सूचना के अधिकार को कुंद करके भ्रष्टाचार को कैसे रोकेगी खंडूडी सरकार
सूचना के अधिकार को कुंद करके भ्रष्टाचार को कैसे रोकेगी खंडूडी सरकार
देहरादून (प्याउ। एक तरफ खंडूडी सरकार प्रदेश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए मजबूत जनलोकपाल विधेयक लाने का ढ़िंढोरा पीट रही है वहीं वह भ्रष्टाचार के खिलाफ निरीह समझी जाने वाली आम जनता के पास एक सशक्त हथियार बन चूके सूचना के अधिकार से भयभीत हो कर उसकी धार को कुंद बनाने के लिए इसमें ंएक महत्वपूर्ण संशोधन करके अपनी खाल बचाने का काम कर रही है। इसके तहत अब कोई संस्था या उसके पदाधिकारी के नाम पर कोई सूचना नहीं मांगी जायेगी।
गौरतलब है कि नौकरशाह व सरकार में आसीन मंत्रियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ सूचनाधिकार के तहत कोई व्यक्ति किसी संस्था या उसके पद के नाम से सूचनाएं नहीं मांग सकेगा। गौरतलब है कि भ्रष्टाचारियों के आतंक से कोई आम आदमी उनके खिलाफ इस अधिकार का प्रयोग करने की हिम्मत प्रायः नहीं करता हें। जबकि संगठन के नाम से अधिकांश ंलोग सामुहिक रूप से सूचना के अधिकार का प्रयोग करते रहते है। ंइसी को देख कर सरकार ने इसको कुंद करने का मन बना लिया है। इसका नमुना सूचनाधिकार के एक मामले में राज्य सूचना आयोग ने दरअसल ऋषिकेश के दीप ट्रेडर्स ने ग्राम सभा जौंक,लक्ष्मणझूला (पौड़ी गढ़वाल) वाले प्रकरण पर यह फैसला दिया है। राज्य सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा का कहना है कि सूचना कानून के तहत भारत के नागरिक द्वारा नाम से सूचनाएं मांगने पर ही सूचनाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं। सूचना आयुक्त ने यह भी कहा है कि सूचनाधिकार से संबंधित सभी किस्म के पत्राचार रजिस्र्टड डाक के जरिए किया जाए। इस प्रकरण के बाद प्रदेश के सूचना आयोग ने लोक सूचनाधिकारी को निर्देश दिए कि सूचनाधिकार संबंधी सभी पत्राचार रजिस्र्टड डाक से किया जाए और साथ ही यह भी कहा कि किसी संस्था या संस्था के पदनाम से सूचना मांगे जाने पर कोई सूचना न उपलब्ध कराई जाए। देखने में ंपहली नजर में यह सामान्य सा बदलाव है परन्तु सूचना के अधिकार व प्रदेश में भ्रष्टाचार की दलदल को देखते हुए साफ लगता है कि यह साधारण सा दिखने वाला बदलाव प्रदेश में भ्रष्टाचार की सफाई करने के मार्ग में सबसे बड़ां अवरोधक बन जायेगा।
देहरादून (प्याउ। एक तरफ खंडूडी सरकार प्रदेश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए मजबूत जनलोकपाल विधेयक लाने का ढ़िंढोरा पीट रही है वहीं वह भ्रष्टाचार के खिलाफ निरीह समझी जाने वाली आम जनता के पास एक सशक्त हथियार बन चूके सूचना के अधिकार से भयभीत हो कर उसकी धार को कुंद बनाने के लिए इसमें ंएक महत्वपूर्ण संशोधन करके अपनी खाल बचाने का काम कर रही है। इसके तहत अब कोई संस्था या उसके पदाधिकारी के नाम पर कोई सूचना नहीं मांगी जायेगी।
गौरतलब है कि नौकरशाह व सरकार में आसीन मंत्रियों के भ्रष्टाचार के खिलाफ सूचनाधिकार के तहत कोई व्यक्ति किसी संस्था या उसके पद के नाम से सूचनाएं नहीं मांग सकेगा। गौरतलब है कि भ्रष्टाचारियों के आतंक से कोई आम आदमी उनके खिलाफ इस अधिकार का प्रयोग करने की हिम्मत प्रायः नहीं करता हें। जबकि संगठन के नाम से अधिकांश ंलोग सामुहिक रूप से सूचना के अधिकार का प्रयोग करते रहते है। ंइसी को देख कर सरकार ने इसको कुंद करने का मन बना लिया है। इसका नमुना सूचनाधिकार के एक मामले में राज्य सूचना आयोग ने दरअसल ऋषिकेश के दीप ट्रेडर्स ने ग्राम सभा जौंक,लक्ष्मणझूला (पौड़ी गढ़वाल) वाले प्रकरण पर यह फैसला दिया है। राज्य सूचना आयुक्त अनिल कुमार शर्मा का कहना है कि सूचना कानून के तहत भारत के नागरिक द्वारा नाम से सूचनाएं मांगने पर ही सूचनाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं। सूचना आयुक्त ने यह भी कहा है कि सूचनाधिकार से संबंधित सभी किस्म के पत्राचार रजिस्र्टड डाक के जरिए किया जाए। इस प्रकरण के बाद प्रदेश के सूचना आयोग ने लोक सूचनाधिकारी को निर्देश दिए कि सूचनाधिकार संबंधी सभी पत्राचार रजिस्र्टड डाक से किया जाए और साथ ही यह भी कहा कि किसी संस्था या संस्था के पदनाम से सूचना मांगे जाने पर कोई सूचना न उपलब्ध कराई जाए। देखने में ंपहली नजर में यह सामान्य सा बदलाव है परन्तु सूचना के अधिकार व प्रदेश में भ्रष्टाचार की दलदल को देखते हुए साफ लगता है कि यह साधारण सा दिखने वाला बदलाव प्रदेश में भ्रष्टाचार की सफाई करने के मार्ग में सबसे बड़ां अवरोधक बन जायेगा।
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