ंऐसे ही तीखे व सीधे सवाल पर आज 5 अक्टूबर को मुख्यमंत्री खंडूडी को भी उस समय सामना करना पड़ा जब उत्तराखण्ड निवास में उनंके द्वारा ंआयोजित प्रेस से मिलन व भोज के अवसर पर प्रैस वार्ता में प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत ने उनसे दो टूक सवाल किया कि जिस मुजफरनगर काण्ड को इलाहाबाद उच्च न्यायालय व केन्द्रीय जांच ऐजेन्सी सीबीआई ने दोषी ठहराया हुआ है उसके दोषियों को 17 साल बाद भी देश के हुक्मरान व प्रदेश के हुकमरान सजा देने में क्यों असफल रहे? श्री रावत ने मुख्यमंत्री से सीधा सवाल किया कि जब गुजरात दंगों व सिख दंगों के दोषियों को सजा दिलाने के लिए कई जांच आयोग व पहल की जा सकती है तो उत्तराखण्ड की अस्मिता को रौंदने वाले गुनाहगारों को सजा दिलानेे के लिए सरकार क्यों ंठोस पहल नहीं कर रही है।? इस सवाल पर भी मुख्यमंत्री ंने संतोष जनक जवाब देने के लिए वहीं घुमा फिरा कर कहा कि हम इसके गुनाहगारों को सजा दिलायेंगें। ंपर इसके लिए क्या पहल कर ंरहे हैं इस मामले में उनकी तरफ से कोई ठोस उतर नही ं दिया गया।
वहीं दूसरा महत्वपूर्ण सवाल पूछते हुए प्यारा उत्तराखण्ड के सम्पादक देवसिंह रावत ने ंखचाखच भरे प्रेस वार्ता में पूछा कि जब प्रदेश में राजधानी चयन आयोग की रिपोर्ट को सरकार ने न स्वीकार की व नहीं उसको ंरद्द करने का ऐलान ही किया। ऐसे में ंप्रदेश की स्थाई राजधानी बनाने के ऐलान से पहले चुपचाप देहरादून में विधानसभा, सचिवालय व रांजनिवास सहित अनैक महत्वपूर्ण भवनों का निर्माण करके प्रदेश की उस बहुसंख्यक जनता की भावनाओं का रौंदने का गैरलोकतांत्रिक कार्य किया जिन्होने राज्य गठन व ंराजधानी गैरसैंण के लिए लम्बा संघर्ष व बलिदान दियां ?ं ंइसका उतर भी संतोष जनक देने ंमें प्रदेश के मुख्यमंत्री असफल रहे।
ंगौरतलब है कि दिल्ली के पत्रकार व आंदोलनकारी निंरतर राज्य गठन जनांदोलन की तर्ज पर ही मुजफरनगर काण्ड के अभियुक्तों को दण्डित करने व राजधानी गैरसैंण तथा परिसीमन जैसे मुद्दंो ंपर निरंतर ंप्रदेश के हुक्मरानों को घेरते रहे। इससे चंद महिने पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री निशंक को भी पत्रकारों के कांउस्टीटयूशन क्लब में आयोजित समारोेह में इन्हीं मुद्दों पर ंगलत बयानी करने के कारण भारी विरोध के कारण भाषण अधूरा छोड़ कर किसी तरह से ंआंदंोलनकारियों के प्रकोप से बच कर भागना पड़ंा था। ं
Comments
Post a Comment